Thursday, 4 September 2014

यही है शिक्षक

शिक्षक दिवस का सच मानो या ना मानो
कल शिक्षक दिवस है और भूमंडलीकरण के दौर में जा जाने कितना पैसा बह जायेगा गुरु शिष्य प्रेम में | पर एक विधयर्थी को परीक्षा में इस लिए नहीं बैठने दिया जाता क्योकि उसकी उपस्थिति ७५% नहीं है पर क्या कभी यह देखने की कोशिश की जाती है कि जब जब वो छात्र कॉलेज आया तब तब हर शिक्षक ने क्लास ली कि नहीं अगर नहीं तो शिक्षक के जीवन के साथ उतना बड़ा मजाक क्यों नही किया जाता जितना विद्यार्थी को परीक्षा से रोक कर किया जाता है | एक तरफ इस देश में एकलव्य की कहानी पढ़ा कर यह बताने का प्रयास किया जाता है कि मन में विश्वास हो तो गुरु सामने हो या न हो पर आप एकलव्य की तरह सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन सकते है दूसरी तरफ विद्यार्थी को इस बात के लिए सजा दी जाती है कि उसने घर पर बैठ कर क्यों पढ़ाई की कॉलेज क्यों नहीं आया | आज शिक्षक दिवस जो एक दार्शनिक की सोच थी , की पूर्व संध्या पर बस यही कहूँगा कि अगर देश का संविधान समानता का अधिकार देता है तो गुरु शिष्य दोनों के लिए सामान नियम होने चाहिए | और यही आज एक गुरु की अपनी शिष्यों को शुभ कामना है ................सोचिये और समाज को बदलिये

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