चमड़े के थैले से बजट तक
इंग्लॅण्ड में जो वित्त मंत्री होता था वो बजट को रखने के लिए चमड़े का थैले में अपने दस्तावेज लाता था और ग्रीक में बूजट कहते है और इसी लिए उपनिवेश में रहने के कारण हमारे देश में भी अंग्रेज यही करते रहे और इसी लिए आज भी वित्तमंत्री एक चमड़े की अटैची में दस्तावेज रख कर लाते है तो अब तो आप समझ गए होंगे कि बजट क्यों कहा जाता है ? लेकिन आज तक यह किसी ने नहीं जाना कि चमड़ा किसका होता है काम से काम जानवर का तो बिलकुल नहीं जब बजट पेश करके तेल जनता का निकाला जाता है तो चमड़ा भी तो उसी का होगा फिर भी जिसे देखिये यही कहता मिल जायेगा कि बजट में देखो क्या होता है ? अब होगा क्या आदमी के चमड़ी ऐठ जाती है टैक्स और दाम के नाम सुन कर और सरकार अगले साल उसी चमड़े के थैले दस्तावेज रख कर पेश कर देता है बजट | अब काम से काम यह तो ना ही पूछिये कि मानवाधिकार के युग कोई मानव के चमड़े को कहा से ला सकता है | काम से काम कही तो अपनी बुद्धि लगा लेते आखिर देश चलना है कि नहीं वो बात अलग है कि जनसँख्या नीति नहीं बनाएंगे , खूब मजे लो और पैदा करते रो , कौन देश अपने बाप का है जिसका है वो जाने और देश को चलने के लिए पैसा कहा से आएगा आपके पास से ! अब आपके पास पैसा नहीं तो सरकार क्या करें मरिये और मर कर चमड़ा दान कर दीजिये आखिर अगले साल का बजट यानि चमड़े का थैला कहा से आएगा ? जाते आको एक बात बताऊ मैंने तो २००२ में ही अपना चमड़ा सरकार को दान कर दिया था पर अभी मेरे चमड़े कि जरूरत नहीं पड़ी है क्या आपके चमड़े में इस साल का बजट झेल लेने की ताकत है ?? व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
इंग्लॅण्ड में जो वित्त मंत्री होता था वो बजट को रखने के लिए चमड़े का थैले में अपने दस्तावेज लाता था और ग्रीक में बूजट कहते है और इसी लिए उपनिवेश में रहने के कारण हमारे देश में भी अंग्रेज यही करते रहे और इसी लिए आज भी वित्तमंत्री एक चमड़े की अटैची में दस्तावेज रख कर लाते है तो अब तो आप समझ गए होंगे कि बजट क्यों कहा जाता है ? लेकिन आज तक यह किसी ने नहीं जाना कि चमड़ा किसका होता है काम से काम जानवर का तो बिलकुल नहीं जब बजट पेश करके तेल जनता का निकाला जाता है तो चमड़ा भी तो उसी का होगा फिर भी जिसे देखिये यही कहता मिल जायेगा कि बजट में देखो क्या होता है ? अब होगा क्या आदमी के चमड़ी ऐठ जाती है टैक्स और दाम के नाम सुन कर और सरकार अगले साल उसी चमड़े के थैले दस्तावेज रख कर पेश कर देता है बजट | अब काम से काम यह तो ना ही पूछिये कि मानवाधिकार के युग कोई मानव के चमड़े को कहा से ला सकता है | काम से काम कही तो अपनी बुद्धि लगा लेते आखिर देश चलना है कि नहीं वो बात अलग है कि जनसँख्या नीति नहीं बनाएंगे , खूब मजे लो और पैदा करते रो , कौन देश अपने बाप का है जिसका है वो जाने और देश को चलने के लिए पैसा कहा से आएगा आपके पास से ! अब आपके पास पैसा नहीं तो सरकार क्या करें मरिये और मर कर चमड़ा दान कर दीजिये आखिर अगले साल का बजट यानि चमड़े का थैला कहा से आएगा ? जाते आको एक बात बताऊ मैंने तो २००२ में ही अपना चमड़ा सरकार को दान कर दिया था पर अभी मेरे चमड़े कि जरूरत नहीं पड़ी है क्या आपके चमड़े में इस साल का बजट झेल लेने की ताकत है ?? व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
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