Thursday, 26 January 2012

mat ka manthan

वैसे तो हमारे देश में ५८ साल , ६० साल और ६२ साल पर रिटायर होने की परम्परा रही है ..ऐसे में ६३ साल के देश में क्या स्थिति हुई है खाने की जरुरत नही है ...६३ साल के गणतंत्र पर सूखती और मैली हो चुकी नदिया , भूख से कराहते लोग , सिर्फ मत की राजनीती के चलते जनसँख्या पर ढुलमुल रवैया अपनाती  सरकार, बेरोजगारी , गाँव में मुलभुत आवश्यकता का आभाव .......अमीरी गरीबी के बीच की बढती खाई ..यही पाया है ६३ साल के गणतंत्र ने .हो सकता है आपको लगे कि देश बाधा ज्यादा है तो एक बार देखियेगा अपने को टटोल कर आपके घर छोटे हो गए , आप जान सब गए पर खरीदने कि क्षमता घट गई है ..आपके बच्चे कम हो गए पर उनकी हर इच्छा पूरी करना आपके बस में नही रहा .....आपने महंगाई के कारण लोगो के घर आना जाना छोड़ दिया ..आप के घर पकौड़ी हलुवा से ज्यादा चाय नाश्ता होने लगा क्योकि खाना खिलाना आसान नही रहा ..पर आप सब ने हमारी तरह ही गणतंत्र मनाया होगा ...भिखारी ज्यादा बढ़ गए ..धार्मिक से ज्यादा बाजारीकरण के प्रभाव में मंदिर और मस्जिद बनने लगे है ......सड़क हर ३-३ महीने पर बनने लगी है ..पानी और बिजली भावना में ज्यादा है वरना दोनों के आने जाने का पता ही रहता नागरिको को ....पानी इतना दूषित है कि हर व्यक्ति ज्यादा जीने की चाहत में  प्यूरी फायर लगाने को मजबूर है .न्याय पाने से हताश हुआ व्यक्ति अब कोर्ट कचहरी जाना ही नही चाहता और सरकार दिखाने में  जुटी है कि अपराध कम हुआ है .......सरकार के पास किसान , प्राइवेट लोगो के बेहतर जीवन के लिए कोई बेहतर उपाए ही नही है .वो तो पूरा देश सिर्फ अपने करीब ४ करोड़ लोगो के वेतन और जीवन के आधार पर संचालित कर रहा है ..ऐसे भारत में गणतंत्र ६३ साल का रिटायर व्यक्ति ज्यादा हो गया है न कि ६३ साल का चयवन प्राश खाया व्यक्ति जो बस आगे जा रहा है .कैसे मनाया गया ६३ साल का दर्द हसी के साथ उस मार खाती लड़की कि तरह जो ससुराल में पित कर भी अपने माता पिता के सामने मुस्कराती है ताकि उसके अपने  उसका दर्द देख खी दर्द में न रह जाये ऐसा ही बिता मेरा गणतंत्र दिवस .....गाँव में रघ्हू ने आज भी १०००० साल पहले कि तरह ही अपने घर में एक दीपक जलाया .४००० साल पहले कि तरह फूस कि झोपडी में सोया और ५००००० साल पहले कि तरह जो मिला उसे ही खा कर सो गया ......रग्घू कब २०१२ में जी पायेगा क्या कोई बता पाएगा ..चुनाव सामने है यही सवाल अपने नेता से पूछिये और बदल दीजिये तस्वीर अपने मत से इस देश की और ६३ साल पुराने गणतंत्र को तीन रंगों से ऐसा रंग दीजिये की रग्घू को आदमी होने पर तरस न आये और वो भी २६ जनवरी को हल नही तिरंगा लेकर भारत माँ की जय करे यही आरजू लेकर मई अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे विदा ले रहा हूँ कि आप जरुर सोचेंगे कि क्या कुछ गलत लिखा गया आज कि अपील में ...डॉ आलोक चान्टिया

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