Tuesday 21 October 2014

आदमी कहा चला गया

मर जाने पर तो ,
जान भी लेते है ,
लोग की सामने वाले ,
घर में रहता था कौन ,
जिन्दा रहने पर,
सामने रहता है ,
कौन सुनकर साध ,
लेते है मौन ,
क्यों बना रहे है हम ,
मौत से रिश्तों को ,
जानने का सिलसिला ,
जिन्दा रहने पर ,
कितना अकेला रहा ,
आदमी उसे क्या मिला ?
कभी मुड़ कर देख ,
लिया करो उसका भी ,
घर जो तुम्हारा नहीं ,
देखती है आँखे आरजू से ,
जो आदमी है सिर्फ ,
रिश्तों में हमारा नहीं .................आज हम क्यों नहीं आदमी के लिए खड़े होते है बल्कि हम उसके लिए पूछते है यार ये जो मरा कौन था या फिर लाश घाट पर कब पहुंचेगी ? या हम उसके लिए क्यों कुछ करें ????? ,

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