Tuesday 10 January 2012

vote is an acceleration

आप को जब एक बेहतर डॉक्टर की जरुरत पड़ती है तब आपको भी लगता है खा किसी अनादी डॉक्टर के चक्कर में न पड़ जाये ..जब अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देने की बात आती है तब भी आप मान लेते है कि प्राइवेट स्कूल ज्यादा अच्छे है .भले ही फीस कितनी भी क्यों न हो ..........जब आप पर कोई मुसीबत आती है तब भी आप भारत की पुलिस को शक की निगाह से ही देखते है ...........और यह सब बताता है कि आप एक संवेदन शील प्राणी ही नही है बल्कि ये भी जानते है कि आप के देश में जो भी हो रहा है वो गलत हो रहा है पर आप को लगता है कि आप अकेले क्या कर सकते है .........चलिए आज आपको फिर एक कहानी सुनाता हूँ ............एक बार एक बहुत बड़ी इमारत में आग लग गई .......दम कल आई .......लोगो के चीख पुकार की आवाज़ आ रही थी .ऐसा लग रहा कि सब कुछ खत्म हो जायेगा .......हर व्यक्ति अपने स्टार पर कोशिश कर रहा था ...एक दूर पेड़ पर चिड़िया भी ये सब देख रही थी ..........न जाने उसे क्या समझ में आया और वो उड़ कर गई और दूर पर एक तलब से अपनी चोच में पानी भर लायी और वो भो उस इमारत पर डालने लगी ....फिर तो जैसे ये कर्म चल निकला वो बार बार जाती और अपनी चोच में पानी ला कर उस इमारत पर डालती ......उसकी इस हरकत को एक कौवा भी देख रहा था .इउसे चिडया का ये प्रयास न तो समझ में आ रहा था .और न ही वो इसे अक्लमंदी मान रहा था ...........जब उससे नही रहा गया तो वो उड़ कर चिड़िया के पास पंहुचा और बोला .......कि झा पर लोग दमकल सब लग कर आग बुझा रहे है ....वह तुम्हरी इस नन्ही सी चोच से भला क्या आग बुझेगी ............तुम व्यर्थ  में मेहनत क्यों कर रही हो .ये तो सिर्फ बेवकूफी है ........पागल हो ...........तुम्हरे इस प्रयास से न तो किसी की जान बचेगी और न ही ये ईमारत बचेगी ????????? चिड़िया कौवा की बात सुन कर हसी और बोली ......हा कौवा जी आप बिलकुल सही कह रहे है .मेरे जैसे नन्हे प्राणी से इस ईमारत का कुछ भी भला नही होने वाला पर जब भी भविष्य में इस ईमारत के बारे में , इसके जलने के बारे में इतिहास लिखा जायेगा तो मुझे यह अफ़सोस नही रहेगा कि जब ईमारत जल रही थी तो मई चुपचाप बैठ कर देख रही थी .मैंने उसको बचने के लिए कुछ नही किया ..........और उसी बेशर्मी से बचने के लिए मै अपनी सीमा के अनुसार  प्रयास कर रही हूँ ......ताकि इतिहास मुझे मेरे प्रयास के लिए याद करे न कि इसके लिए कि मै भी जलने देने में सहायक थी क्यों कि मैंने कुछ किया ही नही ..कौवा ने उसकी बात सुनी और वो भी उड़ गया पानी लाने के लिए ..........क्या हम इस कहानी से ये नही समझ सकते कि बार बार ये मत कहिये कि सिर्फ मेरे अकेले के वोट डालने से क्या होगा .जब भी भारत में परिवर्तन की बात होगी तो आपको खुद इस बात पर फक्र होगा कि आपने भी अपने स्तर पर प्रयास किया था ....पर आपको ये लगता है कि एक मत से दुनिया नही बदल जाएगी ...एक बार आप उस चिड़िया की तरह प्रयास तो करिये .हर कोई उस कौवा की तरह आपके साथ हो जायेगा और आपके विधान सभा , संसद में वही लोग होंगे जो आपकी इच्छा के प्रतिबिम्ब होंगे पर उन सब के लिए एक बार सिर्फ देश को सोचते हुए अपने घर से निकलना पड़ेगा और जलती ईमारत  की तरह जलते देश को चिड़िया की चोच में आये पानी जितने अपने मत से जलने से बचा लीजिये ...पर इसके लिए आपको अपने घर से निकलना होगा ....अपना मत देना होगा .......आज अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपको ये कहानी इस लिए नही सुना रहा क्योकि आप को लोरी सुनकर सोने की आदत है ........बल्कि अखिल भारतीय अधिकार संगठन  इस लिए सुना रहा है क्यों कि आप ये तो मानते ही है कि आप चिड़िया से बड़े है .उस से ज्यादा बुलंद आपके हौसले है .और हो भी क्यों न आप मनुष्य जो है..इस पूरी पृथ्वी सी सबसे सुन्दरतम कृति ........पर एक बार इस भारत को भी तो सुन्दरतम रूप दे दीजिये ........अपने मत का सही प्रोयोग कीजिये .और एक अन्ना के रस्ते पर चलने वाले को विधान सभा तक पंहुचा दीजिये ........कल फिर आपको हिलाने की कोशिश करूंगा क्योकि आप व्यस्त है और मेरे पास करने के लिए कुछ भी नही सिवा माँ का कर्ज उतरने के ..क्या आप मेरे साथ है /.................

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