Saturday 5 July 2014

सच बोलिए आप गॉव में ही रहते है

ये देश तो गॉवों का है .................
भारत में करीब छह लाख से ज्यादा गॉव है और यही नहीं करीब ५००० साल की संस्कृति समेटे आज हम सभ्यता के इस दौर में   आये ग्रामीण संस्कृति से | अब आप यह न कहियेगा कि आप ने गॉव नहीं देखा | क्या अभी आप टूटी और खड्डों वाली सड़क पर चल कर नहीं आया हूँ , सोचा चलो जल्दी से नहीं लूँ पर लाइट नही आ रही थी | क्या करूँ क्या करूँ कुऑं तो है नहीं सोचा हैंड पंप से ही पानी ले आऊ और मैं दौड़ पड़ा पानी लाने पर जहा पंप लगा था पर ये क्या वह तो करीब दो मीटर में कीचड़ ही कीचड़ , कोई नाली नहीं जिससे पानी निकल सके | बड़े दुखी मन से लौटा सोचा चाय पी लू दूध लेने गया तो दुकानदार ने बताया कि आज नकली दूध बनाने वालो को पकड़ा गया है , मुझे याद आया कि मेरे एक मित्र ने क्यों गाय पाल रखी है ? आप तो यह सब मानेंगे नहीं क्योकि आपको इतिहास में सिद्धू घाटी सभ्यता  जो पढ़ाया गया है पर उस समय में सड़क के दोनों और लैंप हुआ करते थे , घरों में कुँए और ढकी हुई नाली होती थी पर आप जानते है कि देश में कितने आक्रमण  हुए है , इस लिए आपने सेना कि तरह सारे रस्ते , जीवन इतना कठिन बना दिया कि दुश्मन कभी अब सोच ही ना सके इस देश में आने के लिए और इसी लिए ये देश छह लाख गावों का देश बन गया ! क्या आप शहर में रहते है ? कितनी बार कहा दिन में मत पिया करो पर इतने दर्द में पिने के सिवा चारा भी क्या है | वैसे एक बात कहु बीरबल कि खिचड़ी वाली कहानी सुन सुन कर बड़े हुए हम सब को इस बात से सुकून मिलता है कि कम से कम घर में नल की टोटी और बल्ब लगे तो है और एक गॉव में लड़का लड़की शादी कर ले तो लोग मार देते है कम से कम यहाँ ( शहर ) पार्क में पकडे जाने पर भाई बहन बता कर छूट तो जाते है और ऐसे में हम भूल से क्यों कहे कि हम आज भी गॉव जैसी ही जिंदगी  जी रहे है प्रगति के नाम जान है तो शान है हम तो शहर में ही रहते है पर शहर है कहाँ ? लैला मजनूं वाले पार्क में या टूटी सड़क में कभी तो सच बोलिए , हम सब गॉव में रहते है कि नहीं ???????? व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

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