महिला का सम्मान नहीं करना चाहिए ......
स्वंतंत्र भारत में सबसे बड़ा क्या है ???? देश का संविधान और इससे ऊपर कुछ है भी नहीं ( अब इतने संसोधन कर डाले तो बड़ा होगा भी नहीं ).अक्सर हम सब अपने मूलाधिकार के लिए परेशान रहते है पर सरकार ने सोचा कि देश की जनता को ये भी तो बताना जरुरी है कि उसके दायित्व क्या है ???? और बस देश के संविधान में चौथे भाग में अनुच्छेद ५१ अ जुड़ गया पर इसमें लिखा क्या है ?????
"महिला की गरिमा के लिए बुरी कुरीतियों का परित्याग " वाह वाह कितनी बढ़िया बात है ये देश कितना सजग है महिला के लिए और हो भी क्यों ना आखिर इस देश में ही महिला देवी समझी जाती है और यही देवी की शक्ति देखने के लिए अक्सर हम महिला के साथ कई अमानवीय हरकत करते है कि देखे देवी मेरा क्या बिगड़ लेती है कभी नाबालिग के साथ बलात्कार तो कभी महिला पर तेजाब आउट तो और कल के अखबार में था कि लखनऊ में शहीदपथ पर १९ साल की लड़की के शरीर को आरे के काट कर फेका अब बताइये इसमें उन जानवरों का क्या दोष वो बेचारे तो देखने केलिए महिला देवी क्यों है सामाजिक शोध कर रहे है जैसे एडिसन ने अंडे पर बैठ कर देखा था कि अगर चिड़ियाँ के बैठने से बच्चे होते है तो उसके बैठने पर भी होंगे पर ये क्या अंडा तो फूट गया और न माया मिली न राम | यही हाल इस देश में महिला को देवी कह कर किया जा रहा है | वैसे आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है आप महिला के साथ हर दिन ऐसा ही करिये आखिर देवी को देखना है कि नहीं और फिर गीता में कहा गया है कि जब जब धर्म की हानि होगी तब तब भगवन अवतार लेंगे और इसका मतलब है की अभी महिला की इतनी दयनीय स्थिति के बाद भी धरम की हानि उतनी नहीं हुई है कि बगवान का अवतार हो !!!!!!! वैसे भगवन अाये ना आये पर आप डरिये बिलकुल नहीं क्यों इस देश में संविधान से ऊँचा कुछ भी नही और आप तो जानते ही है कि नीति निदेशक तत्वों में उल्लिखित दायित्वों को न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती | तो बनने दीजिये रोज इस देश में महिलाओं के लिए कानून | पर आप महिला की गरिमा के विरुद्ध अपमान वाली कुरीति का परित्याग न कीजियेगा क्यों महिला की गरिमा गिरती रहे कौन उसको न्यायलय में चुनौती दी जानी है ( भैया मैं नहीं ये तो संविधान में लिखा है की ५१ अ को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती ) और तो और महिलाओ के लिए बने सैकड़ो कानून संविधान से ऊपर तो हो नहीं सकते और आप संविधान से ऊपर कुछ मानते नहीं ( सरकार भी संविधान को सर्वोच्च मानती है ) तो अब तो समझ गए ना कि कानून बनने के बाद भी देश में महिला की गरिमा क्यों तार तार हो रही है .आइये हम सब संविधान को सर्वोच्च मान कर उसकी हर बात का सम्मान करें ( इसे एक सच्चा व्यंग्य समझ कर पढ़े और लगे कि अंतरात्मा कहती है कि महिला के लिए कुछ किया जाये तो आगे आये ) डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन
स्वंतंत्र भारत में सबसे बड़ा क्या है ???? देश का संविधान और इससे ऊपर कुछ है भी नहीं ( अब इतने संसोधन कर डाले तो बड़ा होगा भी नहीं ).अक्सर हम सब अपने मूलाधिकार के लिए परेशान रहते है पर सरकार ने सोचा कि देश की जनता को ये भी तो बताना जरुरी है कि उसके दायित्व क्या है ???? और बस देश के संविधान में चौथे भाग में अनुच्छेद ५१ अ जुड़ गया पर इसमें लिखा क्या है ?????
"महिला की गरिमा के लिए बुरी कुरीतियों का परित्याग " वाह वाह कितनी बढ़िया बात है ये देश कितना सजग है महिला के लिए और हो भी क्यों ना आखिर इस देश में ही महिला देवी समझी जाती है और यही देवी की शक्ति देखने के लिए अक्सर हम महिला के साथ कई अमानवीय हरकत करते है कि देखे देवी मेरा क्या बिगड़ लेती है कभी नाबालिग के साथ बलात्कार तो कभी महिला पर तेजाब आउट तो और कल के अखबार में था कि लखनऊ में शहीदपथ पर १९ साल की लड़की के शरीर को आरे के काट कर फेका अब बताइये इसमें उन जानवरों का क्या दोष वो बेचारे तो देखने केलिए महिला देवी क्यों है सामाजिक शोध कर रहे है जैसे एडिसन ने अंडे पर बैठ कर देखा था कि अगर चिड़ियाँ के बैठने से बच्चे होते है तो उसके बैठने पर भी होंगे पर ये क्या अंडा तो फूट गया और न माया मिली न राम | यही हाल इस देश में महिला को देवी कह कर किया जा रहा है | वैसे आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है आप महिला के साथ हर दिन ऐसा ही करिये आखिर देवी को देखना है कि नहीं और फिर गीता में कहा गया है कि जब जब धर्म की हानि होगी तब तब भगवन अवतार लेंगे और इसका मतलब है की अभी महिला की इतनी दयनीय स्थिति के बाद भी धरम की हानि उतनी नहीं हुई है कि बगवान का अवतार हो !!!!!!! वैसे भगवन अाये ना आये पर आप डरिये बिलकुल नहीं क्यों इस देश में संविधान से ऊँचा कुछ भी नही और आप तो जानते ही है कि नीति निदेशक तत्वों में उल्लिखित दायित्वों को न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती | तो बनने दीजिये रोज इस देश में महिलाओं के लिए कानून | पर आप महिला की गरिमा के विरुद्ध अपमान वाली कुरीति का परित्याग न कीजियेगा क्यों महिला की गरिमा गिरती रहे कौन उसको न्यायलय में चुनौती दी जानी है ( भैया मैं नहीं ये तो संविधान में लिखा है की ५१ अ को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती ) और तो और महिलाओ के लिए बने सैकड़ो कानून संविधान से ऊपर तो हो नहीं सकते और आप संविधान से ऊपर कुछ मानते नहीं ( सरकार भी संविधान को सर्वोच्च मानती है ) तो अब तो समझ गए ना कि कानून बनने के बाद भी देश में महिला की गरिमा क्यों तार तार हो रही है .आइये हम सब संविधान को सर्वोच्च मान कर उसकी हर बात का सम्मान करें ( इसे एक सच्चा व्यंग्य समझ कर पढ़े और लगे कि अंतरात्मा कहती है कि महिला के लिए कुछ किया जाये तो आगे आये ) डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन
your writing skills and thoughts are heart touching keep it up dear
ReplyDeleteour blog portal is http://www.nvrthub.com
your writing skills and thoughts are heart touching keep it up dear
ReplyDeleteour blog portal is http://www.nvrthub.com