Sunday 6 April 2014

लड़की

लड़की ................

किलकारी न सुनी जिन्होंने ,
बजी ना द्वार शहनाई ,
एकाकी सा जीवन जीकर ,
दुर्गा महिषा सुर पायी ,
क्यों नहीं देवी से हट कर ,
सिर्फ औरत ही वो बन पायी ,
राग रागिनी अंक शायनी,
क्यों समय की हुई भरपाई .
एक चुटकी सिंदूर पाप का ,
आंसू दीवारो में भी पायी ,
लड़की को सुनकर खुश कौन ,
घर में बोझ की परछाई ,
आलोक नही उसके जीवन में ,
लड़की तू कैसी परिभाषा लायी