Saturday, 14 January 2012

vote is ............................


आज जैसे देश यह नही समझ पा रहा कि आज मकर संक्रांति है या कल और कही आज छुट्टी है और कही कल .यह वैसे ही है जैसे देश के लोग चुनाव के समय यह नही समझ पाते कि वोट किसे दे और किसे न दे .और इसका सबसे आसान तरीका उन्हें लगता है की वोट डालने ही ना जाओ ...पर आप डाले ना डाले अपना मत ...कोई ना कोई तो विधायक बन ही जायेगा क्योकि आपने आज तक अपने अधिकारों को जानने की कोशिश ही नही की और ना ही कभी पीठासीन अधिकारी से क...हा कि मुझे नियम १७ में रजिस्टर दो ताकि मै लिख सकू की मुझे कोई पसंद नही ......पर आप ऐसा नही करते और कुल मतों का सिर्फ १० या ११ प्रतिशित वोट पाकर विधायक बन जाता है ..अब जब वो इतने कम वोट पाकर विधायक या जन प्रतिनिधि बनता है तो बस इतने ही प्रतिशित काम भी वो ५ साल करता है ....तो इसमें आपको क्या परेशानी है .....उसने तो अपने पाने वाले मतों के अनुपात में ही काम कराया है ...यानि वो ईमानदार है और पारदर्शी भी है ...क्यों ???????????? असली भ्रष्टाचार फ़ैलाने वाले तो हम जनता है ...जिन्होंने ना मत डाला और ना कभी इसके लिए जागरूक हुए ................जब १० प्रतिशित लोगो के लिए जन प्रतिनिधि काम कराएगा तो ८९ प्रतिशित पैसा वो क्या करेगा ...खा लेगा .....और ऐसा उसने इस लिए किया क्यों कि ८९ प्रतिशित लोग उसके विपक्ष में है ...अगर ८९ प्रतिशित लोगो से वो समर्थित होते तो वह ८९ प्रतिशत काम करता तो देश को बर्बाद करने में किस का योग दान है ...अगर आप को मेरी बात बुरी लग रही है तो निकालिए घर से और डालिए अपने मतों को .......यह तो आप पर है कि आप पाने वोट किसे दे पर वोट का अनुपात बढ़ने से जितने वाले के चेहरे बदल सकते है यानि हो सकता है इस बार आपके घर से निकलने के कारण वो ईमानदार व्यक्ति पहली बार जीत जाये जो सिर्फ इस लिए आज तक हरता रहा क्यों कि भ्रष्टाचार के नाम पर अपने को सच्चा समझने वाले वोट डालने निकले ही नही और जो अपने हितो को पूरा होते देख रहे थे उन्होंने अपने लिए अपनों को मत दे डाला ...लेकिन इस बार उस ईमानदार उम्मीदवार के चेहरे पर भी ख़ुशी आ सकती है जिसने सिर्फ आपकी निरस्त के कारण हार का दंश झेला है ....अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए दो ही स्थिति में व्यक्ति सामने आता है ......एक जब वो खुद का लाभ चाहता है ...और दूसरा जब वो समाज का लाभ चाहता है और इसके लिए सबसे सही उपाए चुनाव लड़ना है ......आप इतने बुद्धिमान है क्योकि जब आप हर चुनाव में गलत व्यक्तिओ की पहचान करके वोट डालने नही जाते तो आप को इमानदार की भी पहचान है ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन यह भलीभांति जानता है कि इस बार आप अपना मत ही नही डालेंगे बल्कि एक ईमानदार उम्मीदवार को भी जिताने की कोशिश करेंगे डॉ आलोक चंत्तिया

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