Thursday 3 July 2014

क्या आप जिन्दा है ?

कमरों में ए . सी . या मुर्दा घर
मुझको मालूम है की आप यही कहेंगे कि बन्दर क्या जाने अदरख का स्वाद , बिलकुल सही आप बन्दर को नहीं पहचानेंगे तो भला कौन पहचानेंगे आखिर हम दोनों उसी के वंशज जो ठहरे , मैं मानता हूँ कि गरीब आदमी के मुहं से आपको ए . सी की बात अच्छी नहीं लग रही फिर आपको अमीर कौन कहेगा ? इसी लिए तो आपने पेड़ काट डाले क्योकि जब ए सी है तो इन सब का क्या काम , आखिर आपके पास पैसा है कोई मजाक थोड़ी ना है ! और फिर आपको ठंडी हवा की क्या फ़िक्र गाड़ी भी तो ए सी है ! सच सोच रहे है आप अगर मेरी ए सी खरीदने की औकात होती तो भला मेरी क्या मजाल जो मैं यह सब अनाप सनाप बात करता , आखिर आप ही तो एक मनुष्य है मैं तो एक ???? वैसे क्या आपको मालूम है की जब कोई मरता है और मुर्दा हो जाता है तो शरीर से दुर्गन्ध ना आये और शरीर  के अंग ख़राब न हो जाये इस लिए या तो उसो बर्फ से ठंडा रखा जाता है या फिर आप जैसे अमीर लोग ए सी में रखते है पर आप तो जिन्दा हैं फिर ए सी , मतलब आप अपने अंगो को स्थिर कर रहे है यानि जिन्दा रहते हुए अंदर ही अंदर दुर्गन्ध तो क्या हुआ अगर इस से सौ बीमारी और ब्लड प्रेशर हो जाये आखिर आपके पास पैसा है , अगर इसके अंदर की रेडॉन गैस ( रेडिओ एक्टिव तत्व ) से फेफड़े के रोग होते है तो कौन अमर होकर आये है पर हम ना पेड़ लगाएंगे न पर्यावरण सुधारेंगे! हम तो मुर्दे कीतरह ए सी में रहेंगे , वैसे भी आपके अनुसार ईमानदारी की बात वही करता है जो चोरी नहीं कर पाता ! आखिर मैं मुर्दा घर में इन रहने वाली लाशो को कैसे समझाऊ ? अब मुझे दोष ना दीजियेगा मैंने तो लाशो को ही ठंडक में रखते देखा है क्या बढ़ती लाशो की दुनिया में कब तक सब जिन्दा रह पाएंगे ? क्या आप भी मेरी तरह जिन्दा है ? ( व्यंग्य समझ कर पढ़े )

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