Monday 9 January 2012

vote for democracy

अभी अभी मै एक लम्बे सफ़र से लौटा हूँ पर आते ही याद आया कि आप से आज मैंने मत जागरूकता पर कोई बात तो की ही नही ...चलिए मै आपको आज फिर एक कहानी सुनाता हु जो आपने बचपन में कई बार सुनी होगी लेकिन मुझे कहना जरुरी है ...........एक चिड़िया ने एक खेत में बच्चो को जन्म दिया ..उसे लगा कि यह स्थान सुरक्षित है ...और बच्चे बढ़ने लगे ...एक दिन जब चिड़िया दाना चुंग कर वापस आई तो बच्चो ने बताया कि आज खेत का मालिक अपने साथ कुछ आदमियो को लेकर आया था और कह रहा था कि यह खेत कल कट जाना चाहिए .इस लिए माँ अब यह रहना ठीक नही .पर चिड़िया ने बच्चो से खा .कि अभी चिंता की कोई बात नही है .........यही कर्म चलता रहा ...रोज बच्चे अपनी माँ को बताते कि आज भी किसान आया था और काफी गुस्सा था पर चिड़िया मस्त थी .......ऐसे कई दिन निकल गए अपर एक दिन बच्चो ने बताया कि आज मालिक आया था और कह रहा था कि अब मै इन मजदूरो के सहारे नही रहूँगा .कल मै खुद आकर इस खेत को काट डालूँगा ..चिड़िया इतना सुनते ही गंभीर हो गई और बोली अब यह रुकना खतरे से खाली नही है अब हमें यह से तुरंत निकल जाना चाहिए और वो बच्चो को लेकर चली गई .बच्चो ने पूछा भी कि रोज तो तुम इतना परेशां नही होती थी फिर आज क्यों ??????????? चिड़िया ने खा क्योकि कल तक मालिक दुसरो पर निर्भर था .लेकिन आज उसने खुद काम करने का फैसला कर लिया है .इस लिए अब खेत कट जायेगा .इस कहानी में यह शिक्षा दी गई है कि जब व्यक्ति अपना काम खुद करने को सोच लेता है तो वो काम हो जाता है ...आप सोच रहे होंगे कि इस कहानी का मत से क्या लेना देना .......है है है है .जब तक आप ये मानते रहेंगे कि सरकार इस देश के लिए जिम्मेदार है उसे ही सब कुछ करना है तब तक इस देश में अंधेर नगरी चौपट रजा का माहौल बना रहेगा ..पर जब आप प्रजातंत्र का मतलब समझ कर जनता की ताकत को पहचान लेंगे तो इस देश की तस्वीर बदलने में कोई समय ही नही लगेगा ..........पर इसके लिए आपको खुद तस्वीर बदलने का संकल्प लेना होगा ....घर से निकल कर मत डालने के लिए लाइन में खड़े होना पड़ेगा .......क्या आप इतना भी इस देश के लिए नही कर सकते है ........क्या आप अपने को उस चिड़िया से भी कम आंकते है जो जानती थी कि अपना काम खुद करने वाला ही सही अर्थो में कुछ भी कर सकता है ......तो आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के जागरूकता मुहीम में एक आहुति आप भी अपने श्रम की दे दीजिये ताकि इस बार हमारे देश प्रदेश की सूरत बदल जाये और सियार के बजाये ऐसे सिंह सपूत हमें मिले जिन्हें प्रजा का मतलब पता हो ..जिन्हें पता हो कि प्रजा की ख़ुशी ही उनकी ख़ुशी है .और अगर प्रजा दुखी है तो वो खुद खुश नही रह सकते अपर इन सबके लिए आपको अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस बूंद जैसे प्रयास को सागर जैसा बनाना होगा .आप को मत के घर से बाहर आना होगा ...................एक बार भारत के लिए

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