Monday 30 July 2012

kaha se manushy lau

आज कुछ लिखने का मन नही है ...........चलिए आप तो समझ गए कि मैं क्या कहना चाहता हूँ .........पर भैस  के आगे बीन बजाओ ....भैस खड़ी पगुराए.....................आप भैस किसको कह रहे है यह आप जाने .............मैं बीन बजा रहा हूँ ....नही नही भैया मैंने बीन बजायी होती तो बिल से सांप कब के निकल कर आ गए होते ...............पर सांप को ढूंढे कौन ..साला इतना टेढ़ा मेढ़ा चलता हैं कि आप इधर भागिए तो वो उधर ....कोई आप नेता तो है नही जो सांप की चल जानते हो ....अरे भैया  हमरी न मानो तो बजजवा से पूछो .....इन्ही लोगो ले लीना दुपट्टा मेरा ...... पर जब दुपट्टा ढ़ाही नही तो इन बेशर्म नेताओ को क्या समझाए कि शर्म क्या होती है ................उस से तो अच्छा है राम तेरी गंगा मैली की मन्दाकिनी की तरह पूछ लो क्या कभी अपनी माँ को नही देखा .............पर यह नेता तो कहेंगे जब आप रो कर कहेंगी भगवन के लिए मुझे छोड़ दो ,,,जाने दो  .....तो कहेंगे ....भगवन के लिए छोड़ दू तो फिर मैं क्या करूँगा ..............अब क्या कुछ बचा है जो इन नेताओ से देश केलिए सोचने की आशा की जाये ...............पर सच कहता हूँ कि आज की रात कुछ लिखने का मन नही है .....क्यों कि देश के ज्यादातर लोग तो पढ़ ही नही पाते ...और तो और फेस बुक पर भी कहा पढ़ पाते है ................धन्यवाद फेस बुक जो कम से कम असली निरक्षर लोगो का पता तो चला वरना ज्यादातर लोग तो यही सम्ह्ते थे कि धोती कुरता वाले जाहिल होते है .............पर आप कैसे इन्ही को नंगा कह सकते है क्योकि हमाम में तो सभी नंगे होते है .और अपनी  नंगई को कौन नही जनता है .....हा हा क्यों नही हम सब के पास काम ही क्या है ................बिलकुल सही कहा अब हम दूसरो की नंगई देखनेके ज्यादा आदी हो गए है .......बकवास करते है आप क्या आप कहना चाहते है कि नेता नंगा होता है ...................नही नही नंगे को क्या खंगा ..........मै तो यह कहा रहा था क्या आप को कभी कुत्ते की ननागी दिखाई  दी जब कि वो हर समय नंगा रहता है .............बड़े बद्ताम्मेज है आप ..........अपने देश के नेताओ को आप कुत्ता कह रहे है और अपने को पढ़ा लिखा कहते है ..................अरे नही माई बाप नेता को कुत्ता कैसे कोई कह सकते है मुझे तो लगता है कुत्ता अपने को कहलाना कोई बड़ी बात है नही ...यह भी कोई बात हुई कि कुत्ता कहलाओ और स्वामी भक्त का टीका लग जाये ...लगता है आपको मोनिया और सोहन के बारे में पता नही हैं  ......नेता है आप और पाने को लुट लेना मरवा देना तो आपके बाये हाथ का खेल है ...नही नही यह तो कुत्ते और उसकी स्वामी भक्ति की तौहीन होगी ..........देखिये आप बड़े सयाने बनने की कोशिश ना करिए आ व्यंग्य के नाम पर नेताओ को न जाने क्या क्या आनाप सनाप कहते रहते है ...................क्या मैं समझता नही हूँ ......माना कि डकैती के बाद सांसद बन गया पर आपकी साडी बात समझता हूँ ...गुस्ताखी माफ़ हो प्रजातंत्र के जहाँपनाह ...............मेरी क्या औकात जो आप के ऊपर व्यंग्य लिखू ..............आपका नाम लेते के बाद व्यंग्य खुद शर्मसार  हो जाता है ...............खैर यह बताइए क्या अन्ना कुछ गलत कर रहे है????????????????? देखिये यह पॉलिसी मैटर है मैडम जी से पूछ कर ही बता पाउँगा ,,,,,,,,,,,,,,वैसे यह अन्ना है कौन और क्या कर रहेहै इस देश में ................इस से पहले किस देश में थे ..........मुझे सिर्फ भारत और हरत केलोगो से मतलब है ..............कसाब के बारे में सोचना है , जीन्दाल के बारे में सोचना है ...ये लोग देश की  धरोहर है ...इनको कुछ नही होना चाहिए ........अन्ना तो पन्ना की खान है जितने चाहो निकाल लो..........अन्ना कही मेरी कुर्सी तो नही छिनना चाहते है .....अरे दिग्गी जरक कुर्सी के पाए पकड़ लो कही कोई लेकर भाग  ना जाये.............वैसे इकबाल को लगता है अन्ना ने पढ़ा नही ...हम बुल बुले है इसकी ...ये गुलसितां हमारा .......................अब बुल बुले के लिए  क्या परेशान होना .................और हा ज्यादा ज्यादा भ्रष्टाचार भर्ष्टाचार न करिए ...संभालिये .....बुलबुले है ...कब फुट जाये ...पता भी लगेगा......कि समुन्दर में उठे कहा से थे और गायब कहा हो गए ,,,,,,,,,,,,,, मैं नही कह रहा हूँ गीता का ज्ञान है .............देखा देखा मेरी नही मानी ना देखिये कितने बुलबुले फूट गए ........आसाम के लोगो को हमने समझा दिया अब आप भी समझ जाये वरना ......................क्या आप इस देश में बुलबुले बनगए है ....................क्या आपको बुलबुला इस लिए अच्चा लगता है क्योकि आप उसकी गोलाई देख कर पागल हो जाते है .....................सूअर के बाल आँखों में नही आपके हाथो में उग आये है .................हाथ में ही तो  देश का भविष्य होता है और वैसे भी राखी पास ही है .......................पर आपको तो राख से खेलने की आदत पड़ गई है ............और राख से आँखों में धूल झोकी जा सकती है ...............पर आप अंधे तो है नही पर राख से अंधे को कुछ नही दिखाई देता और इसी लिए आपने भारत माँ का आँचल  तक नोच डाला .............क्या आप इस देश में राखी वाले दिन घर से बाहर निकल रही है ..................अल्लाह बचाए इन नवजवानों से अल्लाह बचाए ................क्या आपको लगता है कि आप कुछ कहना चाहते है ............लेकिन बोलता तो  मनुष्य है ..............आप तो  हर जुल्म पर चुप रहे है .................क्या आपको जिओ और जीने दो पर विश्वास है .......आप जीव जन्तुओ से प्यार करते है ...................क्या करते करते आप भी जानवर ....................अब भ्रष्टाचार पर क्या kahu   .....कोई मनुष्य ??????????????????????/

Sunday 29 July 2012

kash anna kachumri devi ka vrt rkhte

अन्ना को कौन समझाए ...काश कचुमरी देवी का व्रत करते !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
अरे अरे बाबा संभालिये ....गिर जायेंगे ...सड़क पर गाड़ी दौड़ रही है  आप कुचल जायेंगे ....नही नही बाबा हटिये आप कहा इतना बोझ उठाएंगे ....मैं भी तो आपके बेटी /बेटे जैसा हूँ ...यह तो मेरा फर्ज है कैसी बात करते है आप कौन सा बड़ा कम कर रहा हूँ ...आप का बेटा भी यही करता ..........पर नही अन्ना कोई बाबा थोड़ी ना है और हां वह तो देश को सुधारें जैसी फर्जी बात कर रहा है ...आप कैसे उसके बेटे बेटी बन कर उसके लिए सड़को पर आ सकते है ...और आप जिस बूढ़े के लिए लिए काम करते है ..वह तो सिर्फ दो मिनट के लिए  होता है ,,,,,,आप तो वही भारतीय है जिसको एक गरीब को देख कर दया आ जाती है ...आप अपनी मेहनत की कमाई जेब से कब निकल जाती है पता ही नही चलता ...............पर आप अन्ना के लिए अपनी मेहनत की कमाई क्यों बर्बाद  करे वह देश को जो दे रहे है वह आप चाहते ही कहा है .....................एक लड़की की फोटो फेस बुक पर चिपक जाये तो आपके खून में उबल आ जाता है ...न जाने कितने लोग उसको लाइक करते है और सैकड़ो कमेन्ट करते है ,,,,पर आप भारत जैसी लड़की के लिए क्यों कमेन्ट करे क्योकि अब वो लड़की तो माँ कहलाती है ...और माँ बन्ने के बाद बचा ही क्या जो उसके लिए हम अपने घरो से निकले और अन्ना के लिए मुह खोले .....बिलकुल न कीजियेगा .....उस लड़की का समर्थन जिसको आज  भारत माँ कहा जाता है .......अगर हम गंदगी को हटाने के लिए समर्थन नही करते तो क्या .......आदमी भारत में रहते है .... अगर लोक पल बन जायेगा तो क्या आप का काम रुक जायेगा ........या हम सब को पैसा देकर काम करने की आदत पड़ गयी है ............हा हा आप और पैसा तो किसी को देते ही नही ...पैसा देना किसी और का काम   होगा ...अन्ना के घर में बच्चे तो पढ़ते नही ....उनको कपडे चाहिए नही ...तो फर्जी भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे है ........तभी तो आपने अन्ना का समर्थन किया ही नही ..................क्या मई पागल हूँ जो ऐसा कह रहा हूँ ...ओह हो ...आपका कहना ही कि इस देश का कौन कहता है अगर चुप रहा जाये तो उसका मतलब होता है कि आपकी सहमति है ..अच्छा अच्छा आप कह रहेहै बार बार अन्ना के आवाहन के बाद भी अगर आप चुप है तो आप उनके साथ है ....................चलिए मैंने तो समझा कि कुछ समय पहले आप ने ज्यादा तर तागी लोगो को मत देकर विधान सभा में जिताया ...आप बेईमानी और भर्ष्टाचार के साथ है ...............क्या sssssssssssssss मैं अभी भी गलत हूँ ...आप इस लिए चोर बदमाशो के साथ है क्योकि चन्दन विष व्यापत नही लपते रहत भुजंग .............. और यही नही इन चोर बदमाशो को आप इस लिए उत्पीडन करने दे रहे है क्योकि दुर्बल को न सताइए जाको मोटी हाय ...... मतलब लोक पल कौन बनाना फर्जी प्रयास है ...यह नेता आपके आहो से मर जायेंगे ...कोढ़ी हो जायेंगे .....हा हा क्यों नही ...अन्ना को क्या पता कि गजनवी के सोमनाथ के आक्रमण के समय भी आप ऐसे ही चुप रहे थे क्योकि आपको पता था कि भगवान खुद पाने को बचा लेंगे .......पर राम तो खुद सीता को बचने गए थे ...क्या आपने उनको नही बताया कि इस देश में कुछ करने की जरूरत  नही है ........और क्या कृष्ण ने आप से सलाह नही ली और जीवन भर असत्य को मिटाने के लिए ...जेल से अपने  माँ बाप को छुड़ाने के लिए कोशिश करते रहे ......इस देश के होकर भी आपके भगवान अच्छाई के लिए प्रयास करते रहे ...और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे है .....................ओह हो उन्ही भगवान ने आपको संशय में डाल रखा है ....उन्होंने तो कहा था की जब जब अधर्म बढेगा वह आएगा ......और वो नही आये इसका मतलब यही आप लगा रहे है ना की अभी अधर्म बाधा नही है ......घुस तो तब आपको लगे जब पूरी तनख्वाह आपकी कोई ले ले ....जब देश की हर लड़की के साथ बलात्कार हो ......सभी लोग रोज कुत्ते की तरह दुत्कारे जाये ........सरकारी आफिस तो खुले पर काम किसी का न हो ......इस लिए अन्ना फर्जी भ्रष्टाचार चिल्ला रहे है ...आपके भगवान ने तो जैसा कहा था वैसा कुछ अभी दिखाई नही दे रहा ..........अरे मेरे जगत गुरु देश के अवशेष ......भगवान भी डर गया है वह कलियुग का अंजाम जानता था और उसे अपने ही देश में आने से भय लग रहा था ....इसी लिए उसने उस समय यह कह दिया था कि कण कण में भगवान होते है ...और अपनेको ही भगवान समझ कर काम चला लेना ....................क्या आप इस बात को नही मानते ...आप पाने में भगवान को नही पाते ...............हा हा आपको तो भगवान अब पत्थर में ही दिखाई देता है और इसी लिए आप भ्रष्टाचार को देख कर पत्थर हुए जा रहे है ..................पर भैये पत्थर में ही मूर्ति खोदी जाती है तो आप फिर भगवान हो गए न ...उठाइए सुदर्शन और ख़त्म कर दीजिये भर्ष्टाचार को ....................अन्ना सोने कि लंका जलने के लिए खड़े है ....................उनको पता है कि रावन के पास अमृत कहा है ..............उनका साथ दीजिये और खत्म कर दीजिये भर्ष्टाचार को ...................क्या आप चले लंका का सोना उखाड़ने .............क्या सोना महंगा हो गया है ...और ऐसा मौका बार बार नही आता ....................अन्ना का क्या वो तो फिर बैठ जायेंगे अनशन पर ...उनके पास काम ही क्या है ???????????? आपको अपना घर चलाना है ..................सही कह रहे है ............बिना  मरे स्वर्ग मिलता भी नही ...मरो अन्ना मरो ...............ये सब आपके साथ है और चाहते है कि अन्ना इस गन्दी दुनिया में नही रहने चाहिए ...इनका स्थान तो देवता के बराबर है ..और वही इनको होना चाहिए .........आखिर ये जान गए शायद कि अकेला चना भांड  नही फोड़ सकता ........पर अकेला शुक्राणु .बच्चा तो पैदा कर सकता है ...छि छि कैसी बात करते है आप इस देश में ...........आपको तमीज तक नही बात करने कि यह शरीफों  का देश है ..............क्या आपको पता नही कि ऐसी बात करके आप देश की संस्कृतिका नाश कर रहे है ....वो तो अखिय एक हम लोग है ...जो इस देश में आज तक उन विशेषताओ को मिटने नही दे रहे है जिसके लिए हम प्रसिद्द  है ........विअसे भी हमको दुनिया में कोई नही जानता कम से कम अन्ना यह जान पाते की हम किसी कारण तो दुनिया में नंबर वन बन सकते है ....................और अन्ना के चाहिए की हमारे देश में तैतीस देवी देवता है ........उनकी पूजा करवाए और ..कचुमरी देवी के व्रत से ही यह भ्रष्टाचार खत्म होगा यह उनका ही प्रकोप है जो देश बर्बाद हुआ जा रहा है .....साढ़े सत्रह व्रत करने पर ही भर्ष्टाचार से  किसी को निजात मिल सकती है ,,,,,,,,,,,,,,,आप अन्ना से कहियेगा हम सब उनके साथ है पर भगवान ही सब कुछ है .......मैं तो चला साढ़े सत्रह व्रत रखने ...................क्या आप अन्ना के पास जा रहे है .......................या व्रत रखने ...............सोच लीजये भारत की परम्परा का सवाल है ................डॉ आलोक चान्टिया

Saturday 28 July 2012

janwar aaj hi baniye

\तिवारी जी जादूगर है .......आप क्या जानवर बनना  चाहते है ??????????
क्या आप एन डी तिवारी को ढूढ़ रहे है ...............पर वो तो नेता है उनको कोई भी बात न मानने की  आदत है ...............जी अपने लड़के तक को अपना नही मान पा रहे है ...कहते है अगर मान लिया तो नेता नही रह जाऊंगा .......आप भी सही कह रहे है कि तिवारी जी ने सिद्ध कर दिया कि च्यवन प्राश का क्या असर है ....................लेकिन आप को पता है ना कि नेता का चरित्र कितना गिरा ........... भैया अगर गिरेगा नही तो ये बाप कैसे बनेंगे ..................अब आप कहेंगे तिवारी  जैसे शरीफ पर कीचड़ उछाला गया ..जब कि उन्हों ने सात सात बार शपथ पत्र देकर कहा कि रोहित उनका लड़का नही है ....क्या किसी नेता को इस तरह बदनाम करना उचित है ????????????? तौबा तौबा इतनी जुर्रत हमारी जो तिवारी जी जैसे महान नेता पर कीचड़ उछालू....तिवारी जी ने भी गलत नही बोला ..रोहित उनका लड़का कैसे हो सकता है ...क्योकि मनुष्य तो बच्चे पैदा शादी के बाद ही पैदा करता है ...आखिर हम मनुष्यों ने ही तो संस्कृति बनायीं है .........और बिना शादी के बच्चे तो जानवर पैदा करते है .....................अब आप बताइए तिवारी जी जब अभी भी अपने को मनुष्य मानते है कैसे मने कि उन्होंने रोहित को पैदा करने में जानवर होने का आनंद लिया ........और तो और  जानवरों में ही जैविक परिवार होते है ...क्या कोई कुत्ता बता सकता है कि उसका पुत्र कौन है ....उसने कब किस के साथ संसर्ग किया और पाने पैदा पिल्लै का नाम तो बता ही नही सकता ........और ऐसे में आप पूरा देश बेवजह तिवारी जी के पीछे पड़े है .....जब रोहित हुआ तो कौन  तिवारी जी ने संस्कृति का पालन किया जो आप सब उनको मनुष्य बनाने पर लगे है ...भाई उस समय तो वह जैविक ..............आप को याद होगा कि कल मैंने आपसे कहा था कि संसद में मनुष्य रहते है जानवर तो देश के लोग है ...................पर तिवारी जी क भारत रत्न मिलाना चाहिए ...कम से कम एक नेता तो सामने आये यह सच बताने कि अलोक चान्टिया गलत कह रहे है ...संसद में जानवर .........और तिवारी जी ने असली चेहरा भी सामने ला कर धर दिया कि देखो कैसे जानवर कि तरह हम न जाने कितने नाजायज पिता होने का सुख प्राप्त करते है ....ये तो भला हो ऐसे न्याय प्रिये जन प्रतिनिधियों का जो राजाओ के ख़त्म हो जाने के बाद अपनी जनता की भलाई के लिए रात के अंधरे में निकल कर जनता को जिन्दगी भर के ऐसा ...उपहार दे जाते है ....जो वो ना तो किसी को बता सकते है और ना दिखा सकते है ......आखिर अब तो आप समझ गए ना कि देश कि असली जनसँख्या कौन बढ़ा रहा है .......और मैं तो कहता हूँ कि सांड के सडको पर रहने से ट्रैफिक  में बढ़ा होती है ...ऐसे सांड जब देश में है जो जब चाहे जहाँ चाहे किसी को भी गर्भवती कर सकते है तो उनको राष्ट्रीय चिन्ह लगा कर छोड़ देना चाहिए ....आखिर ८७ साल तक जिन्दा रहने वाला सांड कम ही मिलता है ........काश सरकार ऐसी परियोजना जल्दी शुरू करती क्योकि उसको कोई गलत काम तो दिखाई नही देता ,,ताज्जुब नही अगर कल तिवारी को कोई बड़ा उपहार देते हुए देश का प्रधान मंत्री बना दिया जाये .................पर आपको खुश होना चाहिए कि तिवारी जी ने यह मान लिया कि अगर मनुष्य छह ले तो क्या नही कर सकता जब चाहे आप अपना रूप तक बदल कर जानवर तक बन सकते है ...क्या आप तिवारी इंस्टिट्यूट जा रहे है ...................जाइये जाइये ...आज जानवर कौन नही बनना चाहता ......आखिर बाप ढूंढने का खेल है ही रोमांचकारी .......और हम ने तो हमेश औरत का सम्मान किया है क्या आप तिवारी जी तरह ही ..............................कल तक यह देश भाई बहनों का था ...अब तो आप जान ही नही सकते मामा बुआ का था पर अब तो अपने पिता ढूंढने का समय आ रहा है ...वाह वाह................पूरा देश जानवर ............................

Friday 27 July 2012

kya aap manushy hai


आप तो मनुष्य है ना ........................
आज एक कुत्ता अपने बच्चे को जो बार दौड़ कर सड़क पर चला जाता था , उसको मुह से पकड़ कर ले आता था और अगर कोई वाहन आता दिखाई पड़ जाता तो उसकी तरफ जपत उठता मानो कह रहा हो ...जानते नही यह मेरा बच्चा है कोई आदमी का नही जो सालो से कोर्ट इस लिए दौड़ता है कि उसका बाप उसको अपनी  औलाद मानने को तैयार नही है ...............खैर हमको पता है आज तक किसी आदमी ने कुत्ते को भूल से भी आदमी नही कहा होगा क्योकि हम अपने से किसी जानवर की तुलना कर भी कैसे सकते है ...............कुत्तो का अनाथलय कही आपको पता है ..पुरे मन से तन से जीते अपने बच्चो के लिए .जब तक रहते है दुनिया को दिल खोल कर बताते है कि देखो मै इस पिल्लै का बाप हूं और कोई मजक तो है नही अपनेको जानवर से अलग करना ...तो लीजिये हरम की औलाद की लाइन लग गई .....बस हो गए ना हम सन मनुष्य और जानवर से ऊँचे .................हा हा आपको को जानवर कहलाना कभी पसंद रहा भी नही कोई आप हम चार पैर पर चलने वाले जानवर है ....हम तो सर्कस के वो जानवर है जो दो पैर पर चल कर दिखा देता है ...अरे अरे वो देखिये देखि मेरी स्टोप्स गर्भपात क्लिनिक .वह क्या बात है ????????? हम कोई जानवर थोड़ी न है ...जो हम किसी को इस दुनिया में आने दे ...............और ना ही हम मशीन है ,,,,,,पर हम तो भगवन है जो अगर नही चाहेंगे तो कोई पैदा नही हो सकता ....वो देखिये शायद कूई भारत पुत्र या भारत पुत्री सड़क के किनारे ,,,कूड़े में ,,,,नाले में पड़ा है ...काश कुत्तिया के लिए भी को गर्भपात केंद्र होता तो उसको भी एक बार तो मनुष्य बन्ने का आनंद मिल जाता ....कितने पुण्य के बाद तो यह मानव शरीर मिलता है ..और उसके मिलने के बाद अगर कंडोम का प्रयोग ना कर पाए तो क्या फायेदा कम से कम कुत्ता कभी आदमी नही बन पायेगा .....बेचारा .......न जाने उसके पुण्य कब पूरे होंगे ...........लीजिये अब इनकी सुनिए कह रहे है ..आपको मनुष्य के लिए इतना गन्दा कहते हुए शर्म नही आती ????? मनुष्य के पास शर्म ही तो है .......इसी लिए तो जब देश के नागरिक आसाम में बेघर हो रहे थे ...४ लाख लोग विस्थापित हो हाय ५८ लोग मार दिए गए ...तब राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था ........अगर शर्म ना होती तो पाने ही देश के लोग के दर्द में ...मारे जाने के दर्द में शपथ ग्रहण रोक ना देते ........पर शर्म करे भी तो किस से संसद के आलवा पूरे भारतमे कीड़े मकोड़े रहते है .........अब आप को अपने मनुष्य होने का नशा चढ़ा है तो प्रजा तंत्र है जो चाहिए कह सकते है ......पर प्रजातंत्र में रहने वाला कुत्ता जनता है  ...कि उसने ऐसा कोई पुण्य नही किया जो अपने को मनुष्य कह सके ..मनुष्य जो है वो इस बात स्सेखुश है कि उनके बीच में कोई मनुष्य आज राष्ट्रपति बन गया ...अगर आप मनुष्य होते तो अंधे तो है नही आपके मत से जीते हुए संसद के लोग जो मरने वालो पर शोक न करते .....पर मनुष्य तो इंदिरा जी और राजीव जी थे जिनके मरने पर हर साल कोरोड़ो बहा कर याद किया जाता है ....क्या कभी किसी कुत्ते को मरने पर याद किया जाता है ...........खैर मत देने के समय आप दस्तावेजो में आदमी ही दर्ज है ....इस लिए आप को परेशान होने कि जरूरत नही है .........वैसे आप लगते आदमी ही है क्योकि लगातार अभ्यास करके आप को दो पैर पर चलने के काबिल बना दिया गया है ............लेकिन अगर प्रधानमंत्री कि गाड़ी निकल गयी .तो आप अगर अस्पताल न जाने के कारण मर गए तो कोई बात नही रोज सड़क पर न जाने कितने जानवर कुचल कर मर जाते है ....और किसी ने प्रधानमंत्री  से बिना पूछकर अस्पताल जाने को कहा था .............पर आप पाने को को न आदमी माने.............आप भी तो आदमी कि तरह ही खाते है ...........आज मुकेश अम्बानी के कुत्ते के लिए डॉक्टर लगा है जो खाना चेक करके कुत्ते ......माफ़ करियेगा  कुत्ते जी को खाना देता है ................और आप कही दीपक जला कर दिन भर पसीना बहा कर रोटी पका रहे होंगे ..........अरे भाई इसी से तो पता चलता है कि आप मनुष्य है वरना जीने का मजा क्या ..............वो बात अलग है कि शहर भर में जा जाने कितने कुत्ते खुले आसमान में सोते है ................आप तो इस लिए सोते है ताकि गाँव में पैसा भेज सके ......आप आदमी है और कर्म ही पूजा है ...........वो बात अलग है कि कुत्ता भी कर्म करता है ...और ज्यादातर आदमी पर ही भोंकता है ..........पर कुत्ता खुद उनको कहा आदमी मानता है ..वो तो उनको आदमी मानता है जिनके यहाँ पलता है ....पर कोई बात नही आप भारत में अपने को कुछ भी समझ सकते है ................हा हा आदमी समझने के कारण ही तो भर्ष्टाचार को आप समझ पाए ..वरना बेचारी गाये की क्या मजाल जो किसी मनुष्य का दूध दुह कर अपने बच्चो को पिला दे ..........आखिर आदमी ही किसी कि छातिका दूध निकल का अप्मने घर में चाय बना सकता है ............आप मनुष्य है ..खड़ा कर दीजिये बछेड़े को गाय के सामने ..बस देकिये गाय के थान से दूध बहने लगेगा ...और बन जाइये कॉम्प्लान बॉय .पर कुत्तिया के छाती से ६ बच्चे भी चिपके रहे तो वो सबको जिला लेती है ...पर माँ के दूध के बाद भी आपका बच्चा बिना गाय , भैस के दूध के जिन्दा ही नही रह पता ...आखिर मनुष्य कुछ तो अलग होना चाहिए न जानवर से .......जानवर क्या करते सिर्फ आप पर हमला करके मार कर खा लेते है ...पर आप जानवर थोड़ी ना है ...आप पहले उसको घर पर पलते है .....उसको प्यार करते है ...फिर एक दिन अपने घर में ही काट कर बना कर खा लेते है .............यह हुई ना मर्दों वाली बात ............अगर मनुष्य कहलाना है तो जानवर से हट कर तो करना ही पड़ेगा ..................अन्ना के लिए आप क्यों जिए ????? देश में भ्रष्टाचार क्यों मिटाए ??????????????? आखिर आप मनुष्य है ..अगर भर्ष्टाचार मिट गया तो लोग आपको अनवर नही कहने लगेंगे .......भला आपने कभी सुना कि शेर ने भर्ष्टाचार किया ..........और आप तो शेर कहलाने ...गलती क्षमा क्षमा ...शेर नही जानवर ...( शेर भी अपनी  बेइज्जती  सुनकर मुझको कच्चा खा जायेगा ) क्यों कहलायेंगे ...................भ्रष्टाचार करना तो आदमी अ ही काम है ...तो उसको तो जरी रहना ही चाहिए .................और सरकार क्यों माने आपकी बात अन्ना कि बात ....मतलब सरकार कि नजर में वैसे ही अन्ना और देश कि जनता कीड़े मकोडो से ऊपर नही है ......वो खुद अपने को मनुष्य मानती है ....और अब अन्ना भ्रष्टाचार खत्म करने को कह रहे है .................तो सरकार अपने मनुष्य होने के निशान भी खो दे ....न बाबा न ////सर कता सकते है लेकिन सरझुका सकते नही .......मनुष्य है मनुष्य रहेंगे ...इतनी मुश्किल से तो पहले मनुष्य का जन्म हुआ और फिर भ्रष्ट चार करके भारत में मनुष्य खुद को सिद्ध करने का मौका मिला ..............तो क्यों छोड़े ......और आसाम में लाशो को गिरते देख कर भी आंसू न गिरना भी तो यही बता गया ना कि वो जानवरों पर देश में शाशन कर रहे है ............................जी नही यह मैं नही कह रहा हूं ...यह तो आप कह रहे है ...क्यों कि आप मनुष्य है .................और मैं ....................हा हा हा जी जी अब क्या कहू आप तो कुछ ज्यादा ही समझदार निकले ...........आइये चले आज घसीटे राम को अपनी शानदार जीत पर  आसाम के लोगो के मरने पर शपथ लेना है ...कि मै देश का प्रथम  दूसरा ...तीसरा ...( पता नही कौन सा मनुष्य है यह ) नागरिक इस देश मनुष्य को जिन्दा रखने के लिए कुछ लोगो के बलिदान को हमेशा जरी रखेंगे ताकि देश में लोग कम होते रहे और कोई भोजन के बिना भूखा न रहे .....और अगर फिर भी भूखा रह जाता है ....तो जानवरों कि तरह हम अपनों को नोच कर नही खायेंगे  बल्कि अपनी त्याग कि नयी मिशाल कयाम करते कहे आप मारे गाये आदमियों ( जानवरों ) कि लाश के टुकड़े घर ले जाकर बना कर खाइए ...जिसे लाश को जलने कि समस्या से निजत मिलेगी ...प्रयावरण सुरक्षित रहेगा और आदमी भूखा भी नही रहेगा ....आखिर हको जानवर से कुछ हट कर रहना है ..ताकि हमको मनुष्य होने पर गर्व हो सके .................आप भर्ष्टाचार का विरोध नही कर रहे ...ओह हो ...आप तो मनुष्य है ................

International Seminar

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committee

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Wednesday 25 July 2012

kutte se dar lagta hai ???????????


कुत्तो से डर लगता है ????????????????????/
कुत्ते अपनी जगह साफ़ करके बैठते है .......क्या कुत्ते सफाई पसंद है ???????????? या फिर कुत्ते गंदगी जी जी भ्रष्टाचार के विरोधी है ..................ओह हो इसी लिए आदमी को अगर कुत्ता कह दो मनो खा जायेगा ......सही भी है क्यों कहलाये आदमी कुत्ता ....अगर हम अपनी जगह भी साफ़ करने लगे तो सामजिक कार्यकर्ता कौन कहलायेगा ?????????? और हमको भ्रष्टाचार के लिए भी तो लड़ना है .......कुत्ता तो बेवकूफ है जो अपनी जगह साफ़ करता है ........वैसे भ्रष्टाचार ना फैलने पाए इसके लिए चौकन्ने रहना भी जरुरी है पर उसके लिए भी तो कुत्ते की तरह नींद होनी चाहिए .....यह मैं नही कह रहा हूँ यह कह रहे है आपके मनीषी जो कहते है काग चेष्टा ...बको ध्यान श्वान निंद्रा ........हुआ न विश्वास अगर कुत्ते जैसी नींद नही तो गई भैस पानी में ....और अगर आप समाज का सही आइना ...मतलब घिनौना रूप दिखाना चाहते है और जिस को देख कर सबको सच का ज्ञान हो ................तो आप मने न मने आप के पास कुत्ते के आलावा कोई चारा ही नही है ............अब लो यह मैं थोड़ी न कह रहा हूँ यह तो हमारे प्यारे देश में कहा जाता है ....की चाहे जितनी सीधी करो पर कुत्ते की पूछ रहे गी टेढ़ी की टेढ़ी .......यानि सच भी देखिये और सीधे भी न रहिये और सच तो आपको तभी दिखाई देगा ना जब कुत्ते की पूछ की तरह आप को सच दिखाने की ताकत होगी .............बस यही आदत बुरी है आप सब की कोई बात कही नही और आप उसको अपने से जोड़ कर देखने लगते है .......मैंने एक दिन आपसे कहा था की सोचिये क्यों कुत्तो की संख्या बढ़ रही है और शेरो की संख्या घट रही है .....जी जी कुत्ता पूछ हिला सकता है पर शेर ...............इसी लिए शेर पिंजड़े में होते है ...........देश में कुत्तो की संख्या क्या बढ़ी कि शेर भी कई कुत्तो से लड़ने के बजाये चुप रहना पसंद करने लगा है .....आखिर कुत्ता भेदिया ही तो है ...और  भेड़िया हमेशा चुपके से हमला करता है ....लेकिन एक बात तो है कि कुत्ता अपने मालिक पर हमला नही करता है ....हा मालिक के ही आदमियो पर हमला कर देता है ....क्या समझे ...जी अगर कुत्ते से बचना है तो आप्प भी कुत्तो को पुचकारना सीख लीजिये .....जितना पुचकारेंगे उतना ही कुत्ता पूछ हिलाएगा और आप किसी के भी घर में घुस जाइये ....इसी लिए कुत्ता पालकर भी लोगो के चोरी हो ही जाती है ...आखिर कुत्ता तो पूछ हिलाता ही है अपना खाने के लिए ...................और इसी खाने कि दौड़ ने कुत्तो को इतना लालची बना दिया है ....कि वह यह जान ही नही पा रहे है कि बैठने से पहले कहा कहा साफ़ करे ...पर कुत्ते यह तो रोज कहते मिल जाते है कि बेवजह लोग भ्रष्टाचार को मिटाने में लगे है हम खुद बैठने से पहले ऐसी सफाई कर लेते है कि हमारे आने जाने का निशान ही ना बचे और और यही कारण है कि उनको किसी कानून कि जरूरत ही नही समझ में आती क्योकि उनको लगता है कि काजल की कोठरी में कौन हाथ को काला होने से बचा पाया है .........कुत्ता जनता है कि ज्यादा बंधने की कोशिश की गयी तो या तो दौड़ा कर काट लूँगा या फिर खौरिया जाऊंगा कट हा हो जाऊंगा ....सब पागल समझ कर दूर से निकलेंगे आखिर कुत्तई का इतना फायेदा तो मिलना ही चाहीये कि दुसरो का हिस्सा छीन कर नोच कर खा भी लीजिये और कोई कुछ कर भी न पाए .....और कट हा कुत्ता पुरे देश में घुमे को स्वतंत्र ...घूमते रहिये लोक पाल का इंजेक्सन लेकर ........इंजेक्सन लगने से पहले इतनो को काट लेगा कि रेबीज से बचाने वाला कोई मिलेगा .......देखिये देखिये कही आप भी किसी कुत्ते का शिकार तो नही बन रहे है ...........मौका ना  जाने दीजिये एक डोज लोक पाल की दे दीजिये .......कम से कम आप का जीवन तो बच जायेगा ...................जी दुकान ...नही नही कम्पनी इस दवा की जंतर मंतर पर है ......आज कल तो विशेष छुट चल रही है .....जल्दी कीजिये और ले लीजिये एक लोक पाल का टीका ......और मुक्त हो जाइये कुत्तो और कुत्तो के काटने से ....देश में बढ़ रहे कुत्तो की संख्या से देश को मुक्त कीजिये .......आप के पीछे एक कुत्ता आ रहा है .....भागिए नही .......आप तो मनुष्य है ना ..................................

Tuesday 24 July 2012

bhrshtachar kayam rhe

भ्रष्टाचार का अपना आनंद है ...अन्ना बकवास है ???????????/
आज पूरे दिन पानी गिरा .....हा हा भैया मैं पानी गिरने की बात कर रहा हूँ ...मानता हूँ जब सब इस देश में सब गिरा हुआ है तो पानी के गिरने पर आपको कोई आश्चर्य नही हो रहा है लेकिन गिरी तो गंगा भी थी ...पहले ब्रह्मा के कमंडल से गिरी शिव की जटाओ में और शिव की जटाओ से पृथ्वी पर गिरी और पर्थिवी से पाताल में चली गई ...पर हमने गिरने को कभी गलत कहा ही कब ......और गर गिरे हुए लोग से हमको नफरत होती तो विवेकानंद यह क्यों कहते पाप से घ्रणा करो पापी से नही और हम सब विवेकानंद के बताये रास्ते पर ही तो चल रहे है ....अब कौन बताये अन्ना को जो भर्ष्टाचार मिटने का राग आलाप लगा रहे है बल्कि आपको तो हर भ्रष्ट मंत्री का सम्मान करना चाहिए क्योकि आपको उसके पाप से नफरत करनी है ना कि उस से ........पर पानी तो गिर ही रहा है .....शायद हमारी आँखों का पानी मरता देख कर ऊपर वाले की आँखों में पानी आ गया ...वो बात अलग है कि पानी इतना गिरा कि पूरी पर्थिवी भीगी जा रही है .....................क्या क्या पानी इस लिए गिर रहा है क्योकि भ्रष्टाचार के निशान मिट जाये .......पर आप उस का क्या करेंगे पानी में भीगते एक आदमी ने अपने छाते  को बाहर रखकर बैंक में जाने पर किसी ने कहा कि आप अपना छाता अंदर ले जाइये नही तो गायब हो जायेगा ............मैंने कहा जी जी जिस देश में बच्चा अस्पताल से घर के बाहर से गायब हो जाता हो ..तो छाता तो बेचारा बोल भी नही पता .......खैर यह बच्चा चोरी कोई भ्रष्टाचार थोड़ी ही है यह तो बच्चे को भगवन समझना है ...और भगवन को कोई भी ले जा सकता है ...अब भगवन को कौन ढूंढ़ पाया है ...इस लिए जो बच्चा गायब हो गया वह मिलना है ही नही ......वो तो आपका भाग्य था जो भगवन आपके घर आये थे और आप जान नही पाए ........खैर पानी के बरसने एक फायेदा तो है कि भ्रष्टाचार का कोढ़ उभर कर दिखाई देने लगा ........पर पिछली बार कि तरह देश के सभी हरीश चन्द्रो ने तय किया है कि आलोक चान्टिया इस बार अन्ना के अनशन में नही बैठेंगे ....क्योकि उनके बैठने से नकली दवा की पोल खुल गई थी पिछली बार .....खुद भूखे रह कर अनशन करते हैऔर अगर अनशन में कोई शराब पिए बैठा है तो उसको चिल्ला चिल्ला कर गाते है ...............और ऐसे बकवास आदमी को क्यों बैठाया जाये जो अन्ना के साथ बैठने के बाद ना तो चुनाव लड़ना चाहता है ...ना दलाली खाना चाहता है ..........अरे इस देश में युधिष्ठिर ने कौन पूरा सच का पालन किया था ......और आलोक चान्टिया क्या खाक  देश सुधारना चाहते है .....बकवास करते है सिर्फ ....अन्ना की भाव्वाना तक समझते नही ...अन्ना कहा चाहते है कि भ्रष्टाचार मिटे देश से वर्ना साल भर से यह अनशन का नाटक चलता ......हा हा मुझे याद है कि अन्ना गांधीवादी है और गाँधी ने भी तो हर आन्दोलन तब समाप्त कर दिया जब वह अपनी सफलता के नजदीक था .....................भेडिया भेडिया आया आया की कहानी सुनकर भी आलोक नही समझ पाया कि अन्ना जी सिर्फ यह देखना चाहते है कि क्या उनके पुकारने पर भारत के लोग आते है या नही .......................और वह वह कितने लोग आते है .......जैसे देश कोई बताने के बाद भी गाँधी जी हमारे दिल में बसते है तो अन्ना जी तो बार बार देश के लोगो को पुकार कर पाने को गांधीवादी ही तो बता रहे है और हम उनको भी सम्मान देंगे .........भले ही देश के लिए उसको कोई मतलब नही ....वो देखिये डॉक्टर कह रहा है ....माँ के पेट में नाल फस गई है ...ओपरेशन करना पड़ेगा ......पर यह भ्रष्टाचार कहा है ...डॉक्टर तो भगवान है ...आखिर आपके घर बच्चा आया है ........क्या आपको आज भी ४०००० साल पहले कि तरह झोपड़ी , अँधेरे , बिना साफ़ पानी के रहना पद रहा है ....तो यह भी भ्रष्टाचार कहा है ....यह तो आपके पूर्व जन्म का कर्म है और इस जन्म का  भाग्य है ....क्या पढाई के लिए टीचर नही है तो आप सिर्फ ऊँगली उठा रहे है ...सरकार पर क्या एकलव्य को कोइस्कुल या टीचर मिला था पढ़ने के लिए ...जहा चाह वहा राह .....भ्रष्टाचार है ही नही .....इतना इतना वेतान्मिलता है इस देश में ....मजदुर तक को रोज १५० रुपये मिलते है ...जब सिर्फ २८ रुपये चाहिए गाँव में रहने वाले को और ३२ रुपये चाहिए शहर में रहने वाले को .....अब इतना पैसा आप बचा रहे है तो कहा से भ्रष्टाचार की बात आप कर रहे है ......क्या लडकियों की संख्या लगातार कम होने पर वैश्यावृति का बढ़ने पर कौन सा गलत काम हो रहा है ....यह तो सामान वितरण का उदहारण है ......देश में दहेज़ के लिए मरी जा रही लड़की के हत्यारों को सजा न मिलना और न्यायलय का निर्णय जल्दी न देना कौन सा गलत काम है ...कम से कम जल्दी जला  दी गई तो एक तो बच्चा पैदा करने से बच गई और प्फिर जिन्दा रहने पर ही जान गई कि जलने पर कैसा लगता है ....यह तो दुर्भाग्य है पुरुषो को जो लडकियों को जला कर खाते नही है ....कम से कम सब्जी का भी पैसा बच सकता है ...और यह कोई भ्रष्टाचार थोड़ी नही है .......आपके पास पैसा है तो आप किसी के जमीं पर कब्ज़ा कर लीजिये और पुलिस को बता दीजिये ......आप जितने बड़े गुंडे उतना महान बनने की संभावना ..................जी जी इरातना डाकू ही बाल्मीकि बन सकता है ....फूलन देवी संसंद सदस्य बन सकती है ......क्या आप भ्रष्टाचारी नही है ...तो कभी संसद की सोचियेगा भी नही .......खैर आपके सामने मौका है ...डाकू बनने का ...आप कही अन्ना का साथ तो नही दे रहे है ..............तब आप महान तो नही बन पाएंगे ........आपको आचार खाने का तो शौक है ही फिर आप इस भ्रष्टाचार का स्वाद कैसे छोड़ सकते है .........लीजिये लीजिये ...अपना काम बने कौन देश भगा जा रहा है ....क्या देश खत्म  हो गया ,,,,नही ना तो इस का मतलब है अन्ना जी बिलकुल फर्जी बात करते है ........आप देश को बेचने का काम करिए ...क्या पास पोर्ट नही बन रहा है ....दलाल से मिल लीजिये ....क्या ट्रेन में आरक्षण नही मिल रहा है तो कोई बात नही किसी दलाल के कह दीजिये वह ट्रेन में जगह दिला देगा ..............पर याद रखिये यह सब भ्रष्टाचार नही है ....क्योकि अगर आपका काम हो गया तो सब जायज है ...भ्रष्टाचार तो वह है जब आपका काम न हो ..................क्या बिना पैसे लिए शमशान में लाश को जलने नही दे रहे है ..............यह भी भ्रष्टाचार नही बल्कि पर्यावरण सरंक्षण है ..................अब भी आपको लगता है कि इस देश में कही भर्ष्टाचार है ...और हमें किसी अन्ना की जरूरत है ????????????????? आप जैसे सच्चे लोगो के सामने अन्ना जैसे ढोंगी का क्या काम .....तभी तो ऐडिया रगड़ रहे है एक साल से ...सावधान ऐसे बरगलाने वालो से जो देश को सुधारने की बात करके आपका समय बर्बाद करना चाहते है ...देश और संविधान के विरुद्ध खड़ा करना चाहते है .......आप जैसे सपूतो पर देश को नाज है ........क्या आप को कलमाड़ी , राजा में कोई कमी दिखाई देती है ........आप एक लाइन भी उनके विरूद्ध ना कहियेगा .....इन्होने ही देश का सारा पैसा कह कर देश के ना जाने कितने लोगो को घुसखोर होने से बचाया है ....तोईसे लोगो को तो भारत रत्न मिलना चाहिए .......तो देर किस बात की चलिए लिख डालिए एक पत्र इनके लिए प्रधान मंत्री को दिला दीजिये भारत रत्न ,,,,,और हा  भूलियेगा नही ...कि अन्ना के लिए सिर्फ जेल होनी चाहिए ......आखिर हम सब किसी के बहकाने पर आकर सच के रास्ते पर चलेंगे .................भारत माँ को बेचने का जो मजा है है ...वो एक माँ को बचने में कहा और हम आये ही है इस दुनिया में आनंद के लिए ...............तो चलिए मजा लेते है ....भ्रष्टाचार जिन्दा .......और रहे आबाद ..............डॉ आलोक चान्टिया

Monday 23 July 2012

naag panchmi ya nagin panchmi

नाग पंचमी ......या नागिन पंचमी ..............
भारत में आज चन्द्र शेखर आजाद का जन्म दिवस है ...इस देश के एक भारतीय श्री रोहित पाण्डेय का काफी लम्बे समय से अखिल भारतीय अधिकार संगता के साथ यही काम रहा है कि वो सब को बताये कि किस कर्न्तिकारी का जन्मदिन शहादत दिवस कब है ..........और कर भी क्या कर सकते है वो देश में अब कर्न्ति की कोई जरूरत है ही नही सब तो ठीक हो गया है तो क्यों न वो पहले के ही क्रान्तिकारियो  को याद करते रहे .......और वैसे भी इस देश में नाग तक तो पूजा जाता है तो आदमी क्यों नही और मानिये मानिये इसी देश में आस्तीन में सांप भी होते है जिसके कारण आजाद के लिए अल्फ्रेड पार्क में मुखबरी भी हुई थी और उन्होंने खुद को गोली मार ली थी ........जहाँ तक मुझे बताया गया कोबरा स्संप ज्यादा जहरीला होता है ....पर भारत में तो इच्छाधारी नाग की भी अवधारणा है पर जैसे जैसे देश की जनसँख्या बढ़ी इच्छाधारी तो कम हो गए पर दो मुहे ज्यादा हो गए है और अब तो ज्यादातक घरो में भी मिल जाते है ....काश आजाद इच्छाधारी सांप के बारे में पढ़े होते तो उस दिन पहचान ना लेते ...खैर कोई बात नही आप सांप को दूध पिलाते रहिये ...तभी तो आपकी छाती को चैन आएगा .....अब आप कह रहे है की कसब को मई सांप कह रहा हूँ तो आपकी बुद्धि को मैं क्या कहू ....अरे भैया मैं तो बांबी की बात कर रहा हूँ जो भारत के उत्तर पश्चिम में हैं और आज भी आप उस बांबी को पाक पाक कहते हुए अघाते  नही है ...कभी बांबी भी पाक हुई है ......जब देखिये सांप से दोस्ती करने चल देते है ....कहते है जहर को मरता है ...हमारे देश में भी तो कई जहरीले सांप है ...अगर उनको मरना है ....तो इस पाक सी दिखने वाली बांबी के साप को तो पालना ही पड़ेगाऔर वैसे भी सपेरो को क्या डरना ...सब का घर संसद में है जिसके कारण सांप कभी उनको तो मार नही पाएंगे ....हां आम जनता के शरीर नीले पड़ते जा रहे है .......मई जनता हूँ की आप पाक को उर्दू का सहबद समझ नही रहे है ....पर इशारे  को अगर समझो राज को राज रहने दो  ..........आप अम्निये न मानिये हमारे देश में सांप को काफी सुरक्षित रखा जाता है ..........अरे नही भाई कसब कोई सांप थोड़ी न है वह तो सांप जैसा आपको लगता है थोडा काला है ना इस लिए .....और सबसे मजेदार बात इस देश लडकियों का भाई भी सांप ही होता है ..........अरे अरे राखी के भर साधको मुझ पर इतना गुस्सा ना होइए ...मैं तो वही कह रहा हूँ जो मैं सुना है की एक लड़की के भाई नही था ...तो कैसे सांप उसका भाई बन कर आया और उस लड़की से राखी बंधवाई .....चलिए सांप ने जिम्मेदारी ले ली वरना लडको को अब बही बनने में कोई रूचि नही रही इस देश में ....वो देखिये गली में किसी लड़की के चिल्लाने की आवाज़ आ रही है .....काश कोई सांप आ जाये ...हम तुम एक कमरे में बंद हो और ..............पता नही आप मुझे सांप प्रेमी क्यों नही समझ रहे ....हमारे देश में नव देविओ का अंतिम एक भाई था और वो भी सांप था ना हो किसी पंडित जी से पूछ लीजिये ......क्या आप भी आपको बताना पड़ेगा की इतना जहरीला जंतु भारत की लडकियों का रक्षक क्यों बना ..................क्यों कि लडकियों केलिए सांप से भी ज्यादा जहरीले लोग भारत में ......माफ़ कीजिये मेरी क्या औकात जो आपको जहरीला कह दू आप तो नील कंठ है जो बहनों के भाइयो का जहर पीने के कारण शरीर में कई जगह नीले पड़ गए है अब भी आपको का मुह टेढ़ा है ....तो मैं क्या कृ आप सांपो के राजा से प्रार्थना कीजिये और आपके मान के मंदराचल में शायद वह जहर के बजाये १४ रत्न निकाल दे .........पर कही आप राजा परीक्षित के साथ तो नही खड़े है उनको तक्षक मरने आ रहा है ........अरे भैया परीक्षित यानि आम जनता ......अब तह न पूछियेगा कि सांप कौन है ....बॉम्बे २६/११ आपको याद है ना ........लीजिये सांप को दूध पिलाने आ गए ...कौन सा सांप निकालू ......जी यह सांप है अफजल गुरु ......नाम पर मत जाइये साहब धर्म निरपेक्ष देश है ...और इसे आप दूध पिला कर तो देखिये निकलते ही यह अपने जहर का जलवा ना दिखा दे तो कहियेगा .......................क्या आपको यह छोटा वाल सांप पसंद आ रहा है .....पर साहब इसके आकार पर ना जाइये ......इसको संसद के प्रशिक्षित सप्रे वर्षो के पाल रहे है ...थोडा दूर रह कर दूध पिलाएगा क्योकि इसके जहर से २६/११ पर कितने मर गए आज भी लोग गिन रहे है ...........क्या आपको इस नए सांप जिंदाल को दूध पिलाना है .......देखिये यह तो सांप दीखता है पर है इच्छाधारी ....बड़ी मुश्किल से पकड़ में आया है .....इसके जहर पर अभी सपेरो को भी विश्वास नही है .......अभी कल ही देश ने तेरहवी मनाई है अपने १३वे राष्ट्र के पति को चुन कर ........इस से पहले कितनी विधवा हो गई कहने कि कोई जरुरत है क्या ...........यह तो भाल अहो सपेरो का जो देश के रीरी रिवाज़ संस्कृति को जानते है .....और उनको नाग पंचमी का ख्याल है ...इस लिए भले ही देश में करोडो भूखे सो जाये पर इन संपो पर अरबो खर्च करके सालो साल पाला जाता हैं ताकि आपको नाग पंचमी को दूध पिलाने के लिए सांप तो मिलते रहे .....................देखिये एक पाक सा सांप फिर बाहर निकाल रहा है ....दौडिए ......पकडिये ......क्या घर में बच्चा दूध के लिए रो रहा है ....अरे साहब मारिये गोली बच्चे को जय से ज्यादा बिना दूध के मर जाएगा .......फिर आप तो बच्चा पैदा करने के विशेषज्ञ है ...एक क्या एक हज़ार पैदा कर लेंगे ........पर सांप रोज रोज कहा मिलेगा ...पिला दीजिये दूध ......काश नाग पर ध्यान देते देते हम नागिन को न भूलते ....आप जानते नही है नागिन बदला जरुर लेती हैं ........ऐसी ही एक नागिन ...मतलब ??????????????/ ने राजीव जी को ९१ में मार डाला था...................चलिए अब नागिन को भी दूध  पिला दीजिये  आखिर  समानता आप कब सीखेंगे ...थोड़ी नागिन भी तो उत्तर पश्चिम से आने दीजिये .................भाई मैं तो नागिन पंचमी मनाऊंगा.......आप भी आ जाइये मामला मादा का है ऐसा ना हो आप चूक जाये.................क्या आपने आज नाग पंचमी ,,,,ओह ओह  मुझे क्या हो गया है ...नागिन पंचमी मनाई ...............किना अच्छा लग रहा है ........नागिनको दूध पिलाना बिलकुल माँ होने का एहसास ..............अब इसे मरने ना दीजियेगा .....भले पूरे देश को डस ले ...................डॉ आलोक चान्टिया 

Sunday 22 July 2012

rashtr ko pati mil gaya

राष्ट्र को आज पति मिल गया .......पूरा राष्ट्र पागल  हुआ जा रहा है ...............कितनी अजीब बात है कि राष्ट्र का पिता मिलने या कहने पर यह के लोगो को तन बदन में आग लग जाती है .......और ना जाने कितनी बार यह पूछा गया होगा कि किसने कहा उसको पिता ..........................हा हा यह तो व्यक्तिगत मामला है कैसे कोई जान गया कि कौन पिता है ?????? हा पति तो दिखाई देता है और वो भी इस देश में पति बनने की होड़ तो देखिये एक कोराष्ट्र का पति बनाने के लिए तीन लाख तेरह हज़ार और तीन सौ सत्तासी लोग अपने मत का प्रयोग करते है और दुसरे के लिए करीब तीन लाख से ज्यादा लोग मत डालते है ...................वैसे प्रपंच करने को कह दीजिये तो इस देश में बरसाती मेढक की तरह लोग टर्राते मिल जायेंगे ...आप बस किसी बूढ़े से किसी लड़की शादी करके तो देखिये .............................कोई अँधा कहेगा तो कोई बूढ़े को कामी कहेगा और तो और देश की कोर्ट तो कहिये तलाक तक करा दे आखिर लड़की के जीवन का सवाल है ....और राष्ट्र का पति कितने साल का शायद ७८ या ८० साल का .............पता नही कौन सी दुश्मनी निकल रहे है इस देश में लोग जो बूढ़े को पति बना रहे है ...वह क्या सुख देगा और क्या सुख लेगा ....इस लायक भी तो नही कि अपने पीछे कोई वारिस छोड़ जाये जो उसके नाम से ही देश चला सके .................पर अब किसी तरह तो कोई मिला जो राष्ट्र का पति बनने को तैयार हुआ ......पता नही आप वर छिकाई के रश्म को देख पाए थे या नही ..............यह वर नही कहा पति बनने को तैयार था ...जिस को भी पूछा गया सबने किनारा कर लिया था ...आखिर देश के समधी कितनी माथा पच्ची करते ....जैसे दामाद को देखा और ऐसा लगा कि वह भी अपनी जिन्दगी से थक गया है बस डाल दी रोटी और बुढ़ापे में इस से ज्यादा अच्छा क्या हो सकता है कि दो रोटी सुकून की मिल जाये .......पर क्या यही हम सबने सीखा है कि बूढ़े कंधो पर ज्यादा दायित्व का बोझ डाल दिया जाये ...लाठी लेकर चलने वाला आदमी क्या राष्ट्र  का पति बन पायेगा लेकिन आपको तो फुर्सत मिली अब चाहे पति शराबी को , कवाबी हो , जुआरी हो या कुछ भी नही कम से कम कोई यह नही कहेगा कि एक दामाद नही ढूंढ़ नही पाए ....नाक तो नही कटेगी कोई कहेगा तो नही कि पुरे जीवन राष्ट्र के लिए पति नही ढूंढ़ पाए ......अरे चस्मा ही तो लगाता है .................बाल सारे सफ़ेद हो गए है ...दांत नकली है तो क्या हुआ ............झुर्रिया  भी है तो क्या हुआ ?????????????????कम से कम इतने दिन से काम करते करते यह तो जानता है ना कि चमचा गिरी करके क्या कैसे पाया जा सकता है और इस देश में चाहिए भी क्या ...कौन अपनी योग्यता से पा रहा है ....जो अपनी योग्यता पर ऐठते है .....उनका हाल शेषण और कलाम की तरह हो जाता है ...कोई भी उनके बगल खड़ा नही होना चाहता ............विअसे राष्ट्र के लिए वो भी बूढ़े पति ही थे पर थे तो अक्लमंद ....लेकिन कोई बात नही धीरे धीरे सब सीख जायेंगे ...........वो देखिये राष्ट्र के बूढ़े पति की ख़ुशी में पटाखे दागे जा रहे है ....मिठाई बट रही है ................आप भी दौडिए शायद कोई आपको भी मिल जाये और पति की तलाश  ख़त्म हो जाये .............और आप परेशां ना होइए यह हर कोयला वर्षो तक दबा रह कर हीरा बन जाता है .....आप भी मिनिया जी की चाकरी कर लीजिये बस आप भी पिता , पति , बाबा , भाई  कुछ ना कुछ बन जायेंगे ...........................तो आइये कोएले के बीच आप भी ......................हाथ काला कर  ही लीजिये .........................कोई बात नही पिता नही बन पाएंगे ७८ साल में पति तो कहलायेंगे .............................जय हो राष्ट्र के पति ...जी जी दामाद आ रहे है ...घूँघट कर लो कोई खुले मुह उनके सामने थोड़े ही पड़ता है .....मुह तो अब सिर्फ उनका ही खुला रहेगा ...आखिर पूरा देश जो दहेज़ में मिला है .........राष्ट्र के पति को मेरा भी अभिवादन ,,,,,मैं भी राष्ट्र  का दूर का रिश्तेदार हूँ .......क्या आप पति का फर्ज जानते है श्रीमान .....................डॉ आलोक चान्टिया

Saturday 21 July 2012

ladko se kam nhi hai ladkiya

लड़की कोई कम है लडको से ...क्यों दब कर रहे वो ...................

आज मध्य प्रदेश के एक नेता के इस बयां पर खूब बवाल हुआ कि उन्होंने कैसे कह दिया कि लड़कियां जींस और टॉप ना पहने या इस बात के लिए त्याग ना करे कि देश कि जनसँख्या इतनी ज्यादा है कि सबको कपडे नही मिल सकते हैं , इस लिए वह कम कम कपडे में काम चला कर देश के लिए जीने की कोशिश कर रही है ...................मैं भी देश की  महिलाओ के साथ हूँ ....हा हा आप तो होंगे ही ....वो कोई जानवर थोड़ी न हैं जो आप ने जो कह दिया और उन्होंने मान लिया ............वो तो गार्गी के देश की हैं जिस के सामने नग्न होकर शास्त्रार्थ  करने की शर्त राखी गयी थी .........कही उसकी इज्जत किसी ने लूटी............अरे भैया बता रहा हूँ कहे को लार टपकाए दे रहे हो मन का मामला गरम है पर धीरे धीरे आनंद लो ..आको तो देश और हस्तिना पुर ( दिल्ली ) की रक्षा से बंधे होने के कारन द्रौपदी को नंगा होते देखने की आदत है ....अब कौन समझाए इस देश के नेता को जो मार पागल हुए जा रहे है कि लड़की अगर ऐसे वैसे कपडे पहनेगी तो पहाड़ टूट पड़ेगा ....वो तो भला हो देश की लडकियों का जो द्रौदी के समय से ही पुरुषो की .......................देख चुकी है ........और तो और क्या आपको मालूम नही है या आप आज भी लडकियों का जाहिल गंवार समझते है ...उनके भी आंख नाक कान है ...उनको मालूम है की इस देश में अनसूया से कहा गया की जब नगन होकर खाना  खिलाओगी तो खाना  खाया जायेगा ......और वो हो गई नंगी .......खिला दिया  खाना ....कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ....तो फिर इस देश के पुरुषो से क्या डरना ........ लीजिये अब तो दीपिका पादुकोण ने भी बता दिया .....यह तन है मति का ...मति में मिल जायेगा ....और चाहे तुम देख लो यह दे ले दुनिया ....मुझको तो कुछ रुपया मिल जायेगा ....और आप माने ना माने हीरोइने कहने का मौका तो मिल जायेगा .....और फिर लड़की क्यों भागे दूर लडको से ...लड़की का हर कपडा ...श्रृंगार तो लड़के ...पुरुष बेचते है ....दुकान पर जब कोई श्रम ह्या नही देखि गेय इस देश में तो देश के खरीदारों से क्या भागना .....जब कह कर खरीद सकती है ...तो आपके सामने क्यों नही .....अब लड़के ...अगर लड़की को देख कर पागल हो रहे है ...तो दुकान पर लडकियों का जाना भी खतरनाक हो गया हैं ........बेचारी .....कितनी मजबूर है चौपायो से भी ....कितनी आराम से एक शेरनी और वो भी जो आपके घर के पास रहती है चारो पैर फैलाये ......वह कितने समझदार है आप तुरंत समझ गए ...बस मादा के लिए इशारा भर करो की समझ में आये गया .....बिना कपडे के बिना पुलिस के , बिना भाई बहन , बिना रक्षा बंधन के आराम से सड़क पर पड़ी रहती है ...और कार्तिक के महीने से पाहिले कोई चिंता नही ......वो भी क्या मजाल जो कोई भी आकर छू भर ले ....घूरिये पड़ती है ...नोच लेती है .....खुद धुन्धती हैं अपने स्वान कुमार को ........................पर ...क्या हुआ आप दांत चियारते हुए कह दीजिये ....अरे वो जानवर है अगर हमने भी वही किया जो वो कर रही है तो फिर हम मनुष्य किस बात के ....जब तक संनते से आवाज़ न गूंजे ...बचाओ बचाओ ...भगवन के ल्लिये छोड़ दो ....क्या तुम्हरे भाई नही है ....प्लीज मुझे जाने दो ...मैं तुम्हरे पांव प्पद्ती हूँ तो फिर मानव होने का मजा क्या और यह मजा तब कितना दुगना हो जाता है कि पहले संस्कृति के नाम का कपडा पहनना सिखाओ फिर वही कपडा तार तार करो .....आखिर मनुष्ट भी तो कोई चीज़ हैं ....भला कोई अपने कपडे खुद उतारे यह कहा बर्दाश्त हैं हमें ....हम तो दुसरो के लिए ही बने है .......औरलडकिय क्यों न कपडे कम पहने ....देश के लिए जब भारत माँ ने पाने को कता डाला तो वो देश वालो के लिए क्यों ना जिए ....उनको तो सब लुटा कर ही सुखी रहने का वरदान हैं .....और आपक अगर लडकियों का कपडा फाड़ना ना आता हो तो गुवाहटी चले जाइये वह नाबालिग लड़की के कपडे फाड़ने उतरने की ट्रेनिग चल रही है .....आखिर यह देश तो वह है दाल दाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा ...एक चिड़िया आप भी उठा लाइए ...घर में रौनक आ जाएगी भले ही वो उसके दर्द की हो .....देखिये लडियो को घर सेकम कपडे में निकलने दीजिये वरना ....आप के काम बढ़ जायेगा ...जितना कपडा उतना काम .....जी जी बिलकुल सही समझे ...द्रौदी का कपडा दुशासन उतार ही नही पाया ............तो  फिर लड़की का सम्मान कीजिये उसको लडको की बराबरी करने दीजिये .....................लड़की आपसे कोई कम थोड़ी ना है ...अगर आप शेर है तो वो सवा शेर है ....आप गर बुशर्ट उतार कर चलेंगे ...तो .......वो भी ...............समझ गए ना ...............जी तो चलिए ........बुशर्ट उतार कर फेक दीजिये .................

Tuesday 17 July 2012

bahu ya girl friend ...sambhaliye

संभालिये ........क्या आपके घर बहू आ रही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
कितनी मेहनत की थी हमारे पूर्वजो ने कि हम जानवर का चोला छोड़ कर मानव का चोला पहन ले पर अगर हम सब उन्ही पूर्वजो के बनाये कदमो के पीछे चलते रहेंगे तो हम पिछड़े नही कहलायेंगे ????????? हा हा और फिर सभ्यता किसे कहेंगे हम और यही नही ऐसा कैसे महसूस होगा कि हम सब अब जंगली नही रहे ( वो बात अलग है कि अब हम को अदुनिकता के नाम पर नंग...े रहना और नंगई करना ही सबसे अच्छा लगता है )..कम से कम कुछ तो अलग करे और पूत के पावँ पलने में नही दिखाए तो बाप का नाम कैसे रोशन होगा .....जी जी आप बिलकुल सही समझ रहे है चलिए किसी मामले में तो आपके पास बुद्धि है .........शादी करके आपने दुनिया ही बदल डाली ...और बदले भी क्यों नही मनुष्य के प्रयास देश कर ही तो भगवन ने अपने प्रोडक्ट यानि आपके जोड़े स्वर्ग में ही तये करने शुरू कर दिए थे .........और उसकी कम्पनी के बने आप के जोड़े की गारेंटी एक दो नही पूरे सात सात जन्मो की थी पर भगवान भी क्या करे वो भी तो भूमंडली कारन की मार से नही बचा है ....और जब आप बच्चा पैदा करने की मैराथन प्रतियोगिता शुरू कर देंगे तो बेचारा भगवन भी कब तक दौड़ेगा और रोज वह कितने नए जोड़े को पंजीकृत करे और बस इसी लिए उसने अब सात जन्मो के रिश्ते को कम्पनी के बने सामानों की तरह दुकान से उतरते ही गारंटी समाप्त की घोषणा की तरह सिर्फ एक जन्म का बना दिया वो भी आप पर निर्भर करता है कि आप अपने सामान ?????????यानि पत्नी या पति को कितना संभाल कर रखते है जितना संभाल कर रखेंगे उतने दिन की गारंटी पर भगवन की इस एक जन्म की गारंटी से इस दुनिया के राक्षस ...........मतलब सरकार को कहना नही पच रहा है और अब तो शादी की गारंटी का यह हाल है की अगल आपका तलक मंडप में ही हो जाये या शादी के बिना ही आप वापस आया जाये तो कोई आश्चर्य नही ..........और अगर आप दुकान से सामान की तरह शादी करना ही चाहते है तो लीजिये सरकार ने इस विवाह के खिलौने में इतने डिफेक्ट पैदा कर दिए है की आप सर पीट लेंगे पर यह खिलौना आपके जीवन में एक बार भी सरपट नही दौड़ पायेगा ......और देश में बिजली पानी के आंख मिचौली की तरह अगर आप कभी अपने जीवन में विवाह की रौशनी महसूस भी कर ले तो कभी खुश हो ही न पाए की आपके जीवन में बच्चे का क्या मतलब है ?????????? आप इस बात पर रो दे कि आप बाप बने ही क्यों ....इस से अच्छा तो नपुंसक होते ....जब बच्चे से मिलना सोनिया गाँधी से मिलने से ज्यादा कठिन हो जाये तो ऐसे बाप बनने का फायेदा ...और अगर इतना ही मन था तो क्यों नही अनाथालय से एक बच्चा ले आये .......कम से कम देश में नाजायज बच्चो को बाप मिल जाता और और बिन ब्याही माँ के बच्चो को एक बाप मिल जीता ...............एक तीर से दो शिकार ..........बच्चा का जैविक बाप कोई और और सामजिक पिता कोई और ..........पर शादी की गांरंटी के बजाये वारंटी का तो दर्द न झेलना पड़ता .........हा हा आपको मेरी बात पर क्यों विश्वास होने लगा ......शादी को बर्बादी कहने वाले का मुहं काला .....साला लड्डू खाने को नही पाया होगा ...पर अगर आपको विश्वास ना हो तो घरेलु हिंसा अधिनियम पढ़ लीजिये ......शादी के बाद पत्नी जहाँ जहाँ रही है वहां वहां वह साझा गृहस्थी का दावा कर सकती है ......अब आप बताइए आपने तो बुलाया की बहू आपके बेटे , भतीजे , भांजे के साथ कुछ दिन आकर आपके घर रह जाये और बाद में बहू ने घरेलु हिंसा में आपके घर में भी अपना दावा प्रस्तुत कर दिया तो आपको हिस्सा देना ही पड़ेगा .......संभल कर कही आप बहू को अपने घर तो बुलाने नही जा रहे है ...खैर महिला का सम्मान करना तो आपका फर्ज है ...लेडीज फर्स्ट .......आ बैल मुझे मार ......और जब तक बैल आपको मार कर अधमरा ना कर दे आप कहा मानने वाले ...........क्योकि आप तो घर फूक कर तमाशा देखने वालो में से हैं........विअसे मैंने तो सुना था कि दायाँ भी दो घर चुद कर बदला लेती है ...पर बहू को डायन तो कहा नही जा सकता और क्या मजाल जो डायन आप से आगे निकल जाये ...............आप अगर अपने घर को ही ना फूंक सकी तो तो दूसरे के घसर को क्या खांक फुंकेंगी .........पर शादी के बाद तो बहू ने बेटी होती है और बेटी को आप पलक पर बैठा कर रखते है तो लीजिये आपके पलक को बंद करने आ गयी है .............जहाँ जहाँ उसके कदम पड़ जायेंगे वहां वहां की साडी चीजे उसकी हो जाएँगी ...बताइए आपको यह खेल कैसा लगा ......और तो और मेहमान नवाजी में आपका कोई मुकाबला है भी .....मेहमान बना कर आप मोह्हमद खिलजी को लाये थे तो रानी पद्मावती को जौहर करना पड़ा था .....और तो और आप अंग्रेज को महमा समझ कर लाये तो ३०० साल कितना लुटा उन्होंने .............कि दर्द आज भी तो रहा है .....चलिए रुई लगा लीजिये ....पर अब तो घर का भेदी लंका ढाहे ..........पहले पत्नी बनिए फिर घर को बाटिये ...यही नही ....सब के घर मे हिस्सा पाइये ............. क्या आप इस से बचना चाहते है ...तो इस देश में किसी को अपनी बहू न बनाइये ....................अरे भाई ईतना नाराज क्यों हो रहे है मालूम है कि आपका देश मूल्यों संस्करो का देश ....वो बात अलग है कि इस देश में विश्व के तीसरे सबसे ज्यादा एड्स रोगी रहते है ...................अब बताइए क्या गलत कह रहा हूँ न कोई रिश्ता रहेगा ....न सम्बन्ध तो बहू हिस्सा क्या मागेंगी ....घुइया की जड़ .............और हां अपना स्पर्म बैंक भी मत बनने दीजिये ........और सिर्फ नर मादा बन कर रहिये ......अपने पहचान और गरिमा के लिए अगर कोई देश गर्त में जा रहा है तो क्या हुआ ...कम से कम आपको तो सुकून मिलेगा ...कि जैसा चाहते थे वैसे जिए .....वो बात अलग है कि कुत्ता बिल्ली कुछ दिन अपने जानवर होने पर गर्व करेंगे क्योकि कम से कम बिल्ली ...बिल्ला को बच्चो के पास आने से तो नही रोकती ...न ही बिल्ले से हिस्सा मांगती है .............और अब न कोई किसी का रिश्तेदार रहेगा और ना पत्नी तो ...............हर हर गंगे ....क्यों कैसी रही ...यही तो आप चाहते है भारत को बनाना ......................संभालिये ...वो देखिये ...आपकी बहू ...आपके भतीजे , भांजे , बेटे के साथ आ रही है ............हैजा कालरा ...काली खासी
, डेंगू बन कर सब ख़त्म हो जायेगा ....जल्दी से दरवाजा बंद कर लीजिये ....या फिर द्वार्वाजे पर लटका दीजिये घर में कोई नही है .......और नही तो कह दीजिये आपको अल्झईमेर रोग हो गया है ...आप किसी को पहचानते नही ...........कहते अब देश में बहू नही भूतनी ....चुड़ैल ...डायन का डेरा बढ़ रहा है ............वह किसी को भी खा जाएगी ...क्या आप औरत है ....आप ममतामई माँ है ....प्रेम कि देवी है ...त्याग की मूर्ति है ..............दुसरो के लिए जीने वाली है ....तो फिर वो कौन है ...जो शादी के नाम पर घरो में आ रहा है ....कही वह जलाई जा रही है ...तो कही वह पूरा घर बर्बाद करे दे रही .....कही आप माया तो नही .....परीक्षा जरुरी है .....कोइकी आपको अगर अपनी जान प्यारी है तो जान लीजिये की कही बहू के रूप में रक्त पिशाचिनी ( मेरा खून पसीने की कमाई को लूटने वाली और क्या हो सकती है .....जय आंबे माँ ....) तो नही है .....चलिए घर के बाहर हाथ का पंजा बना दीजिये ...और अपने घर को बचा लीजिये ....बहू को अपने घर मत आने दीजिये ............भाई साहब ये लड़की आपके साथ कौन है ???गर्ल फ्रेंड ........तो आपने शादी क्यों नही की ........नही ऐसे ही ठीक है ....अब गर्ल फ्रेंड को डायन तो कोई नही कहेगा ....और न ही किसी के घर में हिस्सा बटेगा ....मैं नर ...और इसको मादा का इल्म रहेगा ....आप भी अपना घर तब तक बंद रहिये जब तक आपका बेटा बहू नही गर्ल फ्रेंड ना ले आये ....और एक दो क्यों पूरा देश ही तब तक यह नाटक खेलता रहे जब तक हम सिर्फ ....नंगे न हो जाये ................................क्या आपके घर बहू या गर्ल फ्रेंड ...................डॉ आलोक चान्टिया
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Sunday 15 July 2012

nari tum kewal sharddha ho

यत्र नारियस्तु रमन्ते ..................
आज पहली बार लगा कि भारत में नारी का क्या जलवा है ......वह कितनी शक्तिशाली है ....और नही तो क्या दुर्गा का रूप है जब चाहे आपका घर परिवार सब महिषासुर की तरह बर्बाद कर दे ..............देखिये देखिये वो सामने खड़ी महिला कैसे मुझको घूर रही है मानो मैंने स्वतंत्र भारत में कोई गलत बात कह दी हो......आप ही बताइए क्यों कहा गया है माया महा ठगिनी हम जानी??????????? क्योकि आप को पता ही नही की जादू टोने तो मुझको नही पता कि इस देश में कितना औरते जानती है पर यह जरुर जानता हूँ कि सरकार ने देश कि औरतो को धोबी का कुत्ता न घर का ना घाट ...............जी क्षमा करियेगा ...आपके देश की सारी कहावत ही कुत्ता , गधा , बिल्ली  से शुरू होती है ......हा तो मैं कह रहा था कि औरत अगर शादी ना करे और उसका भाई शादी करके एक लड़की घर ले आये और उस लड़की से आपकी  यानि ननद से ना बने तो वह दहेज़ का वाद ला कर आपको जेल के चक्कर कटवा सकती है ......और अगर आप को पुरुष को औकात बतानी हो तो आप भी आज किसी लंगूर .....मेरा मतलब पति क ढूंढ़ लीजिये और कर डालिए अपने ससुराल वालो का शोषण ......एक तो आपको अपने असीमित शक्ति का भान हो जायेगा और दूसरे आप देश में औरत के दो रूप समझने का मौका भी पा जाएँगी ...जी जी जब कुआंरी तो ननद के रूप में जेल की हवा खाने का आनंद और अगर विवाहित तो हवा खिलंवाने का सुख .........पर शक्ति का मजा अभी ख़त्म कहा हुआ ?????????? बस गर आप को शादी किये अब एक दिन भी हो गया है और आपका मन पाने पति से ऊब गया है तो सरकार ने आपके लिए विशेष व्यवस्था कर दी है ...ले डालिए तलाक तुरंत ........और ऐसे तलाक आप पाने जीवन में कितने भी ले सकती है यानि आपके पास शादी के असीमित मौके .......और वो उल्लू सा पति भले ही अपनी पत्नी के कारण मरना चाहता हो ...सर पटक डाले और कोर्ट के आगे एड़िया घिस डाले ...कि माई बाप मुझे शक्ति के ताप से बचाओ ..मेरे तन बदन जल कर सब खाक हुआ जा रहा है ...कृपया इस शक्ति से तलाक दिला दो ...पर जब तक आप नही चाहेंगी ......उस शक्तिशाली पुरुष को मुक्ति नही मिल सकती ............क्या आपको लगता है कि आप अबला है ???????????या पुरुष ............अरे अभी कहानी पूरी तो सुनिए ...वो बात अलग है कि पुरुष चोरी छिपे कई जगह मुह मार ले और वैसे भी उसके लिए यह कह देना आम बात है ........पर एक शादी करके वह कभी भी जब तक आप न चाहे न तो वह मुक्त हो सकता है और ना ही दूसरी शादी कर सकता है ....और अगर आपने उसको मुक्त कर भी दिया तो इतना घसीटने के बाद तो वह शादी करने से रहा ..हा सरकार की दूसरी लाभकारी योजनाओ जैसे लिविंग रिलेसन का फायेदा परिवार नियोजनो के तरीको के साथ पेरोल  के कैदी की तरह ले सकता है और आप तो जब चाहिय शादी करिए और आपका मन करे तो छोड़ दीजिये बर्बाद को चुके कंडोम की तरह ............आखिर इन बकवास मर्दों ???????? के पास है ही क्या सिर्फ दो मिनट का काम तो आप चाहे तो स्पर्म बैंक भी खुल गए है ...आप क्यों बने इन पुरुषो की गुलाम ....क्या आप कोई कम है इनसे ....और इनको आपकी जरूरत है .बेचारे ओवा बैंक से ओवा लेकर आयेंगे तो आपके पास ही .......तो आप हुई न शक्ति शाली ....शक्ति की देवी ..............खैर सरकार ने स्वयंबर की आपके गरिमा पूर्ण जीवन को ध्यान में रख कर फिर से नई शुरुवात की है आप एक एक करके रोज पुरुष के ऊपर कोई इलज़ाम लगा कर नई शादी कर सकती है और पहले तो कोई कह भी देता था की जगह जगह मुह मारती है पर अब तो किसी की हिम्मत तक नही है ...सब कुछ विधिक है ............कुछ जनजातियो में एक से ज्यादा पति होने पर बहु पति विवाह कहलाता है ....तो क्या हुआ अगर आप ने अपने मूल संस्क्रती को जीना शुरू कर दिया ...आखिर आपका जीवन तो गरिमा पूर्ण हो गया ना और शादी ..में दहेज़....घरेलु हिंसा के नाम पर आप कितनो के साथ शादी कर ले जीवन भर में पर क्या मजाल जो कोई चर्तित्र हीन का हीन भी आपके लिए कह ले ....................और आपको एक और मजेदार बात बताऊ शायद सरकार आपके लिए इतनी संवेदनशील है कि उसने आपको पिता कि संपत्ति में भी हिस्सा दिया है ( वो बात अलग है कि लड़की की शादी के समय कभी भी उसे उसका संपत्ति का हिस्सा नही दिया जाता और ना ही आज तक कोई पिता या बही इसके लिए जेल गया होगा ) पर शादी के बाद ससुराल में भी हिस्सा अगर पति न दे तो उसकी तुरंत ऐसी की तैसी .......साझी गृहस्थी में पत्नी  का पूरा आधा हिस्सा है ...............हुई ना आपको संपत्ति अर्जित करने मौका ...........आप जितनी जितनी बार तलाक लेंगी या शादी करेंगी उतना ही साझा  संपत्ति  में हिस्सा यानि हर्रा लगा ना फिटकरी और रंग चोखा ...................तो हुई ना आप हर तरफ से शक्तिशाली .............सरकार्र के आपको बना दिया है की अगर नारी की पूजा नही करोगे तो देवता निवास नही करेंगे ...........वैसे पति भी देवता है और सरकार देवता के पीछे पड़ी तो क्या सरकार कहना चाहती है कि देवता को रोकने के लिए नारी कि पूजा करते रहो या फिर पूजा का मतलब ही फाटक चटाक...लात घूसा और अगर यह सब सहे गी नही तो देवता घर में रुकेंगे कैसे ................क्या आप ऐसी ही धनवान महिला बनना चाहती थी ??????क्या ऐसे  ही पुरुष को रोकने के लिए हम सब परेशान है ......या फिर सरकार्र मादा भूर्ण हत्या ना रोक पाने के कारण सभी पुरुषो के लिए महिला का प्रबंध नही कर पा रही जो एक ही महिला को शोषण और सशक्तिकरण  के नाम पर एक से ज्यादा विवाह के लिए प्रेरित कर रही है ...जो महिला समझ ही नही पा रही है ...या फिर जनजातियो की तरह बहुपति विबाह से प्रेरित होकर श्रंखलाबद्ध विवाह को बढ़ावा दे  रही है .....................जी जी मैं जानता हूँ की आप पुरुष से किसी मामले में  कम नही है .......पर आप को द्रौपदी की तो याद है ना ....................क्या हुआ था पति अनेक पर एक भी नपुंसक चीर हरण को नही बचा पाया ...............तो क्या आप भी सिर्फ चीर हरण का द्रश्य देखने के लिए यह सब कर रही है या फिर पुरुषो को पानी शक्ति का एहसास करने के लिए महाभारत का सूत्रपात कर रही है .जहा अंत में हस्तिनापुर ( आपका घर ) का सन्नाटा , खून से सनी सड़के और सिसकारी के सिवा कुछा भी ना होगा ..............मैं आपके क्या हूँ मै तो एक अदना सा पुरुष जो आप के रहमो करम पर पानी इज्जत बचाए है वरना आप तो जब चाहे उसकी इज्जत का जनाजा निकलवा कर मसल दे .......आखिर आप शक्ति की देवी है ...............और आपकी पूजा करना हमारा धर्म है .....देवता तो हमें भी बुलाने पड़ते है जब किसी के सर पर चढ़  जाते है ............वो देखिये दौडिए  दौडिए एक औरत के सर पर देवता आ रहे है ...जल्दी जल्दी से जूता सूंघो ..पानी गालो मिर्चा जलाओ ...बाल नोचो ....थप्पड़ मरो ....हा हा डंडे से पिटो...... लो बेदम होकर गिर गई ....अधमरी हो गई बेचारी ...ना जाने देवता क्या आ जाते है ...क्या कसूर है बेचारी का ....देखो पूजा करने से मानो प्राण ही ना रह गए हो ...पर हम सब कर भी क्या सकते है .....देवता को तो नाराज कर नही सकते ....नारी की पूजा करनी ही पड़ेगी .....................कितना प्यारा है मेरा देश जहा नारी की पूजा होती है ताकिदेवता चले ना जाये ............और कस्तूरी को अपने  में बसाये नारी हिरनी की तरह ना जाने कहा कहा भटक रही है .........शायद औरत शक्तिशाली ही तो हो गई है ..................आप मानती है ना अपनी इस अद्भुत शक्ति के वरदान को .................नारी तो केवल श्रद्धा हो ?????????????????????? डॉ आलोक चान्टिया

Thursday 12 July 2012

jansankhya badhte rhiye

आप को शायद ही इस बात की ख़ुशी होगी कि कल आप सबने मिल कर विश्व जनसँख्या दिवस मनाया ..........पर क्या कल कोई बच्चा पैदा नही हुआ ...............क्या आप पागल है जो दुनिया से आदमी का नामो निशान मिटा दे !!!!!!!!!!!!!!!!!! आरे बही हम सब पैदा करने के लिए ही तो दुनिया में आये है ....अगर पैदा करना बंद कर देंगे ....तो किस के लिए जियेंगे ...और फिर क्या दुनिया वालो को यह नही देखना चाहिए कि इस पृथ्वी के पास कितनी ताकत है या तो यह खुद मर जाएगी या फिर आदमियों के बढ़ते बोझ से अन्तरिक्ष में कही खो जाएगी ....और इस से बढ़िया और क्या बात होगी कि बिना पैसा लगाये आप किसी दूसरी आकाश गंगा को देख सकते है और जो लोग पैसा खर्च करके चाँद पर जाना चाहते है उनको भी बड़ी राहत मिलेगी .और मिलना भी चाहिए आखिर आदमी के इतने बड़े योग दान से भला कौन वंचित रहना चाहेगा .......बहिया जुटे रहिये मै तो कहता हूँ नौ महीने में बच्चा पैदा होना थोडा ज्यादा है .........वैज्ञानिको से कहिये कि इतनी खोज करने दिनिया कि माँ ...........................दी है अब कुछ ऐसा करो कि आदमी रोज बच्चा पैदा कर सके ताकि जल्दी ही पर्थिवी अन्तरिक्ष में खो जाये ........और जनसँख्या कि ब्रा बरी आज कोई जीव जंतु आप से कर भी नही पा रहा है .....आप तो दुनिया के चक्रवर्ती सम्राट है ...देखिये ना जाने कित्न्वे  जीव जंतु कभी यह रहते थे यह भी जानना मुश्किल हो चुका है  और जो बच गए है वह सभी किसी चिडिया घर में अपने वंश को बचने के लिए एडिया रगड़ रहे है ......बस चिति आप से हारना नही जानती .....न जाने कितने हो गई है .....तो लीजिये आप ने उसे कुचलने के लिए जनसँख्या इतनी बढ़ा दी कि आप का जीवन ही खुद चिति जैसा हो गया ....कोई भूख से मर जा रहा है तो कोई ननगा मर जा रहा है .....कोई नही नही हजारो रोज कुचल कर मर रहे है ...आखिर चीटी कि तरह मरेंगे नही तो लगेगा कैसे कि हम चीटी के बराबर हो गए है और फिर चीटी ही तो बरसात या मौसम परिवर्तन पर भोजन इकठ्ठा करती है .....तो आप उस से कौन पीछे है .....बस बटोर ही तो रहे है .....१०० आदमी का खाना आपके घर में और १०० आदमी घर के बाहर भूख से दम तोड़ते ...............जनसँख्या के बढ़ने से आप का क्या मतलब ....प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे है तो हुआ करे ....हम सब से कागज के नोट बना लिए है ......जिस के पास कागज उस के घर रोटी .....और जब कोई कागज नही इकट्ठा नही कर पा रहा है ....तो उसको लंगड़े जानवर कि तरह ही शेर ....जी जी समाज द्वारा खा लिया जाना चाहिए ................लिए जनसँख्या के लिए  कोई आप ही जिम्म्मेदार थोड़ी नही है ....और आप निरोध क्यों लगाये ...आखिर आप भगवन पर पूरा विश्वास करते है ....बस आप जुटे रहिये ...अगर भगवान् नही चाहता होगा तो आपके घर किलकारी तो गुजेंगी नही और वैसे भी भगवन ने आपके साथ कौन सा न्याय किया है ....................कुतिया , भालू , शेरनी सबके ४-५ बच्चे एक बार में और आप के ज्यादा तर एक और कभी कभी भूल से २ .तो आपके सामने जानवर भला कैसे आगे जा सकते है ....फिर आपको आदमी कौन कहेगा ????????????? जब आपसे ज्यादा कोई भी काम जानवर कर लेंगे ??????? तो फिर आपके इस दुनिया में सबसे बुद्धिमान होने का मतलब ही क्या ???????????बस जुटे रहिये और देखिएगा एक दिन आपकी ही विजय होगी ...और इस पूरी दुनिया में आपके सिवा कही कोई भी दिखाई देगा जी जी एक पत्ती भी नही ...आखिर आप मनुष्य है ......दुनिया आपकी है ....वो सब बेवकूफ है जो यह कहते है ...आपके कारण पृथ्वी खतम हो जाएगी .....सब ख़त्म हो जायेगा ....अरे सब कह्तं हो जायेगा तो हर तरफ आदमी तो होंगे ही ....जब भूख लगे नागिन कि तरह अपने बच्चे ...या कोई आदमी खा लीजिये ......क्या हम बकरी , ऊट , चीतल , बटेर नही खाते ....बस एक बार शुरू कर दीजियेगा बस कुछ दिन बाद आप खारे खून के भी आदी हो जायेंगे ......अच्छा मैं तो चला आखिर मैं भी तो मनुष्य हूँ ....आप का पता नही ...वैसे मनुष्य ना कहलाना आपको पसंद कब आया ......बधाई हो अभी अभी आप चाचा बन गेहे ....आप बाप बन गए ....आप मामा .....आप बुआ .....आप चाची.....आप ताई...............जनसँख्या जिन्दा बाद हम जल्दी ही दुसरे ग्रह पर पहुचने वाले है ......डॉ आलोक चान्टिया

Monday 9 July 2012

ham prakritik ho gaye

हम प्राकृतिक हो गए है .............
आज मुझे एक साहब मिल गए और बोले कि भाई चान्टिया जी आज कल आप व्यंग्य बहुत सटीक लिख रहे है ........मैंने कहा व्यंग्य और मैं ???????यह तो सबसे बड़ा व्यंग्य है क्योकि मैं जो भी लिख रहा हूँ वह सब तो इस देश कि सच्चाई है और इसको व्यंग्य कहकर इस देश के अनपढ़ होने पर मोहर क्यों लगा रहे है ???????अनपढ़ ?????????आप कैसी बात कर रहे क्या आप को सरे देश के लोग अनपढ़ दिखाई देते है .........एक आपने लिखना क्या सीख लिया बस अपने को तीरंदाज़ समझने लगे ...........बताती आप को यह देश और इस देश के लोग किस तरफ से जाहिल और अनपढ़ दिखाई देते है ..........अरे अरे आप इतने लाल पीले क्यों हो रहे है क्या कल शाम आम ज्यादा खा लिया क्या जो पेट मरोड़ रहा है ......मेरी क्या मजाल जो इस देश के किसी भारतीय के लिए कुछ कह सकू ...........कल को मुकदमा ठोक देंगे मुझ पर ........मैं तो यह कह रहा हूँ कि इस देश के लोग है ही इतने सच्चे और कि उनको इस बात कि ग्लानि होती है कि उन्होंने ध्यान नही दिया और यही कारन है जनसँख्या इतनी हो गई कि चीटिया भी अब हमें नही पछाड़ सकती और इसी का तो हम सबको दुःख है कि मुकाबला भी किया तो किससे चीटी से ?????????? खैर इस से ज्यादा कि हमारी औकात भी नही है .....और अब हमको इतनी शर्म आ रही है कि इसी जनसँख्या के कारण नदी के साथ , हवा के साथ , जमीं के साथ ........सभी के साथ हमने इतना आलिंगन कर लिया कि हवा . पानी , जमीं सबको एड्स ह गे अहै और वे सब इस लायक ही नही बचे कि वो अब हमें बचा सके क्या कि उनके एड्स की दवा तो हम किस फैक्ट्री में बना भी नही रहे है ?????????? तो क्या आपको लगता है कि प्रकृति के साथ हर तरह का कुकर्म करने के बाद हम बेशर्मो को शर्म नही आती है ????????आती आती पूरी आती और इसी लिए इस देश के लोगो ने जहा डाल डाल पर सोने की चिडिया करती है बसेरा .....जहा सूरज आकर डाले पाना डेरा .............जहा हर एक बालक मोहन है ...........और राधा हर एक बाला ( वो बात अलग है कि अगर मोहन राधा से प्यार करे तो उसको खाप पंचायत मार देती है  )...... जहा ऋषि मुनि जपते हरी नाम की माला .............जहा सत्य अंहिंसा डाले अपना डेरा .......आखिर इस देश के लिए हम कुछ तो करे सब तो बर्बाद कर डाला ......क्या करे क्या करे ....जी जी इस देश के लोगो ने निर्णय लिया हैं ( जो इस देश के नही है वो मेरी किसी बात से बिलकुल आहत ना हो ...और अगर चाहे तो मुझे माँ बहन कि गाली का भारत रत्न दे सकते है ....क्योकि आखिर हमारे  देश में एक माँ बहन की ही तो इज्जत है ..और फिर सभी भारतीय भाई बहन जो है ( पता नही यहा शादी कैसे हो पति है ...मैंने तो मरे शर्म के शादी नही की ...जी मैं भारतीय कहा हूँ )    खैर सभी ने सोचा है कि जब सारी प्रकृति कि माँ बहन हम सबने ही मिल कर की है तो प्रायश्चित भी हम ही करेंगे और अब पूरी तरह प्राकृतिक और प्रकृति के सहारे रहेंगे ताकि मरने से पहले कुछ तो ऋण हम सब चुका दे ............लीजिये शुरू हो गया पश्चाताप का सिलसिला .......ना  तो अब हम पेड़ो के सहारे रह सकते है और ना ही अपने   मल मूत्र से अपनी माओ ओह हो भैया गंगा मैया , यमुना मैया ...और ना जाने कौन कौन ....दूर ले जा सकते है .....हम विकलांग   है ही तो बिना गाड़ी के चलने का सवाल ही नही उठता और फिर जब मिस्टर वर्मा के घर कार आई है तो मैं क्यों न खरीदू ????कर्जा क्यों लू ????????घुस से काम चल ही जायेगा और वैसे भी देश कौन पाने बाप का है ...फिर अपना अन्ना लगा ही है ...सामजिक जमादार .....है अगर मरे कुत्ते जैसी सरकार को प्रजातंत्र की नदी से निकालने सफल हो गया तो हम भी कार को बैल से चला लेंगे पर अभी तो भारत माँ को बेच लिया जाये  ...जय भारत माँ ....सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही  ...भले ही कपूतो के कारण आपका  सर कोल्हू पे पिस जाये ...खैर फिर क्या करे लीजिये सुन लीजिये खबर बहनों के देश में कल कुछ लोगो ने एक एक लड़की ( या बहन????????) का कार में सामूहिक बलात्कार किया गया वाह वाह  क्या तरीका निकला है प्राकृतिक तरह से रहने का ............हम प्रकृति की इतनी सहायता तो कर ही सकते है कि अन्य जीव जन्तुओ की तरह हम भी अब अपने को सिर्फ नर और मादा मानेगे ...आखिर भाई बहन कह कर भी तो हम प्रकृति के नियम को ही बर्बाद कर रहे है और यह हमारा सबका फर्ज है कि अब हम पाने स्तर पर प्रकृति को बचने के लिए जो भी कर सकते ...अब हम हर  पल करेंगे ......क्या हर साल करीब १.२०००० से १३०००० ही बलात्कार आप लोग कर पा रहे है ....इतने कम इस से तो प्रकृति का कर्ज आप काफी लम्बे समय तक उतारते रहेंगे .....एक बार तो इस देश को मन से जी लीजिये ....पुरे देश को बल्त्कारियो का देश बना दीजिये किसी मामले में तो हम पूरी तरह प्राकृतिक हो जायेंगे ........इस तरह काम नही चलेगा कम से कम पूरा विश्व जाने तो हम प्रकृति कि रक्षा  के लिए क्या कर रहे है ...आखिर इस बार भाई बहनों के देश ने प्रकृति के लिए जीने कि कसम कही है ...वो वो देखिये ...एक लड़की बिलकुल अकेले निकली अपने घर से दौडिए ......जल्दी पकडिये ......वाह अपने घर बलात्कार के बाद ही लौतनी चैये वरना आप भारत माँ को क्या मुह दिखायेंगे   और फिर प्रकृति का कर्ज भी तो चुकाना है .....आप अपने वादे के लिए तो जान तक दे देते है ......................रात में भी लडकिय निकलती है .....आप देर रात तक पीछा कीजिये ....चिकियेगा नही ...आखिर आप मर्द है किस बात के .....सोच लिया तो सोच लिया ...जा भारत माँ को फाड़ डाला तो ये तो उनकी लडकिया है .....उअर प्रकृति भी तो ....आपके प्राणों में बस्ती है .....उसको पहले ही आप बर्बाद कर चुके है ....तो कम से कम उसके आंसू तो आप पोछेंगे ही ........घबराइए आपके प्रकृति प्रेम को देख कर मादा भ्रूण हत्या बढ़ है है ....कोई बात नही तब भी करीब ६० करोड़ है ...आपकी भूख और प्यास से कही ज्यादा ....इतनो कि बलि से प्रकृति खुश ही नही होगी वो तो बाग बाग़ हो जाएगी ......आखिर उसके लिए आप अपनी  प्रकृति पर जो उतर आये है ......................लीजिये एक तीन साल कि लड़की से भी बलात्कार हो गया ....कितना सुखद है एहसास कि हम हर स्तर पर इस देश के सच्चे भारतीय है ..............काश कोई समझ पता आपके इस बलिदान को ............खैर क्या आपको नही लगता कि हम सब भारतीय भाई बहन ही है .................लगता है ना ..........बिलकुल आप ही तो समझे ...वरना इस देश में २०० लडकिया रोज  वेश्या क्यों बनायीं जाती ?????????????               हम प्रकृति का इतना नाश कर चुके है कि सब कुछ अप्राकृतिक होता जा रहा है ...पर आप जो कर रहे है वो पूरा प्राकृतिक है ....पूरा पूरा .....चलिए आप प्रकृति के किसी स्तर पर तो रक्षक है .....रिश्ते तो बनते ही है बिगड़ने के लिए ..............वो देखिये ४ लडकिया स्कूल अकेले जा रही है ..........................क्या आप जा रहे प्रकृति की रक्षा करने ????????हे ये  क्या क्या .....देश में तो प्रकृति रक्षा दल बा गया है ....कहा कहा सब लोग जा जा रहे है ...क्या पूरा देश प्रकृति और प्राकृतिक हो गया ...वाह ......चलो हमने कुछ तो प्रकृति का संजो लिया है ......आप धन्य है ................कौन कहता है हम देश के लिए सोचते नही ..................डॉ आलोक चान्टिया

Sunday 8 July 2012

kya aap bhartiye hai ????????????


आप भारतीय है न ...तो शरणागत  कि रक्षा कीजिये
क्या आप रत्नाकर डाकू है .......तब तो आप बाल्मीकि बन सकते है ?????? क्या आप जोरू के गुलाम है ?????मतलब  आप अपनी पत्नी के हाड़ मांस के लिए पागल हुए जा रहे है ...वाह तब तो आप गोस्वामी तुलसी दास बनने जा रहे है | आप बेकूफ है आपको कुछ आता जाता नही तो क्या हुआ ...बस किसी के ब्रह्मण के नजर में चढ़ जाइये ...जी जी ...सही काह रहा हूँ आप को वह ना सिर्फ कालिदास बना देगा बल्कि मुफ्त में विद्द्योत्मा से जी जी देश की रानी से शादी भी हो जाएगी .......... क्या आप गुंडे मवाली ...मेरा मतलब है राक्षस के भाई है और खुद भी राक्षस है कोई बात नही किसी शरीफ ईमानदार के चरण पकड़ लीजिये भले ही देश जाये भाड़ में पर उसकी वजह से आप को दूसरा राक्षस ...जी जी विभीषण की तरह फिर राज करने के लिए मिल जायेगा ...............क्या आप शादी शुदा औरत से प्रेम करते है और वह अपने पति से ज्यादा आपको चाहती है और आप उसका दिया गुलाब का फूल लगा कर ही निकलते है .तब तो आप किसी देश के प्रथम प्रधान मंत्री बन सकते है ...........आपको यह भी लालच है की चाहे देश बात जाये पर आपको देश में पद जरुर मिले ...तो मिसी महात्मा का साथ पकड़ लीजिये जिस के लिए देश पागल हो फिर देखिये वही महात्मा आपको पद दिलाने के लिए देश तक बाट देगा ...और आप का काम भी हो गया आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहलाकर मस्ती मारिये ........यही नही अगर आपके कारन ही देश का बटवारा हुआ है तो आपका जन्मदिन मरण दिन सब राष्ट्रीय दिवस घोषित कर दिया जायेगा ....और जिन्होंने स्वतंत्रता का बिगुल बजाया .......अंग्रेजो से सामने ना झुक कर गोली खाली ...उनके लिए कोई अवकाश .पर्व नही नही ..........क्या आज तक आजाद , भगत सिंह , रानी लक्ष्मी बाई , सुख देव , राज गुरु .....सही ख रहे है ....ये वो बेकूफ ....पागल देश प्रेमी है जिनके कारन आप अपने घर में रोटी तोड़ रहे है .....कान पकड़ का उठू बैठू.....इन कम अकालो के कारन थोड़ी न हमें स्वतंत्रता मिली...वो तो महान लोग वह है जो देश के प्रधान मंत्री बनने के लिए देश को बाटने से नही चुके ....जिनके कारन १९४७ में पेशावर  एक्सप्रेस लाशो से भर गई .......जय हो जय हो ....आप सही कह रहे मुझे  पागल कहेंगे नही तो आप बुद्धिमान कैसे लगेंगे ???? ये साडी बात मई इसी लिए कह रहा हूँ कि इस देश में अगर आप में कोई भी दुर्गुण है तो आप क्या नही बन सकते है बस आप अपने ऊपर के दुर्गुणों ....ओह हो ...मैं मैं कह कह रहा हूँ कि गुणों को पहचानिए और बन जाइये इस देश के महान व्यक्ति .........जी जी यह पर अशोक तभी महान कहलाता है जब वह निर्दोष ५ लाख लोगो को कलिंगा में मार कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लेता है ....अब आप समझे कि आपके नेता क्यों लोगो को मरवाते है .....और अगर आप राजपूतो के राज्य को उनके राजकुमारियो को अपने जीवन में लाकर छोड़ देते है तो भी आप अकबर महान कहला सकते है ....मुझे नही मालूम कि आप सब में सिकंदर को महान क्यों कहा?????????? शायद शायद इस लिए क्यों कि पहले उसने इस देश के रजा पुरु कि माँ बहन कर डाली फिर छोड़ दिया ...........तब तो हमारे यह का हर नेता महान होने वाला है क्योकि उसके लिए हम सब पुरु की तरह हारे हुए रजा से कम कहा है ??????? अब आप बताइए आप अब तक समझ गए ना कि क्यों हम अपने देश को रत्नाकर , के हाथो में दे रहे है ..................भैया ....डाकू से प्रेम करिए और उसे देश सौप दीजिये पता नही वह कल बाल्मीकि बा जाये .....आरे आरे वो देखिये एक राक्षस जैसे जीवन जीने वाला विभीषण आप कि सरन में आया है ...अब जब सरन में आ गया है तो बही आप क्यों ना उसको संरक्षण से और उसी के खंडन में इस देश कि बागडोर फिर दे दे ....लंका का शासन कोई अयोद्ध्या वाला क्यों करे ???? आप भी इस देश कि लंका में कभी किसी राम या लक्षम को मौका न दीजियेगा ..........जब बैठिये तो रावन .और रावन से ऊब जाइये तो विभीषण .............वाह आप तो कालिदास से भी आगे निकल गए .....जब भी देश के लिए सोचेंगे तो आगे गड्ढा और पीछे खाई पर आप तो ऐसा  सोचेंगे ही और इस देश को चलाया भी है ...........पराई  औरत के गुलाब  की महक ने तो हम आप तो इसी देश में रहते है ..........क्या आप भी प्रजातंत्र में किसी विभीषण को संरक्षण दे रहे है ...........कम से कम देश रहेगा तो राक्षस के ही हाथ में चाहे वो रावन हो या विभीषण ...........आखिर आप देश के सच्चे पुजारी है ......देश को आप पर नाज अहै ...अच्छा मैं भी चला अशोक ...नही नही ...कालिदास ....नही नही ..रत्नाकर ......एक गुंडा ????????जी नही मतलब आप समझ रहे है नेता ढूढने ......आखिर गुलाब की महक तो सबको चाहिए ना ...........देखिये आप भी भूलियेगा नही ....देश की गद्दी पर बैठना राक्षस .............ही चाहिए ..........वो लीजिये आप के सामने विभीषण आ भी गए ...पैर पकड़ कर वोट का संरक्षण  मांग  रहे है ......और आप क्यों न दे आखिर  शरणागत  की रक्षा करना आपका फर्ज जो है .....भारतीय कहलाना है कि नही ..................डॉ आलोक चान्टिया

Saturday 7 July 2012

ham namak haram nhi hai


हम नमक हराम नही ..........नेता जी जिन्दा बाद

आज सुबह से ही लखनऊ में पानी बरस रहा है ...मैं नही जानता कि कौन पानी पानी हो रहा है पर लखनऊ जरुर पानी पानी हो रहा है ..........हर घर में पानी बिन बुलाये मेहमान की तरह घुसना चाहता है ......और वो देखिये गुप्ता जी बेचारे पानी को बाहर निकालने के लिए झाड़ू लिए जुटे है औत जुटे भी क्यों ना आखिर इनके क्षेत्र का सभासद  यानि पार्षद कोई इनका गुलाम है जो इनके इलाके में नाली और नाला ठीक कराये ...और मैं क्या गलत कह रहा हूँ पूछिये क्या इनकी हिम्मत है की कभी उनसे पूछे कि आपने सड़क , नाली क्यों नही बनवाई ...आरे भाई माना जमींदारी ख़त्म हो गई पर राजनितिक जमींदारी तो चल रही है और इन्ही औकात प्रेम चंद के उपन्यास के नायक होरी से ज्यादा तो है नही जो प्रजातंत्र के आका से पूछ ले कि मुझको गुलामो की तरह क्यों रखा है ????????? आखिर हम भारत वाले अपनी विरासत को कभी नही छोड़ते तभी तो देश में सब बदल गया पर गुलाम की तरह रहना हम कैसे छोड़ दे .....आखिर अंग्रेज क्या कहेंगे .....कि सैकड़ो सालो तक गुलामी सिखाने के बाद भी ये गुलाम बनना  भूल गए और कहते है अपने को जगद गुरु ....................ना ना  भैया आप अगर पक्के भारतीय है तो ऐसी भूल कभी ना करियेगा कि पाने जन प्रतिनिधि से पूछ लीजिये कि हमको सम्मान जनक तरह से क्यों नही रहने देते ...................कहते है कि देश में मैला ढोने का काम खत्म कर दिया गया है ...और अब कोई मैला ढोने का काम नही करा सकता ................तो करने की जरूरत ही क्या है ....लीजिये आपके घर के सामने ही नाली में बहाए देते है .........और अब आप खुद नाली में उनको साफ़ करिए ....हो गया ना समानता  का भारत ....हो गई न तबियत खुश ..........आखिर संविधान का उल्लंघन करने का पाप कौन करे .....वो देखिये ५ दिन से शर्मा जी के घर के सामने के नाले एक कुत्ता सड़ रहा है  अपर इस से क्या कम से कम कोई पूछेगा की सदा कुत्ता कैसा लगता है उसकी महक ( बदबू कह नही सकता क्योकि शर्मा जी ५ दिन से उसके साथ रह रहे है ) कैसी होती है तो शर्मा जी सीना फुला कर बता तो सकेंगे की धन्य है हमारे जनप्रतिनिधि जिनके सहयोग से बिना किसी फीस और सिफारिश के आप को मरे कुते पर विशेषज्ञता मिल गई ...और आज के महगांई  के ज़माने में अगर कुछ भी मुफ्त मिल रहा है तो यह भाग्य की बात है और देखिये न इसी  लिए पूरा भारत कूड़ा प्रबंधन का केंद्र बन गया है ...कम से कम अमेरिका वालो को हम बता तो सकते है की कूड़े के साथ रहते रहते कैसे अपनी प्रतिरक्षण प्रणाली को बढाया या मजबूत किया जा सकता है ...और इसके लिए भारत सरकार को साधुवाद जिसने मुफ्त शिक्षा के महत्व को समझते हुए जनप्रतिनिधियों को आदेश दिया की आप सब अपने इलाके में इतनी गन्दगी फैलाओ कि एक भी भारतीय यह ना कह सके कि वो कूड़ा , मॉल मूत्र , नाली के सादे पानी , गन्दी सडको के बारे में निरक्षर है ......सबको साक्षर बनाइये ताकि हम पुरे विश्व में कूड़ा प्रबंधन का जिम्मा ले सके ...................लीजिये ....सिंह साहब आ रहे है ....पर ये क्या चिल्ला रहे है ......अच्छा अच्छा आपके घर के सामने अभी कूड़ा कम है .....खुले साड़ गाये बैल , सूअर , कुत्ते  अपने माल करने नही आ रहे ....इस लिए सड़क कि गन्दगी के बारे में व्यवहारिक ज्ञान नही हो पा रहा है ...और आप निरक्षर रह जायेंगे ...............क्यों  परेशान है आप सिंह साहब ....आपके जनप्रतिनिधि इस बार का सारा बजट खा कर आपके यह की इतनी दुर्दशा कर देंगे कि आप को फक्र होगा कि आप के कूड़ा प्रबंधन के ज्ञान के लिए इन भारत के सपूतो ने ....जी जी यही सपूत है ...कपूत तो आप है जो देश के लिए सोचते ही नही ...कम से कम ऐसे सपूतो के कारन दुनिया यह तो जान सकती है कि जंगलीपन का माडल कैसा रहा होगा ...नंगे लोग कैसे रहते होंगे .....भूखे लोग कैसे लगते है ..................आप तो सिर्फ चुप चाप कूड़ा प्रबंधन कि पढाई में लगे रहते है ...अच्छा बताइए कितने नौकरी वाले को आप जानते है ....पर कलमाड़ी , रजा , जैलैता , सुखराम , बंगारू लक्ष्मण को कौन नही जनता ??????????? तो हुए न ये लोग सपूत .....और अगर ये कॉपत आपको कभी लगते तो आप इनके विरुद्ध आवाज़ ना उठाते बल्कि इन्ही के कारन तो आप मलेरिया , डेंगू , हैजा , कैंसर सब के बारे में जान पा रहे है ............और तो और आप गंदे होते शहर के बारे में क्यों बोले आप कोई मेरी तरह पागल तो है नही ....कम से कम घर के सामने ही कूड़ा मिल जाने से आप घर बैठे बैठे कुटीर उद्द्योग चला सकते है ...... कूड़े से घर बैठे ही खाद बनाइये  और बेच दीजिये ...हर्रा लगे न फिटकरी और रंग चोखा ..................गलती गलती हो गई ....मेरी जबान ही फिसल जाती है ....अब किसी से इस उद्द्योग के बारे में नही बताऊंगा वरना जन प्रतिनिधि आपकी उन्नति से जलने लगेंगे और कूड़ा आपके घरसे हटवा कर सुअरों के लिए डलवा देंगे और वो बस इसे लोट लोट कर बर्बाद कर देंगे ....न न  आप इस अनोखे फायेदे को जरी रखिये  ...और जन प्रतिनिधि से कुछ भी ना कहिये ...बनने दीजिये देश के पैसे उनके महल ...घूमने दीजिये उनको गाडियों में ....जमा करने दीजिये उनको स्विस बैंक में पैसा ............आखिर संतोषम परम सुखं और इस सुख का मजा तो आज तक वो गन्दा सा सूअर ले रहा था ...अब कम से कम अआप कूड़ा विशेषज्ञ है और खाद के व्यापारी अलग से ..............और आप तो तब बोले जब नेता ने कोई चोरी की हो ....देखिये न परसों ही तो रग्घू ने दुकान से भूख के कारण एक ब्रेड चुराई थी तो करीब ५० लोगो ने उसकी धुनाई की थी और पुलिस के हवाले कर दिया था ....आखिर इस देश में कोई चोरी कर पायेगा वो भी आप जैसे देश भक्तो के सामने ................साला १० रूपया उधार न चूका पाने वाला जगदीश यादव जी की दुकान के सामने से इसी लिए नही निकलता है ....कि कही वो पैसा ना मांग ले और फिर क्या मजाल इन जन प्रतिनिधियों कि जो देश का पैसा लेकर आप के सामने से निकल जाये ...............वो तो अआप नेता को कुछ इस लिए नही कहते कि वही पैसा का उपयोग करके ही तो यह शुभ दिन आपके जीवन के आया कि आप कूड़ा प्रबंधन सीख रहे है वो भी बिना पैसे के और तो और आपको इसके लिए बधाई कि अब आप कूड़ा साक्षर हो गये है ......वो लीजिये आपके नेता जी फिर जीत गये इस बार नगर  पालिका चुनाव ......जीते क्यों नही आप कोई एहसान फरमोश तो है नही और ना ही धोखे बाज है ...आपने हमेशा इस देश में जो भी घुस कर आया उसका अतिथि देवो भव कह स्वागत किया है .......और भगवान का निरादर करना तो आप सपने में भी नही सोच सकते ....इसी लिए तो आपने अपने देश के बजाये अंग्रेजो का साथ ज्यादा दिया ....क्या अतिथि को देवता मानने की इस परम्परा का कोई मुकाबला कर सकता है दुनिया में ................तो करिए अपने अतिथि का सत्कार और कमाइए  पैसा अपने घर के सामने लगे कूड़े से खाद बना कर ............आखिर देश में विदेश से पैसा लाने के लिए इससे अच्छा  मौका बार बार नही मिलता .....वोट सिर्फ और सिर्फ उनको दीजिये जो आपके जीवन में हर तरह की गंदगी लाने में सक्षम है  क्यों  की आप भला तो जग भला ...........और आपको भी तो मरे सड़े कुत्ते पर शोध करने है तो नाला तो आपके घर के सामने होना चाहिए न ...........देखिये खी आपने किसी नेक और इमानदार को जीता दिया तो आपका काफी नुकसान हो सकता है .......इस लिए कसम खाइए भारत माँ की गंगा मैया  कि जब तक दम में दम है हम सब गुद्रर में रह कर गुद्रर के लाल को जिताते रहेंगे .........................विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आप भी हिस्सा बनिए और देखिये कि देश के जनप्रतिनिधि किस तरह रात दिन अपना खून पसीना बहा कर इस देश के लोगो को अंधरे , गन्दगी , पानी के बिना रहने का तरीका सिखाने में जुटे है और देश कि जनता उनके इस अभूतपूर्व योगदान का कर्ज उतार तो नही सकती पर इतना तो कर सकती है कि ऐसे सुअरों ????????? ये पूरी तरह गलत लिख गया  कि हर बार अपने वोट से उनको ऐसे सुणदा काम करने का मौका देती रहे ...............आप सबको अनुपम देश भक्ति  के लिए मेरा सलाम .............अच्छा कल मिलेंगे ..............शायद मेरे घर के सामने भी कोई मर कुत्ता आकर रुक गया है ....जरा मैं भी  पढ़ लू ??????????????    डॉ आलोक चान्टिया

Friday 6 July 2012

prem ka pagalpan


रहिमन  धागा प्रेम का ................................

राम राम .....चलिए आपको धर्म निरपेक्ष देश में बुरा लगा कि मैंने राम राम क्यों कहा ....नही कहते है ....मरा मरा तो ठीक है और आप का चेहरा मुर्दे की तरह से खामोश तो हुआ ........पर ये तो है कि  आपको  अपने देश से प्रेम बहुत है ....कितना प्रेम है और प्रेम के कारन तो आप कुछ भी कर सकते है अपनी माँ का कलेजा भी निकल सकते है .....आरे नही भाई मेरा मतलब तो यह है कि वो एक प्रेमी की कहानी है ना जिसमे उसकी प्रेमिका ने कहा कि वो शादी तब करेगी जब वो अपनी माँ का कलेजा निकाल कर लायेगा और प्रेम के मामले में हम कब पीछे रहे है ...वो गया और अपनी माँ का कलेजा निकाल लाया ...रस्ते में उसको ठोकर लगी तो माँ के कलेजे से आवाज़ आई कि बेटा कही चोट तो नही लगी ............मै जनता हूँ कि आप ऐसा प्रेम नही करते और अपनी माँ के बारे में ऐसा सोचना गुनाह है ....वो तो इस देश को माँ कहना अलग है .....और इस से प्रेम का ही नतीजा है कि इस देश कि शांति के लिए हमने माँ को काट डाला ....आख्जिर वो प्रेम ही क्या जिसमे त्याग ना हो और  ऊपर से तुर्रा माँ होने का .....कम से कम आपने माँ को प्रेम का मतलब तो समझा दिया और बाटी भी तो किसके लिए ...अपने बेटो के लिए ही ...ये बात अलग है आज इस देश कि माँ यही नही जान पा रही है कि अल्लाह  के दरवाजे सो जाऊ या राम की चौखट पर दम तोड़ दूँ ...पर कहिये कुछ भी इस देश में माँ के लिए सर कटा  सकते हा पर सर झुका नही सकते .....इसी लिए बेशर्मो ने ....हा हा आप ने सही समझा कपूतो ???????????माफ़ करियेगा सपूतो  ने माँ के लिए वृद्धा आशाराम बनवा दिया है ...आखिर बेटा के रहते माँ सड़क पर सोये ऐसा भला इस देश में हो सकता है ...वो भी तब जब प्रेम के लिए ही हम जीते है | पर एक बात तो है की प्रेम है तो कुछ ऐसा कि हम खुली आँखों से अंधे हो जाते है ...क्या ????????? इसी लिए कहते है कि प्रेम अँधा होता है ....तभी तो अंधेपन में हम जान ही नही पाए कि माँ का आंचल काटे डाल रहे है .लेकिन मेरे जैसे डाकिया नुसी विचार वाले भला क्या जाने कि आपने तो माँ को आँचल काट कर आधुनिक बना दिया ....खुले वक्षो में माँ का सम्पूर्ण स्वरुप दिखाई देता है वो तो मै गन्दी मानसिकता का हूँ जो माँ के आँचल को भी ढक कर रखना चाहता हूँ .....कोई वो आज कल कि लड़की है जो उदारीकरण से डर कर जिए ...और प्रेम के लिए कुछ तो खुला होना चाहोये आखिर आप क्या देख कर प्रेम करेंगे ?????? न जाने कितने योग और दवाए  खुले पण का प्रचार करके आपके सौंदर्य को बढ़ा रहे है  और एक हम ही नही समझ पाए कि ये कोई माँ का आँचल थोड़ी न कटा गया बल्कि माँ को कालजयी  बना दिया गया .....वैसे भी प्रेम , मोहब्बत , प्यार , इश्क सन लिखने में ही अधूरे है तो प्रेम को कभी पूर्णता तो प्राप्त हो नही सकती तो कैसे देश से प्रेम पूर्ण होगा ....क्या शबरी , कन्या कुमारी , किसी का प्रेम पूरा हुआ जो भारत माँ का प्रेम पूरा हो जाये ............बिन ब्याही माँ का दर्द क्या होता है ???????हा हा आपको क्यों नही पता होगा आखिर प्रेम फल अकसर नाली में पड़े मिल जाते है ..............क्या आपको अब भी लगता है कि इस देश के लोग प्रेम का मतलब  नही जानते ....अगर जानते ना होते तो सिर्फ यह कह कर कि भारत माँ है हम उसकी संतान है .....दुनिया में एक अकेली माँ को जब अपने बच्चो को लेकर जीना पड़ता है तो वह किन किन मुश्किलों से होकर गुजरती है ...यह वह माँ और उसका दिल जानता है ...और आप तो भारत माँ कि संतान है ....वह किन किन निगाहों से अपने को बचाए ...और कही इसी लिए तो आपने सोचा कि रोज रोज कि कीच कीच से अच्छा है कि जा माँ पर बुरी नजर डाल रहा है उसी का सौप दो उसका आंचल बस प्रेम भी बना रहा और माँ भी उनकी हो गई जिनके लिए वो सोचती तक न थी पर बेचारी बच्चो के लिए किसी के साथ ही जी गई ....है ना अनोखा प्रेम इस देश का ...............वह वह मेरी बात पर आप ऐसे नीले पीले हो रहे है ......जैसे प्रेम नही नफरत की बात मैंने कर दी हो ...पर नफरत की बात कह कर आप किसी से भी दूरी बना सकते है  ...कम से कम कोई ताना तो नही देगा कि जब मेरा उपभोग किया ...प्रेम के नाम पर तो मुझे स्थान भी दो नाम भी दो ...कह दो किसी बात पर कि मुझे तुमसे नफरत है ...अपनी सूरत कभी न दिखाना दोबारा ....हुआ न डबल सौदा ...मजा भी मिला और दूर भी हो लिए ...........आखिर प्रेम के पुजारी है हम सब और पुजारी तो रोज आरती करता है ...भगवन कि और लूटता है दुनिया को .........आप भी पूजा कीजिये और हर धन को लूट लीजिये .आखिर औरत होती है लुटने  के लिए ...और औरत को तो जर ...और जमीं के साथ जोड़ कर देखा गया है .........और इन्ही के कारन झगडा होता है ....यानि औरत का मतलब जह्ग्दे कि जड़ और हमारा देस हौरत यानि माँ ....मतलब साफ़ कि झगडे का कारन तो लिए ख़तम किये देते है झगडा आपको ले जन अहै ले जाइये ...पर शांति बनाये रखिये ....लिए चीन से भी डिमांड आ रही है कि मुझे भी पानी माँ का में हिस्सा दीजिये ....हा हा दे दीजिये आखिर हम अपनी माँ से नही खेलेंगे तो किस से खेलेंगे ......क्या बंगलादेशी भी माँ के साथ मुह मरना चाहते है ....तो बुला लीजे ....३ लाख कोई बात नही आओ आओ माँ कि छाती पर आप सब भी मूंग दलो आखिर माँ है उसके पास प्रेम के सिवा देने को कुछ है ही कहा ...और कुटिया बंदर के बच्चे का पाल लेती है तो फिर तो ये मनुष्यों कि माँ है .....चलिए अफगान को भी बुला लीजिये वैसे लिट्टे भी लंका में माँ के साथ आंख मिचौली खेल रहा है ......................है किसी मै के लाल के पास ऐसी माँ दुनिया जैसी हम भारत वालो के पास है ..........आप एक बार हम से मांग कर तो देखिये इस बहरत माँ को नीलाम न कर दे तो कहिये ...और अगर आप दुने के लोग चाहेंगे तो हा सब अपनी इस माँ को आपको सौप कर दुनिया में कही भी चले जायेंगे ...वो प्रेम ही क्या जिसमे त्याग ना हो ..........और हम सब त्याग करने में उस्ताद है ....................क्या आपके दिल में प्रेम उमड़ने लगा है ...प्रेम के काले बादल छाने लगे है ............वह क्या बात है ...बधाई बधाई ...किसी का आंचल फिर त्याग के रंग में रंग कर फटने वाला है ...................खैर आंचल को क्या बचायेंगे आप लीजिये पुरे देश ने ही बिना आंचल के रहना शुरू कर दिया ...........आखिर नंगो के बीच रहना है तो नंगई तो आनी ही चाहिए ..................जैसा देश वैसा वेश ..................वैसे भी प्रेम का मतलब समर्पण है .......................और समर्पण के बाद तो ...............................खी आपको भी तो प्रेम नही हो गया .................पर अब तो देश से नफरत भी .................डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday 5 July 2012

कानपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स ब्लॉग असोसिएसन(KANPUR UNIVERSITY TEACHERS BLOG ASSOCIATION): lut sake to lut

कानपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स ब्लॉग असोसिएसन(KANPUR UNIVERSITY TEACHERS BLOG ASSOCIATION): lut sake to lut: आज लखनऊ में काफी समय के बाद पानी गिरा ....शायद आँखों का पानी अभी ऊपर वाले का नही सुखा और वह लोगो के गर्मी में झुलसते शरीर को नही देख पाया ....

lut sake to lut

आज लखनऊ में काफी समय के बाद पानी गिरा ....शायद आँखों का पानी अभी ऊपर वाले का नही सुखा और वह लोगो के गर्मी में झुलसते शरीर को नही देख पाया ..........वैसे मै लखनऊ की धरती पर आज ही वापस आया ..............वैसे भी लोग कहते है है कि झा पर अच्छे लोग जाते हा वह अच्छा ही होता है .............................पर आप क्यों उलटी करने लगे ????????क्या मै अच्छा नही हूँ ...जी जी जाकी रही भवन जैसी प्रभु मूरत देखि तीही तैसी ......पर अआप के पेट में दर्द इस लिए हो रहा है न क्योकि मैंने आपको अच्छा ख दिया और आपको पता है कि भारत में कोई अपने को अच्छा कहे ....लीजिये भाई साहब  ढूंढने लगे मेरे अतीत  के पन्ने .....मिला कुछ ....हा हा मिला गंगा का पानी निर्मल रहा खा कुछ न कुछ तो मिल जायेगा .....जूता मिला या किसी की सड़ी लाश ....पानी ही तो है ......देखिये समाज सेविओ के बल्ले बल्ले होने लगे ...बेचाहरे कितने समय से नारा लगा रहे थे की गंगा सफाई अभियान का हिस्सा बनिए ....बनिए ...बनिए ,,,आखिर ये कोई कम चुनौती है कि लखनऊ की आदि गंगा  में २७ नाले आपके यह के मल मूत्र लेकर हर दिन उसकी पवित्रता बढ़ा रहे है ...और फिर आप तो ऐसे देश के नागरिक है जहाँ ढूध का ढूध और पानी  का पानी करने का अमोघ वरदान आपको प्राप्त है .......खैर आपक पैसा कमाने का साधन तो मिल गया .....हा हा ...आप गलत समझ रहे है ...मै इस देश में नदी में फेके जाने वाले पैसे कि बात नही कर रहा हूँ ....आप ने भी फेका ....क्यों न फेके आखिर पुल से बस गुजरते समय अगर गिर गई तो कौन बचाएगा ...इतने पुन्य आपने किये नही जो आपको अपने या भगवन पर विश्वास हो ...इसी लिए आप जब भी बस ...ट्रेन , ट्रक पर बैठ कर नदी पार करते है तो ये ये ये डाला २ रूपया नदी ...जय गंगा मैया ....हमर रक्षा किया ...हम तो तुमारी ऐसी तैसी  कर दिया अपर हमारी नैया न दुबोय दियो .............और आप को पासा डालने कि आदत क्यों न हो आख़िर आपको घुस देकर सारा काम करने कि आदत है .....जरा मेरी बात पर अपना नीम खाया जैसा चेहरा देखिये ,,,,,जी मै आपको कुछ नही कह रहा ...मै तो गंगा मैया को  कह रहा  हूँ ...जो नम्बर एक कि घूसखोर है ...बिना  पैसा लिया पुल से भी पार नही होने देती ......चलिए आपको अपने को इमानदार सुन कर कीचड़ में कमल कि तरह चेहरा खिलाने का मौका तो मिला ......वैसे आपको पैसा क्यों डालते है ...क्या आपको पता है इस से देश के राजस्व को कितनी हानि होती है ??????????? पता नही आप जैसे सर फिरे इसको क्यों राजस्व की हानि बता रहे है ...आपके के कारन ही हमारा धर्म खत्म हुआ जा रहा है ....ऐसी चवन्नी जैसी बात करते रहे तो लीजिये देखिये चवन्नी की न जाने बाज़ार से कहाँ गायब हो गई .............क्या सरकार आपको अंधी लगती है ...कभी नदी में पैसा डालने के कारण कोई  गिरफ्तार हुआ ??????????? कोई कानून बना  ???  बस चले आइये फर्जी बात करने ....बिलकुल पढ़े लिखे जाहिल  लगते है आप ....अपने को क्या समझते है ...पर पर भाई साहब मै तो उस पैसे की बात कर रहा था जो सरकार ने गंगा के सफाई अभियान के लिए जारी किया है .......................और वह पैसा ....!!!!!!!!!!!! क्या वो वो पैसा लगा रखा है क्या आपक हम सब चोर लगते है जो गंगा सफाई के पैसे से अपना घर बनवा लेंगे या फिर अपनी बीवी को साड़ी खरीद कर देंगे ....आपको क्या लगता है की गंगा मैया के साथ हम दिखा करेंगे ....वो मैया है ....हम बच्चे है ...और माँ की गोद में मल मूत्र कर्ण अकों सी नयी बात है ...हा अब मैया के बच्चे ही इतने है की उनकी साड़ी ...ब्लाउज , हाथ पैर सब  गंदे हो गए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ......आप ये क्यों नही कहते की हम जय से होनहार बच्चो को अपनों मैया के अंदर से बदबू दिखाई तो दे रही है वरना कौन आज के दौर में अपने माँ बाप के लिए जीना चाहता है ............आप जैसे बेगैरत लोग क्या जाने माँ का मतलब ...बस माँ पर ऊँगली उठाने  लगे ....जी मै तो कह रहा था ...की माँ की सफाई की याद बरसात में क्यों ????????????? तो तो क्या सूखे में मैया की सफाई करते .....कभी सूखे में मल मूत्र ढंग से साफ़ हो सकता है ....कैसे पागल लोग मिल जाते है .....जी जी मै वही कह रहा था की बरसात में गंगा की सफाई करने का मतलब क्या ..जब पानी के बरसने से ही नदी खुद साफ़ हो जाती है ....................एक आप ही अकल्मन्द है बाकि बारात के लोग तो मुर्ख है  है ना ....केवल आपको दिखने के लिए हम सब लोग बरसात में सफाई न करे ....किसके पास फुर्सत है ...जो पूरा दिन दे सके ...हा माँ है और माँ का मतलब भारत  वालो से ज्यादा कौन जानता है ???अब कहने को भी हो जायेगा की बच्चे नालायक नही निकले और मैया का दामन भी साफ़ हो  जायेगा .........पर मै तो कह रहा था की जब सब कुछ प्रकृति ही कर लेगी तो करोडो अरबो रूपया क्यों बर्बाद करना ....इस से तो देश और कंगाल हो जायेगा ..............क्यों कंगाल होगा ...आखिर ज रूपया हम सब मिल कर निगलेंगे वह क्या विदेशी लोग है ???????है तो भारत के ही लोग ....और क्यों एक आप ही काबिल है ...क्या हम लोग पैसा कमा नही जानते ...हम अंग्रेजो जैसे पागल नही है ...जो पैसे के लिए दूसरे देशो में भटकते रहे ...हम सब अपनों को लूटना जानते है हम दूसरे देश क्यों जाये जब अपना देश ही लूटने के लिए है और वैसे भी हम परहित सरस धरम नही भाई ....पर चलने वाले लोग है ...क्यों दूसरो को  कष्ट दे .....हम अपने को बर्बाद करके दूसरो को आबाद करते है ...परोपकराए थर्मिदम शरीरं .....यानि परोपकार के लिए ही शरीर है ............कोई यह तो नही कहेगा की गंगा साफ़ नही हुई ...गंगा भी साफ़ ...और जेब भी गरम ??????????? माफ़ करिए खजाना भी साफ़ ....क्या आप गंगा साफ़ करना चाहते है ....चलिए चलिए अम्मा की गोद में आप भी थोडा >>>>>>>>>>>>>>बदबू आ रही है ?????????? तो क्या हुआ इसी से तो आप बेटा बेटी बनेगे और पैसा भी अपना ........लीजिये फिर पानी गिरने लगा ....चलिए बहती गंगा में आप भी हाथ धो लीजिये ................शायद आपका हाथ ज्यादा गन्दा ??????????नही नही ज्यादा साफ़ है .............डॉ आलोक चान्टिया ....अखिल भारतीय अधिकार संगठन