Tuesday 31 January 2012

din ki hasrat

जिन्दगी मौत के मानिंद छिपी छिपी सी रही ,
दुनिया में जब दिखी भी तो घुंघरू बन कर ,
हर सांस हारती रही खुद जिन्दगी के लिए ,
अँधेरे से हो आई फिर किलकारी  बनकर ,
आलोक क्यों है जुदा सबकी मंजिले फिर ,
जब आये थे हम सभी आदमी ही बन कर ...............बढ़ते अँधेरे में कल सुबह होने का तस्वुवुर लेकर आइये हम पूरब की तरफ एक बार हसरत से देख ले ..........शुभ रात्रि ....

Monday 30 January 2012

maut

क्यों महक रही हो इस कदर मेरी जिन्दगी में तुम ,
चमेली कह दूंगा तो गुनाह होगा मेरे लिए लिए ,
तुम बन कर क्यों रही पाई उस जंगली फूल सी ,
जी भी लेती जी भर कर जानवर के साथ ही सही ,
अब देखो जिसे वो ही तुम्हारे महक का प्यासा है ,
क्या अभी भी डाली से जुड़े रह जाने की आशा है ,
आज तक न जान पाई आदमी की फितरत आलोक ,
उसे हर महक , सुन्दरता को देख होती हताशा है ,
मुझे दर्द है कि तेरी मौत पर कभी कोई न रोयेगा ,
तेरी हर बर्बादी में बस संग एक कांटा भी खोएगा ..........मौत के अंधकार से निकल कर जिन्दगी आपसे कह रही है आप सभी को सूरज कि रौशनी मुबारक ...........सुप्रभात

manav kyo manav ka pyasa hai

श्मशान में खड़ा मै,
रागिनी गा रहा हूँ ,
मौत को सुना कर ,
अभी लोरी आ रहा हूँ ,
जान कर भी बहरे ,
क्यों बने जा रहे हो ,
कोई आदमी तडपता,
नही देख पा रहे हो ,
मेरी मौत की दावत ,
हो तुम्हे ही मुबारक ,
आलोक का जनाजा ,
लिए कहा जा रहे हो ,
देख मुझको जिन्दा,
क्यों मरे जा रहे हो ,
.......................काश मानव शास्त्र में मनुष्य बनाने के तरीके भी पढाये जाते .............

Thursday 26 January 2012

mat ka manthan

वैसे तो हमारे देश में ५८ साल , ६० साल और ६२ साल पर रिटायर होने की परम्परा रही है ..ऐसे में ६३ साल के देश में क्या स्थिति हुई है खाने की जरुरत नही है ...६३ साल के गणतंत्र पर सूखती और मैली हो चुकी नदिया , भूख से कराहते लोग , सिर्फ मत की राजनीती के चलते जनसँख्या पर ढुलमुल रवैया अपनाती  सरकार, बेरोजगारी , गाँव में मुलभुत आवश्यकता का आभाव .......अमीरी गरीबी के बीच की बढती खाई ..यही पाया है ६३ साल के गणतंत्र ने .हो सकता है आपको लगे कि देश बाधा ज्यादा है तो एक बार देखियेगा अपने को टटोल कर आपके घर छोटे हो गए , आप जान सब गए पर खरीदने कि क्षमता घट गई है ..आपके बच्चे कम हो गए पर उनकी हर इच्छा पूरी करना आपके बस में नही रहा .....आपने महंगाई के कारण लोगो के घर आना जाना छोड़ दिया ..आप के घर पकौड़ी हलुवा से ज्यादा चाय नाश्ता होने लगा क्योकि खाना खिलाना आसान नही रहा ..पर आप सब ने हमारी तरह ही गणतंत्र मनाया होगा ...भिखारी ज्यादा बढ़ गए ..धार्मिक से ज्यादा बाजारीकरण के प्रभाव में मंदिर और मस्जिद बनने लगे है ......सड़क हर ३-३ महीने पर बनने लगी है ..पानी और बिजली भावना में ज्यादा है वरना दोनों के आने जाने का पता ही रहता नागरिको को ....पानी इतना दूषित है कि हर व्यक्ति ज्यादा जीने की चाहत में  प्यूरी फायर लगाने को मजबूर है .न्याय पाने से हताश हुआ व्यक्ति अब कोर्ट कचहरी जाना ही नही चाहता और सरकार दिखाने में  जुटी है कि अपराध कम हुआ है .......सरकार के पास किसान , प्राइवेट लोगो के बेहतर जीवन के लिए कोई बेहतर उपाए ही नही है .वो तो पूरा देश सिर्फ अपने करीब ४ करोड़ लोगो के वेतन और जीवन के आधार पर संचालित कर रहा है ..ऐसे भारत में गणतंत्र ६३ साल का रिटायर व्यक्ति ज्यादा हो गया है न कि ६३ साल का चयवन प्राश खाया व्यक्ति जो बस आगे जा रहा है .कैसे मनाया गया ६३ साल का दर्द हसी के साथ उस मार खाती लड़की कि तरह जो ससुराल में पित कर भी अपने माता पिता के सामने मुस्कराती है ताकि उसके अपने  उसका दर्द देख खी दर्द में न रह जाये ऐसा ही बिता मेरा गणतंत्र दिवस .....गाँव में रघ्हू ने आज भी १०००० साल पहले कि तरह ही अपने घर में एक दीपक जलाया .४००० साल पहले कि तरह फूस कि झोपडी में सोया और ५००००० साल पहले कि तरह जो मिला उसे ही खा कर सो गया ......रग्घू कब २०१२ में जी पायेगा क्या कोई बता पाएगा ..चुनाव सामने है यही सवाल अपने नेता से पूछिये और बदल दीजिये तस्वीर अपने मत से इस देश की और ६३ साल पुराने गणतंत्र को तीन रंगों से ऐसा रंग दीजिये की रग्घू को आदमी होने पर तरस न आये और वो भी २६ जनवरी को हल नही तिरंगा लेकर भारत माँ की जय करे यही आरजू लेकर मई अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे विदा ले रहा हूँ कि आप जरुर सोचेंगे कि क्या कुछ गलत लिखा गया आज कि अपील में ...डॉ आलोक चान्टिया

Wednesday 25 January 2012

pain of republic day

आज गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश  को विजली के लट्टुओ से सजा देख कर आ रहा हूँ , ऐसा लग रहा था मनो देश में उजाले का साम्राज्य हो ........लखनऊ का शमशान तक बिजली से जगमगा रहा था ........पर न जाने क्यों आज राजू  मेरा सब्जी वाला जो पिछले १४ सालो से लखनऊ में बिहार के दानापुर से आकर अपने ९ भाई बहनों के जीवन को चला रहा है .उसके खुद के भी तीन बच्चे है .इसी सब्जी को बेच कर उसने अपनी ६ बहनों की शादी की है और एक भाई की भी शादी कर चूका है क्यों की बचपन में ही बाप के मरने से वो अनकहा बाप बन गया .......मैंने उससे कई बार पूछा कि तुम बिहार से क्यों आये ? सरकार से सहायता क्यों नही ली ??????? वो मुस्करा देता है ......भैया आप तो सब जानते है इन नेताओ का पेट पहले भरे फिर हम गरीबो का नंबर आ जायेगा ........वो जनता है कि नितीश कुमार अच्छा कर रहे है पर वो उधार लेने बैंक न जाकर मेरे जानने वाली महिला से ऋण लेता है जो १०० रुपये पर १० रूपया महिना ब्याज लेती है ..मैंने कहा कि यह तो शोषण है पर उसने कहा भैया बैंक में बिहार वाले को पैसा मिलेगा नही क्यों कि न मेरा घर है न पहचान और महिला से तुरंत पैसा मिल जाता है शोषण है पर आराम तो है .खैर राजू को मैंने अब रूपया दे रखा है बिना ब्याज के ...वो रात में १० बजे तक सब्जी बेचता है फिर घर जाकर रोटी बनाता है ......मुझे पता है कि आज कल वो तबियत ख़राब होने के कारण सब्जी नही बेच रहा है ..बस पता नही क्यों गणतंत्र दिवस पर उसके घर जाने का मन हुआ और मोड़ दी अपनी टम टम उसके घर की तरफ .......अँधेरे में आज भी शहर में मुंशी प्रेम चाँद के नायक की तरह अँधेरे में राजू का घर ..सामान के नाम पर सिर्फ एक बिस्तर , और उसका वो ठेला जिस पर उसका जीवन गति पाता है ...उसके घर को देख मैंने कहा यह कैसे रहते हो राजू .इतना कमाते हो और खुद नाले के किनारे बिना बिजली के रहते हो ..........बुखार में भी राजू हसा और बोला भैया आप भी मजाक करते है ..सारा पैसा मै ही खर्च कर लूँगा तो माँ को क्या भेजूंगा और अभी मेरा एक भाई पढ़ रहा है और मेरे बच्चे और बीवी भी तो है ........मुझे तिरंगे में लिपटे बल्ब याद आ रहे थे जिन्हें मैंने करोडो की गिनती  मे आज देखा था  पर राजू को एक बल्ब नसीब नही था ...देश के नेता ने यह देश बनाया या फिर राजू जैसो ने अपने बचपन और जवानी को नीलाम करके अपने परिवार और अपने जीवन को बनाया .......क्या हम कभी समझ पाएंगे कि देश के गणतंत्र कौन है और हमारे सर किनके आगे झुकना चाहिए .......अच्छा राजू चलता हूँ कल देश का गणतंत्र दिवस है तुमेह शुभकामना .वो भी बुखार को भूल कर कहता है ..भैया आप जैसे लोग बने रहे तो हम गरीबो को भी कोई पूछ लेगा ही ......मै जल्दी से निकल कर टम टम से घर भगा ताकि जल्दी से आपको गणतंत्र से पहले  की शाम की शहर की कहानी सुना सकू ताकि आप खुद समझ ले कि गांवो के लिए गणतंत्र का मतलब अभी कितनी दूर है और न जाने वोलोग काले अंग्रेजो से कब आजाद होंगे और उन्हें आधुनिक भारत और जीवन का एहसास होगा .........खैर ऐसे ही भारत का मै भी ऐसा नागरिक हूँ जो अखिल भारतीय अधिकार संगठन के जन्म के पीछे यही सच पाता है कि शायद मै मरने से पहले कुछ पाने भारतीय जानो के ओठो पर हसी दे सकू  और वही मेरे जीवन का सच्चा गणतंत्र होगा ....पर तब तक तिरंगे के लिए मर काटने वालो के नाम देश का गणतंत्र आप सभी के नाम ....मै चला किसी और राजू से मिलने .....डॉ आलोक चान्टिया

Tuesday 24 January 2012

voter day is a blot on Indians

आज राष्ट्रीय मताधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर अखिल भारतीय अधिकार संगठन जो आपसे कहने जा रहा है वो सिर्फ इस लिए नही क्यों कि उसको हर दिन की तरह आपसे मत देने के लिए अपील करनी है या फिर कहानी सुनानी है बल्कि आज वो आपके साथ ऐसा मंथन करना चाहता है जिसके प्रकाश में आपको भी लगेगा कि हम सब भारत वासी ज्यादा है भारतीय अपेक्षाकृत कम ..........सबसे पहली बात यह कि राष्ट्रीय मताधिकार दिवस को मनाने के तथ्य से ही स्पष्ट है कि भारत के लोगो के पास समय की कमी है या फिर वो लगातार एक ही तरह की बात करने में रूचि नही लेते है ......इस लिए अंततः देश में एक दिन निश्चित करना पड़ा ताकि हम बैठ कर मतदान की बात कर सके .......पर हम किसी बात में निरंतरता पसंद क्यों नही करते .क्या हमारा जीवन ज्यादा उलझन भरा है या फिर हम कभी अपने जीवन से ज्यादा दूसरे मामलो में पड़े ही नही जो देश और उसकी अस्मिता से सम्बंधित था ..क्या यही कारण था कि इस देश में शक,हूण, तुर्क , यवन , अँगरेज़ जो आये वो आसानी से भारत में स्म गए और हमने अपनी कमजोरी को धर्म का नाम देकर सहिष्णुता का आवरण पहना कर अपने को सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः ........का उदघोष करके वसुधैकुत्तुम्बुकम के भावार्थ में बदलने में सफल रहे .......लेकिन यह कमजोरी तब तक छिपी रही जब तक देश में आक्रमण होते रहे और पूरा देश सैकड़ो रियासतों में बटा रहा .लेकिन अँगरेज़ अंतिम ऐसे आक्रमणकारी  साबित हुए जिन्होंने देहस को लुटा ही नही बल्कि हामी को हमारी असली तस्वीर दिखा गए और वो तस्वीर थी हमारी पलायन वादी निति जो तब ज्यादा मुखर हुई जब देश आज़ाद हुआ और तमाम रियासतों के सम्मुचय से एक देश कि तस्वीर उभरी जिसको आज भारत के नाम से हम जान रहे है ..पर इन सब ने एक और बात को उभारा वो था हमारा असहिष्णु दृष्टिकोण .......क्योकि अब हम उस भारत में रहने वाले थे जहा के लोग धर्म जाति, उच्च नीच के नाम पर लड़ रहे थे ...जो एक दूसरे को गिराने के लिए रात दिन लगे रहते थे ...और इसी का परिणाम यह रहा कि जैसे जैसे हम गणतंत्र की वर्षगांठ मानते गए हमारे अंतस का द्वेष , का कोढ़ सामने आने लगा .और देश को जातिवाद , क्षेत्रवाद का ऐसा घुन लगने लगा कि हम उस से देश को बचाने के बजाये उसी को जीने का उद्देश्य मान बैठे ........हमने प्रजातान्त्रिक पद्धिति तो अपनाई पर उसमे यह नही निश्चित किया कि कीने मत पाने के बाद ही जन प्रतिनिधि जीता माना जायेगा ..शायद यही वो कमजोर दीवार थी जिसे लोगो ने खपची लगा कर रोके रखा और मतों के प्रतिशत से ज्यादा सबसे ज्यादा मत पाने को प्राथमिकता दी गई .जिसने एक अरब २१ करोड़ की जनसँख्या वाले देश उन्हें जीता माना जो ३०००० मत पा जाते है जब कि उनके क्षत्र में कुल मत ४ लाख है ..पर अगर आप १०० में ३४ नंबर से कम पाइये तो इम्तिहान में फ़ैल मने जायेंगे .....इसी दोहरे मापदंड ने अंततः ऐसी स्थिति कड़ी कर दी कि भारत में आज मताधिकार दिवस मनाना पड़ रहा है .क्या अखिल भारतीय अधिकार संगठन सही नही कह रहा ..............इस तरह के दिवसों को खत्म करने का संकल्प ले और १०० प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करे .........डॉ आलोक चान्टिया

natioanl balika day

आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है पर न तो इस बाबत किसी अख़बार में कोई सूचना छपी और न ही किसी टी वी चैनल पर ही कोई कार्यक्रम दिखाया गया ...क्या इसके बाद कुछ भी कहने की जरूरत है कि देश के लोग और देश कितना संवेदन शील है दुर्गा सरस्वती और लक्ष्मी के लिए ................कोई बात नही आइये हम ही यह सोच कर थोड़ी बात कर ले कि हमारी माँ कभी बालिका थी और हमारी बहन भी बालिका है .........आज भी जब से सूरज निकला है और जब मई लिख रहा हु करीब २०० लडकिया या तो अपहरण कर ली गई होंगी या फिर उन्हें जिस्म के धंधे में उतार दिया गया होगा ............आज एक एन जी ओ चलने वाले भाषण दे रहे थे पर मई खुद जनता हूँ कि उनके विरूद्ध कई प्रकरण निलंबित है कि बच्चे गायब कैसे हुए .ऐसे ही लोग बालिकाओ की चिंता कर रहे है .........एक लड़की का जन्म अब लक्ष्मी का जन्म न होकर सिर्फ गोश्त का पिंड होता है क्योकि कोई भी पुरुष एक लड़की को देख कर न तो लक्ष्मी के भाव ला पा रहा है और न ही दुर्गा के ...बल्कि प्लूटो की प्रजातंत्र की अवधारणा की तरह ही महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिला को इतना बरगला दिया गया है की पुरुषो को भी कहने का मौका मिल गया है कि लडकिया भी कौन ढूध की धूली है ...अरुशी हत्या कांड का उदहारण देकर बताया जा रहा है कि लड़की नौकर के साथ रह क्र माँ बाप की नाक ही तो कटाती है ..........दहेज़ , यौन उत्पीडन , प्रेम , सब कुछ लड़की के लिए रावन से कम नही है जो सीता जैसी लड़की को कब उठा ले जाये पता नही ..शायद इसी लिए लोग लड़की को मारने लगे है .........पर हमें लड़की के माँ का रूप नही भूलना चाहिए  और अपनी माँ की तरह की एक लड़की जरुर समाज को देनी चाहिए ...........कोयले में ही हीरे की उम्मीद की जा सकती है .समाज में लड़की के लिए भी स्थान है ...........और इस हीरे को बचाना हमारा कर्तव्य है ...........आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के बालिका दिवस के कार्यक्रम में शामिल होकर हम भी एक हीरे के जनक बने

Monday 23 January 2012

vote ka maan

दरकती जमी में ,
पौधे की चाहत ,
जिन्दगी की रही ,
एक आँख शायद ,
यह समझ सी गई ,
कुछ ही पल में ,
दर्द देख उसका ,
छलक सी गई ,
आंसू गिर गया ,
उसकी जडो पर ,
पौधा देख बोला ,
खारा ही सही ,
आंख की एक ,
बूंद हिस्से में रही ,
पर पानी तो मिला ,
इस दर्द में कोई ,
अपना तो मिला ,
फूल खिले न खिले ,
पर दिल तो खिला,
जिन्दा रहते में ही ,
एक आंसू तो चला ,
तुम आदमी हो पर ,
मुझ पर क्यों रोये ,
अपनों के लिए तुमने ,
कांटे ही क्यों बोये ,
हसे उनकी बर्बादी पे,
उनके लिए क्यों रहे सोये ,
खारा ही सही उन्हें  भी ,
आँखों में पानी दिखा दो ,
एक बार इस देश को,
जीने का अर्थ सीखा दो ,
अंधेरो से निकाल लो सबको ,
आलोक का भावार्थ बता दो  ............अखिल भारतए अधिकार संगठन ने इस कविता में सिर्फ यही समझाने का प्रयास किया है कि हमको पौधे के सूखने का ख्याल रहता है , दर्द रहता है ..पर जो देश के लोग अशिक्षा , गरीबी, अंधेरो में जी रहे है उनके लिए भी आंख में दर्द होना चाहिए और हमने जिनको देश सौपने का मन बनाया है वो इस तरह के लोग हो जो हमारे जीवन से अँधेरा मिटाए ....इस लिए मतदान करे .अभिमान करे ...मतदान का मान तिरंगे कि शान ....डॉ आलोक चान्टिया
अपना

Sunday 22 January 2012

vote philosophy

आइये आपको कुछ ऐसा सुनाऊ कि आप को भारत का स्पंदन मत के रूप में दिखाई दे ........आज देहस के गड्तंत्र दिवस की अभ्यास परेड उत्तर प्रदेश के लखनऊ में चल रही थी और मुझे अपने कॉलेज बच्चो को पड़ने जाना था रविवार को ......पर अभ्यास के कारण जा नही सका तो विवस होकर परेड ही देखने लगा .और जो था वो क्या बताऊ पर अंत में एक गाड़ी पर श्वान दल लिक्का था उस पर चार पोलिसे वाले चार जर्मन शेफर्ड के साथ बैठे थे .मुझे यह देख कर हसी आ गई कि जब पूरा देश राजनीति में डूबा है तो देश की रक्षा कुत्ते नही करेंगे तो कौन करेगा ........कम से कम हमें मालूम तो है कि आदमी के लिए वफादार सिर्फ कुत्ता हो सकता है और कुत्ता ही हमें विप्पत्ति से बचा सकता है .........तभी दिमाग ने झकझोरा कि बचपन में यह भी सुना था कि अगर चोर के हाथ में तिजोरी कि चाबी दे दी जाये तो चोरी होने का सवाल ही नही ..तो क्या इसी लिए हमारे धन को   स्विस बैंक में रख कर उसकी चाबी नेताओ के पास है पर जिन्होंने हमारे नेताओ को इस चाबी को दिया है वो उस पैसे को खुद कब जनता के लिए निकालेंगे ............क्या यहा भी यही समझ ले कि चोर चोर मौसेरे भाई ......या फिर चिराग तले अँधेरा है .........पर ऐसा क्यों हो रहा है हम जानवर पर ज्यादा विश्वास करने लगे .....जब कि जनता खुद जानवरों की तरह जीने पर मजबूर है ........क्या कारण है हम देश के पैसे को बाहर रखकर देश की गरीबी बढ़ा रहे है .........क्या आपको जागना चाहिए ???????????? पर जागेंगे कैसे जैसे ही हमें चेतना आती है तो शराब बाँट दी जाती है और हम माँ का दूध पीना तो छोड़ देते है एक समय बाद पर शराब के लिए वो समय कभी नही आ पाता.........और हम यह जानने या कहने के बजाये कि देश को किसने बर्बाद किया .....इसी में उलझ जाते है कि उसने घर बर्बाद कर लिया शराब पीकर .......यही दर्शन चलता है .हम घर के बाहर भी कुत्ता पाल लेते है क्योकि आदमी से हम डरने लगे है ......पर यह आदमी कौन है ?????????? अच्छा वही दबा कुचला , गरीब , सभ्यता के पहले पायदान पर खड़ा मनुष्य जिसके पास न बिजला है , न पानी है , न दवा है , फूस की झोपडी है भी और नही भी .......पर उस से हम दर क्यों रहे है .......जिसके पास कुछ नही वो चोर , बदमाश , लुटेरा क्यों दिखाई दे रहा है ????????? और दिखाई किसको दे रहा है ...स्विस के रखवालो को , या कुत्ता पलने वालो को या उनको जो पांच साल पर इन्हें देश की तस्वीर और देश का सच्चा नागरिक कह कर मत मांगते है ..........क्या आदमी देख नही पा रहा है या फिर संतोषम परम सुखं के तर्ज पर चल कर वो १०० रुपये , शराब का पांच साल तक स्वाति नक्षत्र के इंतज़ार में बैठी पपीहा की तरह जीना उसे आ गया है ........क्यों नही जाग रहा वो मनुष्य वो गरीब आदमी जिसके घर कृष्ण ने साग खाया था ....भगवन राम ने शबरी के बेर खाए थे .....ईसा मसीह ने जन्म लिया था ........सुदामा को देख जिस कृष्ण ने अपना राज पट लुटा दिया था .......आज वो गरीब कहा है जो भगवन को हिला गया था पर नेता को न हिला पाया .......अपने पसीने की महक से क्यों नही जता देते कि मत से हम कुछ भी बदल सकते है और इस बार गरीब फिर से मत से नयी कहानी लिखेगा .सुदामभी लोक का स्वामी बनेगा पर यह तभी होगा जब आप अखिल भारतीय अधिकार संगठन की भावना समझ कर मत की एक नयी कहानी लिख देंगे ...लिखेंगे ना........मत डालो बदल डालो अपना देश .....डॉ आलोक चान्टिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन 

Saturday 21 January 2012

mat ki takat

ठण्ड से हारती धूप देख लीजिये ,
हर जुल्मो सितम पर रहम कीजिये ,
आज भी सोया पुल पर एक आदमी,
उसको भी अपना आलोक कह लीजिये  ,
माना कि नेता आप बन गए हमारे ,
फिर भी आदमी होने का वहम कीजिये,
मत देकर कोई हमने गुनाह न किया ,
हमे लूटने पर थोडा तो शर्म कीजिये ,
वक्त बदलते ना लगती देर मालूम है ,
हर लम्हे से अब थोडा डरा कीजिये ,
वो देखिये फिर चला देश का आदमी ,
उसको दिल्ली का तख़्त अब दे दीजिये ,
हारे खड़े खुद अपनी करनी के कारण,
पांच सालो की मस्ती याद कर लीजिये ,
कितना रोया था मै तेरे दरवाजे पर आकर,
उन अश्को से तौबा अब तो कर लीजिये ,..........akhil bhartiye adhikar sangthan ke is muhim me aap bhi apni hissedari sunischit kre

a vote for future

मुझे मालूम है कि भारत वो देश है जहा पर रत्नाकर जैसे डाकू ने बाल्मीकि बन कर रामायण जैसे महा काव्य की रचना कर दी ........यह वही देश है जहा एक लड़की की रक्षा करने के कारण एक सीधा सा किसान अंगुलिमाली डाकू बन गया ..........इस देश में खडग सिंह की भी कहानी प्रसिद्ध है जिसने डाकू को शिक्षा दी थी कि किसी के साथ छल नही करना चाहिए वरना लोग असहाय लोगो पर विश्वास करना छोड़ देंगे .........और सबसे बड़ी बात इस देश कि यह है कि यह पर मरे हुए लोगो के लिए चार कंधे तो मिल जाते है पर जिन्दा आदमी के साथ कन्धा मिला कर चलने वाला चिराग लेकर भी ढूंढने पर भी नही मिलता .यही कारण है कि इस देश में राजनीती कि लाश पर रोने वाले तमाम लोग है पर राजनीती को सवारने कि बात करने पर शमशान सा सन्नाटा फ़ैल जाता है चारो तरफ ..और फिर राजनीती कि लाशो को चार कंधे आसानी से मिल जाते है और निष्क्रिय होने पर भी लाश विधान सभा और संसद पहुच जाती है और हम लाशो से उम्मीद क्र लेते है कि वो हमारे लिए कम करेंगी जब कि हम खुद कहते घूमते है कि मुर्दे बोला नही करते .......फिर भी चार कंधो के सहारे चने वाली लाशो से हम सत्ता के गलियारों में अपने लिए आशा पाल लेते है लेकिन सच तो यह है कि उन्हें मातम का संगीत इतना अच्छा लगने लगता है कि वो देश की जनता को गरीबी , ख़राब स्वास्थ्य, अशिक्षा , में इतना डुबो देते है कि उन्हें चलने  के लिए सही सड़क , पीने के लिए साफ़ पानी , ताजी और स्वस्थ हवा एक सपना लगने लगती है ......नरक क्या है .ये लाशे हमें इसी पृथ्वी पर ही हमें दिखा देते है ....फिर भी हम जिन्दा लोगो के लिए अपने कंधे नही देते ...........नारा देने में हमसे बढ़ कर कौन होगा ....वसुधैव कुतुम्बुकम यानि साडी पृथ्वी को अपना परिवार कहने वाले भारत के दर्शनमे खुद इतना टोटा दिखाई देने लगा है कि वो कभी अपने को हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई में बाँट लेते है तो कभी अपने ही अंदर ब्रह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र, दलित पिछड़ी जाति और न जाने कितने भागो में बंट कर देश को खोखला करने वाली लाशो के साथ पिशाच पैदा करने में मदद करते है जो जनता के  खून ( उनके धन ) से अपने को और शक्तिवान बनाते है .......ऐसे देश में क्या एक बेहतर कल का सपना देखा जा सकता है ???????????? बिलकुल पर एक आम नागरिक को अपनी शक्ति यानि मत को पहचानना होगा ........तभी मत तंत्र से मत मन्त्र की शक्ति से जनता इन लाशो और पिशाचो से मुक्त होकर ऋषियों( ईमानदार, चरित्रवान , सच्चे ) को हम विधान सभा संसद में भेज कर इस देश को अंधकार से बचा पाएंगे पर इन सब के लिए आपको अखिल भारतीय अधिकार संगठन की मुहीम में जुड़ कर लोगो को मत देने के लिए जगाना होगा औत अखिल भारतीय अधिकार संगठन देश में चार जिन्दा कंधो को आपके साथ जोड़ने में हर संभव कोशिश करेगा ..तो चलिए जागते है भारत को मत के लिए ......मत आपका देश आपका .............डॉ आलोक चान्टिया

Friday 20 January 2012

voter awakening

माना की वो मुझको गोली मार देंगे लेकिन ,
उन शब्दों का क्या जो बारूद बन गए है ,
वक्त अब भी है संभल जाओ देश के गद्दारों ,
वरना तुम्हारे सोने के भी ताबूत बन गए है ..........अखिल भारतीय  अधिकार संगठन  का सुप्रभात .....इस आशा के साथ कि अपने मतों से हम भारत कि तस्वीर बदल देंगे ........

politics and voter

आज राजनीति का नंगा नाच देखने का मौका मिला ........जी न्यूज़ चैनल ने उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव से पहले आज लखनऊ में सुनो और चुनो कार्यक्रम के अंतर्गत शहर  के कुछ तथा कथित सम्मानित नागरिको को आमंत्रित किया ...........मै भी इस नंगे  नाच में तथाकथित सभ्रांत नागरिक की हैसियत से शामिल हुआ .....प्रजातंत्र ?????????????? के मसीहा बन कर कांग्रेस के श्री जगदम्बिका पाल जी , बी जे पी के श्री कल राज मिश्रा  और समाज वादी पार्टी के श्री राजेंद्र चौधरी मंच पर थे ..........अब देखिये कि किसने क्या कहा??????
कल राज जी ---- जनता ही हम को जिताती है इस में हम क्या करे .........सच कह रहे है कल राज जी पर जनता जानती है कि  रहिमन वे नर मर गए जे कहु मांगे जाये ....उन्सेपहले वे मुए जिन मुख निकसत नाए..यानि जब आप मांगे ते है तो हम खुद न मर जाये इस लिए मत दे देते है .पर आप कभी जिन्दा नही रहते हमारे दिलो में ........
जगदम्बिका पल जी --- प्रदेश में किसानो के लिए दूसरी पार्टियो ने कुछ नही किया अगर हम आयेंगे तो किसानो काओ सब देंगे ............जो कांग्रेस केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह रह कर भी किसानो की आत्महत्या नही रोक सकी वो उत्तर प्रदेश में क्या करेगी .....जनता जानती है
राजेंद्र चौधरी ----अगर समाज वादी पार्टी आई तो सब जुवो को लैप टॉप दिया जायेगा .....उत्तर प्रदेश में जनता को लाइट तो दे नही पाए  तो लैप टॉप क्या मोमबत्ती से चलायें जायेंगे ?????????????  इतने गंदे उत्तर सुन कर मेरा मन ही नही हुआ कि राजनीति के कीचड़ के कमल की तरह अपने को बताने वाले इन नेताओ से मै कुछ पुछू ????????? उनके पास युवाओ की शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास के लिए कोई ब्लू प्रिंट नही था .......वो यह भी नही बता पाए कि देश अगर उन्नति कर रहा है तो फिर जनजातियो की संख्या बढ़ क्यों रही है ??????? धन्यकुट जैसे समूह आज तक क्यों अपनी पहचान को तरस रहे है .......मुस्लिम के तो जाति उपजाति होती ही नही फिर उनमे नेताओ ने पिछड़ी जाति अवधारणा कब पैदा कर ली ......हा मुस्लिम में ग़रीब  मुस्लिम कहते तो समझ में आता है ....सबसे बड़ी बात मुस्लिम भी अपने को जातियो में वर्गीकृत करने पर विरोध नही कर रहे है ......क्या आज का यह कार्यक्रम नेता की असलियत को दिखाना मात्र था ..तो आपने देखा क्या ??????????यही न कि पहले तो मत का प्रयोग जरुर करे और मत के लिए उपयुक्त उम्मीदवार को चुने .अखिल भारतीय अधिकार संगठन सिर्फ आपको इस राष्ट्र का  नंगा सच दिखा सकता है ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे कह सकता है  कि जैसे आप कोढ़ी के हाथो से मंदिर में चढाने के लिए फूल नही मंगाते ...उसी तरह उन हाथो को क्यों मजबूत कर रहे है जिन्हें आपके परिवार और आपके बच्चो के विकास से कोई लेना देना ही नही है .मै जान गया कि एक बात तो सच्चाई के साथ इस देश में पल रही है कि नेता जानते है कि जाति , धर्म और पार्टी के अलावा जनता जाएगी कहा .अब जनता सोचे कि क्या करना है .मै तो केल्विन कॉलेज से जी टीवी के नेताओ के नंगे नाच के आयोजन से वापस चल दिया....जागो भारत जागो डॉ आलोक चान्टिया 

Thursday 19 January 2012

voting as wastage of time

मुझे लोग यह कहते मिल जाते है कि आलोक यह भारत है .क्यों खपा रहे हो अपना दिमाग इन्हें जगाने में .....अगर इन्हें पता होता कि प्रजातंत्र का मतलब क्या है तो क्या इन्होने मत देने का रिकॉर्ड न बना डाला होता !!!!!!!!! और फिर यह तुमसे कम बुद्धिमान भी नही है क्यों कि तुम जब इन्हें मत देने के लिए प्रेरित करते हो तब यह किसी नेता के यहा खड़े होकर अपने लिए भविष्य का आंकड़ा बनाते है .........यह जागते हुए सोने वाले लोग है ....पर मुझे अपने लिए इस तरह के व्यंग से कोई फर्क नही पड़ता मई उनसे पूछता हूँ  ..क्या गाँधी , नेहरु , सुभाष चन्द्र बोस, लक्ष्मी बाई , भगत सिंह , सुखदेव , राज गुरु ,तिलक के प्रयास से स्वतंत्रता मिली ???????????? अंग्रेजो ने ज्यादातर आन्दोलन कुचल दिए गए ..और हम असफल ही रहे ..पर आन्दोलन के लिए किये गए प्रयास पूरी तरह बर्बाद हो गए हो ऐसा भी नही है ......अंग्रेज जानते थे कि वो आन्दोलन पर उतरे भारतीयों को अपनी उपस्थिति को समझा नही पाएंगे ...और इसी लिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई और उनके लिए यह संभव ही नही रह गया कि वो उपनिवेश वाले देशो पर अपना कब्ज़ा रख सके ...चर्चिल के शब्दों के अनुसार .........मेरे पास देने के लिए आंसू के सिवा कुछ नही है ....इन शब्दों में यह संकेत था कि ब्रिटेन युद्ध से टूट चुका है .इसी लिए अगले प्रधान मंत्री एटली ने यह निश्चित किया कि भारत सहित उपनिवेश देशो को स्वतंत्र कर दिया जाना चाहिए ........इसी लिए भारत स्वतंत्र हुआ पर जिन्होंने स्वंत्रता के लिए लड़ाई की थी .सेहरा उनके सर पर बंधा ...यानि असफल होने के बाद भी किये   गए प्रयासों के कारण भारत के नेताओ को स्वतंत्र देश का अग्रदूत माना गया .तो फिर हम देश में मत डालने के लिए प्रेरित क्यों न करू?????? भले ही मुझे उस स्तर पर सफलता न मिले पर मुझे यह खुशी है कि भारत को वास्तविक स्वतंत्रता का अर्थ समझाने के लिए अखिल भारतीय अधिकार संगठन अपना अथक प्रयास कर रहा है ....अगर सब कुछ भाग्य पर ही छोड़ दिया जायेगा तो भारत में लोगो के लिए घर कम पर धार्मिक स्थल ज्यादा बन जायेंगे .........जो ठीक नही है इसी लिए  अखिल भारतीय अधिकार संगठन चेता जागरण में जुटा है और आपसे भी अपेक्षा करता है कि भारत में १०० प्रतिशत मत को सुनिश्चित कराइए....डॉ आलोक चान्टिया

Wednesday 18 January 2012

cause of malnutrition

मनुष्य को अपने शुक्राणु और अंडाणु का प्रबंधन करना होगा ..............मानव जाति ने अपने आनुवंशिक पदार्थो का प्रयोग प्राकृतिक संसाधनों के रूप में पाए जाने वाले पदर्थो में सब से ज्यादा अनियंत्रित रूप से किया है .......बंजर होती जमीन , कटते जंगल , दूषित होती नदिया , दूषित वायु  के पीछे यही कारण प्रमुख है कि हमने अपने जन्म को धर्म से कुछ इस तरह बांध दिया कि जन्म ने पृथ्वी को स्वर्ग से ज्यादा नरक बना दिया और ये कुपोषित बच्चे उसी हमारे नरक में सजा पाने वाले मनुष्य होकर रह गए है ..............जन्म लेना नैसर्गिक है पर कुपोषण की हालत देखते हुए कृत्रिम होना चाहिए ...इसके प्रबंधन पर सबसे ज्यादा धयान दिया जाना चाहिए ........शुक्राणु प्रबंधन पर चर्चा होनी चाहिए ताकि लोग जन सके कि उनके एक कार्य से एक बच्चा दुनिया में आकर किस कदर भूखा मरता है ...और जिस दिन हम इस मुद्दे पर गंभीर हो गए पूरी दुनिया को कुपोषण मुक्त किया जा सकता है .............भारत जैसे देश में जन्म पर रोक चुनाव और मत के बीच फसी है ...तो मुस्लिम देशो में जन्म के पीछे सबसे बड़ा कारण युद्ध है ............विकशित देश ने इसको समझा और भौतिकता के अधर पर जन्म को महत्व दिया .अखिल भारतीय अधिकार संगठन इस मुद्दे पर चर्चा करके जन्म को बेवजह बढ़ने को राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र हानि के रूप में रख कर कुपोषण की समस्या ख़त्म करना चाहता है क्योकि अखिल भारतीय अधिकार संगठन को पता है कि कुपोषण के पीछे अनाज की कमी नही जन्म प्रबंधन में कमी है ....डॉ आलोक चान्टिया

Tuesday 17 January 2012

vote is development

बचपन में एक कहानी सुनी थी कि एक बार कछुआ और खरगोश में शर्त लगी  कौन सबसे तेज दौड़ सकता है ???????? यह सोच कर वो दौड़ लगाने लगे ..कुछ ही देर में खरगोश दौड़ में आगे निकल गया ....कछुए का खी पता नही था ....खरगोश ने जब देखा  कि कछुआ का कही पता नही है और गर्मी तेज है टी उसने सोचा कि क्यों ना मै थोड़ी देर आराम कर लू और यह सोच कर वो एक पेड़ की छाव में लेट गया और ठंडी हवा में उसे नींद आ गई .इधर कछुआ धीरे धीरे चलता रहा और वह पहुच गया जहा  तक दौड़ना था .......जब खरगोश की आँख में खुली तो देर हो चुकी थी तेज दौड़ने की क्षमता होने के बाद भी खरगोश जीत गया और कछुआ धीरे चलने के बाद भी निरंतर काम करने के कारण जीत गया ........आप सोचेंगे कि इस कहानी का मत और चुनाव से क्या काम ????????? है बिलकुल है ......मतदाता को हमेशा लगता है कि कछुए की तरह उनके जीवन में हारना ही लिखा है और नेता खरगोश की तरह हमेशा अपने जीतने के गुमान में ही रहता है ....इस लिए जनता कछुए की तरह इस बार चुनाव में सारी व्यवस्था ही बदल सकते है बस उन्हें निरतर प्रयास करना होगा .उनको अपने नगण्य से लगने वाले एक मत को लेकर धीरे उस और चलना होगा जहा उनकी मन पसंद जीत इंतज़ार कर रही है ........अखिल भारतीय अधकार संगठन आपको यह कहानी इस लिए सुना रहा है क्यों कि अन्ना कि बात करके भारत को भ्रष्ट मुक्त देश बनाने का सपना तो हम सब ने देखा और जिस से भी पूछो वह अन्ना के साथ ही दिखाई देता है पर जब मत मांगो तब कोई पार्टी के कारण , कोई नातेदार , रिश्तेदार के कारण आपको मत नही डाल सकता ........तो फिर अन्ना के साथ समय क्यों बर्बाद किया आप सब ने ????????क्या आप अन्ना को एक खोखले आदमी की तरह प्रस्तुत करना चाहते है ????????? क्यों अन्ना भी खामोश है .......क्या उन्हें इमानदार लोगो का समर्थन नही करना चाहिए ?????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे आग्रह करताहै कि अपने घर से इस लिए निकालिए और कछुए से खुद को बेहतर साबित करके अपने अधिकारों की जीत को आगामी चुनाव में सुनिश्चित कीजिये >>>>>>>>>>>करेंगे ना !!!!!!!!! डॉ आलोक चान्टिया

Monday 16 January 2012

??????????????????????????????

विकास का भारत .......राजनीति के आईने में


सड़क के किनारे ,
भारत माँ चिथड़ो में लिपटी ,
इक्कीसवी सदी में जा रहे देश को दे रही चुनौती ,
खाने को न रोटी ,
पहनने को न धोती ,
है तो उसके हाथ में कटोरा वही ,
जिससे झलकती है प्रगति की पोथी सभी ,
किन्तु
हर वर्ष होता है ब्योरो का विकास ,
हमने इतनो को बांटी रोटी ,
और कितनो को आवास ,
लेकिन
आज भी है उसे अपने कटोरे से आस ,
जो शाम को जुटाएगा ,
एक रोटी ,
और तन को चिथड़ी धोती ,
पर ,
लाल किले से आयगी यही एक आवाज़ ,
हमने इस वर्ष किया चहुमुखी विकास
हमने इस वर्ष किया चहुमुखी विकास

vote is an end point of progress

आज जब मै फेस बुक को खोल देख रहा था तो मुझे यह देश कर आश्चर्य हुआ कि एक लड़की के सर नमस्कार करने पर २०४ लोगो ने उसके कहने को पसंद किया था .......४ लोगो ने शेयर किया था और ८२ लोगो ने कमेन्ट लिखा था ...पर मै जब पुरुषो के अकाउंट को देखा तो मुझे आश्चर्य हुआ कि मुश्किल से ४-५ लोगो ने कमेन्ट लिखा था जबकि सब ने काफी गंभीर बाते कि थी ........यह भी गौर करने वाली बात थी कि नमस्कार करने वाली संभ्रांत महिला को पसंद , कमेन्ट लिखने वाले ९० प्रतिशत लोग पुरुष थे ...........जब यह बत सच है तो चुनाव में ज्यादा टिकेट क्यों नही महिला को दिया जाता है ..और अगर महिला का इतना प्रभाव है तो क्यों नही महिला से ही प्रचार कराया जाता है ...............जब माहिला का ओज इतना है तो चलिए मत डालने के लिए प्रेरित करने के कर्म में मै आज आपको फिर एक कहानी सुनाता हूँ ...........रोम के एक गाँव में एक बूढी महिला रहती थी .उसके पुत्र और बहू की मृत्यु हो चुकी थी पर उसका पोता रोम में नौकरी करता था .....एक बार दादी बीमार पद गई और वो अपने पोते को देखना चाहती थी ...उन्होंने कई लोगो से कहलवाया पर पोता इतना व्यस्त था कि वो छह कर भी नही आ पा रहा था .दादी को लगा कि वह बिना पोते को देखे ही मर जाएँगी .और गाँव से १०० मील कि दूरी पर रोम था .इसी लिए बुढ़ापे में इतनी दूर का सफ़र दादी के लिए आसान नही था ...पर वह कहला कहला कर थक चुकी थी ...एक दिन उसने निश्चित किया कि वो खुद रोम जाकर मिलेगी .और बस दादी चल पड़ी रोम के लिए ...जब वो अपने पोते के पास पहुची तो पोते के तोते उड़ गए कि दादी इतनी दूर पैदल चल कर इतनी उम्र में आई है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! उसने आश्चर्य से पूछा दादी आखिर तुम इतनी दूर इतनी उम्र में चल कैसे पाई......दादी हसी .बोली सही कहते हो बेटा १०० मील ८० साल में चलना आसान ही नही था और मै तो मर ही जाती पर मैंने  यह सोचा कि मै यह सोचू ही क्यू कि मुझे इतनी दूर जाना है ..बस मै एक कदम चलती और सोचती कि मै एक कदम चल कर आई हु और अभी बस एक कदम ही चलना है ..बस मेरे ध्यान में सरे रस्ते एक कदम का सवाल रहा और मै जान ही नही पाई कि कब तुम्हरे पास पहुच गई ......इस कहानी में महिला फिर जता गई कि वो बेहतर सोचती है ..इसी लिए महिला की इस कहानी को चुनाव में उतर कर देखिये और आप जान जायेंगे कि आपको हजारो लाखो नही सिर्फ एक मत देना है और एक मत लाना है बस खुद वो लाख हो जायेंगे .......तो फिर अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस प्रयास का एक हिस्सा बन कर आप भी गाँव तक , रोम तक झा चाहे पहुच जाये झा आपको पहुचना आज असंभव लगता हो ..क्या अखिल भारतीय अधिकार संगठन का महिला का उदहारण इस चुनाव में मत की संख्या बढ़ने के लिए प्रासंगिक नही है ?????????अगर है तो ८० साल की महिला से प्रेरणा लेकर अपने एक मत से देश को बदल डालिए .......आइये हम भी घर से एक कदम निकाले..........डॉ आलोक चान्टिया

Sunday 15 January 2012

vote is your pleasure

यह शोधो से प्रमाणित हो चुका है कि एक व्यक्ति की दृष्टि सही तरह से एक समय में ज्यादा से ज्यादा चार लोगो का अवलोकन कर सकता है .यानि उसके बाद उसकी सीमा समाप्त हो जाती है ..यही कारण है कि हम आंखे बन कर मीडिया हमारे साथ है जो तकनिकी भगवन बन कर दुनिया के लोगो को एक साथ एक ही समय में सरे समाज की कहानी सुना डालता है ......अब यह सोचने वाली बात है कि जब तकनीकी बागवान के अलवा सच जानने का हमारे पास कोई और बेहतर विकल्प नही है तो जो मीडिया कह देगा वही ज्यादातर दुनिया सच मान लेती है .....और यही कारण है कि कार्य पालिका , न्याय पालिका और विधायिका जैसे तीन स्तंभों को भी दिशा देने और उन्हें उनके दायित्वों का बोध करने के लिए मीडिया चौथे स्तम्भ के रूप में कुछ इस तरह उभरा कि उसी स्तम्भ के सहारे देश के ज्यादा तर लोग दुनिया को देखने के लिए कमरों में कैद हो गए .....लेकिन मीडिया ने एक व्यवहारिक मीडिया की तरह ज्यादातर समय सर्कार को आइना दिखाने के लिए संजय की भूमिका को निभाने की कोशिश की जिसकी जरूरत अब ज्यादा है जब देश में चुनाव हो रहे है ................सरकार धर्तराष्ट्र  की तरह जीने वाली है और उसको इस बात से ज्यादा प्रेम है की कौरव रूपी विशाल जनसँख्या कैसे उसकी होकर रह जाये .पर संजय के रूप मीडिया का योगदान इतना गंभीर हो जाता है  कि वो चाहे तो दुनिया को असली युद्ध की कहानी दिखा सकता है ...........सिर्फ और सिर्फ मीडिया के ही कारण अन्ना का आन्दोलन जनता का आन्दोलन बन गया ...अरुशी हत्या का मामला दब नही सका , ...राष्ट्र मंडल खेलो में हुई धांधली ...........२ जी स्पेक्ट्रुम का काला चेहरा ............सब कुछ जनता इसी लिए जान सकी क्योकि मीडिया ने अपना चतुर्भुज रूप दिखाया ............पर आज सब से ज्यादा जरुरी यह हो गया है कि मीडिया का प्रत्येक अंग जनता को इस बात के लिए प्रेरित करे कि मत का मतलब क्या है ??????????जैसे धन का सम्बन्ध मंदी से है वैसे ही मत का सम्बन्ध देश के वास्तविक विकास से है ..और वो तभी हो सकता है जब एक भारतीय यह सोच कर घर से निकल पड़े कि मेरे मत से ही तो इस देश का निर्माण हो रहा है .....क्या हम मीडिया को इस रूप में नही ला सकते ???????????? अगर हा तो अन्ना के आन्दोलन की तरह ही इस मुहीम को भी ऐसा रंग चढ़ा दीजिये कि भारत का रहने वाले यह सोच कर ही घर से ही निकल पड़े कि जब वोट डाला ही नही तो भी मेरा इस देश में रहने और इस देश से कुछ उम्मीद करने का कोई हक़ ही नही है .............क्या अखिल भारितिये अधिकार संगठन का यह प्रयास आपको उचित लगता है !!!!!!!!!!!!!!! तो फिर अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ मिलकर इस बार मतक्रांति के नायक बनिए और देश की दिशा बदल दीजिये सिर्फ अपने एक वोट से जो पके अंदर या तो सड़ रहा है या फिर कुछ ऐसे लोग ठग ले जाते है जिन्हें आपके कस्तूरी रूपी मत की अहमियत पता है ...तो क्यों न आप इस बार आप उसे ऐसे लोगो को दे जो आपके मत से देश को सही विकास की दिशा दे सकते है .............आप करेंगे ना ......डॉ आलोक चान्टिया

Saturday 14 January 2012

vote is ............................


आज जैसे देश यह नही समझ पा रहा कि आज मकर संक्रांति है या कल और कही आज छुट्टी है और कही कल .यह वैसे ही है जैसे देश के लोग चुनाव के समय यह नही समझ पाते कि वोट किसे दे और किसे न दे .और इसका सबसे आसान तरीका उन्हें लगता है की वोट डालने ही ना जाओ ...पर आप डाले ना डाले अपना मत ...कोई ना कोई तो विधायक बन ही जायेगा क्योकि आपने आज तक अपने अधिकारों को जानने की कोशिश ही नही की और ना ही कभी पीठासीन अधिकारी से क...हा कि मुझे नियम १७ में रजिस्टर दो ताकि मै लिख सकू की मुझे कोई पसंद नही ......पर आप ऐसा नही करते और कुल मतों का सिर्फ १० या ११ प्रतिशित वोट पाकर विधायक बन जाता है ..अब जब वो इतने कम वोट पाकर विधायक या जन प्रतिनिधि बनता है तो बस इतने ही प्रतिशित काम भी वो ५ साल करता है ....तो इसमें आपको क्या परेशानी है .....उसने तो अपने पाने वाले मतों के अनुपात में ही काम कराया है ...यानि वो ईमानदार है और पारदर्शी भी है ...क्यों ???????????? असली भ्रष्टाचार फ़ैलाने वाले तो हम जनता है ...जिन्होंने ना मत डाला और ना कभी इसके लिए जागरूक हुए ................जब १० प्रतिशित लोगो के लिए जन प्रतिनिधि काम कराएगा तो ८९ प्रतिशित पैसा वो क्या करेगा ...खा लेगा .....और ऐसा उसने इस लिए किया क्यों कि ८९ प्रतिशित लोग उसके विपक्ष में है ...अगर ८९ प्रतिशित लोगो से वो समर्थित होते तो वह ८९ प्रतिशत काम करता तो देश को बर्बाद करने में किस का योग दान है ...अगर आप को मेरी बात बुरी लग रही है तो निकालिए घर से और डालिए अपने मतों को .......यह तो आप पर है कि आप पाने वोट किसे दे पर वोट का अनुपात बढ़ने से जितने वाले के चेहरे बदल सकते है यानि हो सकता है इस बार आपके घर से निकलने के कारण वो ईमानदार व्यक्ति पहली बार जीत जाये जो सिर्फ इस लिए आज तक हरता रहा क्यों कि भ्रष्टाचार के नाम पर अपने को सच्चा समझने वाले वोट डालने निकले ही नही और जो अपने हितो को पूरा होते देख रहे थे उन्होंने अपने लिए अपनों को मत दे डाला ...लेकिन इस बार उस ईमानदार उम्मीदवार के चेहरे पर भी ख़ुशी आ सकती है जिसने सिर्फ आपकी निरस्त के कारण हार का दंश झेला है ....अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए दो ही स्थिति में व्यक्ति सामने आता है ......एक जब वो खुद का लाभ चाहता है ...और दूसरा जब वो समाज का लाभ चाहता है और इसके लिए सबसे सही उपाए चुनाव लड़ना है ......आप इतने बुद्धिमान है क्योकि जब आप हर चुनाव में गलत व्यक्तिओ की पहचान करके वोट डालने नही जाते तो आप को इमानदार की भी पहचान है ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन यह भलीभांति जानता है कि इस बार आप अपना मत ही नही डालेंगे बल्कि एक ईमानदार उम्मीदवार को भी जिताने की कोशिश करेंगे डॉ आलोक चंत्तिया

Friday 13 January 2012

vote is your future

आज पता नही क्यों उस देश में लिखने का मन नही हो रहा है .जहा सब कुछ भगवन भरोसे चलता हो ..उसके लिए क्या कहू........ रूस के प्रधानमंत्री पुतिन ने कहा था कि मुझे यह तो नही पता कि भगवन है या नही पर इतना जरुर है कि भारत में सब कैसे चल रहा है .........जब इस पर विचार किया जाये तो लगेगा कि भगवान होता है ..आज ऐसा क्या है कि हम हर सही बात करने वाले को समय की बर्बादी करने वाले की तरह देखते है .और हर गलत काम करने वाले को इस देश में निर्माता के रूप में देखा जाता है .....हम रावन को गलत कहकर प्रस्तुत करते है ........कंस को राक्षस कह कर मुह सिकोड़ते है .........पर क़त्ल , घोटाला , भ्रष्टाचार  करने वाले को हम आधुनिक भारत में जन प्रतनिधि  के रूप में देखते है ..हम खुद को भूखा नंगा समझ कर लोगो के आगे बिकते रहते है ......और लोग हमें मैगी की तरह खरीद कर संसद, विधान सभा में पहुच जाते है ...ऐसा क्या है उनके पास कि वो इसी देश में धन कुबेर बन कर मत करीदने वाले बन जाते है .और हम ६० साल से गुलाम की मत बेचने वाले दुकानदार बन जाते है .........जब मौका आया तो भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने वाले चुनाव के समय खामोश हो गए .और न जाने मौन रह कर किसके लिए चुनाव होता देखने लगे ......राम के देश में विभीषण हम क्यों नही खोज पाए यह भी सोचना पड़ेगा ....माता पिता जिस देश में वृद्ध आश्रम में रहने लगे ...लडकियों से बलत्कार करने वाले , दहेज़ के लिए जलाने वाले जानते है कि अंधेर नगरी चौपट रजा का क्या फायेदा है .उस देश में चुनाव में बदलाव लेन में हमारे पसीने छूट रहे है ....क्या हम देश की राजनीति की धुरी नही बन सकते .एक वोट का दर्शन नही समझ सकते .अपनी बहन , माँ के दर्द को समझ लीजिये सडको पर बीएस आप खुद देश सुधारने में जुट जायेंगे ..पर इस के लिए आपको पूरा दिन देना होगा ...अपना मत देने के लिए इंतज़ार करना होगा .क्या अखिल भारतीय अधिकार संगठन की अपील को आप दिल से सुन रहे है ...तो फिर अखिल भारतीय अधिकार संगठन की तरह पूरे दिन में एक बार जरुर मत के लिए लोगो को प्रेरित करे ..और मत को प्रजातंत्र का वरदान ही नही ....ब्रह्मस्त्र बना दे ...ताकि इस बार कोई ईमानदार सच्चा उम्मीदवार अपने पद चिन्ह विधान सभा में बना सके .क्या आप खुद सच का साथ नही देंगे .आप भी तो सच्चे और ईमानदार है ???????????पर ये आप को खुद से जानना होगा ..अकेले में ....अपने लिए ......अपनों के लिए ....डॉ आलोक चान्टिया 

Thursday 12 January 2012

VOTE AND VIVEKANAND'S BIRTH DAY

आज देश में युवा के प्रतीक स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन युवा दिवस के रूप में मनाया गया .............पर अगर युवा को उलट दिया जाये तो वो वायु बन जाता है .यानि वायु को संभालना कितना मुश्किल है  यह सभी जानते है और सभी यह भी जानते है कि बिना वायु के जीवन की कल्पना भी बेकार है ...तो मतलब यही हुआ ना कि बिना वायु और इसके उलटे अर्थ युवा के देश और समाज की कल्पना ही नही की जा सकती ...पर क्या भारत का युवा अपनी शक्ति को पहचान पा रहा है .उसे तो बस गुमराह किया जा रहा है .कही वो परिवार से दुखी है तो कही बाहर की दुनिया एक युवा की शक्ति को मार काट , आतंकवाद , आन्दोलन में बर्बाद करा रहा है ........युवा भी भूमंडली करण के दौर में  सारी सुख सुविधाओ का इतना लोभ हो गया है कि वो भी जल्दी से जल्दी खूब पैसा कमाने की होड़ में लग गया है ..जिसके करण वो विवेकानंद की तरह गरीबी में भी विद्द्या नही चाहता वो तो पास पैसा चाहता है .उसके पास यह कहानी सुनने की फुर्सत ही नही है ....जिस नरेन्द्र के जन्मदिन को वो युवा दिवस कहकर मना रहे है .उसे अपने घर की गरीबी को मिटने के लिए एक अदद नौकरी की जब सबसे ज्यादा जरूरत थी .और वो राम कृष्ण परमहंस से मिला तो नौकरी के बजाये ज्ञान माँगा .जबकि  परम हंस ने उन्हें तीन बार मौका दिया कि वो नौकरी मांग ले पर नरेंद्र ने ज्ञान ही माँगा और इसी लिए वह विवेकानंद बन गए ...अब अगर हमें विवेकानंद के रास्ते पर चलना ही नही तो  किसी के मरने पर मनाई गई तेरहवी की तरह हम उनका जन्मदिन क्यों मना रहे है ???????? क्या हम में ताकत है कि हम नौकरी के बजाये ज्ञान मांगे बल्कि हम कहते है कि ज्ञान का क्या फाएदा.यह घर में रोटी तो दे नही सकते ..विवेकानंद का जन्म दिन वो लोग मना कर युवा को गुमराह कर रहे है जो २४ घंटे में शायद ३० घंटे ?????? पैसा के लिए जीते है .मैंने आज यही देखा ........अगर आप पाने को युवा मानते है तो इस समय देश को ज्ञान की जरूरत है .और वो ज्ञान है मत देने का .आप देश को जगा सकते है आप आधुनिक भारत के विवेकानंद बन सकते है .....और खुद लोगो से कह सकते है कि उठो और बदल डालो इस भारत की तस्वीर अपने मतों से ......अपने को और अपने मत को सबसे महतवपूर्ण समझो .और राष्ट्र को विवेकानंद से भर डालो ..शिकागो वाले विवेकानंद बन कर हर गली मोहल्ले में खड़े होकर इन्हें इतना जाग्रत करो कि इन्हें मैथली शरण गुप्त की कविता याद आ जाये .नर हो ना निराश करो मनन को ...कुछ काम करो ...कुछ काम करो ...जग में रह कर ..कुछ नाम करो .....क्या आप अखिल भारितिये अधिकार संगठन के विवेकानंद बन कर इस राष्ट्र को दिशा दे पाएंगे ...क्या हम सिर्फ कमरे में ही विवेकानंद के जन्मदिन को  बेच कर अपने जीवन को चलते रहेंगे या फिर हर तरह के अभावो में जीने वाले विवेकानंद की तरह  आप भी पूरे विश्व को सन्देश देना चाहते है .....तो आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन की आवाज़ बन कर लोगो में विवेकानंद की आत्मा को जगाने का प्रयास कीजिये ताकि हम भारतीय अपने मतो का प्रयोग  जरुर करे और संसद , विधान सभा में विवेका नन्द  की छाया जन प्रतिनिधियों के रूप में दिखाई दे .पर यह होगा तभी जब आप जाति , पार्टी से ऊपर एक ईमानदार उम्मीदवार को भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अपने मत को देने के लिए अपने घर से निकालेंगे ...निकालेंगे ना ?????????????????? यही सच्चा अर्थ होगा विवेका नन्द के युवा दिवस का ..>>>>>>>>>>>>>>>>>> डॉ आलोक चान्टिया

Wednesday 11 January 2012

vote not for note

आज ऐसा लगता है कि हमने देश से अँगरेज़ के बाहर जाने को ही स्वतंत्रता समझ लिया .तभी तो अब तक हम में से ज्यादा तर लोग ये नही जानते कि स्वतंत्रता का मतलब क्या है ????????? भारत देश भी निराला देश है क्यों कि यह पर जेल में बंद अपराधी को मत देने का अधिकार चुनाव में नही है पर जेल में बंद व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है .क्या ये किसी आश्चर्य से कम है .........हम किसी वैश्या के साथ अपना नाम नही जोड़ना चाहते ..किसी कोढ़ी के साथ खाना नही खाना चाहते ...किसी एच आई वी संक्रमित व्यक्ति से शादी नही करना नही चाहते ......पर अपने देश कि बागडोर एक गलत और अपराधी व्यक्ति के हाथ में अपने ही मतों का प्रयोग करके देना चाहते है .........अगर आप किसी अपराधी को पाने घर पर रख ले तो आप भी अपराधी ही माने जायेंगे .अगर वो अपराधी खून करने का अपराधी है तो आप भी उसे छिपाने या शरण देने के कारण खून के अपराधी ही कहलायेंगे पर एक अपराधी को अगर कोई पार्टी पनाह देकर उसे चुनाव लड़ने का टिकट दे रही है .एक अपराधी को खुले आम अपने पार्टी का सदस्य  बताती है तो भी पार्टी को देश के कानून में कोई सजा नही है ..........देश कि संसद में फूलन देवी बैठ सकती है पर एक इमानदार औरत को बैठने में आपको संकोच होता है क्यों कि फूलन देवी जी का मूल्य ज्यादा है ...........कुशवाहा को सिर्ग इस लिए लिया जायेगा क्यों कि देश आज तक जाति की राजनीति में जकड़ा है ........यह नैतिक मूल्यों से ज्यादा ये देखा जाता है किस तरह सीट मिलेगी .राजनीति देश की सेवा से ज्यादा एक नौकरी बन कर रह गई है ............पर देश की राजनीति ये कहती है कि हम कुछ गलत नही कर रहे है .अगर हम गलत है तो देश की जनता हमें जीता कर को भेजती है .उनके जन आदेश से साफ़ है कि हम गलत नही है .....इतने बड़े आरोप के बाद भी जनता नही जग रही है ..अपने बच्चो को अपराधियों से दूर रखने वाले पुरे देश को गलत हाथो में देने पर जरा सा संकोच नही करते ...क्या जनता को अपने ऊपर के आरोप को झुठलाते हुए अपने मत का प्रयोग सही उम्मीदवारों के लिए करके इस बार करार जवाब देना चाहिए कि जनता कभी भी गलत लोगो के न साथ थी और न है .....पर इसके लिए आपको अखिल भारतीय अधिकार संगठन कि आवाज और अपील को सुनना होगा .अखिल भारतीय अधिकार संगठन इसी बात का प्रयास बराबर कर रहा है कि एक बार तो हम अपनी ताकत क पहचानते हुए देश को उन लोगो के हाथ में सौपे .....जिसके लिए महात्मा गाँधी ने राम राज्य की कल्पना की थी ...........क्या आप इस बार देश को सुधरने में मदद करेंगे ????अपन अमत सही अर्थो में सही उम्मीदवार के लिए सही समय पर करेंगे???????????????????डॉ .आलोक चान्टिया

Tuesday 10 January 2012

vote is an acceleration

आप को जब एक बेहतर डॉक्टर की जरुरत पड़ती है तब आपको भी लगता है खा किसी अनादी डॉक्टर के चक्कर में न पड़ जाये ..जब अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देने की बात आती है तब भी आप मान लेते है कि प्राइवेट स्कूल ज्यादा अच्छे है .भले ही फीस कितनी भी क्यों न हो ..........जब आप पर कोई मुसीबत आती है तब भी आप भारत की पुलिस को शक की निगाह से ही देखते है ...........और यह सब बताता है कि आप एक संवेदन शील प्राणी ही नही है बल्कि ये भी जानते है कि आप के देश में जो भी हो रहा है वो गलत हो रहा है पर आप को लगता है कि आप अकेले क्या कर सकते है .........चलिए आज आपको फिर एक कहानी सुनाता हूँ ............एक बार एक बहुत बड़ी इमारत में आग लग गई .......दम कल आई .......लोगो के चीख पुकार की आवाज़ आ रही थी .ऐसा लग रहा कि सब कुछ खत्म हो जायेगा .......हर व्यक्ति अपने स्टार पर कोशिश कर रहा था ...एक दूर पेड़ पर चिड़िया भी ये सब देख रही थी ..........न जाने उसे क्या समझ में आया और वो उड़ कर गई और दूर पर एक तलब से अपनी चोच में पानी भर लायी और वो भो उस इमारत पर डालने लगी ....फिर तो जैसे ये कर्म चल निकला वो बार बार जाती और अपनी चोच में पानी ला कर उस इमारत पर डालती ......उसकी इस हरकत को एक कौवा भी देख रहा था .इउसे चिडया का ये प्रयास न तो समझ में आ रहा था .और न ही वो इसे अक्लमंदी मान रहा था ...........जब उससे नही रहा गया तो वो उड़ कर चिड़िया के पास पंहुचा और बोला .......कि झा पर लोग दमकल सब लग कर आग बुझा रहे है ....वह तुम्हरी इस नन्ही सी चोच से भला क्या आग बुझेगी ............तुम व्यर्थ  में मेहनत क्यों कर रही हो .ये तो सिर्फ बेवकूफी है ........पागल हो ...........तुम्हरे इस प्रयास से न तो किसी की जान बचेगी और न ही ये ईमारत बचेगी ????????? चिड़िया कौवा की बात सुन कर हसी और बोली ......हा कौवा जी आप बिलकुल सही कह रहे है .मेरे जैसे नन्हे प्राणी से इस ईमारत का कुछ भी भला नही होने वाला पर जब भी भविष्य में इस ईमारत के बारे में , इसके जलने के बारे में इतिहास लिखा जायेगा तो मुझे यह अफ़सोस नही रहेगा कि जब ईमारत जल रही थी तो मई चुपचाप बैठ कर देख रही थी .मैंने उसको बचने के लिए कुछ नही किया ..........और उसी बेशर्मी से बचने के लिए मै अपनी सीमा के अनुसार  प्रयास कर रही हूँ ......ताकि इतिहास मुझे मेरे प्रयास के लिए याद करे न कि इसके लिए कि मै भी जलने देने में सहायक थी क्यों कि मैंने कुछ किया ही नही ..कौवा ने उसकी बात सुनी और वो भी उड़ गया पानी लाने के लिए ..........क्या हम इस कहानी से ये नही समझ सकते कि बार बार ये मत कहिये कि सिर्फ मेरे अकेले के वोट डालने से क्या होगा .जब भी भारत में परिवर्तन की बात होगी तो आपको खुद इस बात पर फक्र होगा कि आपने भी अपने स्तर पर प्रयास किया था ....पर आपको ये लगता है कि एक मत से दुनिया नही बदल जाएगी ...एक बार आप उस चिड़िया की तरह प्रयास तो करिये .हर कोई उस कौवा की तरह आपके साथ हो जायेगा और आपके विधान सभा , संसद में वही लोग होंगे जो आपकी इच्छा के प्रतिबिम्ब होंगे पर उन सब के लिए एक बार सिर्फ देश को सोचते हुए अपने घर से निकलना पड़ेगा और जलती ईमारत  की तरह जलते देश को चिड़िया की चोच में आये पानी जितने अपने मत से जलने से बचा लीजिये ...पर इसके लिए आपको अपने घर से निकलना होगा ....अपना मत देना होगा .......आज अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपको ये कहानी इस लिए नही सुना रहा क्योकि आप को लोरी सुनकर सोने की आदत है ........बल्कि अखिल भारतीय अधिकार संगठन  इस लिए सुना रहा है क्यों कि आप ये तो मानते ही है कि आप चिड़िया से बड़े है .उस से ज्यादा बुलंद आपके हौसले है .और हो भी क्यों न आप मनुष्य जो है..इस पूरी पृथ्वी सी सबसे सुन्दरतम कृति ........पर एक बार इस भारत को भी तो सुन्दरतम रूप दे दीजिये ........अपने मत का सही प्रोयोग कीजिये .और एक अन्ना के रस्ते पर चलने वाले को विधान सभा तक पंहुचा दीजिये ........कल फिर आपको हिलाने की कोशिश करूंगा क्योकि आप व्यस्त है और मेरे पास करने के लिए कुछ भी नही सिवा माँ का कर्ज उतरने के ..क्या आप मेरे साथ है /.................

Monday 9 January 2012

vote for democracy

अभी अभी मै एक लम्बे सफ़र से लौटा हूँ पर आते ही याद आया कि आप से आज मैंने मत जागरूकता पर कोई बात तो की ही नही ...चलिए मै आपको आज फिर एक कहानी सुनाता हु जो आपने बचपन में कई बार सुनी होगी लेकिन मुझे कहना जरुरी है ...........एक चिड़िया ने एक खेत में बच्चो को जन्म दिया ..उसे लगा कि यह स्थान सुरक्षित है ...और बच्चे बढ़ने लगे ...एक दिन जब चिड़िया दाना चुंग कर वापस आई तो बच्चो ने बताया कि आज खेत का मालिक अपने साथ कुछ आदमियो को लेकर आया था और कह रहा था कि यह खेत कल कट जाना चाहिए .इस लिए माँ अब यह रहना ठीक नही .पर चिड़िया ने बच्चो से खा .कि अभी चिंता की कोई बात नही है .........यही कर्म चलता रहा ...रोज बच्चे अपनी माँ को बताते कि आज भी किसान आया था और काफी गुस्सा था पर चिड़िया मस्त थी .......ऐसे कई दिन निकल गए अपर एक दिन बच्चो ने बताया कि आज मालिक आया था और कह रहा था कि अब मै इन मजदूरो के सहारे नही रहूँगा .कल मै खुद आकर इस खेत को काट डालूँगा ..चिड़िया इतना सुनते ही गंभीर हो गई और बोली अब यह रुकना खतरे से खाली नही है अब हमें यह से तुरंत निकल जाना चाहिए और वो बच्चो को लेकर चली गई .बच्चो ने पूछा भी कि रोज तो तुम इतना परेशां नही होती थी फिर आज क्यों ??????????? चिड़िया ने खा क्योकि कल तक मालिक दुसरो पर निर्भर था .लेकिन आज उसने खुद काम करने का फैसला कर लिया है .इस लिए अब खेत कट जायेगा .इस कहानी में यह शिक्षा दी गई है कि जब व्यक्ति अपना काम खुद करने को सोच लेता है तो वो काम हो जाता है ...आप सोच रहे होंगे कि इस कहानी का मत से क्या लेना देना .......है है है है .जब तक आप ये मानते रहेंगे कि सरकार इस देश के लिए जिम्मेदार है उसे ही सब कुछ करना है तब तक इस देश में अंधेर नगरी चौपट रजा का माहौल बना रहेगा ..पर जब आप प्रजातंत्र का मतलब समझ कर जनता की ताकत को पहचान लेंगे तो इस देश की तस्वीर बदलने में कोई समय ही नही लगेगा ..........पर इसके लिए आपको खुद तस्वीर बदलने का संकल्प लेना होगा ....घर से निकल कर मत डालने के लिए लाइन में खड़े होना पड़ेगा .......क्या आप इतना भी इस देश के लिए नही कर सकते है ........क्या आप अपने को उस चिड़िया से भी कम आंकते है जो जानती थी कि अपना काम खुद करने वाला ही सही अर्थो में कुछ भी कर सकता है ......तो आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के जागरूकता मुहीम में एक आहुति आप भी अपने श्रम की दे दीजिये ताकि इस बार हमारे देश प्रदेश की सूरत बदल जाये और सियार के बजाये ऐसे सिंह सपूत हमें मिले जिन्हें प्रजा का मतलब पता हो ..जिन्हें पता हो कि प्रजा की ख़ुशी ही उनकी ख़ुशी है .और अगर प्रजा दुखी है तो वो खुद खुश नही रह सकते अपर इन सबके लिए आपको अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस बूंद जैसे प्रयास को सागर जैसा बनाना होगा .आप को मत के घर से बाहर आना होगा ...................एक बार भारत के लिए

Sunday 8 January 2012

vote is an ultimate appraoch

एक कहानी मई आज आपको सुनाने जा रहा हूँ ............एक आदमी को इस बात का काफी दुःख था कि वो काफी गर्रेब है और भगवन ने उसके साथ नाइंसाफी की है .और इस लिए वो अपने जीवन को चलने के लिए भीख मांगने लगा ...............एक बार उसकी मुलाकात भगवन बुद्ध से हुई तो उसने अपनी गरीबी का रोना रोया .........बुद्ध उसकी बात सुनते रहे और हसते हुए बोले ..कि तुम्हरे दो हाथ है .अगर इनको मुझे दे दो तो मै तुमको एक लाख रूपया दूंगा .पर उसने इंकार कर दिया .फिर बुद्ध ने कहा कि अच्छा अपने दोनों पैर दे दो तो मै तुमेह ३ लिख दूंगा पर वो नही तैयार हुआ ...बुद्ध ने हसते हुए कहा कि अपनी दोनों आंखे मुझे दे दो तो मै तुमको ५ लाख दे दूंगा .पर उसने देने से इंकार कर दिया ..उसने कहा कि अगर हाथ दे दिया तो काम कैसे करूंगा ?????????अगर पैर दे दिया तो चलूँगा कैसे ?????????? और अगर आंख दे दी तो दुनिया को देखूंगा कैसे ??????? बुद्ध ने कहा कि तुम जब जानते है कि तुम्हरे शरीर के अंग कितने बहुमूल्य है  तो फिर तुम गरीब कहा हो .तुम तो अमीर होने का मन्त्र जानते हो .............मेहनत करो .यही जीवन का मन्त्र है ........आप भी इस कहानी को ढंग से पढिये और सोचिये कि क्या आपके पास भी यह सब नही है पर आप ऐसा मानते है कि आप कुछ नही कर सकते .आपको लगता है कि यह दुःख , भ्रष्टाचार सब भाग्य का खेल है .और आपके पिछले जन्मो का कर्म है जो आप को यह सब झेलना है ..पर ऐसा नही है अप्पके पास दिमाग है जो हंस कि सकती से बेहतर नीर क्षीर में अंतर  कर सकता है .लेकिन क्या आप को यह पता है ???????????तो फिर आप वोट डालने से भागते क्यों है ????आपने अपनी अनोखी शक्ति का प्रयोग आज तक क्यों नही किया ..और देश की तस्वीर बदल दी ???????????मत की कीमत अगर आपको पता है तो इस ब्रह्माश्त्र से उनको नकार दीजिये जो सिर्फ विधायक , संसद इस लिए बनते है ताकि उनके घर वाले कई पीढ़ी तक खाते रहे ..अप्प खोजिये एक ऐसा नेता जो जनता के लिए जीना चाहता हो ....जिसे इस देश को बदलने की ललक हो ......क्या इस बार भी आप वोट सिर्फ धर्म , पार्टी के आधार पर ही करेंगे ????????????? क्या आप भ्रष्टाचार से इस देश को मुक्त नही करायेंगे ?????????????? याद कीजिये  हनुमान जी को जिनको अपनी शक्ति का ज्ञान था ही नही .........यद् किये मोह्हमद साहेब को जिन्हों ने जुल्म के आगे घुटने नही टेके ...याद कीजिये ईसा मसीह को जिन्हों ने सच का रास्ता नही छोड़ा .सही दुनिया और समाज बनाने के लिए ..फिर हम सब इन महँ लोगो के अनुयायी होने का दावा कैसे कर सकते है ..अगर सच के रस्ते वालो को हम, ही पनाह नही दे रहे ????????? तो फिर सोचिये एक बार अपने को और अखिल भारतीय अधिकार संगठन की इस मुहीम में शामिल हो जाइये और निकल पढिये घर से एक ईमानदार उम्मीदवार की तलाश में ताकि एक बार फिर देश में सच्चे लोगो का साम्राज्य हो और आप को प्रजातंत्र का सही आनंद मिले .........क्या आप अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ आ रहे है ?????????????

Saturday 7 January 2012

vote kills corruption

क्या आप को नही लग रहा है कि हम जागने से परहेज़ कर रहे है ........हर तरफ आम जनता के नाम पर जिसे देखिये वो आम आदमी के लिए चिंतित दिखाई दे रहा है  पर कोई आम आदमी को कुछ देने के बजाये सिर्फ उसकी कोमल भावनाओ से खेल कर जिसे देखिये वही चनाव में दो चार हाथ करने को उतावला दिखाई दे रहा है पर जो लोग चुनाव लड़ने लिए आगे आ रहे है वही देश के सामान्य कानून का कोई ज्ञान नही है ...हम सब हर दिन अपने स्वास्थ्य की समस्या से गुजर रहे है .और उन सब समस्याओ में स्लिप डिस्क , पीठ दर्द , बैक बोन पेन जैसी समस्या तो इतनी आम हो गई है ..कि कुछ कहने की जरूरत ही नही है .पर हम लोग तुरंत अपनी जमा पूंजी निकल कर डॉक्टर के यह दौड़ने लगते है .लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि जब भी आप कोई गाड़ी  दुपहिया, चौपहिया  खरीदते है तो उसी समय आपको एक मुस्त रोड टैक्स चुकाना पड़ता है .रोड टैक्स किस बात का ....सड़क को देखने का या फिर इस बात का कि हमें साफ़ सुथरी, चिकनी सड़क हमें मिलेगी .....बिना किसी हचके के हम उस पर गाड़ी चला सके .पर क्या ऐसा होता है ??????????नही ऐसी सड़क की कल्पना तो एक स्वप्न है ............पर इसमें आप का क्या दोष आपने तो रोड टैक्स चुकाया है .....तो ख़राब सडक के कारण होने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कौन दोषी है ???????निश्चित रूप से आर टी ओ .जिसको हम एक मुस्त टैक्स चुकाते है .पर क्या हम भर्तियो ने कभी कोई मुकदमा आर टी ओ के खिलाफ किया ???????? क्या हमने उस से क्षति पूर्ति  पाने का दावा किया ????????????? हम अपने अधिकार क्यों नही जानते ????????????जबकि हमें फर्जी साडी बात आती है ???????? आपकी आवाज़ कोई नही उठा रहा , क्योकि आप ने नेता गलत चुना और हो सकता आपने घर से निकलना ही उचित न समझा हो जिसके कारण एक ख़राब सड़क का दर्द आप वर्षो से न सिर्फ झेल रहे है बल्कि अपने ख़राब स्वास्थ्य का आर्थिक बोझ भी झेल है ....और यह सब आपकी लापरवाही यानि अपने मत का गलत प्रयोग या फिर चुनाव वाले दिन घर में सोने के करा हुआ है ....तो क्या इस बार भी ऐसा ही आप कुछ करने जा रहे है ????????????????क्या मत देना आपको देश में किया जाने वाले सभी वकवास  कामो में सबसे बकवास काम लगता है ????????????????? अगर नही और आप खुद को एक गंभीर नागरिक मानते है ...तो निकल पदिये अपने घरो से और इस बार के चुनाव में अपने मत का प्रयोग कीजिये ....अखिल भारतीय अधिकार संगठन इसी प्रयास में लगा है ताकि देश के लोग पितृ ऋण , देव ऋण और गुरु ऋण के अलावा देश ऋण और जोड़ा जाना चाहिए .और अगर आपने अपना मत नही डाला तो अन्य ऋणों की तरह आप भी देश के कर्ज से कभी मुक्त नही हो पाएंगे और देश की आत्मा दिन प्रति दिन भटकती रहेगी .....................लेकिन आप ऐसा न करे इसी लिए अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे निवेदन करता है कि अपने मत को अपने स्वास्थ्य से जोड़ कर देखिये और समझिये कि किस तरह आपके मत के गलत या मत का प्रयोग न करने पर आपका ही  किस तरह शोषण होता है ...तो अब देर किस बात कि जब बात समझ में आ ही गई ....चलिए जल्दी से मत डालने कि जागरण मुहीम में लग जाइये

Thursday 5 January 2012

vote is democracy

इस बात को आप मानने से इंकार नही करेंगे कि मानव से ज्यादा भला सवेंदनशील कौन होगा ???????? आइये जरा इन उदाहरण पर नजर डालते है ..........
आप सी सी माखी को घरो में इस लिए मार देते है क्यों कि इस से निंद्रा रोग हो जाता है ,
आप खटमल इस लिए मार देते है क्यों कि इस से कालाजार रोग हो जाता है ,
आप चूहे इस लिए मार देते है क्यों कि इस से प्लेग रोग हो सकता है ,
आप मच्छर इस लिए मर देते है क्यों कि इस से मलेरिया रोग हो सकता है ,
आप कुत्ते से सतर्क रहते है क्योकि रेबीज न हो जाये ,
आप मुर्गिया  इस लिए मार देते है क्यों कि बर्ड  फ्लू  न फ़ैल जाये ,
और न जाने हम रोज कितने जानवर , कीट पंतगे इस लिए मार देते है क्योकि मानव जीवन खतरे में न पड़े और मानव एक स्वस्थ और गरिमा माये जीवन मानव का सुनिश्चित किया जा सके ......पर इतने सवेंदन शील मानव को खुद अपने जैसे ही मानवों से फैलाये जाने वाले रोग क्यों  नही दिखाई देता ..........आज भ्रष्टाचार , झूट , घूसखोरी , देश को गर्त में ले जाने की कोशिश में लगे लोग ?????????????? क्या इससे बचने के लिए हम कोई प्रयास नही करेंगे ...............इस में भी कर सकते है ..........पर उसके लिए आपको चला पड़ेगा ....घर से निकलना पड़ेगा ..............लाइन में खड़े रहना पड़ेगा ...........इंतज़ार करना पड़ेगा ...............इच्छा शक्ति जगानी पड़ेगी .................अपने गरिमा जीवन पर विचार करना पड़ेगा ..............आपको सम्मान जनक तरह से जीने का अधिकार है ..............जीवन एक बार मिला है तो क्यों न उसे ढंग से जिया जाये ....ये भी सोचना पड़ेगा ............क्या आप इन सबके लिए तैयार है .तो चलिए कीजिये अपने मताधिकार का प्रयोग और बदल दीजिये मानव द्वारा फैलाये जा रहे तमाम सामाजिक रोगों से इस देश को मुक्त .....क्यों मच्छर ही सबसे बड़ा गुनाह गर लगा आपको ???????????वो नही लगा जिसकी वजह से आप कभी लोकतंत्र का आनंद नही ले पाए ????????????? आप जन ही नही पाए की सरकार से आपको क्या मिल सकता था पर इन सामाजिक रोग फ़ैलाने वालो की वजह से आप एक स्तरहीन जीवन जीते रहे .......आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन की मुहीम में शामिल होकर इस बार एक ऐसे उम्मीदवार को चुना जाये जो अपने से ज्यादा देश और समाज के लिए जीना चाहता हो .........क्या आप अपने मत का सही प्रयोग करेंगे ????क्या आप इस बार घर पर न बैठ कर लाइन में खड़े होकर देश के भविष्य को बदलने में अपने मत को डालेंगे ???अखिल भारतीय अधिकार संगठन हमेशा आपके इस प्रयास को प्रेरणा मान कर आपके भारतीय बनने पर अभिनन्दन करेगा .............

Wednesday 4 January 2012

vote is your panacea

हम लोग चुनाव को कुछ इस तरह मानते है जैसे किसी का जन्मदिन हो ....और हम सब जन्मदिन वाले व्यक्ति इर्द गिर्द बस हसने , खाने और बधाई देने के लिए होते है .........क्या आप कभी यह सोचेते है कि मताधिकार आपका मानवाधिकार है और अगर अप्प उसके साथ मजाक कर रहे है तो खुद मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहे है .जैसे खुद को मारने को आत्महत्या कहते है .उसी तरह अपना मत का प्रयोग न करके आप ऐसे लोगो को कुर्सी पर बैठा देते है जो आपके अधिकारों के लिए कम ही लड़ते है यानि मत न देना आत्म मानवाधिकार हत्या ही है ..इन सब के इतर क्या कभी आप ने सर्कार और जन प्रतिनिधिओ से ग्रह कर देने से मना किया .शायद आप अपने घर की कुर्की के दर से खुद ही लाइन में खड़े होकर अपना कर जमा कर देते है ....लेकिन आप शायद यह नही जानते कि सुखा अधिकार अधिनियम में साफ़ साफ़ लिखा है कि आप के घर के सामने सड़क बिलकुल ठीक होनी चाहिए और प्रकाश की प्रयाप्त व्यवस्था होनी चाहिए , नाली साफ़ होनी चाहिए , इसके अलावा वातावरण की वायु पूरी तरह शुद्ध होनी चाहिए .पर क्या आपके घर के सामने ऐसा है ..आप वास्तव में मानव की तरह जी रहे है ????????????? फिर भी आप अपना क्र अदा करने के लिए पागल हुए जा रहे है .........क्या आपको स्वतंत्र होने का मतलब पता चल आया आज तक ?????????? आपने कभी नाग निगम को पत्र लिखा कि कोई सुविधा न होने के कारण मै अपना कर अदा नही करूंगा/करूंगी  क्योकि यह मेरा अधिकार है .या फिर आप कभी न्यायालय गए शायद नही क्यों कि हमें आपको नागरिक होने का मतलब ही आज तक नही पता है ...उअर ज्यादा तर लोग यही सोचते है कि कोई हमें ही परेशानी है सभी तो इस परेशानी से गुजर रहे है और इसका फायेदा किसे मिल रहा है ??????????????नेता सिर्फ नेट्स जो जानता है कि देश कि जानता को सही सड़क से मतलब ही नही है ...और आपके इसी उपेक्षा के कारण लोग हर दिन सड़क बनवाने के नाम पर घोटाले कर रहे है और हम कह रहे है कि देश में भ्रष्टाचार है जब कि उसको बढ़ने में हमने भी सहयोग किया है ..अपने अधिकारों को अनदेखा करके ......आप सब कुछ बदल सकते है पर इसके लिए आप को घरो से बहार निकलना होगा ...अपने मत का प्रयोग करना होगा .ताकि आप ऐसे नेताओ को विधान सभा में ले जा सके जो यह जानते है कि जानता के अधिकार और गरिमा का मतलब क्या है ????? क्या इस के बाद भी आप अपने घर से नही निकलंगे अपने एक मत से इस देश का चेहरा बदलने के लिए ???????????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन  की यही सोच है कि भारत अब सही अर्थो में जग जाये और एक बार यह महसूस करे कि जानता, गरिमा ,अधिकार का मतलब क्या है ..और देश का एक नागरिक अपने एक मत से क्या कुछ कर सकता है ...आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस जागरण मुहिम का हिस्सा बनिए और भारत वासी के बजाये भारतीय बनिए ..............

vote is your right

क्या आप भ्रष्टाचार वास्तव में मिटाना चाहते है ??????????????? तो चलिए हम आप को बताते है कि आप क्या कर सकते है ....देश के पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे है ....आप में से ज्यादा तर यही सोच रहे होंगे कि फिर वही गलत लोग सामने होंगे और वोट मांगेगे ..और आपके पास कोई विकल्प नही होता ....इसी लिए आप अक्सर वोट वाले दिन घर से निकलते ही नही और मान लेते है कि आपने विरोध कर दिया पर ये तो उन लोगो का रास्ता और सरल बना देता है ........क्योकि जब १०० लोगो में सिर्फ २० लोग ही वोट डालेंगे और ५ उम्मीदवार  होंगे तो अगर सबको १०-१० वोट मिले तो जिसे भी ११ वोट मिल जायेगा वो जीत जायेगा जबकि उसको पसंद न करने वाले ८९ लोग थे .ऐसे में आप एक गंभीर नागरिक बने  और पीपुल representative एक्ट की धरा ४९ (ओ) में यह लिखा है हमें राईट टू रिजेक्सन का अधिकार है ..जब आप वोट डाले जाये और आपको लगता है कि कोई भी वोट पाने के योग्य नही है तो आप वह बैठे चुनाव अधिकारी से कह सकते है कि  वो आप को रजिस्टर दे ..जो हर पोलिंग बूथ पर रहता है .आप रजिस्टर लेकर उसमे धारा १७-अ के अंतर्गत यह लिख सकते है कि आपको वोटर लिस्ट का कोई भी उम्मीदवार पसंद नही है ..अब आप सोचिये अगर १०० में ५१ लोगो ने लिख दिया कि उन्हें कोई उम्मीदवार पसंद नही है तो स्पष्ट है कि चुनाव निरस्त हो जायेगा .और हर पार्टी के पास यह मज़बूरी होगी कि वो इमानदार और सच्चे लोगो को ही टिकट दे ........और आपके इस प्रयास से भारत एक भ्रष्टाचार मुक्त देश ही नही बनेगा बल्कि संसद और विधान सभा सब जगह ऐसे लोग होंगे जो इस देश के लिए , यह की जनता के लिए सोचते है .और हम सब को एक जन लोक पाल बनाने के लिए इतने निराशजनक स्थिति से कभी नही गुजरना पड़ेगा ..क्या अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस प्रयास में सहयोग करेंगे ??????????????क्या अखिल भारतीय अधिकार संगठन से आप सहमत है ??????????आप क्या करेंगे इस देश के लिए ?????????????????

Tuesday 3 January 2012

why do we fail

किसी भी आन्दोलन का चलना इस बात पर निर्भर करता है कि उसमे रणनीति कैसी है और उनके पास आन्दोलन को चलने वाले प्रणेता कौन कौन है ...अन्ना के आन्दोलन में बराबर मै एक अनशनकारी के रूप में बराबर जुडा रहा  पर मुझे सबसे ज्यादा निम्न कारण लगते है जिसके कारण अन्ना का आन्दोलन जे पी आन्दोलन की तरह ही फेल होता दिखा
१..अन्ना की तरह दुसरे नेता की कमी .कोई भी दूसरा व्यक्ति अन्ना आन्दोलन में उनके बराबर नही आ सका ..जिसके कारण जब अन्ना की तबियत खराब हुई तो उनके बीच में कोई ऐसा नही था जो अन्ना की जगह ले सकता .
२.. अन्ना की तरह साफ़ छवि वाले लोगो की टीम में कमी , अरविन्द केजरीवाल , किरण बेदी, बिस्वास अदि पर जिस तरह से आरोप लगे उस से भी देश की जनता को यही सन्देश गया कि अन्ना के साथ भी सब सही लोग नही है ...
३..अन्ना के पास जल्दी जल्दी अनशन करने कि कोई वजह नही थी
४...आना के साथ काम करने वाले या तो गैर सरकारी संगठन बना कर पैसा कम रहे है या फिर उनके घर में लोग नौकरी कर है .पर आने वाली देश की जनता के जीवन का कोई भविष्य नही दिखया गया
४..ठंडक भी एक बड़ा कारण रहा ,इस आन्दोलन के फेल होने में
५.मोहमम्द तुगलक की तरह देल्ही से तुगलकाबाद करने यानि आन्दोलन की जगह बदलने के कर्ण आन्दोलन फेल हुआ ...
६...संसद में बहस को सुन ने की ललक के कारण जनता ने सडको और आन्दोलन स्थल पर जाने के बजाये घरो में बैठ कर टी.व्. पर बहस देखना ज्यादा अच्छा लगा ...
७.. बहुत से लोग यही नही समझ पाए कि जन लोक पाल बन जाने से क्या भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा ...
८..जनता में यह भी सन्देश गया कि आन्दोलन में जो लोग जुड़े है वो लोग राजनीतिक लाभ के लिए आन्दोलन चला  रहे है ..
९...लोगो को ढंग से यही नही पता कि जन लोक पाल है क्या ????????????
१०..गाँव तक यह आन्दोलन नही पंहुचा और शहर के लोग ज्यादा देर अनशन में दे नही सकते .देश में ८०% जनसँख्या गाँव में रहने के कारण यह आन्दोलन शुरू से ही २०% लोगो तक सीमित था..
११..महाराष्ट्र में अन्ना चुनाव में पहले भी कोई चमत्कार नही कर सके है और वहा के लोग यह जानते है कि आन्दोलन तो अन्ना का रोज का काम है .इस लिए उन्होंने बिलकुल रूचि नही ली ..............
१२..प्रशांत भूषण का कश्मीर पर बयां और संजय सिंह जैसे राजनीतिक लाभ लेने वाले लोगो कि अगुवाई में दिल्ली में तो शुन्य परिणाम रहना ही था
१३..लखनऊ में अनशनकारियो को बेकार दवा बाटने और आन्दोलन के पैसे का हिसाब न देने के कारण शहर के लोग ऐसे अन्ना समर्थको से दूर हो गए
१४.. इन सब के अतिरिक्त यह सब से महत्वपूर्ण रहा कि अन्ना सिर्फ कांग्रेस के विरुद्ध ही बोलने लगे , जिस से लोगो को यह लगा कि अन्ना किसी पार्टी से मिले हुए है और उसी के लिए काम कर रहे है और देश की जनता ने इस बात को इतनी गंभीरता से ले लिया कि उन्हें यह आन्दोलन भ्रष्टाचार से ज्यादा सत्ता की लड़ाई का कारण बनता दिखाई देने लगा .और पूरा आन्दोलन ध्वस्त होता दिखाई दिया ...
१५..देश में लोगो ने भारतीय बन कर नही बल्कि पार्टी , का बन कर ज्यादा इस आन्दोलन को देखा .इस लिए फेल हुआ ..
क्या अधिकारों के लिए की गई सबसे बड़ी स्वतंत्रता के बाद की लड़ाई सिर्फ दूरदर्शिता की कमी और लोगो में राष्ट्रियेता की कमी के कारण ध्वस्त नही हुआ ...................हम भारतवासी बनकर ज्यादा इस आन्दोलन को देखते रहे जब कि देखना भारतीय बन कर चाहिए था .अखिल भारतीय अधिकार संगठन तो ऐसा ही सोचता है पर आप क्या सोचते है नही कहेंगे ........................

Sunday 1 January 2012

आज भगवान दुनिया की बेशर्मी देख  कर इतना पानी पानी हुआ कि नव वर्ष का पूरा दिन उसके आंसुओ  से ही शायद भीगता रहा ..........वो समझ ही नही पा रहा था कि जिस मनुष्य ने जंगलो को काट डाला , न जाने कितने जानवर उसका शिकार होकर विलुप्त हो गए ........जमीं के अधाधुंध प्रयोग से बंजर जमीं बढ़ गई .......मैंने देश है है कि जिस जंतु के शरीर का आकर जितना छोटा है .उनकी संख्या ही करोडो में है जैसे चीटी, मधु मक्खी , आदि  पर मनुष्य का आकार तो खासा बड़ा है फिर उसकी संख्या दिन पर दिन क्यों बढ़ रही है .यानि हमने कुदरत को भी छेड़ा है ...खुद इतना उत्पात मचा कर मनुष्य अकेला भी इस दुनिया में कहा खुश है .गरीबी , बेरोजगारी , खुद अपनों की हत्या , और इन सब के कारण भ्रष्टाचार ....भगवान खुद नही समझ पा रहा कि मनुष्य क्या चाहता है .फिर भी वो ख़ुशी का इजहार करता है और बर्बादी के हर खेल के बाद हर साल नव वर्ष की शुभ कामना देता है ...शायद २०१२ में इसी को संसार का विनाश कह कर दिखाया जा रहा था और भगवान मनुष्य की इसी हठधर्मिता देख कर इतना शमिन्दा है कि आज वो आखिर पानी पानी होकर रो पड़ा .और सारा दिन वो बरसता रहा .क्या आप कुदरत के इस दर्द को समझ पाए .या फिर इसे भी बारिश कह कर अपने विनाश के खेल को ही सही मान कर नव वर्ष मानते रहे ...............क्या आज सिर्फ बारिश हुई या कुदरत का दर्द बरसता रहा दिन भर ......भगवान ने इस साल हमें फिर ३६५  के बजाये ३६६ दिन दिए है ..यानि १ दिन अलग से जब आप बिना कोई बहाना बनाये सिर्फ यह सोचे कि हमने दुनिया को बनाया है या और बर्बाद किया है ?????????????????????????????????