Monday 27 October 2014

जीवन किसका कैसा

जानता हूँ मौत मेरे ,
इर्द ही है  घूम रही ,
चल जिंदगी तुझे कोई ,
फिर मिल जाये सही ,
रास्ते होते नही खुद ,
बनाये जाते यहाँ ,
खीच ले एक बार फिर ,
आज फिर जाता कहाँ,
श्वानों के शोर से ,
गज कभी डरता नहीं ,
गीदड़ों के बीच में ,
वीर कभी मरता नहीं ,
सीपियों के बीच में ही ,
मोती की पहचान है ,
स्वाति की ओज से ,
नहीं कोई अनजान है ,
मुस्कराता गुलाब देखो,
काँटों के बीच रह कर ,
जी कर एक बार देखो ,
झूठो के बीच रह कर ,
कर्ण हरिश्चंद्र सब यही ,
सच के खातिर जी गए ,
जो जिया न्याय को ,
नाम उसी के रह गए ...................राम , कर्ण , हरीश चन्द्र राणा प्रताप कुछ ऐसे नाम है जिनके जीवन में हमेशा सुख बना रहता है अगर वो अपने जीवन को उस तरह से चलते जैसा झूठे फरेबी , मक्कार , असत्य पर चलने वाले चाहते थे पर ऐसा ना करके ही उन्होंने समाज और उसका अर्थ हमारे सामने रखा , शिक्षकों से अपील है कि वेतन भोगी से ज्यादा एक ऐसी रास्ते का निर्माण करें जिससे आने वाली पीढ़ी एक और उन्नत सामज को बनाने में योगदान कर सके

जीवन और मौत

तोड़ कर मुस्कराहट
का एक गुच्छा ,
काश मैं तुझको ला,
के दे पाता,
बदहवास सी होती ,
जिंदगी को कोई ,
तिनके का सहारा ,
करा पाता,
बहती ना अंतस ,
की जिन्दा कहानी ,
जो तूने हर रात ,
बुनी  थी कि ,एक राजा ,
था एक रानी ,
चांदनी सी पसरती ,
झींगुरों के गान में ,
नीरवता को समेटे ,
तिमिर किसी प्रान में ,
सिर्फ शेष अब रह गया ,
समय का वो उजास ,
गुजरे जिनमे थे कभी ,
सिंदूरी से प्रकाश ,
लगता है हो कही यही ,
पर सच ये भ्रम है ,
आने जाने का यहाँ ,
ना जाने कैसा क्रम है ...................जीवन और मौत दोनों एक मात्र सच है

Tuesday 21 October 2014

लक्ष्मी गणेश की पूजा साथ में क्यों

ली के इतने रंग है कि क्या क्या लिखूँ??/
आज मैं अपने शिष्य के साथ लक्ष्मी गणेश लेने गया | विद्यार्थी बार बार गुरु गुरु जी कर रहा था | मैं कह रहा था कि भगवन को लेने में क्या सुन्दर और अच्छा \ दुकान दार मेरे लम्बे बालों को देख कर समझा कि शायद कोई पडित जी है | उसने उत्सुकतावश पूछ लिया कि गुरु जी ये लक्ष्मी गणेश साथ साथ जब कि लक्ष्मी जी तो विष्णु जी की पत्नी है | हमारे देश का यही दोष महिलाओं को जीने नही दे रहा कि पुरुष दिखा नहीं साथ में कि सोच में बस एक रिश्ता और एक कुंठा !!!!! मैंने कहा कि  लक्ष्मी गणेश जी के किस तरफ रखी जाती है ??? उसने कहा दायीं तरफ !! तो मैंने कहा कि भरित्ये परम्परा में दाई तरफ स्त्री के भाई या पुत्र ही बैठता है | अब बात रही कि गणेश जी लक्षिमी के भाई है या पुत्र तो पुराण में उसकी एक कहानी है ___________ एक बार विष्णु और लक्ष्मी में श्रेष्ठता को लेकर बहस होने लगी लक्ष्मी का मानना था कि दुनिया उन्ही के कारण चल रही है और विष्णु पालनहार होने के कारण अपने को उच्च बता रहे थे | क्रोध में आकर विष्णु ने लक्ष्मी से कह दिया कि अपने घर को एक संतान तक दे नहीं पायी तुम क्या किसी और का जीवन चलाओगी??? लक्ष्मी को ये बात चुभ गयी कि विष्णु जी ने उन्हें संतान न होने का ताना दिया है | और वो दुखी मन से अपने सहेली पार्वती के पास पहुंची और साडी घटना बताई | ये सुन कर पार्वती बोली कि मेरी दो  संतान कार्तिकीये और गणेश है जो तुम चाहो एक ले लो | लक्ष्मी जी ने गणेश पर सहमति जताई तो पार्वती जी ने उनको गणेश जी को दे दिया | पार्वती का ये त्याग देख कर लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और बोली कि मैं अपने दत्तक पुत्र गणेश का विवाह अपनी देवियों ऋद्धि और सिद्धि से करुँगी और मेरी कोई भी पूजा तब तक सार्थक नहीं होगी जब तक लोग मेरे पुत्र गणेश की पूजा साथ में नहीं करेंगे | और बस माँ पुत्र की पूजा शुरू हो गयी तब से | मेरी बात सुन कर दुकानदार बोला कि गुरु जी आपने पहली बार मेरे संदेह को दूर किया आपका धन्यवाद | मैंने कहा सुनो बाद में गणेश की शादी ऋद्धि सिद्धि से हुई और उनसे दो पुत्र शुभ और लाभ हुए | अब तो आप जान गए होंगे कि घर में गणेश , ऋद्धि सिद्धि और शुभ लाभ क्यों लिखा रहता है | तो जब भी किसी त्यहार को मानिये तो उसका दर्शन जरूर जानिए और इसी लिए अखिल भरित्ये अधिकार संगठन आपको जागरूक करने सतत लगा हुआ है | आपको सभी को पटाखा मुक्त आलोक पर्व शुभ हो

आदमी कहा चला गया

मर जाने पर तो ,
जान भी लेते है ,
लोग की सामने वाले ,
घर में रहता था कौन ,
जिन्दा रहने पर,
सामने रहता है ,
कौन सुनकर साध ,
लेते है मौन ,
क्यों बना रहे है हम ,
मौत से रिश्तों को ,
जानने का सिलसिला ,
जिन्दा रहने पर ,
कितना अकेला रहा ,
आदमी उसे क्या मिला ?
कभी मुड़ कर देख ,
लिया करो उसका भी ,
घर जो तुम्हारा नहीं ,
देखती है आँखे आरजू से ,
जो आदमी है सिर्फ ,
रिश्तों में हमारा नहीं .................आज हम क्यों नहीं आदमी के लिए खड़े होते है बल्कि हम उसके लिए पूछते है यार ये जो मरा कौन था या फिर लाश घाट पर कब पहुंचेगी ? या हम उसके लिए क्यों कुछ करें ????? ,

Monday 20 October 2014

तेरहवीं त्यौहार की भी


कल त्यौहार की तेरहवीं है .............
हमारी संस्कृति में तेरहवीं को अशुभ माना जाता है पर कल भी तेरहवीं है पर एक त्यौहार की ओर देखिये उसको मानाने के लिए लोग कितना आतुर है जिसे देखिये वही बाजार दौड़ा चला जा रहा है मानो ऐसी तेरहवीं फिर न आएगी | न जाने कितनी खरीददारी कर लेना चाहता है आदमी !!!!!! तो क्या आदमी की तेरहवीं और त्यौहार की तेरहवीं में भी फर्क है | जी जी है है आदमी की तेरहवी में हम खाना खाने  के लिए जाते है ओर इस तेरहवीं में खाने  के लिए बर्तन लाते है तो क्या आप तेरहवीं के लिए तैयार है !!!!!!!!!!!!!व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Tuesday 14 October 2014

रिश्ते का सच

क्या रिश्ता सिर्फ ???? ही समझते है
आप ही नहीं मैं भी हुद हुद का मजा लेना चाहता था और मेरी ये इच्छा पूरी की भारतीय जीवन बीमा निगम ने | हुआ यूँ कि मैं अपनी पालिसी की प्रीमियम जमा करके आया था पर मुझे खबर दी गयी कि मेरा चेक बाउंस हो गया है | ये मेरे लिए एक झटका था पर मैंने भगवन को धन्यवाद दिया कि चलो इसी बहाने हुद हुद का मजा लेने का मौका दिया | मैं जल्दी से दौड़ा बैंक के लिए पर जब पंहुचा तो करीब ४.३० बज रहे थे और बैंक का सामान्य काम खत्म हो चूका था | गेट बंद कर दिया गया था | मुझे छोड़ कर ६ लोग और भी हुद हुद की दुहाई देकर बैंक का दरवाजा खोलने की प्रार्थना कर रहे थे पर बैंक बंद हो चूका है , ये कह कर दरवाजा नहीं खोला गया | मैंने आज तक कभी गलत काम के लिए हाथ नही जोड़ा और इसी लिए मैंने कुछ कहे वापस जाने का फैसला किया और जैसे ही लौटने लगा तो एक जोर से आवाज सुनाई दी ...भैया भैया आप !!!!!!!!!!!! यहाँ आपको क्या काम है और एक लड़की ने जल्दी से बढ़ कर दरवाजा खोल दिया | आइये आइये भैया आइये अंदर आइये बताइये क्या काम है आज आप बहुत दिन बाद आये क्या आपको अपनी बहन याद नहीं आती !!!!!!!!! मैं कुछ बोलता कि वो बैंक मैनेजर के सामने जाकर कड़ी हो गयी .साहब ये मेरे भाई है | ये बहुत अच्छे है ये तो बिना कुछ कहे जा रहे थे वो तो मैंने देख लिया वरना ये तो चले जाते | साहब देख लीजिये इनका क्या काम है | बैंक मैनेजर भैया भैया सुन कर बोले तुम इनको कैसे जानती हो ? आरे साहब इन्होने ही तोमेरी बेटी के कान का इलाज़ कराया था और इन्होने मुझे अपनी बहन बनाया था | ये मुझको अनुपालक नहीं मानते | साहब भैया बहुत अच्छे है | बैंक मैनेजर ने कहा ठीक है तुम जाओ मैं देखता हूँ और मेरी वो बहन फिर बैंक में झाडूं लगाने चली गयी | मेरे कारण ६ लोगो का भी काम हो गया था | मैं अपने काम के बाद मैनेजर साहब से नमस्ते करके चला तो वो फिर आ गयी | अच्छा भैया नमस्ते , कभी कभी याद कर लिया करिये और उसने बैंक का दरवाजा बंद कर लिया | मैं हुद हुद का मजा लेते हुए गाड़ी चला रहा था और सोच रहा था क्या एक छोटा सा अच्छा काम इस बहन को आज तक याद है और वो उस मेरे छोटे से प्रयास के लिए अपनी जान निकाले दे रही है तो वो कौन लोग है जिनके साथ मैं २४ घंटे रहा और आज उनको पता भी नही कि मैं जिन्दा हूँ भी या नहीं !!!!!!!!टी ओक्या समझ के दबे कुचले या गरीब लोग ही रिश्ता समझते है ????????????? क्या मैं गलत समझ रहा हूँ

Saturday 11 October 2014

करवा चौथ ..........यही सच है

करवा चौथ का सच ...........
न जाने कितना व्यवसाय हो जाता है इस दिन के नाम पर पर क्या इस देश में घरेलु हिंसा वाली महिलाये करवा चौथ का व्रत नहीं रख रही है ??? शराबी के लिए करवा चौथ का व्रत ???? खैर आपको आज के दिन ये सब कहा सुनना पसंद !!!!!!!!! वैसे तो करवा उस बर्तन को कहते है जिसमे अनाज रखा जाता है और इस समय गेहूं बोन का समय है तो बीज को सहेज कर जिस बर्तन में रखा जाता था उसको पूजा योग्य समझा जाता था पर आपको तो करवा चौथ का मतलब सिर्फ पति पत्नी तक ही देखना है तो आइये देखिये इसका सच ..............पहले के समय में जब लड़की की शादी होती थी तो अपने घर से दूर लड़की को दूसरे गाओं में अकेले रहना पड़ता था | आज की तरह गाड़ी घोड़ा , फ़ोन , मोबाइल , लैपटॉप तो था नहीं | इस लिए जब लड़की की शादी होती थी तो उसके साथ एक लड़की और भेजी जाती थी जिसके लिए शादी के समय ही कंगन की रस्म की जाती थी | आपने भी ऐसा देखा होगा | वो लड़की दुलहन की कंगना बहन या इश्वरिये बहन कहलाती थी | अब विवाहित लड़की को अपनी ससुराल में अकेला पन नहीं लगता था और वो अपना सुख दुःख उसी कंगना बहन से बांटती थी | ससुराल वाले उस कंगना बहन को अपनी बेटी की तरह रखते थे और पास के ही गावं में विवाह कर देते थे ताकि सम्बन्ध बना रहे | दोनों लड़कियों के इस सम्बन्ध को ही हर वर्ष की कार्तिक चौथ को मनाया जाता था पर चुकी दोनों बहन बनी थी उस पीटीआई के कारन जिससे शादी हुई थी तो विवाहिता अपने पति के लिए प्रार्थना और व्रत रखती थी और bas वही से कंगना बहन तो गायब हो गयी शेष रह गए पति जी और करवा चौथ अनाज के लिए बीजों और कंगना बहन से के बजाये पति के लिए ही सिमट गया ................क्या मैं सही नहीं कह रहा हूँ खैर मैं आज देश की समस्त विवाहिताओं को शत शत नमन जो कीचड़ नहीं कमल को ही देखती है अपने पतियों में और कामना करती है ...अगले जनम माहे ऐसा ही दीजो ......रुकिए रुकिए राजस्थान और कई जगहों पर कुआरी लड़की भी करवा चौथ का  व्रत रखती है ताकि उसे अच्छा पति मिले .कितनी अच्छी बात है कि देश में सर्वसम्मति से यह मान लिया गया है कि लड़की अच्छी ही होती है इस लिए किसी पुरुष को अच्छी लड़की या पत्नी पाने के लिए व्रत नहीं रखना पड़ता !!!!!!!!!!!! क्या कुछ गलत कह दिया !!!!!!! खैर देखिये आपके वो चाँद में निकल आये और चाँद पर आदमी ने पाव भी रख दिया कही चाँद में दाग इसी लिए तो नहीं ??????? जय करवा चौथ ( सच को व्यंग्य के प्रकाश में पढ़े )

Monday 6 October 2014

स्वच्छता के जलवे

पूरे कुएं में ही भांग पड़ी है ..............
ट्रेन के शौचालय में बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था कि जब गाड़ी स्टेशन पर खड़ी हो तो कृपया शौचालय का प्रयोग  ना करें ................................बिलकुल सही कहा रही देश के रेल मंत्रालय की यह बात .भैया स्टेशन क्यों गन्दा करते हो कम से कम कहने को तो रहे कि देखो देश के रेलवे स्टेशन कितने साफ़ रहते है .क्या स्टेशन ही मिला है इतना बड़ा देश तो है कही भी गंदगी फैलाओ !!!!!!!!!!! अब सरकार को क्या पता कि देश की जनता उससे आगे अगर न सोचती तो भला अपने घर का कूड़ा सड़क पर क्यों फेकती .........घर साफ़ तो सब साफ़ यानि सरकार और जनता की सोच में कही कोई फर्क दिखा !!!!!!१नहि ना तो अब सरकार और जनता को सोचना है कि स्वच्छता  अभियान का मतलब घर और स्टेशन को साफ़ रखना है और पूरे देश में गंदगी ......और आप ऐसा करें भी क्यों न आखिर पूरे देश में तो आप रहते नहीं ......अब आप समझ गए होंगे ट्रेन में लिखे शब्दों का मतलब और देश में सफाई का अर्थ ..........( व्यंग्य जो सच है )