Wednesday 31 December 2014

नव वर्ष मंगलमय हो

शब्द ब्रह्म है .नव वर्ष मंगलमय हो
अब आपको ये बताने की जरूरत तो है नहीं कि शब्द ब्रह्म क्यों है पर इतना ज्ञानी होने के बाद भी आप पिछले ३ दिन से औॅर आगे १० दिन तक सबसे यही कहते मिल जायेंगे कि नव वर्ष मंगलमय हो | अब जैसा मैं समझता हूँ आप यही तो चाहते है कि सामने वाले का ३६५ दिन शुभ हो जब आप उसके इतने शुभ चिंतक है तो क्यों नहीं पूरे वर्ष सामने वाले के शुभ चिंतक बन कर रहते है ? आज जिससे नव वर्ष का मंगलगान कर रहे है कल उसी की बुराई , उसे ही गिरना और ना जाने क्या क्या करने लगेंगे यही नहीं जब वही व्यक्ति कष्ट में होगा तब उसको शुभकामना देने वाले साथ तक नहीं होंगे यानि आप मानते है कि आप फर्जी बोलते है | चलिए आज तो सीख लीजिये बोली एक अमोल है जो कोई बोलय जनि ....हिये तराजू तौल के तब मुख बाहर आनि......उसी से अपने शब्दों का प्रयोग कीजिये जिसके लिए आपके दिल में मंगल कामना हो ............क्या आपको नहीं लगता है कि शरीर है तभी शब्द बनते और निकलते है यानि जीवन का एक अंग है शब्द है तो फिर क्यों शब्द का उपहास उड़ाते है क्यों द्रौपदी की तरह उसका चीर हरण करके सिर्फ अपने दिखावे में नव वर्ष मंगल मई का नारा लगाते है ? मैं जनता हूँ कि आपको ये साडी बात फर्जी लग रही है आखिर मजा लेने में हर्ज ही क्या भले ही वो शब्द क्यों ना हो ???खैर मैं अभी तक नहीं समझ पाया कि किसके लिए मेरे मन में पूरे वर्ष कि शुभ कामना है और उस कामना को निभाने के लिए मैं क्या किसी निर्भया के लिए खड़ा हो पाउँगा ???? वैसे आप के शब्द का क्या मोल है बताइयेगा जरूर ...........२०१५ में आप सच के साथ जीना सीखे वैसे २०१५ का सामना आप करेंगे एक रात से गुजर कर ही तो अँधेरे से लड़ना तो सीख लीजिये ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )

Tuesday 30 December 2014

औरत , विधवा और सशक्तिकरण

औरत , विधवा ...सशक्तिकरण
हमारा देश भारत कभी इस देश में अगर कोई महिला विधवा हो जाती थी तो उसको या तो अपने पति के साथ चिता में जाँदा जलना पड़ता था या फिर उसको किसी मंदिर के बाहर भेख मांग कर या किसी आश्रम में जीवन बिताना पड़ता था | मैं कोई फर्जी बात नहीं कर रह आप चाहे तो आज भी वृन्दावन और काशी में इसके अवशेष देख सकते है और हो बी क्यों न हमारे देश में औरत को लक्ष्मी भी कहा जाता है और लक्ष्मी चंचल होती है तो भला ऐसी चंचल नारी का तब क्या काम जब जिस पुरुष की दासी माफ़ कीजियेगा अर्धांगिनी बन कर वो किसी घर में गयी थी | क्या आपने वाटर पिक्चर देखि है तब तो आप को कुछ भी बताने की जरूरत ही नहीं | कितना बढ़िया था जब मनुष्य ने जानवर से अपने को ऊपर उठाने के लिए औरत को बलि का बकरा ( बकरी नही चलेगा आखिर आप मनुष्य है बकरी को आप कैसे मार सकते है उसमे माँ का स्वरुप है वो तो आप ना जाने क्या देख कर औरत को मार डालते है )बना दिया पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी जीव जंतु में हर वर्ष प्रजनन के लिए नर मादा चुनाव करते है और अपने वंश को बढ़ाते है पर आप तो मनुष्य है भला ये भी कोई बात है कि हर साल सिर्फ प्रजनन के लिए पुरुष महिला एक दूसरे को खोजे ( अब मुझे नहीं पता फिर ये कोठे और वैश्यावृति किसके लिए बनी ??? शायद यहाँ जाने वाले मनुष्य नही थे ) और लीजिये हमने बना दिया संस्कृति का पिटारा और जब एक बार मिले तो बस ऊरी जिंदगी साथ निभाने का वादा वो बात और है कि पुरुष हमेशा से दानवीर रहा है तो वो एक से वादा ना करके अपनी पत्नी के साथ साथ कई और लोगो से वादा निभाने लगता है आखिर पुरुष का शरीर है किस लिए परोपकार के लिए ना और नीति में कहा भी गया परोपकाराय थर्मिदं शरीरं ( परोपकार के लिए शरीर है) पर क्या मजाल जो औरत एक बार किसी की होने के बाद और किसी का भी ध्यान  कर ले आखिर उसके लिए ही तो सात जन्मो का रिश्ता होता है उसी के लिए तो स्वराज में रिश्ते बनते है ( इसी लिए कुछ ज्यादा जी विवाहित जिन्दा जल कर स्वर्ग  भेजी जाने लगी !!!!!!!!!!!) वो तो भला हो सरकार के निकम्मे पन का कि उसने लड़कियों की भूर्ण हत्या पर रोक नहीं लगाया मतलब कानून बना दिया बाकि सब भगवान जाने !!!!!!!!! जो कम लड़कियों के होने कारण तलाक और लिविंग रिलेशन को बढ़वा देकर औरत को आजादी का एहसास कराया | कम से कम अब औरत सिर्फ एक ही के साथ तो नहीं बंधी रहती शादी किसी से , माँ बनना किसी से , | हा तो मैं क्या कह रहा था इस तरह के महिला सशक्तिकरण का ही ये परिणाम हुआ कि लड़की अपने पैरों पर खड़ी हो गयी ( वो बात अलग है हर औरत कमर दर्द , स्लिप डिस्क कि मरीज हो गयी पर आ तो गयी पुरुष के बराबर )| नौकरी करने लगी उसके हाथ में पैसा आने लगा !!!!!!!ये कोई कम बड़ी बात है कि लक्ष्मी खुद जान पायी कि पैसा क्या होता है और जो महिला एक एक पैसा के लिए अपने पति के आगे मोहताज होती थी वही महिला अपने पति के मरने पर पेंशन पाने लगी ( क्षमा करियेगा महिला को अपनों के मरने की बात पसंद नहीं है पर विधवा ज्यादा ही होती है ) अब आम के आम गुठलियों के दाम एक तो महिला खुद नौकरी करने लगी और ऊपर से पति की भी पेंशन ( मुझे नहीं मालूम की सरकार इसे तो सरकारी धन लेना क्यों नही मानती ) और जब महिला खुद सेवा निवृत्त हुई तो दो दो पेंशन अब तो आप समझ गए होंगे ना कि महिला सशक्ति करण के क्या क्या लाभ है पर अब ये ना पूछने लगिएगा कि विधवा होने के बाद औरतों की जिंदगी लम्बी क्यों हो जाती है ??????????? ( व्यंग्य की सच्चई समझ कर पढ़े ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday 28 December 2014

कितनी औरत एक देश में

औरत होने का सच ................
आज मुझे अचानक दिल के पास दर्द होने लगा , डॉक्टर कई बार बता चुके है की ये दिल का मामला नहीं है ( वैसे लोग मानते है कि मेरा सारा मामला ही दिल का है ) पर डरपोक जो हूँ सोचता हूँ कही किसी दिन डॉक्टर गलत हो गया तो .......और बस मैं अकेले रहने के कारण सड़क पर निकल गया कुछ देर खुली हवा के लिए ..दर्द इतना ज्यादा है कि लग रहा था कि बायां हिस्सा ही टूट कर गिर जाये काश टूटता कुछ लोग इस ठंडक में हड्डी जला कर ही सुकून पा जाते पर इतने दर्द में सोचने लगा कि मेडिकल साइंस कहता है कि एक साथ शरीर कि १२ बड़ी हड्डियों के एक साथ टूटने पर जितना दर्द होता है उतना ही दर्द एक लड़की को माँ बनने कि प्रसव वेदना में होता है पर इतना दर्द सहने वाली माँ को एक राज्य क्या देता है जननी सुरक्षा योजना के १४०० रुपये वैसे एक किलो देशी घी ५५० रुपये और दूध एक किलो ४८ रुपये में है | अब ये आप सोचिये कि इतना दर्द सहने वाली औरत को १४०० में क्या मिल सकता पर आप तो संतोषम परम सुखम वाले देश के है नही से तो कुछ भला !!!!!!!!!!! मिल तो रहा है पर वो कौन सी औरत है जो नौकरी करती है और यही सरकार उनको ६ माह का मातृत्व लाभ अवकाश देता है वो ही पूरे वेतन के साथ !!!!!!!समझ रहे है ना अगर कोई महिला डिग्री कालेज में टीचर है तो कम से कम २ लाख पचास हज़ार रुपये मुफ्त में वो भी इस लिए क्योकि वो माँ बनी है !!!!!!!!!!!१११ तो बाकि औरत क्या सिर्फ १४०० रुपये भर की है या फिर राज्य और सरकार सिर्फ उन्ही के लिए है जो नौकरी में है | समानता की बात करके एक औरत को १४०० और एक को २.५० लाख ???????आरे अगर सामंता रखनी है तो नौकरी करने वालो को बिना वेतन की छह माह की छूटी दो और १४०० जननी सुरक्षा के नाम पर अगर ऐसा नहीं है तो देश की औरतों सतर्क हो जाओ तुम वैसी औरत नहीं जो नौकरी करती है | अगर छुट्टी और पैसा दोनों चाहिए तो जल्दी से पढ़ लिख कर नौकरी कर डालो ये घर की नौकरी बजाने को सरकार काम नहीं मानती है ये भी कोई काम है......... काम तो वो है जो ऑफिसमे किया जाये खेत में काम करके देश को अन्न देना , घर में खुद को कैद करके एक घर को सवारने के लिए खुद के अस्तित्व को खो देना भी कोई काम है और सरकार ऐसे काम को ना तो सम्मान देती है और ना पुरुस्कार !!!!आरे भाई मैं कोई देश के विरुद्ध थोड़ी ना हूँ मैं तो खुद समझना चाहता हूँ कि आखिर औरत वो वाली कौन है जिसकी पूजा करने पर देवता निवास करते है | अब जिस लक्ष्मी के साथ छुट्टी और वेतन दोनों होगा वो भी बच्चा पैदा करने कि ऐवज में तो देवता आये ना आये पर पति देवता तो जरूर घर में आराम करते मिल जायेंगे | क्या आप खुद नहीं मानती कि राज्य ऐसी औरत को ही सम्मान देना चाहता है जो बच्चा पैदा करने के साथ उनके लिए काम करें ना कि घर और खेत में | क्या आप अभी तक जननी  सुरक्षा में ही उलझी है कभी तो १४०० से ज्यादा अपनी कीमत समझिए भारतीय नारी जी ....बुरा लगे तो माफ़ कीजियेगा ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय  अधिकार संगठन

Saturday 27 December 2014

महिला और राजनीती

महिला और देश की राजनीति...............
यत्र नरियस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ....अब नारी की ये पूजा है की नहीं उसको मारो पीटो पर मैंने तो कुछ और बताना चाहता हूँ आपको मालूम होगा कि देश के नेता बेचारे महिलाओ के प्रति इतने संवेदन शील हैं कि उनको रात रात भर नींद नहीं पड़ती क्योकि उनको मालूम है की माँ ही घर की पथ शाला है तो लीजिये उसने दे दी पूरे दो साल की बच्चा पालन अवकाश पर ये अवकाश  किनके लिए है ????????? अब इतने आप काम अक्ल भी नहीं है !!वही नारी जिससे देश चलता है यानि नौकरी करने वाली नारियां अब ये न पूछने लगिएगा कि गावों और घरेलू नारियां क्या है ??? वो आप उनसे पूछिये जो कहते है कि देश के संविधान का आरम्भ ही हम भारत के लोग कह कर होता है | अब कौन हम भारत केलोग में आते है मुझे भी नहीं मालूम लेकिन मैं तो ये कह रहा था एक उच्चतर शिक्षा में काम करने वाली नयी नियुक्त शिक्षिका को २४ महीने के वेतन के साथ अवकाश में ९ लाख साठ हज़ार रुपये भी मुफ्त में मिलेंगे आखिर बच्चा पालने का काम कोई ऐरा गैर काम तो है नहीं तो समझ गए ना खास तौर पर वो महिलाये जो पढ़ी लिखी नहीं है और माँ पर माँ बनती जा रही है जरा सीखिये देश के महिला सशक्ति करण से  , नौकरी भी पायी और बच्चा पालने के लिए २४ महीने कि मुफ्त खोरी अलग से | कम से कम गावों कि और घरेलू महिलाओ के लिए कुछ दिन का सम्मान वेतन दे देते आखिर वो भी इसी देश में माँ बनी है क्या उन्हें घर के कामों के अलावा बच्चे को नहीं पालना या फिर देश में उन्हें ही औरत समझा जायेगा जो सरकार के लिए काम करेंगी !!!!!!! मेरा मतलब नौकरी करेंगी | जरा सोच कर देखिये एक महिला जो नौकरी भी पायी और जिस काम के लिए नौकरी पायी उस्स्को भी करने से २४ महीने आज़ाद आखिर बच्चा जो पालना है तो महिला कब समझेंगी कि वो बच्चा पैदा करने की मशीन नही बल्कि लक्ष्मी है जो धन देती है अब ये ना पूछियेगा कि जिन्होंने शादी नहीं की या जिनके बच्चे ही ना हुए उनका क्या ????????अब भाई ये तो यहाँ की जगत गुरु देश की सरकार बताये कि क्या बूढ़े माता पिता इस देश में पालन के हक़दार नहीं और जिन्होंने बच्चे ही नहीं पैदा किये और शादी ही नहीं की वो तो भारत रत्न है आखिर किसी को तो इस देश की जनसँख्या का ख्याल है वैसे आप सोचियेगा जरूर कि सरकार ने सिर्फ नौकरी करने वाली उन्ही महिलाओं को क्यों इतने सुख दिए जो बच्चो की माँ बनी वैसे अगर ऐसा है तो मेरी एक सलाह है उन सभी नारियों से जो इस तरह की छुट्टी को लेकर कुंठित है जो अविवाहित है या बच्चे नहीं है आरे भाई किसी बच्चे को गॉड ले लीजिये उसको घर मिल जायेगा और आप दो साल की छुट्टी !!!!! हैं न कमाल का उपाए आखिर देश का विकास जरुरी है या नौकरी के नाम पर हर दिन छुट्टी !!!!! पर सोचियेगा कि देश के नेता के लिए इस देश में वास्तव में महिला कौन है ??????????? ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए अखिल भारतीय अधिकार संगठन )

Friday 26 December 2014

औरत मनुष्य नहीं है

औरत एक कानून अनेक ..........
वैसे तो हो सकता है कि आपको मेरी रोज रोज औरत के लिए बात करना अच्छा ना लगे पर आज एक शिक्षक होने के नाते कुछ ऐसा लगा जो आपको बताना जरुरी लगा तो लिखने बैठ गया | देश में शाम ६ बजे के बाद महिला ठाणे में नहीं रोकी जा सकती है और अगर रोकी जाएगी तो कोई महिला पुलिस जरूर होगी | यही नहीं महिला से पूछ ताछ करना हो या गिरफ्तार महिला के लिए महिला पुलिस का होना जरुरी है | महिला उत्पीड़न में भी तो विशाखा के दिशा निर्देश है उसमे जाँच में किसी महिला का होना जरुरी है |कोई कारन होगा कि देश क्या पूरे विश्व में कोई खेल महिला पुरुष का साथ साथ नहीं होता यहाँ तक  शतरंज जैसा खेल भी अलग होता है | चलिए थोड़ी और स्तरहीन बात कह देतेहै स्नान घर शौचालय  सब अलग होते है| क्या अब भी आपको समझाना पड़ेगा कि ऐसा क्यों होता है ??? चलिए आप इतना तो समझ गए क्योकि औरत का जीवन आवश्यकता सब अलग है बहुत सी ऐसी समस्याएं है और परेशानी जो एक महिला किसी समक्ष महिला से कह सकती है | महिला की सुरक्षा केलिए महिला के लिए अलग से बस चलायी जाने लगी पर देश में उच्च शिक्षा में ऐसा कुछ भी नहीं है क्योकि वहां की महिला शिक्षक को क्या जरूरत ???????कि उनकी समस्याओ को सुनने के लिए महिलाये ही हो पर आप कहा ये सब मैंने वाले क्योकि जब तक महिला विकास मंत्रालय या राष्ट्रीय महिला आयोग या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ये ना कहे कि महिला के लिए प्रबंध समिति में एक तिहाई महिलाये होनी चाहिए तो भला आप कहा आवाज उठाने वाले !!!!!!!!! राज्य महिला आयोग से कहने जाओ तो कहेगा किसी महिला ने तो आज तक कुछ कहा नहीं आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है | विश्वविधालय , महा विद्यालय से कहो तो कहेगा अनुशासनहीनता दिखा रहे है  ये उनके विरुद्ध कार्य है पर क्या प्रबनध तंत्र या एग्जीक्यूटिव कौंसिल में एक तिहाई महिला नहीं होनी चाहिए | एक मजे दार बात उत्तर प्रदेश ही नहीं हर राज्य के उच्चतर शिक्षा सेवा में महिला कालेज में पुरुष शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकती पर प्रबंध तंत्र के लोग पुरुष बन सकते है है ना अंधेर  नगरी चौपट राजा .......पर हम क्यों बोले क्या सरे जहाँ का दर्द हमी ने उठा रखा है जब सरकार को नहीं दिखाई दे रहा तो हम कौन होते अपना हाथ जलाने वाले लेकिन मुझे तो आ बैल मुझे मार इतना अच्छा लगता है कि आपसे बात करने बैठ गया अब देखिये ऐसे प्रबंध तंत्र क्या गुल खिलाते है  ???क्या महिला सशक्तिकरण के दौर में प्रबंध तंत्र में परिवतन नहीं होना चाहिए आरे भैया संसद में महिला आने लगी है कब तक महिला को अपनी जागीर समझोगे कभी तो उनको अपने लिए जीने दो !!!!!!क्या आप में ताकत है कि प्रबंध तंत्र में महिला को भी लाये३३% !!! मैंने तो चला किसी महिला को उकसाने आखिर संविधान के नीति निदेशक तत्व में लिखा जो है महिला की गरिमा के लिए काम करने के लिए !!!!!!आअप भी नही उकसाएंगे  आरे इस अच्छे काम के लिए उकसा डालिये ना वैसे तो ना जाने किसी किस काम के लिए महिला  को ??????????????? समझदार को इशारा काफी ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे इस बिंदु पर सहयोग चाहता है )

Wednesday 24 December 2014

atal bihari bajpeyi aur mera anubhav

अटल बिहारी बाजपेयी और मेरा सम्मान
मुझे आज भी वो दिन नही भूलता जब गन्ना संस्थान लखनऊ में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कादम्बनी महोत्सव में मेरी कहानी संदेह को सम्मानित किया| मेरी कहानी भारतीय रिश्तो पर थे जो आज के दौर में कितने बदल चुके है | जब एक लड़का किसी सड़क पर किसी लड़की को बहन कहता है तो समाज कैसे देखता है और उस लड़की का क्या हश्र होता है ? जब कहानी के अंश सुनाये जा रहे थे  तो अटल जी ने मुझसे हस्ते हुए पूछा कि इस कहानी पर मैं कितना खरा हूँ ? और मैंने कहा कि ये कहानी उतनी ही खरी और सच है जितना आपका राजनीती में व्यक्तित्व और आज जब उनके भारत रत्न देने की खबर सुनी तो ऐसा लगा कि जैसे मेरा भी कद उचा हो गया है क्योकि अब मैं जब भी अपने बारे में सोचूंगा तो तो भारत रत्न का भाव स्वतः ही आ जायेगा |
डॉ आलोक चान्टिया
अध्यक्ष
अखिल भारतीय अधिकार संगठन & प्रवक्ता मानव शास्त्र , के के सी ,लखनऊ

Tuesday 23 December 2014

औरत होने का सच

औरत और समानता
अपने देश में ही नहीं पूरे विश्व में औरत केलिए सबसे ज्यादा कानून बनाये गए है | आप कह सकते है कि फर्जी औरतों को सशक्त किया जा रहा है | क्या जरूरत है इन कानूनो की?? आप लोग बिलकुल सही सोच रहे है कोई जरूरत नहीं इन कानूनों की क्योकि जब हम आप अपनी तरह ही महिला के लिए भी सोचेंगे तो कानून की जरूरत कहाँ रह जाएगी पर अगर कानून घटने के बजाये दिन प्रतिदिन महिलाओं के लिए बनते ही जा रहे है तो आप मान भी लीजिये कि आज औरत को कानून के सहारे बराबरी के दर्जे पर लाया जा रहा है वरना हम उसको बराबरी पर देखना नहीं चाहते क्या आपको अभी भी नहीं लगता कि सैकड़ों कानून स्वयं में ये बताने के लिए काफी है कि औरत न जाने कितने मामलों में पुरुष से कम मणि जा रही है और उसको उस स्तर तक लेन के लिए जो प्रयास किया जा रहा है उसमे उस महिला को इतनी बाधाओं का सामना कर पड़ रहा है कि उसे कानून के सहारे सुरक्षित किया जा रहा है | पर मन से हम कब महिला को समान समझेंगे ???????????? क्या कानून की शून्यता महिला के लिए कभी आ पायेगी या वो हमेशा सामाजिक के बजाये विधिक महिला बन कर ज्यादा अपना जीवन बिताएंगी ??????खैर  आप मानिये चाहे न मानिये लीजिये औरत के साथ बलात्कार करने वाले को फांसी देने की तैयारी चल रही है !अब तो मान लीजिये कि मौत का भय दिखा कर औरत को पुरुष की तरह सड़क पर चलने निकलने का हौसला दिया जा रहा है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! औरत के रहम पर जन्म पाने वालों के बीच औरत अपने लिए नये की मांग करती है शायद इससे अच्छा व्यंग्य क्या हो सकता है ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )

Friday 12 December 2014

ये भी तो आदमी है


मुझे भी जीने दो ...........

कूड़े की गर्मी से ,
जाड़े की रात ,
जा रही है ,
पुल पर सिमटे ,
सिकुड़ी आँख ,
जाग रही है ,
कमरे के अंदर ,
लिहाफ में सिमटी ,
सर्द सी ठिठुरन ,
दरवाजे पर कोई ,
अपने हिस्से की ,
सांस मांग रही है ,
याद करना अपनी ,
माँ का ठण्ड में ,
पानी में काम करना ,
खुली हवा में आज ,
जब तुम्हारी ऊँगली ,
जमी जा रही है ,
क्यों नहीं दर्द ,
किसी का किसी को ,
आज सर्द आलोक ,
जिंदगी क्यों सभी की ,
बर्फ सी बनती ,
पिघलती जा रही है ...................
आप अपने उन कपड़ों को उन गरीबों को दे दीजिये जो इस सर्दी के कारण मर जाते है हो सकता है आपके बेकार कपडे उनको अगली सर्दी देखने का मौका दे , क्या आप ऐसे मानवता के कार्य नहीं करना चाहेंगे ??????? विश्व के कुल गरीबों के २५% सिर्फ आप के देश में रहते है इस लिए ये मत कहिये कि ढूँढू कहाँ ?????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday 11 December 2014

रोटी और आदमी

घर के बाहर ,
अक्सर दो चार ,
रोटी फेंकी जाती है ,
कभी उसको ,
गाय कहती है ,
कभी कुत्ते खाते,
मिल जाते है ,
घर के बाहर ,
खड़ा एक भूखा ,
आदमी भूख की ,
गुहार लगाता है ,
उसे झिड़की ,दुत्कार ,
नसीहत मिलती है ,
पर वो घर की ,
रोटी नहीं पाता है .....................जब आपके पास रोज घर के बाहर फेकने के लिए रोटी है तो क्यों नहीं रोज दो तजि रोटी किसी भूखे को खिलाना शुरू कर देते है क्या मानवता का ये काम आपको पसंद नहीं कब तक गाय और कुत्तो को रोटी खिलाएंगे , ये मत कहियेगा जानवर वफादार होता है , आप बस घर के बाहर पड़ी रोटी पर सोचिये ...........अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Tuesday 9 December 2014

कैसा मानव कैसा मानवाधिकार

अखिल भारतीय अधिकार संगठन विश्व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर ये विचार करना जरुरी है कि क्यों मानव को अधिकारों की जरूरत पड़ी क्या वो भटक गया है .हम किस मानव के अधिकारों के लिए चिंतित है.............
मानव ..........
कही कुछ आदमी ,
मिल जाये तो ,
मिला देना मुझ से ,
दो पैरों पर ,
चलने वाले क्या ,
मिट गए जमी से ,
जीते रहते ,
खुद की खातिर ,
जैसे गाय और भालू ,
रात और दिन ,
बस खटते रहते,
भूख कहाँ मिटा लूँ ,
कभी तो निकलो ,
अपने घर से ,
चीख किसी की सुनकर ,
कुचल जाएगी पर ,
निकलती चीटीं ,
हौसला मौत का चुनकर ,
राम कृष्णा ,
ईसा, मूसा की बातें ,
क्या कहूँ किसी से ,
चल पड़े जो ,
इनके रास्तों पर ,
ढूंढो उसे कही से ,
मिल जाये कही ,
जो कुछ आदमी ,
जरा मिला दो मुझ से ,
जो फैलाये आलोक ,
अँधेरा करें दूर ,
मानव अधिकार उन्ही से .......................क्या आप ऐसे आदमी बनने की कोशिश करेंगे ???????????????///////,
 

Monday 8 December 2014

मानव कौन

चारों तरफ मोती ,
बिखरे रहे मैं ही ,
पपीहा न बन पाया ,
स्वाति को न देख ,
और न समझ पाया ,
मानव बन कर ,,
भला मैंने क्या पाया ?
ना नीर क्षीर ,
को हंस सा कभी ,
अलग ही कर पाया ,
ना चींटी , कौवों ,
की तरह ही ,
ना ही श्वानों की ,
तरह भी ,
संकट में क्यों नहीं ,
कंधे से कन्धा मिला ,
लड़ क्यों ना पाया ,
मैंने मानव बन ,
क्यों नहीं पाया ?
सोचता हूँ अक्सर ,
मानव सियार क्यों ,
नहीं कहलाया ,
हिंसक शेर , भालू ,
विषधर क्यों ,
नहीं कहलाया ?
अपनों के बीच ,
रहकर उनको ही ,
खंजर मार देने के ,
गुण में कही मानव ,
जानवरों से इतर ,
मानव तो नहीं कहलाया ............मुझे नहीं मालूम कि क्यों मनुष्य है हम और किसके लिए है हम कोई कि अगर आपको जरूरत है है तो तो आप किसी मनुष्य के बारे में जानने की कोशिश करते भी है कि वो जिन्दा है या मर गया वरना आप किसी दूसरे मनुष्य में अपना मतलब ढूंढने लगे रहते है | मैं भी इसका हिस्सा हूँ मैं किसी को दोष नही दे रहा बस समझना चाहता हूँ कि जानवर के गुण तो हमें पता है पर हम!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!आज मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गया थोड़े घाव है जो एक दो दिन में भर जायेंगे

Saturday 15 November 2014

मेरा मन कही लगता नहीं

मेरा मन कही लगता नहीं ,
ये वतन क्यों जगता नहीं ,
चुप चाप सब हैं जी रहे ,
सच का बाजार चलता नहीं ,
मेरा मन कही लगता नहीं ,
ये वतन क्यों जगता नहीं .......1
मैं चाह कर भी हार हूँ ,
जीवन नहीं करार हूँ ,
आलोक मार्ग दर्शक नहीं ,
अंधेरों का मैं प्यार हूँ ,
मेरा मन कही लगता नहीं ,
ये वतन क्यों जगता नहीं ..........२
रोटी पाने की बस होड़ हैं ,
भ्रष्टाचार क्यों बेजोड़ हैं ,
ये भाई बहनों के देश में ,
सहमा क्यों हर मोड़ हैं ,
मेरा मन कही लगता नहीं ,
ये वतन क्यों जगता नहीं .........३
घर ही नहीं देश टूट रहा है ,
विश्वास,भी अब छूट रहा है,
मारना है जब सच जानते हो ,
मन फिर क्यों घुट रहा हैं ,
मेरा मन कही लगता नहीं ,
ये वतन क्यों जगता नहीं ............४
जीवन में जब हम सिर्फ रोटी तक रह जाते है तो देश , समाज, और घर सब टूट जाते है ......अखिल भारतीय अधिकार संगठन 

Saturday 1 November 2014

ये है कलयुग के शिक्षक

(अमेरिका में एक वीडियो को १.५ करोड़ लोगो ने लाइक किया जिसमे रस्ते पर चलती लड़की को लोगो द्वारा छेड़ते दिखाया गया था पर मेरी इस पोस्ट पर आप क्या करेंगे ????)
शिक्षक ????????????? किसको वोट देना चाहता है .........
कालेज की महिला शिक्षकाये ( उनका नाम नहीं लिख सकता ) अपने चरित्र के साथ समझौता करके ही तो आगे गयी है ( मैं इस से ज्यादा खुल कर शब्द नहीं लिख सकता क्योकि मेरे माँ बहन है ) और ऐसा एक शिक्षक शिक्षक संघ का नेता चुना जाता है | मैं उस नेता का नाम इस लिए नहीं लिख रहा क्योकि वो बदनाम हो न हो उसकी माँ जरूर लज्जित होंगी वैसे तो उनके खुद एक लड़की है | मैंने उस शिक्षक के कालेज में प्राचार्य से शिकायत की , प्रबंधक से शिकायत की वो भी लिखित पर आज तक उन लोगो ने कोई कार्यवाही नहीं की | क्या इस पोस्ट को पढ़ने वाले सभी सम्मानित भारतियों को क्या ये नहीं लगता कि ऐसे शिक्षक को सजा मिलनी चाहिए | मुझसे कहा गगया कि कोई महिला तो शिकायत करने आई नहीं | तो क्या महिलाओ कि ऐसे ही सम्मान होता है शिक्षण संस्थानों में | क्या प्रबंधक भी शामिल है महिलाओ के अश्लील मजाक में ??????????? क्या आप सब आवाज उठाएंगे इस पोस्ट के समर्थन में या आप उस शिक्षक को समर्थन देंगे जिसका कहना है कि महिला आगे बढ़ती है अपने समर्पण से .............(ऐसे उच्च कोटि के शिक्षकों के लिए क्या मुझे चुनाव लड़ना चाहिए था ???????)

शर्म किसमे

एक पूँछ उठाये ,
कुत्ते को देख ,
मैंने लाल पीले ,
होते हुए कहा ,
क्या तुम्हे शर्म ,
नही आती है ,
कुत्ते ने बड़े ही ,
शालीनता से ,
कहा कि आदमी ,
के साथ रहने ,
वाले के पास शर्म ,
रह कहा जाती है .........

Monday 27 October 2014

जीवन किसका कैसा

जानता हूँ मौत मेरे ,
इर्द ही है  घूम रही ,
चल जिंदगी तुझे कोई ,
फिर मिल जाये सही ,
रास्ते होते नही खुद ,
बनाये जाते यहाँ ,
खीच ले एक बार फिर ,
आज फिर जाता कहाँ,
श्वानों के शोर से ,
गज कभी डरता नहीं ,
गीदड़ों के बीच में ,
वीर कभी मरता नहीं ,
सीपियों के बीच में ही ,
मोती की पहचान है ,
स्वाति की ओज से ,
नहीं कोई अनजान है ,
मुस्कराता गुलाब देखो,
काँटों के बीच रह कर ,
जी कर एक बार देखो ,
झूठो के बीच रह कर ,
कर्ण हरिश्चंद्र सब यही ,
सच के खातिर जी गए ,
जो जिया न्याय को ,
नाम उसी के रह गए ...................राम , कर्ण , हरीश चन्द्र राणा प्रताप कुछ ऐसे नाम है जिनके जीवन में हमेशा सुख बना रहता है अगर वो अपने जीवन को उस तरह से चलते जैसा झूठे फरेबी , मक्कार , असत्य पर चलने वाले चाहते थे पर ऐसा ना करके ही उन्होंने समाज और उसका अर्थ हमारे सामने रखा , शिक्षकों से अपील है कि वेतन भोगी से ज्यादा एक ऐसी रास्ते का निर्माण करें जिससे आने वाली पीढ़ी एक और उन्नत सामज को बनाने में योगदान कर सके

जीवन और मौत

तोड़ कर मुस्कराहट
का एक गुच्छा ,
काश मैं तुझको ला,
के दे पाता,
बदहवास सी होती ,
जिंदगी को कोई ,
तिनके का सहारा ,
करा पाता,
बहती ना अंतस ,
की जिन्दा कहानी ,
जो तूने हर रात ,
बुनी  थी कि ,एक राजा ,
था एक रानी ,
चांदनी सी पसरती ,
झींगुरों के गान में ,
नीरवता को समेटे ,
तिमिर किसी प्रान में ,
सिर्फ शेष अब रह गया ,
समय का वो उजास ,
गुजरे जिनमे थे कभी ,
सिंदूरी से प्रकाश ,
लगता है हो कही यही ,
पर सच ये भ्रम है ,
आने जाने का यहाँ ,
ना जाने कैसा क्रम है ...................जीवन और मौत दोनों एक मात्र सच है

Tuesday 21 October 2014

लक्ष्मी गणेश की पूजा साथ में क्यों

ली के इतने रंग है कि क्या क्या लिखूँ??/
आज मैं अपने शिष्य के साथ लक्ष्मी गणेश लेने गया | विद्यार्थी बार बार गुरु गुरु जी कर रहा था | मैं कह रहा था कि भगवन को लेने में क्या सुन्दर और अच्छा \ दुकान दार मेरे लम्बे बालों को देख कर समझा कि शायद कोई पडित जी है | उसने उत्सुकतावश पूछ लिया कि गुरु जी ये लक्ष्मी गणेश साथ साथ जब कि लक्ष्मी जी तो विष्णु जी की पत्नी है | हमारे देश का यही दोष महिलाओं को जीने नही दे रहा कि पुरुष दिखा नहीं साथ में कि सोच में बस एक रिश्ता और एक कुंठा !!!!! मैंने कहा कि  लक्ष्मी गणेश जी के किस तरफ रखी जाती है ??? उसने कहा दायीं तरफ !! तो मैंने कहा कि भरित्ये परम्परा में दाई तरफ स्त्री के भाई या पुत्र ही बैठता है | अब बात रही कि गणेश जी लक्षिमी के भाई है या पुत्र तो पुराण में उसकी एक कहानी है ___________ एक बार विष्णु और लक्ष्मी में श्रेष्ठता को लेकर बहस होने लगी लक्ष्मी का मानना था कि दुनिया उन्ही के कारण चल रही है और विष्णु पालनहार होने के कारण अपने को उच्च बता रहे थे | क्रोध में आकर विष्णु ने लक्ष्मी से कह दिया कि अपने घर को एक संतान तक दे नहीं पायी तुम क्या किसी और का जीवन चलाओगी??? लक्ष्मी को ये बात चुभ गयी कि विष्णु जी ने उन्हें संतान न होने का ताना दिया है | और वो दुखी मन से अपने सहेली पार्वती के पास पहुंची और साडी घटना बताई | ये सुन कर पार्वती बोली कि मेरी दो  संतान कार्तिकीये और गणेश है जो तुम चाहो एक ले लो | लक्ष्मी जी ने गणेश पर सहमति जताई तो पार्वती जी ने उनको गणेश जी को दे दिया | पार्वती का ये त्याग देख कर लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और बोली कि मैं अपने दत्तक पुत्र गणेश का विवाह अपनी देवियों ऋद्धि और सिद्धि से करुँगी और मेरी कोई भी पूजा तब तक सार्थक नहीं होगी जब तक लोग मेरे पुत्र गणेश की पूजा साथ में नहीं करेंगे | और बस माँ पुत्र की पूजा शुरू हो गयी तब से | मेरी बात सुन कर दुकानदार बोला कि गुरु जी आपने पहली बार मेरे संदेह को दूर किया आपका धन्यवाद | मैंने कहा सुनो बाद में गणेश की शादी ऋद्धि सिद्धि से हुई और उनसे दो पुत्र शुभ और लाभ हुए | अब तो आप जान गए होंगे कि घर में गणेश , ऋद्धि सिद्धि और शुभ लाभ क्यों लिखा रहता है | तो जब भी किसी त्यहार को मानिये तो उसका दर्शन जरूर जानिए और इसी लिए अखिल भरित्ये अधिकार संगठन आपको जागरूक करने सतत लगा हुआ है | आपको सभी को पटाखा मुक्त आलोक पर्व शुभ हो

आदमी कहा चला गया

मर जाने पर तो ,
जान भी लेते है ,
लोग की सामने वाले ,
घर में रहता था कौन ,
जिन्दा रहने पर,
सामने रहता है ,
कौन सुनकर साध ,
लेते है मौन ,
क्यों बना रहे है हम ,
मौत से रिश्तों को ,
जानने का सिलसिला ,
जिन्दा रहने पर ,
कितना अकेला रहा ,
आदमी उसे क्या मिला ?
कभी मुड़ कर देख ,
लिया करो उसका भी ,
घर जो तुम्हारा नहीं ,
देखती है आँखे आरजू से ,
जो आदमी है सिर्फ ,
रिश्तों में हमारा नहीं .................आज हम क्यों नहीं आदमी के लिए खड़े होते है बल्कि हम उसके लिए पूछते है यार ये जो मरा कौन था या फिर लाश घाट पर कब पहुंचेगी ? या हम उसके लिए क्यों कुछ करें ????? ,

Monday 20 October 2014

तेरहवीं त्यौहार की भी


कल त्यौहार की तेरहवीं है .............
हमारी संस्कृति में तेरहवीं को अशुभ माना जाता है पर कल भी तेरहवीं है पर एक त्यौहार की ओर देखिये उसको मानाने के लिए लोग कितना आतुर है जिसे देखिये वही बाजार दौड़ा चला जा रहा है मानो ऐसी तेरहवीं फिर न आएगी | न जाने कितनी खरीददारी कर लेना चाहता है आदमी !!!!!! तो क्या आदमी की तेरहवीं और त्यौहार की तेरहवीं में भी फर्क है | जी जी है है आदमी की तेरहवी में हम खाना खाने  के लिए जाते है ओर इस तेरहवीं में खाने  के लिए बर्तन लाते है तो क्या आप तेरहवीं के लिए तैयार है !!!!!!!!!!!!!व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Tuesday 14 October 2014

रिश्ते का सच

क्या रिश्ता सिर्फ ???? ही समझते है
आप ही नहीं मैं भी हुद हुद का मजा लेना चाहता था और मेरी ये इच्छा पूरी की भारतीय जीवन बीमा निगम ने | हुआ यूँ कि मैं अपनी पालिसी की प्रीमियम जमा करके आया था पर मुझे खबर दी गयी कि मेरा चेक बाउंस हो गया है | ये मेरे लिए एक झटका था पर मैंने भगवन को धन्यवाद दिया कि चलो इसी बहाने हुद हुद का मजा लेने का मौका दिया | मैं जल्दी से दौड़ा बैंक के लिए पर जब पंहुचा तो करीब ४.३० बज रहे थे और बैंक का सामान्य काम खत्म हो चूका था | गेट बंद कर दिया गया था | मुझे छोड़ कर ६ लोग और भी हुद हुद की दुहाई देकर बैंक का दरवाजा खोलने की प्रार्थना कर रहे थे पर बैंक बंद हो चूका है , ये कह कर दरवाजा नहीं खोला गया | मैंने आज तक कभी गलत काम के लिए हाथ नही जोड़ा और इसी लिए मैंने कुछ कहे वापस जाने का फैसला किया और जैसे ही लौटने लगा तो एक जोर से आवाज सुनाई दी ...भैया भैया आप !!!!!!!!!!!! यहाँ आपको क्या काम है और एक लड़की ने जल्दी से बढ़ कर दरवाजा खोल दिया | आइये आइये भैया आइये अंदर आइये बताइये क्या काम है आज आप बहुत दिन बाद आये क्या आपको अपनी बहन याद नहीं आती !!!!!!!!! मैं कुछ बोलता कि वो बैंक मैनेजर के सामने जाकर कड़ी हो गयी .साहब ये मेरे भाई है | ये बहुत अच्छे है ये तो बिना कुछ कहे जा रहे थे वो तो मैंने देख लिया वरना ये तो चले जाते | साहब देख लीजिये इनका क्या काम है | बैंक मैनेजर भैया भैया सुन कर बोले तुम इनको कैसे जानती हो ? आरे साहब इन्होने ही तोमेरी बेटी के कान का इलाज़ कराया था और इन्होने मुझे अपनी बहन बनाया था | ये मुझको अनुपालक नहीं मानते | साहब भैया बहुत अच्छे है | बैंक मैनेजर ने कहा ठीक है तुम जाओ मैं देखता हूँ और मेरी वो बहन फिर बैंक में झाडूं लगाने चली गयी | मेरे कारण ६ लोगो का भी काम हो गया था | मैं अपने काम के बाद मैनेजर साहब से नमस्ते करके चला तो वो फिर आ गयी | अच्छा भैया नमस्ते , कभी कभी याद कर लिया करिये और उसने बैंक का दरवाजा बंद कर लिया | मैं हुद हुद का मजा लेते हुए गाड़ी चला रहा था और सोच रहा था क्या एक छोटा सा अच्छा काम इस बहन को आज तक याद है और वो उस मेरे छोटे से प्रयास के लिए अपनी जान निकाले दे रही है तो वो कौन लोग है जिनके साथ मैं २४ घंटे रहा और आज उनको पता भी नही कि मैं जिन्दा हूँ भी या नहीं !!!!!!!!टी ओक्या समझ के दबे कुचले या गरीब लोग ही रिश्ता समझते है ????????????? क्या मैं गलत समझ रहा हूँ

Saturday 11 October 2014

करवा चौथ ..........यही सच है

करवा चौथ का सच ...........
न जाने कितना व्यवसाय हो जाता है इस दिन के नाम पर पर क्या इस देश में घरेलु हिंसा वाली महिलाये करवा चौथ का व्रत नहीं रख रही है ??? शराबी के लिए करवा चौथ का व्रत ???? खैर आपको आज के दिन ये सब कहा सुनना पसंद !!!!!!!!! वैसे तो करवा उस बर्तन को कहते है जिसमे अनाज रखा जाता है और इस समय गेहूं बोन का समय है तो बीज को सहेज कर जिस बर्तन में रखा जाता था उसको पूजा योग्य समझा जाता था पर आपको तो करवा चौथ का मतलब सिर्फ पति पत्नी तक ही देखना है तो आइये देखिये इसका सच ..............पहले के समय में जब लड़की की शादी होती थी तो अपने घर से दूर लड़की को दूसरे गाओं में अकेले रहना पड़ता था | आज की तरह गाड़ी घोड़ा , फ़ोन , मोबाइल , लैपटॉप तो था नहीं | इस लिए जब लड़की की शादी होती थी तो उसके साथ एक लड़की और भेजी जाती थी जिसके लिए शादी के समय ही कंगन की रस्म की जाती थी | आपने भी ऐसा देखा होगा | वो लड़की दुलहन की कंगना बहन या इश्वरिये बहन कहलाती थी | अब विवाहित लड़की को अपनी ससुराल में अकेला पन नहीं लगता था और वो अपना सुख दुःख उसी कंगना बहन से बांटती थी | ससुराल वाले उस कंगना बहन को अपनी बेटी की तरह रखते थे और पास के ही गावं में विवाह कर देते थे ताकि सम्बन्ध बना रहे | दोनों लड़कियों के इस सम्बन्ध को ही हर वर्ष की कार्तिक चौथ को मनाया जाता था पर चुकी दोनों बहन बनी थी उस पीटीआई के कारन जिससे शादी हुई थी तो विवाहिता अपने पति के लिए प्रार्थना और व्रत रखती थी और bas वही से कंगना बहन तो गायब हो गयी शेष रह गए पति जी और करवा चौथ अनाज के लिए बीजों और कंगना बहन से के बजाये पति के लिए ही सिमट गया ................क्या मैं सही नहीं कह रहा हूँ खैर मैं आज देश की समस्त विवाहिताओं को शत शत नमन जो कीचड़ नहीं कमल को ही देखती है अपने पतियों में और कामना करती है ...अगले जनम माहे ऐसा ही दीजो ......रुकिए रुकिए राजस्थान और कई जगहों पर कुआरी लड़की भी करवा चौथ का  व्रत रखती है ताकि उसे अच्छा पति मिले .कितनी अच्छी बात है कि देश में सर्वसम्मति से यह मान लिया गया है कि लड़की अच्छी ही होती है इस लिए किसी पुरुष को अच्छी लड़की या पत्नी पाने के लिए व्रत नहीं रखना पड़ता !!!!!!!!!!!! क्या कुछ गलत कह दिया !!!!!!! खैर देखिये आपके वो चाँद में निकल आये और चाँद पर आदमी ने पाव भी रख दिया कही चाँद में दाग इसी लिए तो नहीं ??????? जय करवा चौथ ( सच को व्यंग्य के प्रकाश में पढ़े )

Monday 6 October 2014

स्वच्छता के जलवे

पूरे कुएं में ही भांग पड़ी है ..............
ट्रेन के शौचालय में बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था कि जब गाड़ी स्टेशन पर खड़ी हो तो कृपया शौचालय का प्रयोग  ना करें ................................बिलकुल सही कहा रही देश के रेल मंत्रालय की यह बात .भैया स्टेशन क्यों गन्दा करते हो कम से कम कहने को तो रहे कि देखो देश के रेलवे स्टेशन कितने साफ़ रहते है .क्या स्टेशन ही मिला है इतना बड़ा देश तो है कही भी गंदगी फैलाओ !!!!!!!!!!! अब सरकार को क्या पता कि देश की जनता उससे आगे अगर न सोचती तो भला अपने घर का कूड़ा सड़क पर क्यों फेकती .........घर साफ़ तो सब साफ़ यानि सरकार और जनता की सोच में कही कोई फर्क दिखा !!!!!!१नहि ना तो अब सरकार और जनता को सोचना है कि स्वच्छता  अभियान का मतलब घर और स्टेशन को साफ़ रखना है और पूरे देश में गंदगी ......और आप ऐसा करें भी क्यों न आखिर पूरे देश में तो आप रहते नहीं ......अब आप समझ गए होंगे ट्रेन में लिखे शब्दों का मतलब और देश में सफाई का अर्थ ..........( व्यंग्य जो सच है )

Sunday 28 September 2014

बड़े धोखे है इस प्यार में

बाबू जी जरा धीरे चलना .........प्यार में जरा ???????
मैं जानता हूँ कि आप जैसो के साथ रहना है तो राधे राधे कहना है और इसी लिए मैं हिम्मत भी नहीं कर सकता कि ये सच कहूँ कि देश की संस्कृति अच्छी है ?????माफ़ कीजियेगा अच्छी नहीं है और इसका परिणाम है कि अब दहेज़ के प्रकरण बिलकुल सुनाई ही नहीं देते अब आप ताली बजा कर कहेंगे देखा औरतों की स्थिति सुधरी कि नहीं ??/ पर मैं ये कैसे कह सकता हूँ सरकार ने शादी जैसी संस्था की ही ऐसी तैसी कर डाली और कह दिया दहेज़ देने के लिए नहीं है तो कोई बात नहीं न हो पर हम भला आपके नैसर्गिक आवश्यकताओं को कैसे भूल सकते है तो लीजिये अगर आप १८ साल पर वोट डाल सकते है तो बिना संस्कृति के नियमों के साथ साथ एक छत के नीचे रह क्यों नहीं सकते ?? है ना आम के गुठलियो के दाम .लीजिये लिविंग रिलेशन हाज़िर है साप मरी न लाठी टूटी अब न तो दहेज़ की हाय हाय और ना ही दहेज़ हत्या !! देखिये मैं कुछ भी नहीं कह रहा मैं बस वही सुना रहा हूँ जो सरकार इस देश की संस्कृति को बचाने के लिए किया है  | लेकिन आप तो शहद की मक्खी की तरह हर योजना पर टूट पड़ते है आरे भैया सब दिन होते न एक समान कल तक आप ने लडकिया को मारा पीटा जलाया तो भुगतो लिविंग रिलेशन का भूत ..............सरकार ने आई पी सी के सेक्शन ३६३ के बारे में आपको बताया ही नहीं यानि रहिये लड़की के साथ और मन ही मन फोडिये लड्डू आपको तो दोनों हाथों में लड्डू दिखयी दे रहे होंगे क्योकि सरकार ने बिना शादी के छूट जो दी बालिग को साथ रहने की लेकिन इस ३६३ के जिन्न का क्या करेंगे ????/ लड़की साथ रही फिर उसने कहा कि मैंने जो भी किया वो इनके आश्वासन पर किया कि ये मुझसे शादी करेंगे !!! यानि आप बन गए मुलजिम तो झेलिये जेल के सीखचों का मजा पर रुकिए रुकिए आखिर इस देश में संस्कृति जैसी भी कोई चीज है आप मान लीजिये कि हां मैंने ऐसा कहा था और मैं शादी करने को तैयार हूँ चलिए आप तो बच गए पर दहेज़ !!!!!!!!!!! वह क्या तरीका निकाला सरकार ने बिना दहेज़ शादी का ..........लिविंग रिलेशन अब गर शादी के बाद कुछ भी किया तो है ना डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट २००५ तो भैया इधर कुआँ उधर खाई...........तो मान लो कि नारी तुम केवल श्रद्धा हो ...........या देवी सर्वभूतेषु .....................जा माँ की ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए)

Tuesday 16 September 2014

प्रेम अपराध नहीं तो क्या है

प्यार कर ले घडी दो घडी .............
देख अगर तू मेरी न हो सकी तो किसी की नहीं होने दूंगा तुझे ?? क्या समझती है अपने  आपको और ये ले तेजाब की शीशी पूरी की पूरी नारी को देवी कहने वाले देश में एक लड़की को मंगल ग्रह का बना गयी खैर ऐसा ना करें तो पता कैसे चले की भाई साहब प्रेम करते थे | वैसे प्रेम का मतलब यह कुछ निराला है बात उन दिनों की है जब मैं गुजरात के शहर सुरेन्द्र नगर की एक तहसील लिमडी के एक गाओं नाना कठैची में मानवशास्त्रीय  शोध कर रहा था और एक व्यक्ति अपनी पत्नी को किसी बात पर ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ....की तर्ज पर शंख नाद कर रहा था ...मुज्झे अपने कर्तव्य याद आये मैंने रोक तो पुरुष चला गया पर उसकी पत्नी गुस्सा हो गयी क्यों आये बीच में कम से कम मारने से पता तो चला कि वो मुझसे प्रेम कितना करता है !!!! ऐसा हो सकता प्रेम आपने भी देखा हो लेकिन आज कल प्रेम के नाम पर एक लड़ाई चल रही है पशुओ में ज्यादातर मादा के लिए नर ही लड़ते है और शक्ति प्रदरसहन के अनुसार वरण करते है मनुष्य ने भी बहुत दिनों तक स्वयम्बर में औरत के वर्चस्व को स्वीकार किया और यद्ध में जीती गयी जमीन कि तरह औरतो  ने भी जिसकी लाठी उसकी भैस का नियम माना लेकिन ये कौन सा युग है जब औरत मानी तो मानी नहीं तो सिर्फ मौत , तेजाब , बदनामी , ???क्या औरत के तन मन का उसके जीवन के लिए कोई मान रह गया है ? ओह हो मैं तो भूल ही गया कि महिला सशक्तिकरण का यही तो मतलब है अगर महिला का शोषण नहीं होगा तो महिला प्रतिरोध कैसे करेगी और प्रतिरोध के बिना  कोई शक्तिशाली कभी कहला पाया है भला ???? आखिर आपको महापुरुष जो कहलाना है | चलिए  १४ वी  शताब्दी में दो प्रेम करने वाले लोगो के कब्र क़ी फोटो जो इंग्लॅण्ड में खुदाई से प्राप्त हुई है , को देख कर सोचिये कि हाथ पकडे ये दोनों युगल जोड़े मरने के बाद भी प्रेम की किस कहानी को बता रहे है ??? शायद मानव होने का मतलब यही है प्रेम यहाँ मना है क्योकि हम मनुष्य है जो प्रेम से ज्यादा अधिकार के लिए जीता है वैसे आप क्यों मानने लगे मेरी बात आखिर कोई जानवर तो है नहीं जो बस सर झुका कर मान ले जो कहा गया !!!!!! एक बार एक जानवर माँ ने अपने इधर उधर घूमते देख कर अपने बेटे से क्रोध में कहा ......आदमी कही का ( जैसे आप कहते है गधा कही का ) आदमी जानवर क्यों नहीं बन पाया ????????( व्यंग्य ही समझिए )

Monday 15 September 2014

कुशल मानव क्यों हम नहीं है

कब हम स्किल्ड ( कुशल ) बनेंगे ??
आज मैं करीब १२.२० के आस पास राम सागर मिश्रा पोस्ट ऑफिस जिसे अब इंदिरा नगर पोस्ट ऑफिस कहतेहै , गया कुछ पत्र पोस्ट करने गया था जब से अपनी माँ को लगातार पत्र लिखने के कारण मेरा नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है तब से पोस्ट ऑफिस वाले भी मुझे थोड़ा अलग तरह से देखते है , खैर एक लड़का करीब २० साल का स्पीड पोस्ट वाले बाबू जी से बहस कर रहा था और वो कह रहे थे पूछ ताछ पर जाओ पर वह भी भीड़ होने के करें लड़का वही अपनी समस्या का समाधान चाहता था | मुझे देख कर बाबू जी बोले देखो तुम इन डॉक्टर साहब से अपनी बात समझ लो | मुझे आश्चर्य हुआ कि लड़का ये नहीं जानता था कि लिफाफा किस काउंटर पर मिलता है खैर जब वो ये जान गया तो उसको ये नहीं मालूम कि स्पीड  पोस्ट क्या होता है और रजिस्ट्री क्या होती है पर उसका कहना था कि घर से उससे कहा गया हैकि रजिस्ट्री करके आना मैंने कहा पहले तो स्पीड पोस्ट सस्ता होता है , इसके पहुचने में जल्दी ध्यान दिया जाता है और तुम चाहो तो आज के बाद रोज नेट पर बैठ कर स्पीड पोस्ट की वेब साइट पर जाकर अपने पत्र को ट्रैक कर सकते हो यानि जान सकते हो कि अब वो कहा है इसके लिए तुमको रसीद पर पड़ा नंबर डालना होगा | इतना बताने के बाद भी वो ये नहीं जानता था कि लिफाफे पर किसका किसका नाम जाता है मैंने पूछा पढ़ते हो तो बताया लखनऊ के एक कॉलेज से एम कॉम कर रहा है | मैंने देखा कि कई लोग मेरी बात सुन रहे थे और लिफाफे को सही कर रहे थे जैसे लिफाफे पर स्पीड लिखने या पिन नंबर डालने के लिए कोई ध्यान ही नहीं रहता है | अचनक मेरे पीछे कड़ी एक लड़की ने मेरे लम्बे बल देख कर खा क्या आप सोशल वर्कर है या एक्टिविस्ट मैं उसके प्रश्न  पर शांत रहा और फिर बोला एक शिक्षक ज्यादा हूँ शायद | और जब कॉलेज बताया तो मत पूछिये कहिर उस लड़के ने पैर छूटे हुए कहा कि क्या मैं ऐसे गुरु का नंबर ले सकता हूँ ?? मैंने अशोक को नंबर दिया और कहा कि गुरु कीसी कॉलेज या क्लास से बंधा नहीं होता वो सिर्फ गुरु होता है ? मैं चल दिया पर सोचता रहा कि नरेंद्र मोदी शायद इसी शिक्षा के विरोधी है जिसमे लोग एम ए, एम कम तो हो जाते है पर व्यवाहरिक बिलकुल नहीं होते उनको कोई जानकारी नहीं होती , शायद हम सभी को मोबाइल , कार , टी वी कि तकनीक भी पता होनी चाहिए मुझे लगा कि मोदी देश को सही अर्थो में स्वालम्बी बनाना चाहते है लेकिन क्या आपको पता है सबसे पहला स्किल्ड मैन कौन था चलिए मैन बताता हूँ होमो हैबिलिस ( स्किल्ड मैन ) आज से २३ लाख साल पहले जिसने उपकरण को बनाना सीख कर जीवन को गति दो थी तो क्या हम उससे पीछे रह गए ??????/सोचिये और एक नए कल का सूत्रपात्र कीजिये ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )एक सच जो व्यंग्य जैसा लगता है

Saturday 13 September 2014

हिंदी बोलना ....भाषा या निराशा

हिंदी दिवस या देव नागरी दिवस ....
जब इस देश में हिन्दू या हिदुस्तानि शब्द को लिया जाता है तो न जाने कितना विरोध होता है पर हमने तो अपनी देवनागरी लिपि को हिंदी कहे जाने पर भी ख़ुशी से स्वीकार कर लिया क्योकि जब सैकड़ो सालों से हमने इस देश में आने वाले मनुष्यों को स्वीकार किया तो फारस के लोगो के त्रुटिपूर्ण उच्छारण से उपजे शब्दों को भी हमने आत्मसात कर लिया | वैसे तो संविधान के अनुच्छेद १ के अनुसार इंडिया दैट इज़ भारत  है पर अनुच्छेद ३४९ के अनुसार अगर किसी भी भाषा के शब्द को ज्यादा प्रयोग में लाया जायेगा तो वो हिंदुस्तानी कहलाएगी और इसी हिंदुस्तानी को परिभाषित किया गया १४ सितम्बर १९४९ को अनुच्छेद ३४३ में हिंदी राज भाषा के रूप में ना की राष्ट्रीय भाषा के रूप में | नेहरू इसके समर्थन में नही थे कि हिंदी राज भाषा भी बने पर हिंदी से चिढ़ने वाले राज्य तमिलनाडु के लब्धि प्राप्त मंत्री मेनन ने अपने एक मात्र वोट से संसद से हिंदी को विजय दिलवाई और बन गयी हिंदी राजभाषा | पर क्या आज हिंदी दिवस मना कर हम हिंदी को श्रद्धांजलि देते है या फिर उसके मान को बढ़ाते है क्योकि जिस तरह से अंग्रेजी का महत्त्व बढ़ा है उससे तो भारतीय नारी की देवी वाले स्वरुप की तरह एक वीभत्स स्वरुप ही सामने आता है | क्या मजाल आप हिंदी बोल कर अपने को श्रेष्ठ साबित कर दे ! इंदिरा गांधी मुक्त राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में होने वाले किसी साक्षात्कार के आने वाले पत्र में लिखा रहता है कि अगर आप हिंदी में साक्षात्कार देना चाहे तो सूचित करें पर सुचना देने के बाद भी आप से सारा साक्षात्कार अंग्रेजी में ही लिया जायेगा और गर आपने नैतिक शिक्षा पढ़ाई तो आपका सत्यानाश  तो होना ही है  | अगर हिंदी के साथ सड़क पर लड़की के साथ होने वाले छेड़ छाड़ को महसूस करना हो तो इसी विश्विद्यालय के हिंदी में दिए जाने वाले पथ्य सामग्री को उठा कर पढ़ लीजिये , उलटी और दर्द से आपका सर न फट जाये तो कहियेगा | मानवशास्त्र जैसे विषय में आज तक कभी प्रयोगात्मक परीक्षा के पेपर हिंदी में लखनऊ विश्व विद्यालय में छपे ही नहीं क्योकि शिक्षकों को हिंदी आती ही नहीं आरे भैया हिंदुस्तानी तो लिख सकते हो ???? २४ फ़रवरी १९९९ में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में मेरा शोध पात्र सदी के अंत में मानवशास्त्र हिंदी में था जिसमे मैंने उस समय गे संस्कृति का विश्लेषण किया था | भारत के प्रसिद्द मानवशास्त्री प्रोफ़ेसर गोपाल सरन जी के बाद ही मेरा पेपर था और मुझ पर बराबर दबाव डाला गया कि मई अपना पेपर अंग्रेजी में लिख कर दूँ क्योकि ये एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी है और हिंदी काबुल नहीं खैर मुझे अंग्रेजी में करना पड़ा और दूसरे दिन उस शोध पत्र तो द ट्रिब्यून समाचार पत्र ने छापा जो भारतीय हिंदी से इतना अपमानित महसूस करते है उनको ये नहीं भूलना चाहिए कि चीन में अपना मानव शास्त्र का अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी चीनी और अंग्रेजी दोनों में की | इंग्लैंड में २०१३ में हुए मानवशास्त्र के अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में ये विकल्प भी था कि अगर आपकी भाषा में बोलने वाले प्रयप्त है तो आप अपनी भाषा में पैनल आयोजित कर सकते है | क्या वास्तव में हम कभी भाषा का सम्मन कर पाएंगे | शायद अटल जी ने तो सिर्फ संयुक्त राष्ट्र संघ में १९७७ में हिंदी में भाषण देकर वह वही लूटी थी पर नरेंद्र मोदी जी ने हिंदी बोलने वालो के मन से झिझक मिटाने के लिए और दुनिया के किसी भी मंच से हिंदी में ही अपनी बात करके ये बता दिया है कि आप भी अपने देश में हर जगह हिंदी के सहारे आगे जा सकते है | क्या आप हिंदी के लिए इतना कर पान एक सहस रखते है या फिर सिर्फ मोदी मोदी कहने के लिए पैदा हुए है | मोदी ने तो अमेरिका के विदेश मंत्री से भी हिंदी बोलवा दिया है क्या आप ऐसा करने का सहस रखते है तो आइये फिर मना डालिये हिंदी दिवस ...हिंदुस्तान में ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )

उपचुनाव से ज्यादा शिक्षक जरुरी राष्ट्र में

उपचुनाव का खोखलापन .....
आज  उत्तर प्रदेश में ११ विधान सभा और ३ लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए |देश के महाविद्यालयों और विश्विद्द्यालयों में ना जाने कितने सृजित पद खाली पड़े है पर पैसे की कमी के कारण ठेके पर कुछ रुपये महीने देकर शिक्षा में काम चलाया जा रहा है | देश के चुनाव आयोग को इस बात का ज्ञान है कि महंगाई कितनी बढ़ गयी है , इस लिए उसने उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा बढ़ा कर ५० लाख कर दी है यानि एक सीट पैट काम से काम सरकारी तौर पर अगर चार पार्टी के लोग खड़े है तो दो करोड़ रुपये खर्च हो जाते है | अगर सत्ता में रहने वाली पार्टी की बात करें तो उसके हर उमीदवार के चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार खर्च किये गए पैसे से पूर्ण तया नियुक्त सहायक आचार्य या असिस्टेंट प्रोफ़ेसर को करीब ८५ से ९० महीने का वेतन मिल सकता है यानि चुने हुए प्रतिनिधि जितने पैसे से सिर्फ साथ महीने सत्ता में रह पाते है उतने पैसे से राष्ट्र को एक शिक्षक करीब ९० महीने केलिए मिल सकता है | ध्यान रहे इसमें चुनाव के सरकारी खर्चे नही शामिल है जैसे बूथ , कर्मचारी , पुलिस, सेना , मतगड़ना  आदि | आप कहेंगे तो क्या चुनाव बंद  करा दिए जाये ? नहीं बल्कि जनता को सोचना होगा कि उनका भविष्य किस्मे ज्यादा अच्छा है | एक अच्छा शिक्षक राष्ट्र को चन्द्र गुप्त , शिवा जी , राजा जनक , राम , कृष्ण ,रना प्रताप देता है पर एक नेता सिर्फ जनप्रतिनिधि बन कर अपने सुख पर ध्यान देता है | मेरा सिर्फ यही कहना है कि कैंसर की दवा की तरह मुख्य चुनाव अगर जरुरी है तो उपचुनाव तो ताले जा सकते है ! जब भी किसी क्षेत्र से जितने भी उम्मेदवार चुनाव लड़े तो सब से एक शपथ पत्र लिया जाये कि वो पांच वर्ष अपनी सीट नहीं छोड़ सकते और अगर छोड़ते है तो उनकी जगह जो उपविजेता रहा होगा वो वह का जनप्रतिनिधि कहलायेगा ना कि फिर से चुनाव होंगे | इस से राष्ट्र का पैसा बचेगा और हर जनप्रतिनिधि चाहे वो जीते या हारे अपने क्षेत्र केलिए संवेदनशील रहेगा | लेकिन जाते जाते इतना जरूर कहूँगा कि शिक्षा के लिए जिस देश में पैसा नहीं वह पर ऐसे चुनावों से पैसा रोक जाना चाहिए ( ये जीवन का असली व्यंग्य है इस  देश में )

Thursday 11 September 2014

रिश्ते की गहराई सिर्फ पति पत्नी में

सबसे बड़ा रिश्ता पति पत्नी का ..........
वैसे तो जिसे देखिये यही कहता मिल जायेगा कि पृथ्वी पर माँ पिता से बढ़ कर कोई नहीं और ज्यादा दूर जाने की क्या जरूरत कुछ दिन पहले मैंने खुद यही लोरी आपको सुनाई थी और आपको नींद भी सुकून की आई थी पर मुझे तो नींद ही नहीं आई अब देखिये जिसे देखिये अपने माँ बाप के साथ नहीं रह रहा और ज्यादा  उबा तो वृद्धा आश्रम में बैठा दिया पर भारतीय विधि में पति पत्नी के जितने भी अधिकार सुरक्षित किये गए है उसमे विवाह अधिनियम के क्या कहने अगर पति या पत्नी एक दूसरे की इच्छा ????? का ध्यान नहीं रख रहे है तो इस आधार पर तलाक हो सकता है यानि आपको मन के साथ ..........का भी ख्याल रखना है खैर आपको ऐसी बात सुन्ना पसंद नहीं क्योकि आप संस्कृति पूर्ण देश में रहते है जहा टी वी पर महिला पुरुष के जीवन से सम्बंधित विज्ञापन इतने आने लगे कि कहा तक भाई और पिता या माँ और बहन उतर इधर उधर जाये या जोर जोर चिल्लाने  लगे अब देखते देखते उन्होंने शर्म के आगे बे ( वैसे गुजरती में बे का मतलब दो होता है ) लगा लिया यानि दोनों शर्म के साथ ये सब देखेंगे ओह मैं तो भूल गया कि आप तो पति पत्नी के बारे में जानना चाहते है हा तो इस रिश्ते से ज्यादा गहरा कोई रिश्ता नहीं पूछिये कैसे वो ऐसे कि अगर माँ बनने के समय कोई ऐसी स्थिति आ जाये कि एक को ही बचाया जा सकता हो तो पति कहता है डॉक्टर साहेब बचने की कोशिश दोनों को कीजिये पर अगर ऐसा ना हो सके तो फिर माँ को बचाइये अब तो मानते है ना कि पति पाती का रिश्ता कितना गहरा है नहीं मानेंगे तो लीजिये दूसरा छक्का अगर बेटा आवारा हो जाये और पिता घर से उसे निकाल दे तो अगर माँ ने विरोध किया तो पिता कहता है कि तुम भी इस के साथ जा सकती हो पर ऐसी स्थिति में माँ पत्नी रहना ज्यादा उचित मानती है और मानिये ना मानिये कहते है जहाँ ज्यादा प्यार होता है वही नाराजगी भी ज्यादा होती है लड़ाई भी ज्यादा होती है तो क्या अब भी बताऊ कि घर में सब से ज्यादा प्यारी पत्नी क्यों होती है | मेरा मतलब जहाँ दो बर्तन होते है वो टकराते ही रहते है और दो की कल्पना तो बस हम दो से ही यानि पति पत्नी  से होती है | मेरी बात सुन कर एक सज्जन कहने लगे कि फिर दोनों अलग अलग क्यों मरते है मैंने कहा क्योकि पति कभी भी अपनी पत्नी के साथ कही नहीं जाना चाहता वो अकेले ही जाता है अब अगर स्वर्ग गया तो अप्सरा और अगर नीचे रहा तो ??????????? अब तो मान ही लीजिये कि पति पत्नी से गहरा कुछ भी नहीं ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Wednesday 10 September 2014

जिन्दा वही जिसके पास पैसा

जिनके पास पैसा वही ज्यादा सुरक्षित ...
मैं आज तक नहीं जान पाया कि भले बाढ़ आये , तूफान आये , भूकम्प आये , युद्ध हो या भी कही भगदड़ मच जाये तो न तो कोई नेता मरता है और न ही कोई अभिनेता या उद्योगपति मरता है या बेघर होता है तो क्या पैसे वाले ज्यादा सुरक्षित है ???? हा हा आप नहीं मानेंगे क्योकि आप कुछ न कुछ उदाहरण पैदा कर देंगे पर क्या अभी आपको जम्मू कश्मीर , उत्तर प्रदेश , बिहार में आई बाढ़ को भूल जाते है कि जितने मारे गए वो ज्यादातर पैसे वाले नहीं थे | और कभी ट्रैन को देखने चले जाइये ट्रैन के आगे और पीछे सामान्य डिब्बा लगता है यानि ये डिब्बा उन लोगो से भरा रहता है जो देश के गरीब लोगो का प्रतिनिधत्व करते है और ए सी डिब्बे बिलकुल बीच में लगते है यानि अगर एक्सीडेंट हो तो सबसे ज्यादा कौन मारे सामान्य डिब्बे के लोग तो क्या अब भी आप नहीं मानेंगे कि देश में जिनके पास पैसा नहीं वही ज्यादा मरते है |अभी भी नहीं मानेंगे तो लीजिये एक और उदाहरण चिकित्सा विज्ञानं ने इतनी उन्नति कर ली है कि अगर आपकी सांस भी टूट रही हो तो आपको कृत्रिम सांस से जिन्दा रखा जा सकता है | ह्रदय, किडनी , लिवर सभी का प्रत्यारोपण हो सकता है पर इसको करा कौन सकता है गरीब के नसीब में तो मारना ही है ना यनि कारन है कि पैसे के कारण अस्पताल में सामान्य वार्ड प्राइवेट  वार्ड होते है तो हुई न गरीब कि जान सस्ती | केले खदान का मालिक कभी उसमे दब कर नबल्कि मरता है वो व्यक्ति जिसके पास पैसा नहीं और वो अंदर घास कर कोयला खोदता है | मतलब सिद्ध हो गया कि गरीब ज्यादा इसी लिए  मरता है क्योकि उसके पर पैसा नहीं और नेता अभिनेता कम मरते है क्यों नहीं पूरे कश्मीर के घर ऐसी जगह है जैसे उमर अब्दुल्ला या रुबिया सईद के है अब तो समझ लीजिये कि अगर पैसा है तो आप ज्यादा जी सकते है क्या अब भी बताना पड़ेगा कि लोग पैसे के लिए क्यों भाग रहे है , अपने माँ बाप को घर से क्यों निकाल रहे है ?? अरे भाई उनको ज्यादा जो जीना है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Tuesday 9 September 2014

हम मनुष्य है मनुष्य

हम मनुष्य है मनुष्य कोई ?????
पूरी पृथ्वी पर जितने भी जीव जंतु है उन सभी में प्रकृति ने एक नर और एक मादा की रचना की है शायद मुझको ऐसा लगता है कि सभी में मादा कि संख्या कम ही होती है क्योकि मादा को पाने के लिए सभी में नरों के बीच एक संघर्ष चलता है यानि एक बात तो तये है कि आज तक मनुष्य ये नहीं चाहता कि वो जानवरों से अलग दिखाई दे इसी लिए वो लड़कियों कि संख्या बढ़ने नहीं दे रहा है और दूसरी बात ये आज तक सारे मनुष्य जानवरों कि तरह लड़कियों और औरतों को पाने के लिए संघर्ष करते रहते है यानि अभ भी हम अपने मूल तत्व को नहीं छोड़ना चाहते और छोड़े भी क्यों वो मनुष्य ही क्या जो अपनी मूल परम्परा को भूल जाये लेकिन मानिए या ना मानिये एक बात तो में तो हम मनुष्य बन ही गए है आखिर हमने संस्कृति सभ्यता का निर्माण किया है | अब परेशान ना होइए और सुनिए कल एक रेस्त्रां से दो लड़कियां  खाना कहने के बाद निकली कुछ दूर चलने पर एक गाड़ी पीछे से आई और अपने को स्वस्थ दिखने के लिए लड़कियों पर कमेंट करके आगे जाने लगे पर आज कल मेरी कॉम का जमाना है और एक लड़की ने इसका प्रतिकार किया तो लड़को ने गाड़ी रोक कर जितनी बदतमीजी कर सकते थे करी शायद द्रौपदी को भी शर्म आ जाती पर वह खड़े बहुत से मनुष्य चुप चाप सब होता देखते रहे और देखे भी क्यों ना वो मनुष्य है कोई कुत्ते तो है नहीं जो उनके इलाके में कुछ किसी ने किया नहीं कि सब मिल कर दौड़ पड़े | मैं तो कहता हूँ बिलकुल सही किया इन मनुष्यों ने आखिर पता कैसे चलेगा कि हम सभ्य है और अब जानवर नहीं रह गए है | मेरे सभी से निवेदन हैकि अपनी लड़कियों और औरतों को घर से न निकलने दे क्योकि अब शहर में मनुस्य रहते है जानवर नहीं ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए एक सच )

Monday 8 September 2014

माँ होने का एहसास बेचिए पैसा कमाइए

माँ के नाम से बाजार सजाइये ..........
इस पृथ्वी का सबसे सुन्दर नाम जो ओस की बून्द की तरह निर्मल है जिसके लिए हिन्दू मुस्लिम ईसाई हर धर्म में ना जाने क्या क्या कहा गया है  लेकिन इस नाम को कैसे बाजार में उत्तर कर कमाई की जाये ये तो भूमंडलीकरण से पूछिये |मैं विज्ञानं  का विद्यार्थी होने के कारण और अक्सर यही सुना कि एक विवाहिता ( हमारी संस्कृति में अविवाहिता को ऐसी अनुमति नहीं ) को पता चल जाता है कि वो माँ बनने वाली है वैसे ये कुदरत का ऐसी प्रक्रिया है जिसमे जाना जा सकता है | पर देखिये बहु राष्ट्रीय कंपनी कितनी चिंतित है कि एक विवाहिता ये जान कैसे ले कि वो माँ बनने वाली है | प्रज्ञा टेस्ट ......जी हा शिल्पा शेट्टी पूरी ताकत लगा कर ये बताती नज़र आती है कि एक माँ को कितना अच्छा लगता कि वो माँ बने और उसको ये एहसास करता है प्रज्ञा टेस्ट बस एक बून्द और आप जान सकते है कि आप माँ बनने वाली है | क्या ये सब माँ बनने वाली यानि किसी विवाहिता को जानने कि ज्यादा जरूरत है या फिर आप इशारा है उन लोगो के लिए जो चाहते है कि क्यों जीवन की मस्ती में कभी कोई ऐसा क्षण भी आये जब वो जान ही ना पाये कि वो माँ बन गयी है तो लीजिये जीवन का मजा और अपने मजे को छिपाने के लिए प्रयोग कीजिये प्रज्ञा टेस्ट !!!!!!!!! खैर आपको क्यों बुरा लगेगा ये तो भला हो कंपनी और सरकार कि सोच का जो चाहते है बिना शादी के और किसी डर के  अपनी संस्कृति को जीने का नाटक करते हुए हम  जीवन का सारा आनंद ले सकते है यह तक माँ बनने का मतलब समझ सकते है आखिर जब १८ साल  पर मत डालने का हक़ है तो सब कुछ जानने का क्यों नहीं | मैं जनता हूँ मैं शायद ठीक नहीं कह रहा क्योकि प्रज्ञा ने आपकी परेशानी को जो ख़त्म कर दिया है | आज हीजानिए कही आप माँ बनने  का सुख लेने और देने में  प्रज्ञा टेस्ट तो नहीं भूल गए ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Sunday 7 September 2014

सभी तो करते है कमेंट

सभी तो करते है कमेंट ......
आज एक महिला ने मुझसे कहा कि आप मुझ पर कमेंट नही करते है मैंने उनसे कहा कि मैडम जी आई पी सी के सेक्शन २९४ में सार्वजानिक स्थानो पर महिला पर कमेंट करना अपराध है और उसके लिए सजा का प्राविधान है \ मेरी बात सुन कर कहने लगी रहने दीजिये मैं तो रोज अपनी फोटो लगाती हूँ और रोज हज़ारों कमेंट आते है कही किसी को सजा नहीं होने जा रही !!!!!एक आप और आपका कानून क्या मेरी फोटो सार्वजानिक नहीं है ये कहिये आपके पास कमेंट करने का समय नहीं है पर मैं उनकी बात सुनता और बोला आप सही कह रही है इस देश में ज्यादातर कमेंट करने वाले सजा नहीं पाते और कमेंट न करने वाले सजा पा जाते है आखिर सिद्ध कैसे होः कि गेहूं के घुन भी पीस जाते है और जंग में वही पेड़ कटे जाते है जो सीधे खड़े होते है | बस बस रहने दीजिये अपनी बातें मैं चली अपना चहेरा दिखने एक आप ही नहीं है हज़ारन है मुझ पर कमेंट करने वाले आप तो बस चिपके रखिये आई पी सी के सेक्शन २९४ से ...........( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Saturday 6 September 2014

बाप बड़ा ना भैया ................

बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपइया......
   जिस देश के लोग ये जानते है कि लड़के को बड़ा करके शादी से पैसा कमाया जा सकता है | जहाँ पर कोई लड़की इसी लिए बड़ी होती है कि वो गाय की तरह दुही जा सके तन मन और धन तीनो से | मैंने न जाने कितने आंकड़े इक्कठे किया है जिसमे जैसे पुराने घर जीव धरी हो जाते है गदा हुआ धन जीव धरी हो जाते है वैसे ही जो माँ बाप अपनी कामसुत लड़की की शादी ज्यादा दिन तक नहीं कर पाते वो भी जीव धरी हो जाते है और उसकी शादी नहीं करना चाहते अगर आप ने गलती से समाज  सेवी बनने का खतरा मोल ले लिया तो लड़की के माँ बाप भी मनो इसी के लिए तैयार बैठे हो वो लड़की के दहेज़ हत्या , घरेलु हिंसा का हवाला देकर समझा देंगे कि शादी की जरूरत क्या है कमा खा रही है अब कौन कमा रहा है और कौन खा रहा है वो आप समझदार है |खैर आप भरित्ये परम्परा में जीने वाले एक आदर्श व्यक्ति है और आपको मेरी ये गन्दी सोच वाली बात कैसे समझ में आएगी बल्कि आप तो कहेंगे कि काम से काम पैसे की कमी से शादी ना होने के कारण प्रजनन क्षमता तो नही बढ़ रही है जनसँख्या तो नियंत्रण में है !! सही है लेकिन आप मान लीजिये की पैसा ही सबसे बड़ा रिश्ता है नही मानेंगे तो लीजिये ये गरम गर्म उदाहरण शायद आपका भेजा नरम  कर दे | अगर आपका इलाज़ पैसे की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है तो याद कीजिये भगवान बुद्ध की कहानी और जैसे ही आपको लगे कि आप गरीब कहाँ है आपके पास तो करोडो का शरीर है तो बस शुरू कर दीजिये अंगो के बेचने का धंधा ( वैसे ऐसा कीजियेगा नही क्योकि कानून  बहुत सख्त है लेकिन शातिर अपराधी पकडे नहीं जाते है और आप है नौसिखिये ) बस पैसा ही पैसा | अरे खून बेच दीजिये आखिर आपको इलाज़ करना है कि नहीं भला कोई क्यों और कितना पैसा दे !! सरकार भी बुखार दर्द की दवा दे सकती है कोई आपने उनसे पूछ कर तो जन्म लिया नहीं था | आखिर पैसा कहा से आएगा लीजिये एक ताज़ा उपाय कल उत्तराखंड की पुलिस ने ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो तीर्थयत्रियों के बच्चे चुरा कर उन्हें ३ से ४ लाख में बेच देते थे तो बन सकते रातों तर लख !पति पति से याद आया कि पिछले महीने पति द्वारा पत्नी से देहव्यापार करके पैसा कमाने का धंधा सामने आया था | और आप तो वैसे भी बही बहनो के देश के है अगर इन सब नैतिकताओं से काम न बने तो कर लीजिये किसी से प्यार और किचिये एक लड़की की अनाप सनाप फोटो फिर चाहे उसे ब्लैक मेल करके पैसे कमा लीजिये या फिर ऑन लाइन फोटो बेच कर कम लीजिये | पर आप कहा ये सब मैंने वाले आप तो रिश्तों को जीने वाले लोग है और रिश्ते और संबंधों के लिए जान दे देते है वो बात और है कि खर्चा ज्यादा होने और घर में जगह न होने के कारण अपने माता पिता तक तो घर से निकाल देते है पर आपके पास तो इसका भी उत्तर है आखिर क्यों माँ ने नौ महीने आपको गर्भ के अँधेरे में रखा अब उनको भी तो पता चले कि बिना सुख सुविधा के रहना किसको कहते है अँधेरा क्या होता है ? और कोई हम उनके लिए कमाने के लिए बैठे है हमारे भी बच्चे आखिर उनको कौन खिलायेगा ? बाप है भाई है सब ठीक है पर मैं अपना पैसा क्यों उनको दूँ ?// क्या ये आवाज़ आज तक आपके आस पास  नहीं सुनाई दी कहिर सुनाई भी क्यों दे क्यों कि आपने तो पैसे के हीकरण देश बेच दिया था ( कृपया व्यंग्य समझ कर पढ़े )

Thursday 4 September 2014

यही है शिक्षक

शिक्षक दिवस का सच मानो या ना मानो
कल शिक्षक दिवस है और भूमंडलीकरण के दौर में जा जाने कितना पैसा बह जायेगा गुरु शिष्य प्रेम में | पर एक विधयर्थी को परीक्षा में इस लिए नहीं बैठने दिया जाता क्योकि उसकी उपस्थिति ७५% नहीं है पर क्या कभी यह देखने की कोशिश की जाती है कि जब जब वो छात्र कॉलेज आया तब तब हर शिक्षक ने क्लास ली कि नहीं अगर नहीं तो शिक्षक के जीवन के साथ उतना बड़ा मजाक क्यों नही किया जाता जितना विद्यार्थी को परीक्षा से रोक कर किया जाता है | एक तरफ इस देश में एकलव्य की कहानी पढ़ा कर यह बताने का प्रयास किया जाता है कि मन में विश्वास हो तो गुरु सामने हो या न हो पर आप एकलव्य की तरह सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन सकते है दूसरी तरफ विद्यार्थी को इस बात के लिए सजा दी जाती है कि उसने घर पर बैठ कर क्यों पढ़ाई की कॉलेज क्यों नहीं आया | आज शिक्षक दिवस जो एक दार्शनिक की सोच थी , की पूर्व संध्या पर बस यही कहूँगा कि अगर देश का संविधान समानता का अधिकार देता है तो गुरु शिष्य दोनों के लिए सामान नियम होने चाहिए | और यही आज एक गुरु की अपनी शिष्यों को शुभ कामना है ................सोचिये और समाज को बदलिये

Wednesday 3 September 2014

क्या आप औरत को जानते है

क्या आप औरत का मतलब जानते है ???
मैंने जब एक दिन पूछा तो उत्तर आया ये लो भला हम क्यों नहीं जानेंगे औरत को ?? क्या हमने अपने को कभी देखा नहीं है और भैया हमाम में तो सभी नंगे है | मैं उनकी बातें सुन कर  दंग था मैंने फिर कहा क्या औरत का मतलब सिर्फ शरीर तक ही है तो कहने लगे क्या यार फर्जी बात करते हो क्या तुमको लगता है की औरत कोई योग तपस्या करके आगे बढ़ती है वो तो ?? और उन्होंने एक साथ कई नाम गिना डाले कि कौन कैसे बढ़ा ? मैं आश्चर्य चकित था मैं आज के विक्रमादित्य ( अब इनका असली नाम और काम न पूछ लीजियेगा वरना मेरी तो ) से कहा हुजूर न्याय कीजिये सभा में वो सभी बैठे थे जिन्होंने एक भोले से किसान को अंगुलिमाल डाकू बनाने में पूरी ताकत लगा  दी थी पर विक्रमादित्य तो आज कलयुग में थे उन्होंने कहा कि किसी महिला ने तो शिकायत की नहीं है फिर मैं कैसे न्याय कर सकता हूँ ? मैं अवाक् था मैंने कहा इसके मतलब आपके राज्य में दो पुरुष किसी भी सभ्य महिला को कुछ भी कह सकते है पर आप तब तक कुछ नहीं करेंगे जब तक महिला ना कहे !! अब तो जान गए होंगे कि विकर्मादित्य का चिंतन महिला के लिए क्या है ? मैं क्षुब्ध हो गया मैंने महिला से जाकर कहा कि कब तक शोषण का शिकार होती रहोगी अपने अधिकार के लिए लड़ो दुनिया को बताओ कि तुम्हरे साथ क्या किया गया मेरी साडी बात सुन कर बोली क्या फायदा सच कह कर मुझे बचपन से ममरने तक मार ही खाना है तो आज ही उसका प्रतिकार क्यों करूँ आप जो चाहते है करिये मैं आप का साथ नहीं दे सकती !!!! अब बरी मेरी थी आप लोग मेरी हसि उदा सकते है , मुझ पर थूक भी सकते है | खली समय में मेरे ऊपर चुटकुले बना सकते है | अपने समय को मुझे गप्प का हिस्सा बना कर मनोरंजन कर सकते है क्योकि सब यही पूछ रहे है क्या मैं औरत को जानता हूँ ???( एक सच जो मेरी जीवन का सबसे बड़ा व्यंग्य बन गया )

Tuesday 2 September 2014

सोचो

जाने के आसरे बैठे क्यों हो ,
क्यों आये हो ये भी सोचो ,
क्या दिया है इस दुनिया को ,
कभी तन्हाई में ये भी सोचो ,
जिसको करके तुम खुश हुए ,
ये सब तो है कौन न करता ,
मानव होकर दिया क्या तुमने,
मुट्ठी में है रेत तो सोचो ,
अगर नहीं कोई फर्क चौपाये से ,
दो हाथ मिले क्यों सोचो ,
जी लो एक बार उसके खातिर ,
भगवन को एक बार तो सोचो ,
कितना दीन हीन हुआ वो है ,
उसकी बेबसी को भी तो सोचो ,
क्या कहे अब सब मिटा कर ,
मानव कैसे ले अवतार वो सोचो .........
ऊपर वाला क्या खुश है मानव को बना कर


Monday 1 September 2014

तीसरा विश्व युद्ध ..............मान भी लीजिये

तीसरा विश्व युद्ध पहचान और धर्म के आधार पर चल रहा है पर आप क्यों मानने लगे क्योकि आप तो एच आई वी को भी फर्जी बात मानते है और जब तक अमेरिका , फ्रांस , जर्मनी , रूस जैसे देश खिल कर सामने आ आये तो भला विश्व युद्ध कैसे और आप तो हमेशा से ही इस बात के हिमायती रहे है कि जब तक आप के घर पानी है लड़की सुरक्षित है तो देश में सिर्फ फर्जी बात हो रही है | अब सामाजिक विज्ञानं में यह तो कहा ही जा सकता है कि जब विश्व के करीब आधे देश लड़ रहे है और रोज 5000 से ज्यादा लोग मारे जा रहे है तो कब आप इसको विश्व युद्ध मानेंगे | वैसे आप शायद भूल रहे है कि सिर्फ १३ और १५ % पाने वाले को आप संसद सदस्य घोषित कर देते है तो क्यों नहीं मान लेते अगर विश्व की २०% जनसँख्या युद्ध से पीड़ित है तो विश्व युद्ध है | वैसे आप ने ही तो कहा है कि वसुधैव कुटुंबकम को यानि पूरी पृथ्वी आपके परिवार के सामान है तो परिवार के लोग मारे जा रहे है और आप कहते है कि आप सुखी है और कहे भी क्यों ना आखिर आपकी कथनी करनी में अंतर कहा है ? और हां आप को याद तो है ना कि कभी ये पूरी पृथ्वी एक साथ जुडी थी तब इसे पैंजिया कहते थे बाद में टूट कर इतने महादीप और देश बन गए तो क्या ये सब आपके भाई बहन नहीं !!!!!!! अच्छा तो आप क्या बटवारें के बाद अपने भाई को भाई नहीं मानते ??? अगर आपको मेरी बात नहीं समझ में नहीं आ रही तो विज्ञानं की भाषा में समझ लीजिये यानि डी एन ए के शब्दों में पुरे विश्व की महिला को अनुवांशिक पथार्थ सम्मान है यानि दुनिया एक ही महिला से उत्पन्न है और आज एक ही माँ के बच्चे लड़ रहे है तो क्या यही मानवता का सार है अगर नहीं तो मान लीजिये ना कि पूरी दुनिया में आभासी तीसरा विश्व युद्ध चल रहा है और आप बच नहीं सकते ? संभालिएगा जगल की आग से अक्सर बेकसूर भी जल जाते है | ( एक सच व्यंग्य के रूप में )

कितनी बेबस मैं

क्या कहूँ क्या जीवन मेरा ,
मौत से बेहतर से क्या जानूँ,
छोड़ गए जो मुझे अकेला ,
उनको मानव मैं क्यों मानूं ,
जो कहते थे लोग सभी ,
सुख के सब साथी होते है ,
वही अक्सर  बाजार में खड़े ,
मेरे सुख के खरीददार होते है ,
मुझे कोई फर्क नहीं अँधेरे का ,
सपने तभी सुन्दर आते है ,
कोई ताज महल तामीर होता ,
जब आलोक से दूर जाते है ,
मेरे गरीबी के जलते दीपक ,
तुमको दीपावली ख़ुशी देंगे ,
मेरे फटे हाल कपडे के सपने ,
उचे लोग फैशन में लेंगे  ,
फिर छूट रही है ऊँगली ,
मुट्ठी में रेत की तरह आज ,
सिलवटें, मसले हुए फूल ,
ना जानेंगे  रात का राज  ,
अब अँधेरा तो बहुत है ,
रिश्तो के दायरों में लेकिन ,
पर एक रिश्ता फिर उभरा ,
मेरी बर्बादी से तेरा मुमकिन ...........
पता नहीं क्या लिखता रहा कभी समझ में आये तो मुझे समजाहिएगा जरूर क्योकि आज आदमी से ज्यादा बर्बादी का खेल कोई नहीं खेल रहा एक पागल कुत्ता भी नहीं एक जहरीला सांप भी नहीं .......

Sunday 31 August 2014

जन धन योजना - दरिद्र नारायण का अवतार

जन धन योजना - दरिद्र नारायण है देश में
कुछ भी लिखने से पहले बता दूँ कि मैं नरेंद्र मोदी को एक निर्माता के रूप में देखता हूँ पर बेबाक खाने से चूकना नहीं चाहिए क्योकि मैं एक दरिद्र नारायण हूँ ?? नहीं समझ ना अरे भाई मैं इस देश का प्रजातान्त्रिक नागरिक हूँ यानि जिस नागरिक की मदद से सरकार बनती है लेकिन हल्ला होता है कि किन धन कुबेरों ने देश में सरकार बनवायी और तो और अब देश की विकास दर को ऊचा ले जाना है तो  धन कुबेरों से ये होने से रहा हा वो बात और है कि इन धनकुबरों के लिए इस देश में पुरूस्कार बहुत है | अब देखिये कैसे इस देश को दरिद्र नारायण बढ़ाने जा रहे है | सरकार ने एक योजना शुरू कि है जन धन योजना जिसमे उन लोगो के बैंक खाते खोले जायेंगे जिनके खाते है ही नहीं | करीब १५ करोड़ खाते खोले जायेंगे | खाते खोलने वालो का बीमा वो भी एक लाखका हो जायेगा यानि सरकार ने मान लिया कि मरते सबसे ज्यादा यही दरिद्र नारायण ही है और हम तो तेरहवीं पर भी खाने के लिए चले जाते है तो भला एक लाख का बीमा सुन कर क्यों न खाता खुलवाओ | यानि जो पैसा गरीबो का सरकार तक नहीं पहुंच पाता था अब आसानी से पहुंचेगा | और ख़ुशी की बात ये कि अगर छह महीने तक आपका कहता ठीक से चलता रहा !!!!!!!!! यानि आप उसमे पैसा डालते रहे तो आप को पांच हज़ार का ओवर ड्राफ्ट आप करा सकते है | केवल साल में एक बार होली के रंग खेलने के बाद के बेकार कपडे में खुश हो जाने वाले दरिद्र नारायण के लिए ये किसी करोड़पति से कम होने कि बात नहीं है पर इस से प्रजातान्त्रिक देश के पास छह महीने तक उन गरीबों का भी पैसा पहुचने लगेगा जो आज तक नहीं पहुंच पाता था तो अच्छे दिन तो आएंगे ही ना !!!!!!!!!! मरे पास न घर नही ना गाड़ी है पर आप से बता नहीं सकता कितना खुश होता हूँ जब ये पता चलता है पासबुक में कितना पैसा है तो कम से कम बेघर , अभावग्रस्त लोगो के लिए देश में ख़ुशी की एक लहर तो आई | इसकी चिंता ना करियेगा अगर आपको सरकार देश के निर्माण का अवार्ड ना दे भाई वो तो टाटा बिरला रिलायंस के लिए ही ना है | आप तो प्रजातंत्र की नीवं है बस इस देश को मजबूत बनाते रहिये | क्या गांव से शहर में आये हो रिक्शा चलाने के लिए और उसी पर सो जाते हो , शौचालय सड़क के किनारे जाते हो तो क्यों नहीं बैंक में खाता खुलवाया ??खुलवाओ भैया खुलवाओ आखिर देश का निर्माण तो तुमको ही करना है आखिर  इस देश में ही तो दरिद्र नारायण की कल्पना है | मैं तो चला खाता खुलवाने ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

love jehaad

लव जेहाद ................
लव एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है और जेहाद एक अरबी भाषा का शब्द है तो ये तो आप वैसे ही समझ गए होंगे कि इसका भारत से कोई लेना देना नहीं तो फिर आज कल जो चल रहा है वो क्या है ? दो अलग भाषा से बना एक संकर शब्द इसी संकर ( हाइब्रिड )शब्द को लेकर पूरी दुनिया के कई देश यह नहीं जान पा रहे है कि भारत में रहने वाले को क्या कहा जाये ? अब हमने तो हिंदुस्तान शब्द की रचना की नहीं अरे मेरा कहने का मतलब है की हमारे हिंदी भाषी पूर्वजो ने तो किया नहीं यानि जो लोग इस देश में बाहर से आये उनको कहना पड़ा की ये देश हिन्दुओ का है | और ये बात तब और पक्की हो गयी जब १९४० में पहली बार रहमत अली जी ने पाक शब्द की रचना की और जो १९४७ में मुकम्मल देश बन गया | अब ये तो हम सब बचपन से पढ़ते आये है २ में से एक घटाओ तो क्या बचेगा तो १९४७ के बाद जो इस देश में पाक के बनने के बाद बचा उस पर आज इतनी हाय तौबा क्यों है समझ में नहीं आता !! वैसे ये देश जिन लोगो के कारण जगत गुरु कहलाया वो कौन थे ? मुझे मालूम है कि आप भी हिंदुस्तान कहेंगे | अब अगर कोई भी हिंदुस्तान में रह कर किसी से भी शादी करता है तो क्या ये जानने या बताने की जरूरत है कि वो लड़का या लड़की इस देश में क्या होगा | अब हिन्दू के अस्तान पर आने वाले ये समझते है कि जोधा शादी के बाद मूर्ति की पूजा करना छोड़ देगी तो उनका सोचना गलत है | लव भी जेहाद हो सकता है काम से काम आप ये तो जान गए | वैसे जेहाद का मतलब आपको पता है ना !!!!!! खैर प्यार , प्रेम , मोह्हबत , सब लिखने में ही अधूरे है तो इनकी मदद से शुरू की गयी कोई भी जेहादी जंग अधूरी ही रह जाएगी | अब भाई हम लोग क्या कर सकते है अगर आपको जंग के बाद के कैदी की तरह sar कटाने का ही शौक है | काश शिवा जी को इस प्यार के बारे में पता होता तो वो गौहर बनो को बेटी कह कर वापस क्यों करते | कम से कम हिन्दू के अस्तान में कुछ प्यार के संकर गीत ही लिख जाते | वैसे इस देश में आने वाले हर आक्रमणकारी के साथ कितनी औरतें आई थी !!!!! क्या आप बताएँगे मुझे | तो क्या वो लव जेहाद नहीं था ????????????माफ़ कीजियेगा शायद मैं ज्यादा बोल गया ( इसे सिर्फ व्यंग्य समझ कर पढ़े )

Friday 29 August 2014

गणेश चतुर्थी और अनुवांशिकता

गणेश चतुर्थी ........एक औरत की शक्ति
वैसे तो अनुवांशिकता के सिद्धांतों और खोजो से यह सिद्ध हो चुका है कि एक औरत को पुरुष की कोई आवश्यकता नहीं है अगर वो माँ बनना चाहे क्योकि एक लड़की से लड़की का जन्म हो सकता है पर ये नारी की महानता है की वो सिर्फ अपने लिए नहीं सोचती और इस दुनिया में पुरुष का अस्तित्व बनाये रखने के लिए वो उसके साथ रहना स्वीकार कर लेती है और आपको पता है कि पार्वती जी ने अपने नहाने के चन्दन से एक पुत्र को जन्म दिया और फिर तो आप जानते है कि कैसे शंकर जी ने उसका सर काट डाला , और वही से अनुवांशिकता का दूसरा अध्याय शुरू हुआ , पार्वती  जी के कहने पर भगवान ने एक संकर दिव्य पुरुष को हाथी के बच्चे के सर को काट कर बनाया जिसे हम गणेश जी के नाम से जानते है और वो दिन चतुर्थी का ही था इस लिए आज के दिनको गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा , क्षत्रपति शिवा जी , पेशवा , बल गंगाधर तिलक से लेकर आज के प्रतंत्रिक युग में गणेश का जन्मदिन तो मनाया जा रहाहै पर गमेश के जन्म और पुनर्जन्म को ना जाने क्यों हम विश्व अनुवांशिक दिवस के रूप में नहीं मना पाते ......खैर आप सभी को गणेश चतुर्थी यानि विश्व अनुवांशिक दिवस की शुभ कामना .गणपति मोरया ................वैसे जाते जाते आपको बता दूँ कि अगमेश जी की दोनों पत्नियों का नाम रिद्धि और सिद्धि है और उनके दोनों पुत्रों का नाम शुभ और लाभ है .....अब समझ गए ना की क्यों दीवारों पर शुभ लाभ लिखा जाता है ....तो कहिये न गणपति बाप्पा मोरया ...........

Thursday 28 August 2014

मैं और समय

अब मैं पौधा ,
नहीं रहा हूँ ,
अब मुझे जब ,
जहा चाहे उठाना ,
बैठना आसान ,
नहीं रहा है ,
अब मैं दरख्त ,
बन गया हूँ ,
जो छाया दे ,
सकता है , ईंधन ,
भी दे सकता है ,
मुझ पर न जाने ,
कितने आशियाने ,
बन गए है ,
पर अब मैं हिल ,
नहीं सकता ,
मैं किसी से खुद ,
मिल नहीं सकता ,
ठंडी हवा देकर ,
सुकून दे सकता हूँ, ,
आपके लिए जल ,
भी सकता हूँ ,
सब कुछ अच्छा कर,
मैं कुल्हाड़ी से ,
कभी कभी आरे से ,
कट भी सकता हूँ ,
खुद को बर्बाद कर,
आपके घर की ,
चौखट बन सकता हूँ ,
कितना बेबस आलोक ,
दरख्त बन कर भी ,
लोग टहनी ले जाते ,
क्या मिला जी कर भी ..............
जीवन में समय की कीमत को समझिए क्योकि वही आपके जीवन में दोबारा नहीं आता है ...

Wednesday 27 August 2014

बेमेल विवाह

बेमेल विवाह .........
अक्सर कोमल सी ,
लताये ही ,
उम्र दराज़ पेड़ों ,
से लिपट जाती है ,
न जाने क्यों उनमे ,
उचाई छूने की ,
ललक जग जाती है ,
पर उम्र की मार से ,
बूढ़ा पेड़ क्या गिरा ,
कोई नन्ही सी कोपल ,
नाजुक सी लता भी ,
 खाक में मिल जाती है ............,

बेमेल विवाह रोकिये .लड़की सिर्फ दूसरो के सुख के लिए अपने को महसूस करके के लिए भी पैदा हुई है

Tuesday 26 August 2014

औरत होने का सार बस ???????

औरत कैसी भी ........

मैं मानता हूँ ,
और जानता भी हूँ ,
कि सारी औरतें ,
एक जैसी नहीं होती ,
पर रेगिस्तान में ,
कैक्टस भी लोगो ,
के काम आते है ,
जब हम तिल तिल ,
करके मरते है ,
पानी की बून्द को ,
तरसते है तब ,
इन्ही को हम अपने ,
सबसे करीब पाते है ,
उन्ही कांटो में सरसता ,
और जिंदगी के लिए ,
पानी पाते है |
औरत कैसी भी हो पर उसका सार निर्माण ही है .............

Monday 25 August 2014

आंसू

आंसू .........
आंसुओ को सिर्फ ,
दर्द हम कैसे कहे ,
कल तक जो अंदर रहे ,
वही आज दुनिया में बहे ,
सूखी सी जिंदगी से निकल ,
किसी सूखी जमी को ,
गीला कर गए ,
मन भारी भी होता रहा,
पर नमी पाकर ,
किसी में नयी कहानी ,
बसने  लगी आकर ,
कोपल फूटी ,
किसी को छाया मिली ,
किसी  बेज़ार जिंदगी में,
एक ठंडी हवा सी चली ,
दर्द का सबब ही नहीं ,
मेरे आंसू आलोक ,
इस पानी में भी जिंदगी ,
लेती है किसी को रोक .........
आंसू कही दर्द तो किसी के लिए सहानुभूति बन कर आते है और फिर शुरू होती जिंदगी की एक नयी कहानी


Sunday 24 August 2014

मैली चादर ओढ़े हूँ

जो मुझे मैला ,
करते रहे हर पल ,
वो भी जब डुबकी ,
लगाते है मुझमे ,
मैं उनके दामन,
को ही उजला बनाती हूँ ,
कीचड़ तो मेरी जिंदगी ,
का हिस्सा बन गया ,
उसी को लपेट सब ,
जिंदगी पाते है ,
कभी नदी में रहकर ,
कभी गर्भ में रहकर ,
पर अक्सर ही ,
हम कभी नदी तो ,
कभी औरत के पास ,
खुद के लिए आते है |..................
हम हमेशा सच को स्वीकारने से क्यों भागते है

Saturday 23 August 2014

मुझे भी जीना है

मेरा भी रोने को ,
मन करता है
मेरा भी सोने को ,
मन करता है ,
पर हर कंधे ,
गीले होते है ,
हर चादर मैले ,
ही होते है ,
मेरा भी जीने का ,
मन करता है ,
मेरा भी पीने को ,
मन करता है ,
पर जिन्दा लाशों ,
का काफिला मिलता है ,
पानी की जगह बस,
खून ही मिलता है |
मुझे क्यों अँधेरा ,
ही मिलता है ,
मुझमे  क्यों सपना ,
एक चलता है ,
क्यों नहीं कभी आलोक ,
आँगन में खिलता है ,
क्यों नही एक सच ,
सांसो को मिलता है ...............
जीवन में सभी के लिए एक जैसी स्थिति नही है , इस लिए जीवन को अपने तरह से जियो ( अखल भारतीय अधिकार संगठन )

Saturday 16 August 2014

क्या ये सच नहीं है

क्या सच ये नहीं ?????
भारत गावों का देश है और यहाँ ज्यादातर गांव वाले ही रहते है |
मैं आपसे या आपके लिए नहीं कह रहा हूँ मैं जनता हूँ कि आप शहर में रहते है |
शहर में कूड़े से जमीन को पाट कर मकान बनाये जाते है |
कहते है जैसी नीव होती है वैसे ही ईमारत बनती है | कूड़े के ऊपर बने मकान में मनुष्य रहता है |
कूड़े में सूअर लोटते है | आज कल सूअर का पालन करके लोगो अमीर बन रहे है |
कल एक अमीर ने अपनी बीवी को मार डाला |
कुछ ने अमीर बनने के लिए कुछ देवी को बेच डाला |
अब उन देवियों कि पूजा करने पूरे तन मन से रोज मनुष्य आते है | शायद देवता की स्थापना के लिए ऐसा होना जरुरी है |
क्या अब भी नहीं लगता की कि पृथ्वी पर मनुष्य से ज्यादा सुन्दरतम प्राणी कोई नहीं !!! आज फिर शहर में एक मैदान कूड़े से पाटा  जा रहा है ( इसे व्यंग्य न समझे व्यंग्य की तरह पढ़े )

Friday 15 August 2014

झूम बराबर झूम शराबी

झूम बराबर झूम ,,,,स्वतंत्रता दिवस है भाई
क्या बात है जिसे देखिये वही देश की स्वतंत्रता की बधाई देने के लिए पागल हुआ जा रहा है पर आज भगत सिंह के घर कोई बधाई देने नहीं गया ? कोई भी सुभाष चन्द्र बोसे के घर वालो को इस दिन की बधाई देने गया और बधाई मिली तो किस को जिन्होंने कुछ किया ही नहीं पर जैसा मैंने पहले कहा कि भला इसमें इनकी क्या गलती ये तो आजादी के जश्न में झूम रहे है और हमारे देश में झूमते कौन है ?????????? शराबी !!! हा हा चलिए आपको वो गण तो याद रहा झूम बराबर झूम शराबी .काली घटा है मस्त हवा है झूम झूम .क्या अब जानने की जरूरत है है की कोई क्यों नहीं भगत सिंह के घर गया |
वैसे मुझको भी झूम से याद आया झूम की खेती ...जी जी भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ पर झूम की खेती होती है देश की करीब ७०० जनजातियों में से करीब ८० जनजातियां इस खेती को करती है | अब शराबी की तरह चिल्लाने के बजाये सुनिए क्या होता है इस खेती में !! इसमें बड़े बड़े जंगल के पेड़ों को जनजाति के लोग काट डालते है फिर उसमे आग लगा देते है , जलने के बाद जो रख बचती है उसमे वो लोग बीज बोते है और उसी उपज को कहते है क्या आपको पता है इसके पीछे उनका दर्शन क्या है ? वो मानते है की अगर धरती पर हल चलाया गया तो घरती को दर्द होगा और वे उसको दर्द नहीं देना चाहते है इस लिए झूम खेती होती है | और आप भी आज झूम रहे है तो क्या मैं मान लूँ  कि आप भी अपने कृत्यों से इस देश यानि अम्मा यानि धरती को कष्ट नहीं देना चाहते ? मतलब कल से चोरी , डकैती, बलात्कार , अपहरण , दहेज़ हत्या , यौन उत्पीड़न या भ्रष्टाचार बंद !!!!!!!!!!! अगर नहीं तो आज आपके झूमने का मतलब !!!!!!! काम से काम आइये थोड़ी झूम की खेती ही कर डालिये, शायद आपकी यही झूम से स्वंत्रता में कुछ सच्चा झूम आ जाये , माफ़ कीजियेगा अगर आपको कुछ गलत लगा हो क्योकि आपको सच सुनने की आदत नहीं और सच नीम सा कड़वा होता है पर आपको कड़वे पन से इतनी नफरत है कि दुनिया के सबसे ज्यादा मधुमेह के मरीज यही है तो चलिए आपके देश में रहना है तो हुआ हुआ कहना है .आप सब को स्वंत्रता दिवस की झूम .........( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Thursday 14 August 2014

यही तो है स्वतंत्रता दिवस !!!!

संतोषम परम सुखम ..स्वतंत्रता दिवस मुबारक हो
भाई अपने देश में इतनी जनसँख्या इसी लिए हो गयी क्योकि यहाँ संतोष ही संतोष है गरीब सोचता है कि उनके नसीब में गरीबी हो लिखी थी और अमीर सोचता है कि वो क्या कर सकता है जब भगवान ने ही इनको गरीब बनाया तो बच्रे क्या कर सकते है उनके लिए ? खैर स्वतंत्रता दिवस तो इनके लिए भी है वो बात अलग है की सड़क पर दौड़ती गाड़ियों  के धुएं और धूल भी स्वतंत्रता के बात इनके हिस्से में आई | मैं जनता हूँ आप कहेंगे की कम से कम
इनको ये तो मालूम हो जाता है दम घुटना किसे कहते है और बिना पैसे के आपदा प्रबंधन के बारे में सीख लेते है | और वैसे भी रुखा सुख खाए के ठंडा पानी पीयू..देख परायी चुपड़ी मत ललचावे जीव ........यही क्या कम है कि इनको स्वंत्रता सांस लेने का मौका तो मिल रहा है वरना इराक में होते तो जान भी ना पाते कि कल होगी कि नहीं ! छोड़िये नहीं तो आपको लगेगा कि मुझे स्वतंत्रता दिवस मनाना ही नहीं आता और मैं भला ऐसा मौका क्यों छोड़ू ? आखिर जब घर घर में भाई भाई में बटवारा हो जाता है तो अगर देश बाँट कर स्वतंत्रता मिली तो कौन सी हाय तौबा हो गयी पर एक बात मैं आज जाकर समझ पाया कि हम ये क्यों कहते है कि हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई .आपस में सब भाई भाई | अब बटवारा तो भाई भाई में ही होता है | और जो बटवारा हुआ था वो १९४७ वाले भाइयों के बीच हुआ था अब बीसवीं सदी वाले भाई भी तो बटवारा चाहते है और चाहे भी क्यों न आखिर जीवन जीने का अधिकार सभी को है और ये तो हमारे यह मूल अधिकार भी है | लेकिन एक बात मेरे समझ में नहीं आई कि भारत को अम्मा कहकर उसके आँचल को ही काँट डाला ! ये भी आप सही कह रहे है कि १९४७ में माँ के आँचल को काटने वाले बहुत दूर की सोचते थे और वो जानते थे कि आगे के सालों में भूमण्ड़ली करण का वो दौर आएगा कि आँचल कौन लेकर ही चलेगा भाई अब तो जमाना ही टॉप का है तो फिर आँचल के लये दर्द कैसा ? वैसे हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस की बात है तो निराली और हो भी क्यों  ना यहाँ के लोग जो इतने निराले है , इसी लिए तो हम जगद्गुरु कहलाते थे ! यहाँ गर्भ निरोधक तो मुफ्त में बटता है पर जिस झंडे केलिए ना जाने कितनो के सर कलम हो गए वो झंडा आप खरीद कर ही पा सकते है और तो और आपको ये जान कर संतोष होगा कि उसी झंडे को बेच बेच कर ना जाने कितने स्वतंत्र देश के लोगो के घर रोटी बनती है | लेकिन मेरी ये बात सुन कर आपके पेट में खौलन  ना हो तो बात ही अधूरी रह जाएगी क्योकि सर्वोच्च न्यायलय ने इस तरह के झंडे  पर रोक लगा दी है पर स्वतंत्र देश में कानून को मान लिया तो फिर कैसी स्वतंत्रता ? और न विश्वास हो तो चले जाइये चौराहे पर झंडे में डूबा कर्न्तिकारियों का खून २ से १० रुपये में बिक रहा होगा पर आपको इससे क्या क्या क्योकि आप तो इसी से खुश है कि कम से कम अंग्रेज तो इस देश से चले गए और देश में शांति तो आई आप १५ अगस्त को झंडा तो फहरा सके | हमने हमेशा मिल बाँट कर खाने की  शिक्षा पायी है  और भले ही इसके दो चार टुकड़े और हो जाये लेकिन शांति होनी चाहिए क्योकि सबसे बड़ी निधि ही है संतोष ! जब आवें संतोष धन सब धन धूरि सामान ........तो मान गए ना कि संतोषम परम सुखम तो आइये मानते है स्वतंत्रता दिवस .......आरे भैया सुख में ही दुःख है और आज़म दुःख में भी हसि आ जाती है तो अब तो कह दो भारत माता की ........जय .............स्वत्रता दिवस अमर रहे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Sunday 10 August 2014

काश उसका भाई रावण होता

क्या आप रावण जैसे भाई है ????
मैं जानता हूँ कि रोज हत्या , अपहरण बलात्कार के बीच और यही नहीं लौट आओ तृषा जैसे सीरियल में चचेरी बहन के साथ अननेटिक सम्बन्धो के बीच रेगिस्तान में बून्द जैसा लग रहा होगा आपको आज के दिन भाई -बहन शब्द ऐसे लगे रहा होगा चलो एक दिन तो इस देश में भाई बहन की बात हो रही है !
वैसे एक बात तो है कि जितने नेताओ ने राखी बँधाई  है उनको उन बहनो कि रक्षा के लिए तो साल भर चिंतित रहना ही चाहिए आखिर भाई बने है उनके और उन सभी लड़कियों को भी आज के बाद पूरे साल देखना चाहिए कि इस देश की सड़कों , पर वो कितनी सुरक्षित है ?
वैसे एक बात तो मजेदार है इस देश के इतिहास में और वो ये की इस देश में ना जाने कितने रजवाड़ों ने अपनी बहन बेटी का बेमर्जी से दूसरे राजाओ से विवाह करा के अपने राज्य और अपनी जान को बचाया है तो क्या अब भी बताना पड़ेगा कि बहन बही में कौन किसकी जान और सम्मान की रक्षा कर रहाहै |लीजिये इसी बात पर एक बात और याद आ गयी और वो ये कि रक्षा बंधन जैसे सुरक्षा सूत्र का वर्णन भविष्य पुराण में सबसे पहली बार आया है जब देवासुर संग्राम में इन्द्र की पत्नी शुचि ने पाने पति की युद्ध में रक्षा के लिए ये सूत्र बंधा था तो क्या आप अभी यही समझ रहे है कि बहन भाई की कलाई में राखी बांध कर अपनी रक्षा के लिए दरकार रखती है ? खैर  आपको औरत को दोयम दर्जे रखने की आदत है ! चिल्ला क्यों रहे है क्या आप जैसे भाई होने के कारण ही देश में खुले आम देश में बलात्कार हो रहे है ? क्या आप रावण जैसे भाई है जिसने सिर्फ अपनी जान साम्राज्य इस लिए गवां दिया क्योकि उसकी बहन सुपनखा की नाक काट ली गयी थी | पूरी राम रावण की कहानी का मूल सुपनखा की नाक का काटना और भाई द्वारा अपनी बहन के अपमान का बदला लेना ही तो है | खैर रावण में आप क्यों अच्छाई देखने लगे ये भी कोई भाई हुआ ? भाई का मतलब तो ये की जो लड़की के साथ हर अत्याचार होते हुए देखे और इसी लिए चुप रहे क्योकि बहन के भाग्य में हो दुःख लिखा है तो वो क्या करे ? लड़की को मार जाये तो कोई सच का साथ क्यों दे आखिर कोई वो पहली लड़की तो है नहीं जो मारी गयी | पर आप आज कलाई पर इतनी राखी जरूर बंधवा कर निकालिएगा  जिससे समाज  वाले तो जान ले कि आपके इर्द गिर्द कितनी लड़कियां माफ़ कीजियेगा बहनें है वैसे कोई माने ना माने कितने गरीब दूकान खोल कर राखी बेच कर अपने जीविकोपार्जन कर लेते है और खरीदी चीजो में रिश्ता क्या ढूँढना ? जब राखी ही बाजार की वस्तु हो गयी तो बेचारे भाई भी मजबूर हो गए और बहनो के लिए कुछ भी नहीं कर पाते | क्या आपने बाजार की राखी कलाई में बांधी है ? तब कोई बात नहीं आप चैन की नींद इस देश में सो सकते है क्योकि रिश्ते बाजार में नहीं घर में और दिल में बनते है | क्या मैं रावण बन गया आप जान पाये ?????????

Sunday 3 August 2014

आप किस तरह के मित्र है ?

मित्र और मित्रता दिवस ...........
आज के दौर में लगता ही नहीं कोई किसी का शत्रु है जिसे देखिये वही सुबह से मित्रता  दिवस की बधाई दिए पड़ा है पर मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप मित्रता किसे कहते है जरा इस पर नज़र डालिये ...........
१- कृष्णा और सुदामा भी मित्र थे और अपने गरीब मित्र सुदामा के लिए कृष्णा ने दो मुट्ठी चावल खा कर उनको दो लोक दे दिए और दोनों मित्र राजसी बैभव में रहने लगे |
२- मित्र तो द्रुपद और द्रोणाचार्य  भी थे लेकिन सिर्फ विधार्थी जीवन तक जब द्रुपद राजा बने और द्रोणाचार्य आचार्य तो जब अपने पुत्र के लिए द्रोण अपने राजा मित्र द्रुपद के पास सहायता लेने पहुंचे तो उनका अपमान हुआ और उन्होंने द्रुपद से इसका बदला भी लिया
३- मित्र कुंती के अविवाहिता होने पर उत्पन्न और बाद में सूत परिवार में पोषित कर्ण और दुर्योधन भी थे जब कुंती कर्ण को बताती है कि पांडव उन्ही के भाई है इस लिए उनका साथ दो तो कर्ण ने मित्रता को प्राथमिकता दी क्योकि मित्र के कान ही वो समझ में ना सिर्फ सम्मान पाये बल्कि राजा भी बने और अंत तक उन्होंने दुर्योधन का ही साथ दिया |
४- मित्र अलाउद्दीन ख़िलजी और रत्न देव भी थे पर जब ख़िलजी से मित्रता के कारण  ही रतनदेव को न सिर्फ अपमानित होना पड़ा बल्कि रानी पद्मनी को जौहर करना पड़ा |
५- अंग्रेज तो जिसके भी मित्र बने उसको बर्बाद करके ही चैन पाये |
६- किसी शायर ने क्या खूब आज की दोस्ती को देख कर लिखा है
दोस्त ही बुनियाद के पत्थर उठा ले जायेंगे ,
इस शहर में मकान बना कर तो देखो |
अब आप खुद ही अपने विश्लेषण को करके देखिये कि जिस मित्रता दिवस को लेकर आप इतना उत्तेजित है उसमे आप कैसे मित्र है क्योकि मैंने तो मित्र बनाना कभी जाना ही नहीं जो आये भी उनके लिए सिर्फ
न जाने लोग क्या क्या भरम पाल लेते है , सांप कि जगह आदमी पाल लेते है |
खीर आप गर चाहते है कि मैं आप पर अपनी बात ना थोपु तो चुकियेगा नहीं बस यूँ ही कहते रहिये मित्र दिवस कि शुभ कामना

Friday 1 August 2014

पंचमी से पंचनामा तक

पंचमी से पंचनामा तक ...............
आज नाग पंचमी है जिसे गुड़िया भी कहते है | बसंत पंचमी हो या ऋषि पंचमी या नाग  पंचमी , महत्त्व तो सभी का है और हो भी क्यों ना अखित हमारा शरीर भी पांच तत्वों से मिल कर बना है और हाथ में पांच उँगलियाँ भी है अब जब सब पञ्च मय है तो पांच उँगलियों का जादू कैसे पीछे रह जाये ! अक्सर लोग जानना चाहते है कि मनुष्य बन कर क्या फायदा मिला ? वैसे तो आप पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान प्राणी है पर नमक मिर्च लगी बाते तो दूसरे से सुनने में ही मजा आता है ! अब देखिये सरे जानवर सीधे खड़े तक नहीं हो पाते एक मनुष्य ही तो है जो सीधे खड़ा हो पाया पर इसका जादू आपको पता है ? नहीं ना ! आरे उसके दोनों हाथ स्वतंत्र हो गए ! यानि इन्ही हाथो के कारण उसने दुनिया ही बदल डाली लेकिन जो कोहिनूर हीरा उसको मिला वो था किसी लड़की का बलात्कार !!!!!!!! है न अच्छी बात इन्ही पांच उँगलियों वाले हाथ से किसी लड़की का दोनों हाथ पकड़ सकते है आपका कोई मित्र लड़की का पैर पकड़ सकता है और एक मुहं दबा सकता है और आप इन्ही दो हाथो के बीच दरंदगी की का शिकार एक लड़की को बना सकते है , है ना मनुष्य के खड़े होकर चलने का मजा ! क्या मजाल जो इतना अद्भुत करतब एक शेर शेरनी के साथ दिखा सके | अब तो समझ गए ना पांच का महत्व पांच तत्व से बने शरीर और पांच उँगलियों का जादू ! पर शायद आप भूल गए की पंचमी तो स्त्री लिंग है और जब तक स्त्रीलिंग को आप अपने शौर्य , से पुल्लिंग में ना बदल दे तो मजा ही क्या और लीजिये जो लड़की आपके पांच तत्वों से तैयार शरीर और पांच उँगलियों के बीच फास कर तड़प रही थी उसने दम तोड़ दिया और आपकी इच्छा हो गयी पूरी पंचमी का अब पंचनामा होगा क्या बात है पहले जिन्दा पर चीरी गयी  अब मर कर चीरी जा रही है पर आपको इन सबसे क्या मतलब पंचमी तो पंचनामा में बदल गयी | आरे आप मेरी बातों में कहा फास गए वो देखिये गुड़िया पीटी जा रही है वहा वहा चौराहे पर आप भी जल्दी से डंडा लेकर जाइये आखिर यही से तो आपको शिक्षा मिलेगी कि घर से लेकर चौराहे तक गुड़िया कैसे पीटी जाती है यही तो है पंचमी का मजा और मजे के बाद सिर्फ पंचनामा ! अब जो बचपन से सीखा वही तो जिंदगी भर निभाएंगे ? देखिये वो एक गुड़िया अकेली जा रही है ? कर दीजिये पंचमी का आज पंचनामा और बन जाइये दो हाथो पर चलने वाले वो जानवर जो इस दुनिया में आपने अपने सिवा किसी को बनने नहीं दिया आखिर जानवर कि क्या औकात जो आदमी बने | पंचमी पर सिर्फ आपका अधिकार है क्योकि पंचनामा तो सिर्फ आदमी ही कर सकता है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Wednesday 30 July 2014

खुद में मैं रहता हूँ

तन्हाई जब ,
दर्द से मिलती है ,
ये मत पूछो रात भर ,
क्या बात चलती है ,
दीवारों के पीछे कुछ ,
नंगे होते बेशर्म सच ,
साकी सी आँखे ,
बार बार मचलती है ,
शब्दों की खुद की ,
न सुनने की आदत ,
दिल की आवाज बस ,
हर रात ही सुनती है ,
तारों के साथ गुजरी ,
लम्हों में सांसो के बाद ,
सुबह की आहट आलोक ,
क्यों मुझको खलती है ,
अकेले में अकेले का ,
एहसास जब मिलता है ,
जिंदगी क्या बताऊँ ,
तू कैसे संग चलती है

Sunday 27 July 2014

क्या आप मुष्य है

मौत मेरी हो रही है ,
रोये तुम जा रहे हो ,
दुनिया से जो जा रहा हूँ ,
पहुँचाने तुम आ रहे हो ,
दर्द की इन्तहा पा चुप ,
तुम बिलखते जा रहे हो ,
काश यही हमदर्दी दिखाते ,
तो हम दुनिया से क्यों जाते ,
जिन्दा के लिए वक्त नहीं ,
मरने पर कहा से पाते ,
सच किसे समझूँ आलोक ,
जब जिन्दा था या अब ,
मौत पर हुजूम साथ में है ,
पर अकेला जिन्दा था तब ...............
जानवरों की तरह जीने वालो से निवेदन है कि जब जिन्दा मनुष्य तुमसे सहायता की दरकार करें तो मौश्य की तरह व्यवहार कीजिये ना की जंगल के उन जानवरों के समूहों की तरह जो अपने साथी को शेर द्वारा मारे जाने को देखते रहते है और घास चरते रहते है .क्या कहने के लिए मनुष्य कहते है अपने को ..................क्षमा अगर किसी को बुरा लगे 

Friday 25 July 2014

क्या यही औरत की पूजा है

१-अनुसूया अगर खाना खिलायेगी तो तभी जब वो खाना नग्न होकर बनाएगी |
२- अगर द्रौपदी कौरवों के ऊपर हस दी तो उसको हस्तिनापुर के राज दरबार में अगर कोई सजा दी जानी  थी तो वो थी उसको भरे दरबार में नग्न करना
३- गार्गी जैसी महिला अगर अपने को विदुषी साबित करना चाहती है तो पुरुष  शासित दरबार में उसको शास्त्रार्थ के नग्न  आने की शर्त
इस देश में देवता वही निवास करते है जहाँ स्त्री की पूजा होती है |\स्त्री की पूजा का मतलब क्या आपको पता है ???

Thursday 24 July 2014

मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है जल्दी कीजिये

ख़बरदार जो मुझे जानवर कहा ..........
तुम मुझे जानवर कह कर व्यंग्य कर रहे हो !! मैं मनुष्य हूँ मनुष्य और मनुष्य का जीवन बड़े पुण्य कर्म करके मिलता है ८४ हज़ार योनियों से गुजरने के बाद तब कही जाकर मानव जीवन मिलता है | भगवन तक तरसते है मानव के रूप में धरती पर आने के लिए | और तुमने मुझको जानवर कहा| माफ़ कीजियेगा मुझसे शायद गलती हो गयी क्योकि मुझे तो आज तक पता था कि मानव को खत्म की राक्षसी आदतो को समाप्त करने के लिए भगवन ने ना जाने कितने जानवरो के अवतार लिए पर आप भी सही कह रहे है भला आप जानवर कैसे हो सकते है | किसी जानवर के समाज में क्या मजाल जो बिना मादा की मर्जी के कोई नर उसको छू भर ले | कितना सम्मान से जीती है गली की कुतिया भी जो रात दिन कही भी कभी भी आ सकती है लेट सकती पर कोई कुत्ता बिना उसकी मर्जी के उसके साथ कुछ नहीं कर सकता खैर आप मनुष्य है और कुतिया शब्द को लेकर आप मुझे बिना जानवर बनाये तो मानेंगे नहीं तो चलिए शेरनी , नागिन किसी का उदहारण ले लीजिये , सब कितनी सुरक्षित है उनकी अस्मिता के साथ शेर , नाग इतनी आसानी से खिलवाड़ नहीं कर सकते ? पर आप तो मानव है जिसने औरत को जब चाहा चाहा अनावृत किया , तेजाब फेका , ब्लैक मेल किया , और तो और शादी का तमगा लगाने के बाद तो पत्नी की इच्छा का कोई मतलब ही नहीं , बस आपकी हर भूख मिटने  के लिए ही तो मानव बने है आप और ऐसे योग तो लाखो साल में कभी कभी आते है और जब आप मानव बने है तो चूकिए नहीं आप जितने अतयाचार अनाचार , हिंसा औरत  के साथ कर सकिये कर डालिये  क्योकि आपके मानव के इसी उच्च कोटि के काम से ही तो ८४ हज़ार योनियों का अस्तित्व बना रहेगा | अब भला आप जानवर कैसे हो सकते है ? औरत को कोठे पर बैठा कर पैसा कमाना, दहेज़ के लिए जला देना , बेच देना , सोशल मीडिया में उसकी फोटो डाल का बदनाम करना भला जानवर क्या करेगा | ये तो दुनिया की सबसे सुन्दरतम कृति और करोडो पुण्य के बाद मिले मानव जीवन से ही उम्मीद की जा सकती है | सच में आप मनुष्य ही है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Wednesday 23 July 2014

ना ................री

ना .....................री
बचपन से नाग पंचमी के दिन यही देखा कि लड़कियां घर की बुरी आत्माओ को प्रतीक बना कर बहियों के साथ चौराहे तक जाती है और लड़कियां वह उसे डाल देती है जिसे लड़के अपने साथ लए डंडे से पीटते है यानि  घर की बुरी आत्मा सिर्फ लड़की पर सवार होकर ही बाहर जा सकती है अब अगर घर में आई किसी भी समस्या के लिए पुरुष औरतो पर अपना गुस्सा निकालते है या पीट देते है तो ठीक ही तो है आखिर जो सीखा है वही तो करेंगे | खैर आपको मेरी बात ना मानने की आदत है तो चलिए कुछ और सुन लीजिये वर्ष १६०० तक दुनिया में कोई नहीं जनता था की शुक्राणु का मतलब क्या होता है और १६०० में इंग्लॅण्ड के हैम नामक व्यक्ति ने इसकी खोज की पर इस से पहले यूरोपीय देशो में डायन प्रथा जोर पकड़ चुकी थी क्योकि माना जाता था कि जो लड़की अपने शरीर से विपरीत शरीर वाले ( लड़के ) को जन्म दे सकती है उसमे जरूर कोई अद्भुत शक्ति होती है और इसी लिए जब भी कुछ उच्च नीच होती थी तो लड़की को डायन कह कर उसका शोषण होता था | आज भी पूरे विश्व में २५०० महिलाये डायन कह कर मार दी जाती है इस देश में ४२६ मारी जाती है | अब अगर आज लड़कियों कि दुर्दशा हो रही है तो इस में बुराई क्या है ? शरीर उनका , गर्भ उनका और पैदा किया लड़की के बजाये लड़के को | जान जब किसी ने भी अपने घर(गर्भ) में किसी को पैठ दी है तो बेडा गर्क हुआ है क्या आपको अपने देश का हाल नहीं पता , जिसको देखो अतिथि कह कर पहले पनाह दी फिर उसी की गुलामी की | अब जब खुद गर्भ से लड़का पैदा करने का शौक पाला है तो भुगतिये वैसे भी लड़की को लड़की पैदा करना कभी गौरव का विषय लगा ही नहीं और सुना है खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है यानि दोनों एक जैसे रंग में होते है जब दोनों खरबूजे ( जब लड़की के गर्भ में लड़का हो ) है ही नहीं तो रंग क्या एक जैसा होगा तो लीजिये बदरंग होने का मजा |पूरे पृथ्वी पर पाये जाने वाले हर जीव जंतु में मादा के लिए नर आपस में लड़ाई लड़ते है और मादा को कोई हानि नहीं होती है जो नर जीता मादा उसकी पर हम तो मनुष्य है ना कुछ तो अलग होना चाहिए यहाँ पर पुरुषो को कुछ नहीं होता मारी जाती है सिर्फ और सिर्फ नारी आखिर संस्कृति का ये मजा तो हम सबको मिलना ही चाहिए ! लीजिये प्रोफ़ेसर साहब ने अपनी पत्नी को अपनी माशुका के सामने मार मार कर घर से निकाल दिया पर इसमें परेशान होने वाली क्या बात है आखिर मर्द है इधर उधर मुहं नहीं मारेंगे तो किस बात के मर्द | और इतिहास में तो पत्नियों से ज्यादा प्रेमिकाओं का ही बोलबाला रहा है तो भला कोई क्यों पीछे रहे !पत्नी मार खाए तो खाए काम से काम प्रेमिका बन कर टी वी अखबार में तो छा गयी | वैसे देश पद , पैसा के लिए कब नहीं औरत को बंधुआ मजदुर बनाया गया लेकिन औरत अपने पैरो पर खड़ी तो हो गयी वो तो भला हो चाणक्य का जिन्होंने विष कन्या का चलन चला कर दुनिया को ये तो बता दिया कि औरत कितनी जहरीली हो सकती है अब भला पुरुष ऐसी महिला का मर्दन क्यों ना करें और लीजिये आपके समर्थन में भतृहरि भी आ गए , वो भी औअर्ट के मर्दन के लिए वकालत कर रहे है | क्या इतने उदाहरण काफी नहीं है तो लीजिये कबीर को सुन लीजिये जिस नारी की छाया पड़ने से नाग अँधा हो जाता है , कबीर कहते है उन पुरुषो की क्या कहे जो हमेशा नारी के साथ रहते है अब ऐसे अंधे पुरष क्या जाने कि कि औरत के साथ वो क्या कर रहे है | खैर आप जैसे आधुनिक लोग ऐसी बात सुन कर क्यों गभीर होंगे मत होइए लेकिन सांप आपके सामने निकला नहीं कि सब लाठी लेकर दौड़ पड़े | रात में एक औरत  भी सड़क पर निकल पड़ी क्या हुआ सुबह मारी पायी गयी क्या अब भी बताना शेष है कि बिल से निकली नारी को समाज क्या समझ रहा है | मैंने सोचा किसी नारी से ही पूछते है तो बोली ना ........री  जिसका आरम्भ ही नकारात्मक  है उसके जीवन में सकारत्मक सोचना !!!!!!!!! लेकिन आपने तो औरत कि तारीफ करके ही ??????( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Tuesday 22 July 2014

देश प्रगति कर रहा है

देश लगातार विकास कर रहा है .....
जनजाति ......क्या इस शब्द से आप परिचित है ? नहीं तो चलिए मैं आपको बता देता हूँ जनजाति भारत के संविधान के अनुच्छेद ३४२ के अनुसार राष्ट्रपति जी द्वारा घोषित की जाती हैं पर एक विषय है मानव शास्त्र और उसके अनुसार जनजाति एक ऐसा समूह है जिसकी विशेष  वेशभूषा , बोली , व्यव्हार की एक विशेष रीति का पालन करने वाले लोग जो सामन्यतया सभयता या शहरी सस्कृति से दूर रहते है ये प्रकृति के ज्यादा करीब होते है यानि आपकी तरह तो बिलकुल नहीं होते !!!!!!!!!!!!!!!!!! आप सोच रहे होंगे कि मैं यह सब आपको क्यों बता रहा हूँ ? वो इस लिए क्योकि १९५० में जनजातियों की संख्या २१२ थी आउट वर्ष २०११ की सेन्सस के अनुसार इन समूहों कि संख्या बढ़ कर करीब ७०० हो गयी है | १९५० में इनकी कुल जनसँख्या थी करीब तीन करोड़ जो आज बढ़ कर १० करोड़ के आस पास  हो गयी है | उत्तर प्रदेश जहाँ १९५० में एक भी जनजाति नहीं थी वही १९६७ में ५ जनजातीय समूह पैदा हो गए और वर्ष २००२ के बाद बढ़ कर १५ हो गए | अब आपको ये बताने कि क्या जरूरत है कि देश में विकास का मतलब क्या है ? वैसे सरकार ने ये अच्छा तरीका निकला है भूखे प्यासे , और आधुनिकता  से दूर , फटेहाल लोगो को जनजाति कहकर देश में गरीबी हटाने का और बदले में मिलता क्या है संस्कृति पूर्ण विविधता से पूर्ण एक देश | अब तो मान लीजिये कि संस्कृति का जादू और समझ लीजिये कि कैसे हम दुनिया में उन्नति कर रहे है क्या सरकार आपको भी जनजाति घोषित करने जा रही है ? चलो कुछ प्रतिशत और उन्नति का ग्राफ बढ़ गया | जिन लोगो के पास कपडा न हो तो बल्ले बल्ले कह दीजिये ये आदमी जनजाति है और जो कंदमूल जड़ खा कर जिंदगी जी रहे हो कह दीजिये कि ये सांस्कृतिक उद्विकास के अवशेष है सरकार ने इनको विशेष दर्ज दिया है | दवा बनाने वाली विदेशी कंपनी के लिए ऐसी जनजातियों को खोजिए जिनमे चचेरे मौसेरे भाई बहन शादी करते हो आखिर अनुवांशिक रोगो की दवा बनाने के लिए कंपनी प्रयोग किन पर करेंगी ? क्या आप अभी भी यही मानते है कि देश प्रगति नहीं कर रहा है ? आखिर हम जनजाति को १९५० में २१२ समूहों से आज ७०० तक ले आये क्या ये प्रगति नहीं है क्या हमको ऐसी प्रगति पर नाज़ नहीं होना चाहिए ? आखिर इसी प्रगति के लिए ही तो हम सरकार बनाते है ? क्या आप ऐसी प्रगति के लिए संघर्ष कर रहे है ? तो आप धन्य है क्योकि आप देश के लिए ही तो सोच रहे है ? ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Monday 21 July 2014

बलात्कार का दर्शन

यथा राजा तथा प्रजा ..............
बचपन से यही पढ़ते आये कि जैसा राजा वैसी प्रजा , जैसी भूमि वैसा बीज तो क्या जनता बलात्कार इस लिए कर रही है क्योकि राजा ही ???? खैर मेरी क्या औकात जो प्रजा तंत्र में सच कह सकूँ आखिर मुझे जिन्दा रहना है कि नहीं और राजा भी तो अब प्रजातंत्र का ही है | मेरी मानिये तो पूछ कर देखिये राजा से वो कहेंगे कि राजा मुझको बनाया किसने ? जनता ने और जनता ने उसको ही तो राजा बनाया होगा जिसको अपने अनुरूप पाया होगा तो फिर भला इसमें राजा का क्या दोष और वो किसी लड़की के बलात्कार पर क्यों पागल हो ? वैसे तो चाणक्य ने भी कहा है कि राजा को प्रजा की ख़ुशी में ही खुश होना चाहिए और प्रजा के दुःख में दुखी और अब अगर प्रजा लड़की के साथ बलात्कार करके ही खुश है तो भला रजज की कैसे इस कृत्य पर दुखी हो सकता है ? लेकिन आप बार बार राजा को ही क्यों दोष दिलाना चाहते है आखिर आपने भी तो मादा भ्रूण हत्या करके लड़कियों की संख्या घटाई है ! १००० पुरुषो पर ९१४ स्त्रियां यानि ८६ पुरुष स्त्री विहीन यानि ८६ स्त्रियां असुरक्षित लेकिन यह तो सिर्फ एक हज़ार पर है ना  ! एक लाख पर ८६०० और एक करोड़ पर ८६००००( आठ लाख साथ हज़ार स्त्रियां ) और १०० करोड़ पर ८६००००००( ८ करोड़ साथ लाख स्त्रियां ) | क्या अब भी आप कहते है की आप भी दोषी नहीं है रोज करीब नव करोड़ स्त्रियों का जीवन , इज्जत खतरे में रहती है क्योकि मादा भ्रूण हत्या करके हमने ऐसी स्थितियां पैदा कर दी है | लीजिये अब इन साहब को कौन समझाए चिल्ला रहे है कि क्या वही लोग स्त्री का बलात्कार कर रहे है जिनको स्त्री नहीं मिली ? जी जी नहीं मैंने ऐसा कब कहा यह देश तो अनुबह्व को प्राथमिकता देता है तो इस काम में भी अनुभवी लोग न हो ऐसा कैसे हो सकता है ? वैसे नागा जनजाति में एक प्रथा है जिसमे पुरुष महिलाओ के जननांग को तलाल लगा कर रखते है | समाओ जनजाति और नायर लोगो में लड़की कि प्रजनन क्षमता ग्रहण करने पर एक जलूस निकला जाता था कि उपयुक्त पुरुष उसके साथ रह सके पर कितना सुखद है कि अब इन सब का कोई चक्कर ही नहीं जहा भी सन्नाटा देखिये बस देख लीजिये कि बेचारी की क्षमता कितनी है ?वैसे आप ने कभी किसी लड़की की चीख सुनी तो क्या दौड़े या फिर सब कुछ राजा पर ही छोड़ दिया आखिर नियम से चलना आपके खून में है और ये काम तो राजा का है देश में लड़की बचाये आप तो सिर्फ दहेज़ से बचने के लिए लड़की की गर्भ में हत्या कीजिये वैसे आप कानून कभी अपने हाथ में लेते नहीं है वो तो आप इस लिए मादा हत्या करते है आखिर देश की तरक्की के लिए जनसँख्या रोकना जरुरी है कि नहीं , काम से काम इसी बहाने देश सेवा कर लेते है और अगर नहीं कर पाये और लड़की जिन्दा बच कर बड़ी हो गयी तो बलात्कार करके हत्या कर देते है आखिर इन सब में फायदा किस को  हुआ ? देश को ना काम से काम एक प्रजन क्षमता वाली स्त्री खत्म आपने की कि नहीं ? तो ऐसे महापुरुष के लिए राजा क्यों बोले आखिर कोई तो त्यागी है जो चुप चाप नीव के पत्थर की तरह देश की सेवा कर रहा है ? अरे आप रात में कहा चल दिए क्या आज रात आप भी देश की सेवा करने वाले है आखिर राजा का ख्याल जो रखना है प्रजा को >>>( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Thursday 17 July 2014

चूहा और आदमी


चूहे की भूल ..........
ग़ुरबत में कोई मुरव्वत नहीं होती है  ,
रोटी की तलाश हर किसी को होती है ,
मैं भी एक रोटी तलाशता  हूँ हर दिन ,
बनाता भी दो अपने लिए  रोज रात ,
पर कमरे का चूहा पूछता है एक बात ,
क्या आज भी मेरा हिस्सा नहीं है ,
मैंने भी तो तुम पर भरोसा किया ,
रात दिन तुम्हारे  इर्द गिर्द जिया ,
कितना खाऊंगा एक टुकड़ा ही तो ,
उसके लिए भी तुमने मुझे जहर दिया ,
आदमी तुम कितने गरीब हो ,
रिश्तो के तो पूरे रकीब हो ,
जब मुझे एक टुकड़ा नहीं खिला सके ,
अपने कमरे में मुझे बसा ना सके ,
तो भला उन मानुस का क्या होगा ,
जो तेरी जिंदगी में यही  कही होगा ,
कितना हिसाब लगाते होगे रोटी का ,
जहर क्या मोल है उसकी भी रोटी का ,
मैं जानता नहीं गर्रीबी क्या होती है ,
चूहा हूँ बताओ आदमियत क्या होती है ..........
,


Wednesday 16 July 2014

किसको कहते तुम इश्क़ हो

विरह वेदना  का प्रलाप ,
आज मैं सुनकर आया हूँ ,
सर पटक पटक का रो रहा ,
मुट्ठी में राख ही पाया हूँ ,
भ्रम इश्क़ का क्यों उसे था ,
तन की चाहत जब रही उम्र भर ,
अश्को का सैलाब फिर क्यों है ,
जब जिया न उसको कभी जी भर .........
शुभ रात्रि
 ,

Tuesday 15 July 2014

तुमने तो इतने पत्थर भी नही मारे

तुमने इतने पत्थर भी नहीं मारे ,
जितने जख्म हुए है मुझको ,
मेरे वजूद का लगता है कोई ,
और भी है आलोक कातिल ,
मैंने कोई नहीं की जद्दो जहद ,
जितना मैं हमेशा अकेला रहा ,
कौन साथ चल रहा है ,
उसकी आहट भी है बातिल ...शुभ रात्रि

Saturday 12 July 2014

क्या गुरु ढूंढ रहे है

गुरु .........क्यों
देवासुर संग्राम चल रहा था और देवताओ ने असुरों को मात दे दी थी पर कुछ असुर जब  युद्ध स्थान से भागे तो इन्द्र सहित कुछ देवताओं ने उनका पीछा किया और असुर भागते हुए भार्गव के आश्रम में पहुंच गए उस समय भार्गव पत्नी अकेली थी और असुरों ने दौड़ कर उनके पैर पकड़ कर त्राहिमाम त्राहिमाम कह कर प्राणो की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे | शरणागत की रक्षा के भाव से भार्गव पीटीआई ने उनको अभय दान दे दिया पर जब देवता वह पहुंचे तो वो असुरो को आश्रम  से बाहर निकालने की मांग करने लगे और दलील देने लगे कि भार्गव देवताओ के गुरु है तो उनकी पत्नी कैसे असुरों की सहायता कर सकती है पर भार्गव पत्नी असुरों  को देने को तैयार नही थी |भार्गव पुत्र उसी समय अपनी शिक्षा पूरी करके घर वापस आ रहे थे और यह विचार कर रहे थे क़ि अब वो भी पिता की तरह देवताओ के गुरु के रूप में प्रतिष्ठित होंगे पर यही सब सोचते हुए जब वो आश्रम के नजदीक पहुंचे तो देखो देवता माँ से उची आवाज में बात कर रहे है | जब उन्होंने माँ से पूछा तो माँ ने साड़ी बात बताई और कहा की जब वो इन असुरों को अभयदान दे चुकी है तो कैसे देवताओ को दे सकती है | भार्गव पुत्र ने भी देवताओं से कहा कि जिन असुरों को माँ अबैदान दे चुकी है उनको छोड़ दीजिये पर देवता तैयार नहीं हुए | अपने ही सामने अपनी माँ का अपमान देख कर भार्गव पुत्र नाराज होकर देवताओ से युद्ध करने लगे और अंत में देवता को हरा कर आश्रम से खदेड़ दिया | असुर को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि देवताओं के गुरु का पुत्र उनके लिए लड़ा और उनकी जान बचायी और उन्होंने भर्गव पुत्र के पावँ पकड़ लिए और आग्रह करने लगे कि वो उनके गुरु बन जाये और अंततः भार्गव पुत्र ने उनकी बात मान ली और असुरो के गुरु शुक्राचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हुए | क्या अब भी आप को बताना पड़ेगा क्यों आज भी असुर ऐसे गुरुओं को ढूढ़ रहे है जो उनके हर नारकीय कार्य में शुक्राचार्य बन कर उनकी रक्षा कर  सके | शायद इसी लिए आअज गुरु का मान सम्मान सभी इतनी उचाई पर है कि कोई भी गुरु के साथ अकेले में मिलना ही नहीं चाहता | क्या आपने अपने गलत काम के लिए गुरु तलाश लिया है ???

Friday 11 July 2014

जनसँख्या बढाइये , महंगाई से निजात पाइए

जनसँख्या और देश की नीति बुध्दिमानी का प्रतीक है ..............
आज विश्व जनसँख्या दिवस है अब ये न पूछिये कि आज के दिन क्यों ? बात साफ़ है आपको लगता है कि एक और एक दो होते है पर सरकार जानती है एक और एक ग्यारह भी होता है अब जब दो मिलेंगे तो ग्यारह का दर्शन आप समझ गये होंगे पर मैं आप एक और राज की बात बताता हूँ | सरकार आखिर एक से बढ़ कर लोग बुद्धि लगा रहे है | आई ए एस भी अपनी बुद्धि कर परिचय देते ही रहते है तभी तो यह योजना बनी होगी की जिनके एक या दो बच्चे होंगे उनको वेतन में अतिरिक्त वृद्धि मिलेगी पर जो शादी ना करे या बच्चे न पैदा करे उनके वेतन में कोई वृद्धि नहीं अब आप ही बताइये कोई पागल तो है नहीं जो बच्चे न पैदा करे आखिर उसको अतिरिक्त वेतन वृद्धि जो मिलनी है | अब तो आप जान गए ना की हम जगत गुरु क्यों कहलाये | इस लिए आज ही शादी कीजिये और सरकार की इस अनोखी जनसँख्या नीति का समर्थन कीजिये | और मजे की बात ये कि संविधान के प्रस्तावना में साफ़ साफ़ लिखा है कि हम भारत के लोग ......यानि हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई .आपस में सब भाई भाई | आखिर देश धर्म निरपेक्ष है तो ये क्या बात हुई कि किसी एक धर्म के लोगो की जनसंख्या ज्यादा रहे और किसी की काम आखिर संविधान का अनुच्छेद १४ हम सबको समानता का अधिकार देता है और इसी लिए सरकार ने सब धर्मो को खुली छूट दे रखी है कि जल्दी से जल्दी अपनी जनसँख्या बढ़ा का समानता के स्तर  पर आ जाये ताकि कोई धर्म अपने को अल्पसंख्यक न कह सके | आखिर आरक्षण में भी तो सरकार १९५० से यही प्रयास कर रही है कि सभी को अवसर मिल सके तो भला में समानता  क्यों नही | और इसी लिए सरकार ने आज तक एक सामान जनसँख्या नीति नहीं बनी क्या अभी भी नहीं समझ पाये कि विश्व में हमारा देश क्यों अनूठा है | और सब जाने भी दीजिये जापान में जनसँख्या नकारात्मक हो गयी है आखिर भूमण्ड़लीकरण के दौर में अगर किसी देश को मानव बीज की जरूरत पड़ गयी तो हमारे देश को बैठे बैठाये एक न बिज़नेस मिल जायेगा | वैसे आज मैंने देखा की बच्चे जनसँख्या जागरूकता का जलूस सड़क पर निकाल रहे थे पर ये बच्चे तो यह भी नहीं जानते कि बच्चे पैदा कैसे होते है और नेता जी वैसे भी यौन शिक्षा के विरोधी है तो ये बच्चे  क्या बैल योजना में देश कि तरक्की में योगदान देंगे ? खैर जो भी हो अगर आपको आज के दौर में महंगाई से लड़ना है तो सरकार की मानो और झट पट एक या दो बच्चे पैदा  आकर लो कम से कम वेतन में वृद्धि तो हो ही जाएगी | अरे भैया  बात तो पूरी सुन लो ये कमरे की लाइट क्यों बुझा ली ? ओह हो जनसँख्या दर्शन समझ गए शायद ? क्या आप भी समझे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )