प्यार कर ले घडी दो घडी .............
देख अगर तू मेरी न हो सकी तो किसी की नहीं होने दूंगा तुझे ?? क्या समझती है अपने आपको और ये ले तेजाब की शीशी पूरी की पूरी नारी को देवी कहने वाले देश में एक लड़की को मंगल ग्रह का बना गयी खैर ऐसा ना करें तो पता कैसे चले की भाई साहब प्रेम करते थे | वैसे प्रेम का मतलब यह कुछ निराला है बात उन दिनों की है जब मैं गुजरात के शहर सुरेन्द्र नगर की एक तहसील लिमडी के एक गाओं नाना कठैची में मानवशास्त्रीय शोध कर रहा था और एक व्यक्ति अपनी पत्नी को किसी बात पर ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ....की तर्ज पर शंख नाद कर रहा था ...मुज्झे अपने कर्तव्य याद आये मैंने रोक तो पुरुष चला गया पर उसकी पत्नी गुस्सा हो गयी क्यों आये बीच में कम से कम मारने से पता तो चला कि वो मुझसे प्रेम कितना करता है !!!! ऐसा हो सकता प्रेम आपने भी देखा हो लेकिन आज कल प्रेम के नाम पर एक लड़ाई चल रही है पशुओ में ज्यादातर मादा के लिए नर ही लड़ते है और शक्ति प्रदरसहन के अनुसार वरण करते है मनुष्य ने भी बहुत दिनों तक स्वयम्बर में औरत के वर्चस्व को स्वीकार किया और यद्ध में जीती गयी जमीन कि तरह औरतो ने भी जिसकी लाठी उसकी भैस का नियम माना लेकिन ये कौन सा युग है जब औरत मानी तो मानी नहीं तो सिर्फ मौत , तेजाब , बदनामी , ???क्या औरत के तन मन का उसके जीवन के लिए कोई मान रह गया है ? ओह हो मैं तो भूल ही गया कि महिला सशक्तिकरण का यही तो मतलब है अगर महिला का शोषण नहीं होगा तो महिला प्रतिरोध कैसे करेगी और प्रतिरोध के बिना कोई शक्तिशाली कभी कहला पाया है भला ???? आखिर आपको महापुरुष जो कहलाना है | चलिए १४ वी शताब्दी में दो प्रेम करने वाले लोगो के कब्र क़ी फोटो जो इंग्लॅण्ड में खुदाई से प्राप्त हुई है , को देख कर सोचिये कि हाथ पकडे ये दोनों युगल जोड़े मरने के बाद भी प्रेम की किस कहानी को बता रहे है ??? शायद मानव होने का मतलब यही है प्रेम यहाँ मना है क्योकि हम मनुष्य है जो प्रेम से ज्यादा अधिकार के लिए जीता है वैसे आप क्यों मानने लगे मेरी बात आखिर कोई जानवर तो है नहीं जो बस सर झुका कर मान ले जो कहा गया !!!!!! एक बार एक जानवर माँ ने अपने इधर उधर घूमते देख कर अपने बेटे से क्रोध में कहा ......आदमी कही का ( जैसे आप कहते है गधा कही का ) आदमी जानवर क्यों नहीं बन पाया ????????( व्यंग्य ही समझिए )
देख अगर तू मेरी न हो सकी तो किसी की नहीं होने दूंगा तुझे ?? क्या समझती है अपने आपको और ये ले तेजाब की शीशी पूरी की पूरी नारी को देवी कहने वाले देश में एक लड़की को मंगल ग्रह का बना गयी खैर ऐसा ना करें तो पता कैसे चले की भाई साहब प्रेम करते थे | वैसे प्रेम का मतलब यह कुछ निराला है बात उन दिनों की है जब मैं गुजरात के शहर सुरेन्द्र नगर की एक तहसील लिमडी के एक गाओं नाना कठैची में मानवशास्त्रीय शोध कर रहा था और एक व्यक्ति अपनी पत्नी को किसी बात पर ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ....की तर्ज पर शंख नाद कर रहा था ...मुज्झे अपने कर्तव्य याद आये मैंने रोक तो पुरुष चला गया पर उसकी पत्नी गुस्सा हो गयी क्यों आये बीच में कम से कम मारने से पता तो चला कि वो मुझसे प्रेम कितना करता है !!!! ऐसा हो सकता प्रेम आपने भी देखा हो लेकिन आज कल प्रेम के नाम पर एक लड़ाई चल रही है पशुओ में ज्यादातर मादा के लिए नर ही लड़ते है और शक्ति प्रदरसहन के अनुसार वरण करते है मनुष्य ने भी बहुत दिनों तक स्वयम्बर में औरत के वर्चस्व को स्वीकार किया और यद्ध में जीती गयी जमीन कि तरह औरतो ने भी जिसकी लाठी उसकी भैस का नियम माना लेकिन ये कौन सा युग है जब औरत मानी तो मानी नहीं तो सिर्फ मौत , तेजाब , बदनामी , ???क्या औरत के तन मन का उसके जीवन के लिए कोई मान रह गया है ? ओह हो मैं तो भूल ही गया कि महिला सशक्तिकरण का यही तो मतलब है अगर महिला का शोषण नहीं होगा तो महिला प्रतिरोध कैसे करेगी और प्रतिरोध के बिना कोई शक्तिशाली कभी कहला पाया है भला ???? आखिर आपको महापुरुष जो कहलाना है | चलिए १४ वी शताब्दी में दो प्रेम करने वाले लोगो के कब्र क़ी फोटो जो इंग्लॅण्ड में खुदाई से प्राप्त हुई है , को देख कर सोचिये कि हाथ पकडे ये दोनों युगल जोड़े मरने के बाद भी प्रेम की किस कहानी को बता रहे है ??? शायद मानव होने का मतलब यही है प्रेम यहाँ मना है क्योकि हम मनुष्य है जो प्रेम से ज्यादा अधिकार के लिए जीता है वैसे आप क्यों मानने लगे मेरी बात आखिर कोई जानवर तो है नहीं जो बस सर झुका कर मान ले जो कहा गया !!!!!! एक बार एक जानवर माँ ने अपने इधर उधर घूमते देख कर अपने बेटे से क्रोध में कहा ......आदमी कही का ( जैसे आप कहते है गधा कही का ) आदमी जानवर क्यों नहीं बन पाया ????????( व्यंग्य ही समझिए )
बहुत ही गहरी बात कह गए आप सर जी ..हां वर्चस्व की लडाई तो जारी है ही , सामयिक पोस्ट
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