कल त्यौहार की तेरहवीं है .............
हमारी संस्कृति में तेरहवीं को अशुभ माना जाता है पर कल भी तेरहवीं है पर एक त्यौहार की ओर देखिये उसको मानाने के लिए लोग कितना आतुर है जिसे देखिये वही बाजार दौड़ा चला जा रहा है मानो ऐसी तेरहवीं फिर न आएगी | न जाने कितनी खरीददारी कर लेना चाहता है आदमी !!!!!! तो क्या आदमी की तेरहवीं और त्यौहार की तेरहवीं में भी फर्क है | जी जी है है आदमी की तेरहवी में हम खाना खाने के लिए जाते है ओर इस तेरहवीं में खाने के लिए बर्तन लाते है तो क्या आप तेरहवीं के लिए तैयार है !!!!!!!!!!!!!व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
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