Tuesday 1 July 2014

अच्छे दिन आने वाले हैं

अच्छे दिन आने वाले है ......
मुझे वायरल हो गया डॉ को दिखाने के लिए पैसे थे नहीं पर मुझे तो अच्छा होना था क्या करता ? अपने देश में सलाह देने वालो की कमी नहीं है किसी ने कहा पैसे नहीं है तो सरकारी अस्पताल में दिखा लो पर एक ने कहा परेशान होने कोई जरूरत नहीं है बस किसी तरह सात दिन काट लो बस तुम्हरे अच्छे दिन आ जायेंगे |मुझे अपनी गरीबी पर बहुत गुस्सा आया पर क्या करता अच्छे दिन जो लाना था | तभी याद की सही तो कह रहे है लोग आखिर मोती पाना है तो सीपी को स्वाति नक्षत्र का इंतज़ार तो करना ही पड़ेगा तो क्या अच्छे दिन इंतज़ार से आते है ? और नहीं तो क्या अब आप मानिए या ना मानिये कृष्णा ने तो अर्जुन से यही कहा था कि जब जब धर्म कि हानि होती है , हे अर्जुन तब तब मैं धर्म कि स्थापना के लिए अवतार लेता हूँ यानि अगर आपको अच्छे दिन नहीं दिखाई दे रहे तो मान लीजिये कि अभी दिन इतने ख़राब भी नही हुए और अगर आपको बहुत ख़राब लग रहे है तो मान लीजिये कि जन्म हो चुका है | पर आप क्यों मैंने लगे मेरी बात लेकिन सच यही है कि अच्छे दिन लेन के लिए मम्मी पापा को भी ९ महीने का इंतज़ार करना पड़ता है और हर साल उस अच्छे दिन के लिए आपको ३६५ दिन इंतज़ार करना पड़ता है | लीजिये अब यही सुन्ना बाकि था मैं किसी पार्टी का चमचा नहीं मैं तो अच्छे दिन के लिए बाँट जोह रहा हूँ कल ही बीज बोया था पर अभी जमीन से अच्छे दिन के संकेत नहीं मिले है वैसे आप तो मैली गंगा में गोटा लगाने के इतने आदी हो चके है  कि गंगा के अच्छे दिन आएंगे आप मानेंगे ही नहीं और लीजिये बनारस में १९३२ से शहर भर का कूड़ा गंगा में मिला कर आप पूछ रहे है आखिर अच्छे दिन आएंगे कब ? भैया आएंगे पर अब साफ़ पानी को गंदे पानी के साथ बराबर मिलाना पड़ेगा और एक दिन पानी साफ़ दिखाई देने लगेगा लेकिंग आप तो द्रौपदी की तरह बस अपमान करने में ही विश्वास करते है , इसी लिए चिल्ला रहे है कि क्या हुआ अच्छे दिन का . अरे भाई आप अमीबा जैसे एक कोशकीय प्राणी में विभाजन अँधेरे में ही देख सकते है और वाही एक से दो होने में सबसे काम समय लेता है पर आप तो गलती से जटिल प्राणी मानव है तो इंतज़ार कीजिये अच्छे दिन के पर उससे पहले दर्द चीखना चिल्लाना , प्रसव पीड़ा को सहने ( महंगाई , मुद्रा स्फीति , अपराध ) की आदत तो डाल लीजिये, मान भी लीजिये कि आप दूसरे जन्तुओ से ज्यादा अकल्मन्द है और जानते है कि अँधेरे के बाद ही उजाला आता है \ क्या नहीं मानेगे , चलिए आपकी मर्जी मैं तो आपको आदमी समझ कर बात कर रहा था \ क्या मैं जानवर हूँ !!! वह क्या पहचाना आपने मैं दो पैर पर चलने वाला जानवर ही हूँ जो चार पैरो वालो से ज्यादा विवस भूखा , गरीब , दुखी और अपने को कोसने वाला हूँ क्या आप मनुष्य है !!!!!!!!!!! तब तो अच्छे दिन आने चाहिए ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

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