Monday 30 June 2014

चोर कहूँगा या मोर

मेरे देश के मोर या चोर ......
देश के बेरोज गारो को जेल के कैदियों से सीखना चाहिए जेल में रोटी भी तोड़ते है और काम करने के पैसे भी पाते है काम से काम साल भर उनकी मेहनत का पैसा तो मिलता है पर बेरोजगार क्यों आइये शिक्षक खेद है गुलामो से मिलवाता हूँ जिनको शिक्षक का तमगा इस शर्त पर मिलता है की काम ३६५ दिन और वेतन सिर्फ १८० दिन का ? क्या आप मेरी बात नहीं समझ पा रहे खैर क्यों समझेंगे आप जलेबी जैसे सीधे जो है चलिए मैं ही आपको चालक लगता हूँ तो सुनिए एक शिक्षक को मिलता है ६००० हर महीने वो भी पूरे साल नहीं सिर्फ छह माह के लिए तो साल भर में कुल हर माह कितने हुए २५०० और मजदूर पा रहे है ७५०० रुपये हर माह तो कौन अच्छा है ओह हो मैं तो भूल ही गया कि आप के पास चार अच्छे कपडे है और एक पेन भी है बस यही तो चाहिए मनुष्य कहलाने के लिए और लीजिये आप बन गए मनुष्य ! तो वो कौन है जो कालेज में छात्रों से पूरे साल के लिए फीस लेते है क्या ये अबु सलेम से काम है माफ़ करना सलेम भाई मैं आपकी बेइजत्ती कर रहा हूँ आप तो खुले आम लूटते है पर ये तो लूटे भी ऐसा है कि लगे कि कालेज खोल कर ये कितना महान कार्य कर रहे है और तो और ये अपराधी कहा है ये तो माँ शारदा के दूत है जो समाज में कितना महान कार्य कर रहे है काश मॉरीशस के वो गुलाम की तरह ये शिक्षक भी कभी अमीर बन पाते ? वैसे आप क्यों मेरी बात पर विश्वास करने लगे क्योकि कम से कम आप समाज  में शिक्षक का तमगा तो लगाये है वैसे आपको एक अंदर का व्यंग्य सुनौ इस देश में शिक्षक को देने के लिए पैसे नहीं पर लॉज रोज भीख में १० रुपये बाँट देते है एक बार मैंने भी एक दिन भीख मांग कर ७५० रुपये आपीए थे अब तो आप समझ गए होंगे ना की क्यों इस देश में बेरोजगारों की बाढ़ दिखाई देती है और क्यों लोग नौकरी से ज्यादा भीख मांगना पसंद करते है , अब आज से देश के बेचारे नेताओ को दोष न दीजियेगा की पिछले ६५ साल में वो सभी को शिक्षित क्यों नहीं कर पाये | और अगर आप शिक्षक बने है तो कोई चाणक्य से कम नहीं है देखिये ना आपके वेतन के दम तोड़ते सच ने आपको अपने परिवार से भी दूर कर दिया अब आप अपने माँ बाप सेज सम्बन्धियों से जुड़े रहेंगे तो खुद क्या खाएंगे और दूसरों को क्या खिलाएंगे ? हो गए ना शहर में रह कर ही तपस्वी वैसे बहुत नाथ पर रोज एक भिखारी एक प्रसिद्द बिस्कुट की दूकान पर आकर अपनी दिन भर की कमाई को रुपये में परिवर्तित करता  है और रोज ३५० से कम नहीं होता ये सौदा ! अब आप इतना क्यों नाराज हो रहे है आप तो लेक्चरर है मैं आपको ऐसा भला कैसे होने दे सकता हूँ आप तो दधीचि है जिनकी हड्डी मांस से समाज और कालेज के लोग हिमालय की तरह ऊँचे होते जा रहे है और आप के हिस्से है हिमालय के नीचे की जमीन एक अतल गहराई को समेटे ! वैसे स्कूल कालेज करते क्या है मई जून की फीस का शायद शिक्षक के कफ़न के लिए बचाते है ?? पर वो मरेंगे कब ? तिल तिल करके तो रोज मरते है क्या आप शिक्षक बनने जा रहे है ( इस कटु व्यंग्य को समझिए )

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