Monday 16 February 2015

valentine day ka darshan


वैलेंटाइन डे या १४ का दर्शन
इतना ज्यादा व्यस्त हूँ कि प्रेम की बात करने का मन तो नहीं है पर हर साल जितना प्रेम दिवस को लेकर हल्ला मचता है तो लगता है कुछ लोगो को तो जगा दूँ ( आप कहेंगे हम  सोये ही कब थे ) खैर इतना तो आपके जज्बे को मानना ही पड़ेगा कि आप खुल कर ये मानते है कि प्रेम को आप पनपने नही देंगे और जब पडोशी देश आपकी बात मान कर सिर्फ विष का वमन करता है तो आप प्रेम का सन्देश देते है | वैसे आज इस देश के लोग समझ गए होंगे कि जब इतना खुल कर आप प्रेम का विरोध करते है तो दबे पावँ क्या करते होंगे खैर जाने दीजिये मैं तो सिर्फ ये कहना चाहता था कि वललेन्तीने एक रोमन संत थे जो लोगो में प्रेम का प्रचार करते थे और इसी लिए उनको फांसी दी गयी थी और १४ फरवरी को वो पैदा हुए थे पर क्या आपने कभी सोचा १४ के बारे में !!!!!!!!!!!!!!!!!!! खैर आपको हिंदी में कुछ समझ में कहा आता है आप तो सिर्फ अंग्रेजी समझते है ना !!!!!!!!!!! तो लीजिये १४ यानि आई लव यही तो कहते है आप कोड में पर यहाँ १४३ यानि आई लव यू  पर वैलेंटाइन तो सिर्फ यही कहा आई लव ( १४) ये गलती किसकी है आपकी या किसी और की अब ये आप पर है की आप आई लव (१४) के साथ देश , माँ बहन , किसे जोड़ना चाहते है ????????? कुछ समझे १४ फ़रवरी का अटलब खैर आप व्यंग्य ही समझेंगे क्योकि सीधी बात आप ना कहते है ना सुनते है .........डॉ आलोक चांटिया ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday 12 February 2015

२०१९ में पूरे भारत में होगी झाड़ू से सफाई

नरेंद्र मोदी चाहते है २०१९ तक पूरा देश हो स्वच्छ .........
जिसे देखिये वही कहते मिल जायेगा क्या दिया नरेंद्र जी ने ९ महीने में | पहले तो जाने लीजिये कि अभी नव महीने पूरे कहा हुए जब तक पूरे होने दिल्ली में अरविन्द ( कमल ) की किलकारी सुनाई देने लगेगी | और शायद कि कभी पैदा हुआ गोल मटोल बच्चा किसी को प्यारा न लगा हो जिसे देखिये वही गोद में उठाना चाहता है | यहाँ तक अगर वो आपके कपडे भी गंदे कर दे तो आप को कहा बुरा लगता है | तो हो जाइये तैयार दिल्ली में नरेंद्र मोदी जी के ९ महीने ( २६ फ़रवरी २०१५) का मजा | वैसे आपको मानने की आदत नहीं और आप किसीकी बात सुनते नहीं | शायद आपको याद नही कि नरन्द्र जी ने खुद कहा है कि २०१९ तक पूरे भारत को स्वच्छ कर दीजिये | अब फिर ये ना पूछियेगा कि सफाई होगी किससे????? झाडूं से और किससे और २०१९ में फिर से लोकसभा चुनाव है तो “आप “ जान गए होंगे कि नरेन्द्रजी २०१९ में क्या चाहते है ???? गाँधी की राह पर चलने वाले नरेंद्र जी अगर गाँधी की तरह ( गाँधी जी एक दीवान के लड़के थे और सुख सुविधा के लिए सक्षम थे ) कपडे से मोह नही छोड़ पा रहे तो क्यों हाय तौबा मची है | नरेंद्र जी को तो बचपन से सारी सुवधा नही मिली ना और अब जब ऐसा कर रहे है तो आप कहते है उन्होंने १० लाख का कोट क्यों पहना ???? क्या आप नहीं चाहते कि इस देश का गरीब कभी कीमती कोट पहने ?????? नरेन्द्रजी हमारे आदर्श होने चाहिए क्योकि उन्होंने वल्लभ पटेल की दुनिया की सबसे ऊची मूर्ति लगवाने जा रहे है और तो और उन्होंने गुजरात में उन्हें जो बट्टा मिलता था उसको भी उन्होंने सरकारी खजाने में दे दिया और चतुर्थ कर्मचारी के लाभ के लिए काम में लगाने को दिया | अब आप ये बात न कहियेगा कि पटेल जब उपप्रधानमंत्री बने तो उनको इतना भत्ता भी नही मिलता था कि उससे पाने परिवार का खर्चा चला पाते इसी लिए एक बार जब उनके घर की चाय पार्टी पर कुछ नेता ने उनकी बेटी की सिली हुई धोती देखकर कहा कि किसी उद्योगपति से कह दो साडी का ढेर लग जायेगा पर उनकी बेटी ने कहा कि मेरे पिता के आमदनी से इतना ही हो सकता है और मैं खुश हूँ | अब मोदी जी अगर इन सब बातो का ख्याल नही रखते तो ठीक ही तो है क्योंकांग्रेसियों की बढाई करें | क्यों करें ??? क्या ये कम है कि वो सबको लेकर चल रहे है क्योकि उनको संविधान के प्रस्तवना हम भारत के लोग का मतलब पता है और इसी लिए दिल्ली में अरविन्द( कमल ) का साथ दिया तो पूरे भारत से गाँधी और पटेल की बात कर रहे है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि वो चाहते कि २०१९ में पूरे भारत में स्वच्छता के नाम पर झाडू लगे ( व्यंग्य है पर सच है आइये हम समझे ) नरेंद्र जी को इस देश का दर्शन समझना होगा ...डॉ आलोक चान्टिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday 11 February 2015

भारतीय जनता .........पार्टी है पार्टी

भारतीय जनता!!!!!!!!!!!!!!!!!पार्टी है
अंग्रेज आकर इस देश से चले गए पर जाते जाते देश के संविधान में अनुच्छेद ३४९ का गिफ्ट दे गए जिसके हिसाब से जो शब्द अंग्रेजी के है और उनका प्रयाग ज्यादा होता हैतो उसको उसी रूप में हिंदुस्तानी भाषा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ....अब आईये पार्टी पर , आप सबका तो पता नहीं पर मुझे बचपन से यही पता है कि पार्टी का मतलब है किसी ख़ुशी को जाहिर करने के लिए मौज मस्ती ...........अब आज के बाद ये तो नहीं कहेंगे कि पार्टी का मतलब नहीं पता और आज जान गए ना कि देश में राजनीति करने वाले अपने संगठन को पार्टी का नाम क्यों देते है | समझे की नहीं हर राजनितिक संगठन चुनाव के समय क्यों इतने वादे करती है अब जब पार्टी है तो कह दिया मौज मस्ती में कि ये करेंगे वो करेंगे पर इसका मतलब ये थोड़ी ना कि मौज मस्ती में कही बात के लिए जान देंगे | तो आज के बाद किसी से ना कहियेगा कि फ्ला पार्टी ने अपना वादा पूरा नहीं नहीं किया | तो अब बताइये कि आप क्यों कहते है कि देश में सरकार बनाने के बाद वो कुछ नहीं हुआ जो कहा गया था | क्यों करे ????????? अरे भारतीय जनता !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! पार्टी है ये बस मौज मस्ती कीजिये देश जाये तेल लेने अपना काम निकालने के लिए कह दिया होगा कि ये करेंगे वो करेंगे पर इस देश में तो विद्वान रहते है क्या वो इतना नहीं समझते ????? तो लीजिये एक बार फिर कहते है भारतीय जनता .....................पार्टी पार्टी है समझे कि नहीं ( व्यंग्य समझ कर शब्द के असली अर्थ को समझे ) डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन


Tuesday 10 February 2015

बलि बेदी ..........या ........किरन बेदी

बलि ....बेदी यानि किरण बेदी
अब आप ना माने तो मैं क्या करूँ आप स्वतंत्र भारत में रहते है और किसी की क्या मजाल जो आपको मजबूर करे कोई बात मनवाने की पर इस देश को बहुत समय बाद एक बेहतरीन नेता मोदी के रूप में मिला जिको पता है कि शब्द कोष में बेदी का मतलब क्या होता है क्योकि दिल्ली में झाडूं के साथ कोई किरन तो दिखाई नहीं देती अब भला आप ही बताइये झाड़ू कब लगती है ???????? अरे बही सुबह सुबह और जब झाड़ू लगती है तो पूरब से निकलते सूरज से आपके आँगन में क्या आती है किरन !!!!!!!!!!!!!!!है कि नहीं तो झाड़ू को कौन समझ सकता था ??????????? किरन ना !!!!!!!!!! तो क्या बुरा किया चुनाव की बेदी पर झाड़ू के सामना करने के लिए किरन को सामने करके  !!!!!!!! आखिर जो देश के लिए सोचते है वो अपनी बलि देने से कब पीछे हटते है और देश के तो अब तो समझ गए ना की देश के लिए ही सोचने वाले नरेंद्र जी ने क्यों बलि .....बेदी के लिए किरन ....बेदी को चुना !!!!!!!!!!!! मैं नरेंद्र जी का कठोर समर्थक हूँ कि वो शतरंज कि बिसात को चलना जानते है काश कभी मैं भी चेक मेट करता .....देखिये देखिये वो वो कृष्णा नगर में बलि बेदी पर किरन बेदी चढ़ गयी क्या आपको सुबह झाड़ू के साथ किरन देखने का अब भी मौका मिलता है ( शहर में अब घरों में उची बिल्डिंग के सामने जाहदु लगने पर कभी घर के आँगन में किरन नहीं आती ) व्यंग्य के इस सच से आप सहमत है ????? डॉ आलोक चांटिया

क्या दिल्ली ने स्वच्छता का सही अर्थ समझा

दिल्ली ने नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर किया भरोसा .......
हे भगवन क्या होगा इस देश का ....सुबह से ही हर चैनल बस चिल्ला रहा है कि नरेन्द्र मोदी हर गए बी जे पी कीखुल गयी पोल ............कहा खुली पोल नरेंद्र  जी ने पिछले ९ महीने  में यही तो कहा कि सबसे पहले हमको स्वच्छ करना होगा देश को और उसके लिए सबसे पहले आदमी जहा रहता है वही से तो शुरवात करता है और वो तो हमारे आदर्श है इसी लिए उन्होंने दिल्ली से कर दी शुरवात .और सफाई होती किस्से है .........अब ये ना कहियेगा कि आपको नहीं पता कि झाड़ू और ना जाने कितनी बार नरेंद्र जी ने झाड़ू हाथ में पकड़ कर यही सन्देश दिया कि पहले झाड़ू पर विश्वास करो और लीजिये देश का दिल यानि दिल्ली ने नरेंद्र जी की बात दिल से लगा ली और आप कह रहे है कि नरेंद्र जी की ये हार है एकबार फिर सोचियेगा सवचछता में छिपे सन्देश को .......दिल्ली से सफाई अभियान के लिए दे तो दीजिये बधाई ...ना दीजिये मेरी बला से मैं तो नरेंद्र मोदी का हूँ और उन्ही का ही रहूंगा ( व्यंग्य की सच्चाई समझ कर पढ़िए ) डॉ आलोक चांटिया

Monday 9 February 2015

और ......त

और ........................त
और क्या अब मुझसे क्यों पूछ रहे है ये तो पूरा देश जनता है कि त से तमाशा | अब मानिये ना मानिये रोज इस देश के घर बाहर सड़क  चौराहे पर कोई मदारी सब से सामने खड़ा होता है , वो जो चाहता है कहता है , हँसता है , नाचने वाले को नचाता है , ताली बजती है , सीटी बजती है पर आप तो केवल तमाशबीन  है आपसे क्या मतलब कौन किसके साथ क्या कर रहा है आपको तो बस देख कर सुन कर मजा लेना है और सबके समाने मदारी कहता है ....................और .(त )  माशा शुरू ............पर आप तो शार्ट फॉर्म में जीते है तो लीजिये अब आपको ज्यादा समझ में आएगा .....और ...................त ( व्यंग्य कीहकीकत समझ कर देखिये की आज मदारी कौन है और हम किसको गली चौराहे पर नचा रहे है शायद आपको चौराहे पर मदारी के सिकंजे बंधे किसी की पुकार सुनाई पद जाये ) महिला के लिए बोलना शुरू कीजिये .......... डॉ आलोक चान्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday 8 February 2015

गौरी जिन्दा तो हो

महिला जिन्दा तो हो ...........
गौरी यानि पार्वती यानि उमा ने शिव को पाने के लिए ३७ हज़ार साल तपस्या की ( मुझे नहीं मालूम इतनी आयु के बारे में राम चरित मानस में लिखा है ) तब जाकर उनको भगवान शंकर के रूप में इस देश में एक इच्छा के अनुरूप व्यक्ति जीवन  साथ के रूप में मिला ......पर हम आप तो जगल और हिमालय पर रहने वाली गौरी से इतर शहर में रहने वाली गौरी का शरीर १९ साल में काट डाल रहे है तो आज की गौरियां कैसे तप करें कि उनको शिव सा व्यक्ति सामने दिखाई दे क्योकि अपनी छोटी सी तपस्या से जिसका भी वरन आज कि गौरी कर रही है वो तो कुटिया में ऋषि वेश बदल के आये रावण की तरह मिल रहा है | मैं जनता हूँ कि आप में से ना जाने कितने मेरी इस बात का विरोध करेंगे कि क्या लड़की सिर्फ शादी के निमित्त ही बनी है !!!!!!!!!!! न न न न मैं भी ये नही कह रहा है पर गौरी की तरह निर्विघ्न तपस्या भी तो आज की गौरी नहीं कर पा रही है | अगर गौरी घर से पढ़ने निकली तो मार दी जाती है | अगर लाँड्री जाती है तो मार दी जाती है |और अगर वो प्रेम जैसे शब्द को जीने लगे तो मार दी जाती है | अगर शादी हो जाये तो मार दी जाती है तो फिर आप भी मान लीजिये ना कि आज की गौरी की तपस्या शायद मौत पर ही खत्म हो रही है क्योकि आप कहेंगे कि औरत उपभोग की वस्तु तो है नहीं अब इतना कुछ करके भी आपको गौरी एक वस्तु से ज्यादा कुछ लगी | ओह हो आप तो रोज शाम को मोमबत्त्ती जला कर उसे ढूंढने निकलते है पर वो नही मिल रही है तो क्या हुआ आप तो संतोषम परम सुखम को जीते है मोमबत्ती की रौशनी में रोज कोई और गौरी मरी , बलात्कार की हुई मिल जाती है तो आपको तो रोज मुद्दा मिल रहा है ना वैसे जिस गौरी के लिए आप लड़ रहे है क्या उसको अमृत पिला का जिन्दा किया जा सकता है ?????? नहीं तो किसी जिन्दा गौरी के चारों और तब तक खड़े हो जाइये जब तक वो उस शिव के पास न पहुंच जाये जिसके लिए तस्य करने वो इस दुनिया में आई है | क्या आपको शिव मिले कभी ??? गौरी की नासमझी को क्या कहे ????( व्यंग्य के अंदर के भाव को समझिए सही ही सत्य है और सत्य ही सुन्दर है ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारीतय अधिकार संगठन

Saturday 7 February 2015

अबला के जीवन की कहानी

अबला जीवन हाय तुम्हारी  यही कहानी .....
कितना सुखद नाम रखा हमारे  धर्म मनीषियों ने आ .........बला ( मुझे मालूम है आपको मेरे अक्षर ज्ञान अच्छा नहीं लगेगा )  इस नाम के बाद कौन नहीं मानेगा कि हर महिला भस्मासुर खुद ही बनी है पहले माँ बन कर पुरुष दिए और बदले उनको अबला , रमडी जैसे नाम मिले !!!!माँ बनने का इससे अच्छा सम्मान और क्या मनुष्य दे सकता था वैसे आप ये तो मानते है ना कि जिन्दा लड़की का कोई मोल नहीं इस देश में , जब तक निर्भया मर नहीं गयी तब तक लड़की के लिए समाज नहीं उठा और अब लखनऊ में गौरी जब मार डाली गयी तो शुरू हो गया चीखने चिल्लाने की बात | कितना अनोखा है देश कि द्रौपदी की साड़ी उतरने पर नहीं बोला और जब उसका अपमान हो गया तो महा भारत कर डाला क्या हमको जिन्दा लड़की का बोलना अच्छा नही लगता या मरी , गूंगी लड़की पर ही दया दिखाने का मन करता है क्योकि जिन्दा तो सच बोलती नही | !!!!!!!! अब ऐसे झूठ बोलने वाली लड़की को क्या पैदा करना इसी लिए पैदा होने से पहले मार दो ( क्योकि  जिन्दा के लिए खड़े होने की आपको आदत नहीं ) पर आप याद तो करिये कि ना जाने कितने घरों में जब जब पुरुष पर कोई समस्या आई है तो पुरुष को बचने के लिए घर की औरत ( माँ बहन , पत्नी ) सामने आई है पर तब किसी पुरुष ने नही कहा कि इससे घर की इज्जत नीलम हुई पर जब भीकिसी महिला पर संकट आया तो उसी घर के पुरुष ने कहा कि कोई जरूरत नहीं फर्जी में बदनाम हो जायेंगे क्यों नहीं खड़ा हुआ पुरुष महिला के लिए ??????? ओह हो मैं तो भूल ही गया कि इज्जत का मतलब तो सब देख कर भी दुम दबा कर रहना है | खैर मैं कह रहा था कि आपने कितनी आसानी से कह दिया अबला जीवन हाय तुम्हारी  यही कहानी ....आँचल में दूध और आँखों में पानी  और अपनी तरह से अर्थ भी निकाल लिया पर इसका अर्थ ये भी तो है कि औरत के आँचल में भी दूध है जो एक आशय से मनुष्य को इस पृथ्वी पर जीवे का अर्थ देता है और जब दुनिया में सबकी आँखों में सूअर के बा उग आये है तब भी औरत के आँख में आज के दौर में भी पानी ( शर्म ह्या ) है पर आप क्यों मानने लगे मेरी बात ये भी कोई बात है कि औरत में एक भी अच्छाई देखी जाये | लगाये न आवाज कि ...ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ...सकल ताड़न के अधिकारी !!!!!!!!!! आरे पर्थिवीके सबसे बुद्धिमान पुरुष इसका मतलब ये क्यों नहीं कि ये सब तक तक आवाज ही नहीं करते जब तक इनको चोट ना पहुचाई जाये !!!!!!क्या अब भी नहीं मानोगे कि औरत तब तक नहीं बोलती जब तक उसकी अस्मिता गरिमा को चोट ना पहुचाई जाये !!!!!!! आखिर सांस्कृतिक आदर पर कैसे सिद्ध होगा आप महिला नहीं है | देखिये वो लड़की मारी जा रही है पर शांत रहिएगा लड़की लक्ष्मी होती है और लक्ष्मी चंचल  होती है और चंचल को सही रखने के लिए उसको बाँध ( मारना ) कर रखना जरुरी है | आइये किसी गौरी के मरने की खबर अख़बार में पढ़ते है | आखिर पढ़ना भी तो संस्कृति ही है ( व्यंग्य समझ कर अपने अंदर के हनुमान को जगाइए जो मंदिर में आपके नादेर है किसी सीता को बचाने  के लिए ) डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday 5 February 2015

बलात्कार तो माता पिता का दोष है >???????????????

चित्त भी मेरी और पट्ट भी मेरी .......
शब्द ब्रह्म है और शब्द को बहुत सोच समझ कर बोलना चाहिए ..ये मैं नहीं मेरे देश में कहा जाता है और मैं खुश हूँ पर क्या आप मुझे समझा सकते है कि अगली लाइन में किस मार्ग का अनुसरण करूँ
ये रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापत नही लपटे रहत भुजंग
और तो लीजिये नहले पर दहला
संगत से फल उपजे संगत से फल जाये ,
बांस फांस तो मिश्री एकै भाव बिकाए.....
हुए ना हम जगत गुरु
कभी सांप के लिपटने से भी चन्दन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और कभी कहते है जैसी संगति वैसा आदमी
पर इतनी बाड़ी बात के बात एक बात और
कहते है जस जाइके महतारी बाप तस तयीके लरका
औ जस जैकी घर द्वार तस तयीके फरका...........
अब जिस तरह से देश में लड़की के साथ बलात्कार छेड़ छाड़ हो रही है तो क्या मान ले कि ऐसा करने वाले के माँ बाप भी .............आगे आप कुछ ज्यादा समझदार है ( व्यंग्य जो समाज का नंगा सच दिखाना चाहता है )  सोचिये और किसी लड़की के लिए सुरक्षा का कवच बनिए ( डॉ आलोक चांटिया ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

महिला श्मशान में सुरक्षित है

महिला श्मशान में सुरक्षित है ........
जी आप जो सुन रहे है वो बिलकुल सच है क्योकि मैंने पिछले एक साल की विश्व भर की रिपोर्ट्स , न्यूज़ पेपर्स , टी वी., गूगल , देखने के बाद ये पाया कि किसी महिला के साथ छेड़ छाड़ , बलात्कार , किसी भी तरह की हिंसा श्मशान या कब्रिस्तान या ग्रेव यार्ड में नही हुई तो हुई न ये बात साबित कि महिला सबसे ज्यादा सुरक्षित यही है और बैठे बैठाये आप ये भी जान गए कि महिला शहर में असुरक्षित है | जी जी जीते जागते लोगो के बीच !!!!!!!!!!१ अब जब महिला ने आपकोजीवित मान ही लिया है तो कम से कम उसके साथ हुई किसी बदसलूकी पर बोल भी दीजिये कम से कम उसे ये तो जानने में आसानी रहेगी कि श्मशान कहा है ? आरे आपने ना जाने कितनी बार उसको अपने जीवित होने का एहसास कराया है जब उस पर तेजाब फेका है........... फब्ती कसी है ......... उतनी चंचलता आप उसे अब भी दिखा दीजिये जब वो चिल्लाती है बचाओ बचाओ !!!!!क्या आप नही बचाएंगे क्योकि अगर आप साथ देंगे तो पता चल जायेगा अपराधी कौन है और उसको सजा मिल जाएगी और आप चाहते है कि चुप रहे क्योकि तब लड़की के साथ होने वाले अपराध के लिए गवाही कोई देगा नहीं और औरत हार जाएगी और आप कह सकेंगे कि देखा औरत झूठ बोलती है वो बस फर्जी बात करती है वो पूरी तरह सुरक्षित है | क्या बात है आप ने कितनी आसानी से सिद्ध कर दिया कि जब औरत कुछ सिद्ध ही नहीं कर पायी और आप बाइज्जत छूट गए तो हुआ ना शहर श्मशान जहा औरत सबसे सुरक्षित है ( अब औरत के अपमान पर बोलेंगे नहीं तो शहर श्मशान से क्या कम है आखिर मुर्दे कब बोलते है ) व्यंग्य समझ कर आज की सच्चाई पढ़िए कभी सोचिये एक लड़की के लिए आप कितनी बार खड़े हुए .................डॉ आलोक चांटिया - अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday 4 February 2015

महिला का सम्मान क्यों नहीं होता है ????????????

महिला का सम्मान नहीं करना चाहिए ......
स्वंतंत्र भारत में सबसे बड़ा क्या है ???? देश का संविधान और इससे ऊपर कुछ है भी नहीं ( अब इतने संसोधन कर डाले तो बड़ा होगा भी नहीं ).अक्सर  हम सब अपने मूलाधिकार के लिए परेशान रहते है पर सरकार ने सोचा कि देश की जनता को ये भी तो बताना जरुरी है कि उसके दायित्व क्या है ???? और बस देश के संविधान में चौथे भाग में अनुच्छेद ५१ अ  जुड़ गया पर इसमें लिखा क्या है ?????
"महिला की गरिमा के लिए बुरी कुरीतियों का परित्याग " वाह वाह कितनी बढ़िया बात है ये देश कितना सजग है महिला के लिए और हो भी क्यों ना आखिर इस देश में ही महिला देवी समझी जाती है और यही देवी की शक्ति देखने के लिए अक्सर हम महिला के साथ कई अमानवीय हरकत करते है कि देखे देवी मेरा क्या बिगड़ लेती है कभी नाबालिग के साथ बलात्कार  तो कभी महिला पर तेजाब आउट तो और कल के अखबार में था कि लखनऊ में शहीदपथ पर १९ साल की लड़की के शरीर को आरे के काट कर फेका अब बताइये इसमें उन जानवरों का क्या दोष वो बेचारे तो देखने केलिए महिला देवी क्यों है सामाजिक शोध कर रहे है जैसे एडिसन ने अंडे पर बैठ कर देखा था कि अगर चिड़ियाँ के बैठने से बच्चे होते है तो उसके बैठने पर भी होंगे पर ये क्या अंडा तो फूट गया और न माया मिली न राम | यही हाल इस देश में महिला को देवी कह कर किया जा रहा है | वैसे आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है आप महिला के साथ हर दिन ऐसा ही करिये आखिर देवी को देखना है कि नहीं और फिर गीता में कहा गया है कि जब जब धर्म की हानि होगी तब तब भगवन अवतार लेंगे और इसका मतलब है की अभी महिला की इतनी दयनीय स्थिति के बाद भी धरम की हानि उतनी नहीं हुई है कि बगवान का अवतार हो !!!!!!!  वैसे भगवन अाये ना आये पर आप डरिये बिलकुल नहीं क्यों इस देश में संविधान से ऊँचा कुछ भी नही और आप तो जानते ही है कि नीति निदेशक तत्वों में उल्लिखित दायित्वों को न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती | तो बनने दीजिये रोज इस देश में महिलाओं के लिए कानून | पर आप महिला की गरिमा के विरुद्ध अपमान वाली कुरीति का परित्याग न कीजियेगा क्यों महिला की गरिमा गिरती रहे कौन उसको न्यायलय में चुनौती दी जानी है ( भैया मैं नहीं ये तो संविधान में लिखा है की ५१ अ को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती ) और तो और महिलाओ के लिए बने सैकड़ो कानून संविधान से ऊपर तो हो नहीं सकते और आप संविधान से ऊपर कुछ मानते नहीं ( सरकार भी संविधान को सर्वोच्च मानती है ) तो अब तो समझ गए ना कि कानून बनने के बाद भी देश में महिला की गरिमा क्यों तार तार हो रही है .आइये हम सब संविधान को सर्वोच्च मान कर उसकी हर बात का सम्मान करें ( इसे एक सच्चा व्यंग्य समझ कर पढ़े और लगे कि अंतरात्मा कहती है कि महिला के लिए कुछ किया जाये तो आगे आये ) डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday 2 February 2015

चोर चोर मौसेरे भाई

चोर चोर मौसेरे भाई ...........
देखिये अपनी बार शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूँ कि इस देश में नारी की पूजा होती है | उसका रूप देवी का है और इसी लिए दुनिया में ये देश अलग है | हम धरती को भी माँ कहते है और गंगा को भी माँ कहते है | मतलब मैं इतना कह चूका और आप समझ ही नहीं पाये आरे भैया इस देश में अगर किसी आदमी के दो बेटी हुई और उन बेटियों की शादी हुई और जब बच्चे हुए तो वो क्या कहलायेंगे ???????????? मौसेरे भाई और मौसेरे भाई क्या होते है .......चोर हा हा चोर यानि जिनके भी घर दो बेटियां है उनके कारण इस देश को चोर मिलने की संभावना ही ज्यादा  है | पर ये मैं नहीं कह रहा आप ही सदियों से कह रहे है चोर चोर मौसेरे भाई | अब दो भाइयों के बच्चे तो चोर हो नहीं सकते | अब तो समझ गए होंगे ना कि क्यों लोग लड़के ज्यादा चाहते है और लड़की नहीं | और यही नहीं अगर लड़की पैदा भी हो सिर्फ एक क्योकि तब मौसेरे भाई होंगे ही नहीं और चोर भी नही होंगे ( अब ये ना पूछियेगा कि फिर इतने चोर क्यों है पता नहीं आप ना जानते हो कई बहाने लोगो को  पता ही ना हो ) अब जान पाये कि नहीं क्यों लोग एक लड़की चाहते है | अब आप ही बताइये कि जब संस्कृति ही सिर्फ एक लड़की की बात करता हो तो उस देश में लड़की की संख्या घटने पर क्यों शोक | आखिर आप क्यों चाहेंगे कि पूरा देश मौसेरे भाइयो से भरा हो ( वैसे फिर ये चोरों की जमात आई कहा से...अब चरित्र पर ऊँगली तो उठना ठीक नहीं ).| क्या आपको अभी भी शक है कि ये वही देश है जहा औरत को देवी समझा जाता है वैसे क्या आप जानते है कि दो भाइयों के चोर चोर चचेरे भाई क्यों नहीं ????? बताइयेगा जरूर और हा दो बहनो के लड़के ही चोर होंगे अब आप ही बताइये कि इन बहनो के लड़की हुई या नहीं ( अब तो समझ गए न कि लड़की के लिए हम कितने संवेदनशील है ) वो देखिये सामने वाले घर में फिर एक लड़की हो गयी !!!!!!!!!!! क्या एक चोर बढ़ने की सम्भावना बढ़ गयी ( अब ये ना पूछियेगा कि क्यों लड़की की संख्या घट रही है ) क्या आप मौसेरे भाई है ??????????? लड़की के लिए हम सबको अपना दृष्टिकोण बदलना होगा .....डॉ आलोक चांटिया ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन