Wednesday 9 July 2014

त्रिया चरित्रं देवम न जानम

त्रिया चरित्रं देवम जा जानम......
शायद आप सब को पता होगा कि भगवान और देवता में फर्क होता है | देवता यानि इंद्रा जिन्होंने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का जीवन नरक बना दिया अब ऐसे देवता नहीं कहेंगे तो कौन कहेगा कि त्रिया चरित्रं ........ना जाने क्यों त्रिया की सारी क्रिया अगर किसी ने  समझी है तो वो है पुरुष क्योकि पुरुष ही है जो सदाचारी है चरित्रवान है उसके दिल में कभी कुछ भी नहीं छिपा है , इतना नाराज होने की जरूरत नहीं है यह मैंने नहीं महान राजा भतृहरि ने अपने श्रृंगार शतक में लिखा है कि महिला दिल से काली होती है इसी लिए उसका मर्दन किया जाता है और उसके जहर को शरीर से बाहर निकलने के लिए ही उसके अधरों का पान किया जाता है अब आप बताइये क्या अब भी कोई शक है आपको त्रिया चरित्र के बारे में | वैसे त्रिया चरित्रं को आज तक अगर किसी ने समझा है तो हम ही तो है अगर आप किसी महफ़िल में बैठे तो जब तक किसी महिला के बारे में पूरा शोध पत्र लिख कर आपके छाती को ठंडक न मिल जाये तब तक खाना ही कहा पचता है | और दुनिया में औरत को सिर्फ एक काम के लिए समझा गया और इसी लिए लोक मर्यादा की रक्षा के लिए उसको अग्नि परीक्षा देनी है वो तो ठीक है कि मुझे कोई शक नहीं पर दुनिया कुछ न कहे इस लिए और अगर ऐसा है तो वो कौन सा देश है या लोग जो बताते थकते नहीं ये देश भाई बहनो का है | अगर आप कोठे पर जा रहे है तो भला आपके चरित्र में क्या दोष पर लड़की के चरित्र में तो दोष आ ही जाता है | वैसे त्रिया चरित्र का मतलब क्या है क्या ये औरत का चरित्र नहीं कि पूरे घर को खाना खिला कर खुद भूखी सो जाती है ? क्या यह त्रिया चरित्र नहीं कि जब वो सुबह उठती है तो आप सोते रहते है और जब रात में आप सोने जाते है तो वो सारा काम निपटाया करती है | क्या ये भी त्रिया चरित्र नहीं जब आप रात में नींद में दुबे होते है तब वो रात में जग कर कभी आपके बच्चे को दूध पिला रही होती है या फिर उसका मॉल मूत्र साफ़ कर रही होती है | या फिर त्रिया चरित्र का मतलब यह भी नहीं कि घर के अलावा नौकरी करने वाली त्रिया कभी भी अपने ऊपर अपना ही पैसा नहीं खर्च कर पाती ? अगर ये सारी बात आप त्रिया चरित्र नहीं मान रहे तो सच क्या नहीं कहते आखिर आपके भाई हरिश्चंद्र तो सत्य के पुजारी थे कहिये कि आपको सिर्फ जिन्दमानस में त्रिया चरित्र देखने की आदत नहीं नहीं लत पड़| गयी है , सच बताइये जब आप शब पीकर एकमहिला के करीब जाते है तो क्या आपको बर्दाश्त करना उसका चरित्र नहीं है | जब आप उसको अपनी जलती सिगरेट से जला देते है और वो रात के अँधेरे में घुट कर जी जाती है और आप अपनी भूख शांत कर सो जाते है तो क्या ये भी त्रिया चरित्र नहीं है | जब सात फेरों के बाद आप उसको सिंदूर के पंजीकरण के नाम पर रात दिन मारते है , हिंसा करते है और वो कर्ज में दुबे अपने माँ बाप का ध्यान करके नरक को सहती है तो क्या ये त्रिया चरित्र नहीं है | शायद औरत की इस सहन शक्तिको देवता भी नहीं समझ पाये | पर कही ये देवता पति देव तो नहीं जिसके हर जुल्म को सह कर वो हसती है| अच्छा अगर आपको मेरी सारी बात गलत लग रही है तो खुद सोच कर देखिये कि आप चरित्र किसको समझ रहे है आखिर आपको त्रिया क्या और क्या दिखाई देता है पर जरा संभल कर क्योकि चरित्र सिर्फ औरत का गिरना है कभी पुरुष के चरित्र में देवता को कोई परेशानी थोड़ी ना हुई , पर आप तो शायद मनुष्य है तो फिर ये पति देव का मतलब ? नारी तुम केवल ???????????????

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