तीसरा विश्व युद्ध पहचान और धर्म के आधार पर चल रहा है पर आप क्यों मानने
लगे क्योकि आप तो एच आई वी को भी फर्जी बात मानते है और जब तक अमेरिका ,
फ्रांस , जर्मनी , रूस जैसे देश खिल कर सामने आ आये तो भला विश्व युद्ध
कैसे और आप तो हमेशा से ही इस बात के हिमायती रहे है कि जब तक आप के घर
पानी है लड़की सुरक्षित है तो देश में सिर्फ फर्जी बात हो रही है | अब
सामाजिक विज्ञानं में यह तो कहा ही जा सकता है कि जब विश्व के करीब आधे देश
लड़ रहे है और रोज 5000 से ज्यादा लोग मारे जा रहे है तो कब आप इसको
विश्व युद्ध मानेंगे | वैसे आप शायद भूल रहे है कि सिर्फ १३ और १५ % पाने
वाले को आप संसद सदस्य घोषित कर देते है तो क्यों नहीं मान लेते अगर विश्व
की २०% जनसँख्या युद्ध से पीड़ित है तो विश्व युद्ध है | वैसे आप ने ही तो
कहा है कि वसुधैव कुटुंबकम को यानि पूरी पृथ्वी आपके परिवार के सामान है तो
परिवार के लोग मारे जा रहे है और आप कहते है कि आप सुखी है और कहे भी
क्यों ना आखिर आपकी कथनी करनी में अंतर कहा है ? और हां आप को याद तो है ना
कि कभी ये पूरी पृथ्वी एक साथ जुडी थी तब इसे पैंजिया कहते थे बाद में
टूट कर इतने महादीप और देश बन गए तो क्या ये सब आपके भाई बहन नहीं !!!!!!!
अच्छा तो आप क्या बटवारें के बाद अपने भाई को भाई नहीं मानते ??? अगर आपको
मेरी बात नहीं समझ में नहीं आ रही तो विज्ञानं की भाषा में समझ लीजिये यानि
डी एन ए के शब्दों में पुरे विश्व की महिला को अनुवांशिक पथार्थ सम्मान है
यानि दुनिया एक ही महिला से उत्पन्न है और आज एक ही माँ के बच्चे लड़ रहे
है तो क्या यही मानवता का सार है अगर नहीं तो मान लीजिये ना कि पूरी दुनिया
में आभासी तीसरा विश्व युद्ध चल रहा है और आप बच नहीं सकते ? संभालिएगा
जगल की आग से अक्सर बेकसूर भी जल जाते है | ( एक सच व्यंग्य के रूप में )
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।
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