Sunday 10 August 2014

काश उसका भाई रावण होता

क्या आप रावण जैसे भाई है ????
मैं जानता हूँ कि रोज हत्या , अपहरण बलात्कार के बीच और यही नहीं लौट आओ तृषा जैसे सीरियल में चचेरी बहन के साथ अननेटिक सम्बन्धो के बीच रेगिस्तान में बून्द जैसा लग रहा होगा आपको आज के दिन भाई -बहन शब्द ऐसे लगे रहा होगा चलो एक दिन तो इस देश में भाई बहन की बात हो रही है !
वैसे एक बात तो है कि जितने नेताओ ने राखी बँधाई  है उनको उन बहनो कि रक्षा के लिए तो साल भर चिंतित रहना ही चाहिए आखिर भाई बने है उनके और उन सभी लड़कियों को भी आज के बाद पूरे साल देखना चाहिए कि इस देश की सड़कों , पर वो कितनी सुरक्षित है ?
वैसे एक बात तो मजेदार है इस देश के इतिहास में और वो ये की इस देश में ना जाने कितने रजवाड़ों ने अपनी बहन बेटी का बेमर्जी से दूसरे राजाओ से विवाह करा के अपने राज्य और अपनी जान को बचाया है तो क्या अब भी बताना पड़ेगा कि बहन बही में कौन किसकी जान और सम्मान की रक्षा कर रहाहै |लीजिये इसी बात पर एक बात और याद आ गयी और वो ये कि रक्षा बंधन जैसे सुरक्षा सूत्र का वर्णन भविष्य पुराण में सबसे पहली बार आया है जब देवासुर संग्राम में इन्द्र की पत्नी शुचि ने पाने पति की युद्ध में रक्षा के लिए ये सूत्र बंधा था तो क्या आप अभी यही समझ रहे है कि बहन भाई की कलाई में राखी बांध कर अपनी रक्षा के लिए दरकार रखती है ? खैर  आपको औरत को दोयम दर्जे रखने की आदत है ! चिल्ला क्यों रहे है क्या आप जैसे भाई होने के कारण ही देश में खुले आम देश में बलात्कार हो रहे है ? क्या आप रावण जैसे भाई है जिसने सिर्फ अपनी जान साम्राज्य इस लिए गवां दिया क्योकि उसकी बहन सुपनखा की नाक काट ली गयी थी | पूरी राम रावण की कहानी का मूल सुपनखा की नाक का काटना और भाई द्वारा अपनी बहन के अपमान का बदला लेना ही तो है | खैर रावण में आप क्यों अच्छाई देखने लगे ये भी कोई भाई हुआ ? भाई का मतलब तो ये की जो लड़की के साथ हर अत्याचार होते हुए देखे और इसी लिए चुप रहे क्योकि बहन के भाग्य में हो दुःख लिखा है तो वो क्या करे ? लड़की को मार जाये तो कोई सच का साथ क्यों दे आखिर कोई वो पहली लड़की तो है नहीं जो मारी गयी | पर आप आज कलाई पर इतनी राखी जरूर बंधवा कर निकालिएगा  जिससे समाज  वाले तो जान ले कि आपके इर्द गिर्द कितनी लड़कियां माफ़ कीजियेगा बहनें है वैसे कोई माने ना माने कितने गरीब दूकान खोल कर राखी बेच कर अपने जीविकोपार्जन कर लेते है और खरीदी चीजो में रिश्ता क्या ढूँढना ? जब राखी ही बाजार की वस्तु हो गयी तो बेचारे भाई भी मजबूर हो गए और बहनो के लिए कुछ भी नहीं कर पाते | क्या आपने बाजार की राखी कलाई में बांधी है ? तब कोई बात नहीं आप चैन की नींद इस देश में सो सकते है क्योकि रिश्ते बाजार में नहीं घर में और दिल में बनते है | क्या मैं रावण बन गया आप जान पाये ?????????

No comments:

Post a Comment