Tuesday, 2 September 2014

सोचो

जाने के आसरे बैठे क्यों हो ,
क्यों आये हो ये भी सोचो ,
क्या दिया है इस दुनिया को ,
कभी तन्हाई में ये भी सोचो ,
जिसको करके तुम खुश हुए ,
ये सब तो है कौन न करता ,
मानव होकर दिया क्या तुमने,
मुट्ठी में है रेत तो सोचो ,
अगर नहीं कोई फर्क चौपाये से ,
दो हाथ मिले क्यों सोचो ,
जी लो एक बार उसके खातिर ,
भगवन को एक बार तो सोचो ,
कितना दीन हीन हुआ वो है ,
उसकी बेबसी को भी तो सोचो ,
क्या कहे अब सब मिटा कर ,
मानव कैसे ले अवतार वो सोचो .........
ऊपर वाला क्या खुश है मानव को बना कर


1 comment: