हम मनुष्य है मनुष्य कोई ?????
पूरी पृथ्वी पर जितने भी जीव जंतु है उन सभी में प्रकृति ने एक नर और एक मादा की रचना की है शायद मुझको ऐसा लगता है कि सभी में मादा कि संख्या कम ही होती है क्योकि मादा को पाने के लिए सभी में नरों के बीच एक संघर्ष चलता है यानि एक बात तो तये है कि आज तक मनुष्य ये नहीं चाहता कि वो जानवरों से अलग दिखाई दे इसी लिए वो लड़कियों कि संख्या बढ़ने नहीं दे रहा है और दूसरी बात ये आज तक सारे मनुष्य जानवरों कि तरह लड़कियों और औरतों को पाने के लिए संघर्ष करते रहते है यानि अभ भी हम अपने मूल तत्व को नहीं छोड़ना चाहते और छोड़े भी क्यों वो मनुष्य ही क्या जो अपनी मूल परम्परा को भूल जाये लेकिन मानिए या ना मानिये एक बात तो में तो हम मनुष्य बन ही गए है आखिर हमने संस्कृति सभ्यता का निर्माण किया है | अब परेशान ना होइए और सुनिए कल एक रेस्त्रां से दो लड़कियां खाना कहने के बाद निकली कुछ दूर चलने पर एक गाड़ी पीछे से आई और अपने को स्वस्थ दिखने के लिए लड़कियों पर कमेंट करके आगे जाने लगे पर आज कल मेरी कॉम का जमाना है और एक लड़की ने इसका प्रतिकार किया तो लड़को ने गाड़ी रोक कर जितनी बदतमीजी कर सकते थे करी शायद द्रौपदी को भी शर्म आ जाती पर वह खड़े बहुत से मनुष्य चुप चाप सब होता देखते रहे और देखे भी क्यों ना वो मनुष्य है कोई कुत्ते तो है नहीं जो उनके इलाके में कुछ किसी ने किया नहीं कि सब मिल कर दौड़ पड़े | मैं तो कहता हूँ बिलकुल सही किया इन मनुष्यों ने आखिर पता कैसे चलेगा कि हम सभ्य है और अब जानवर नहीं रह गए है | मेरे सभी से निवेदन हैकि अपनी लड़कियों और औरतों को घर से न निकलने दे क्योकि अब शहर में मनुस्य रहते है जानवर नहीं ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए एक सच )
पूरी पृथ्वी पर जितने भी जीव जंतु है उन सभी में प्रकृति ने एक नर और एक मादा की रचना की है शायद मुझको ऐसा लगता है कि सभी में मादा कि संख्या कम ही होती है क्योकि मादा को पाने के लिए सभी में नरों के बीच एक संघर्ष चलता है यानि एक बात तो तये है कि आज तक मनुष्य ये नहीं चाहता कि वो जानवरों से अलग दिखाई दे इसी लिए वो लड़कियों कि संख्या बढ़ने नहीं दे रहा है और दूसरी बात ये आज तक सारे मनुष्य जानवरों कि तरह लड़कियों और औरतों को पाने के लिए संघर्ष करते रहते है यानि अभ भी हम अपने मूल तत्व को नहीं छोड़ना चाहते और छोड़े भी क्यों वो मनुष्य ही क्या जो अपनी मूल परम्परा को भूल जाये लेकिन मानिए या ना मानिये एक बात तो में तो हम मनुष्य बन ही गए है आखिर हमने संस्कृति सभ्यता का निर्माण किया है | अब परेशान ना होइए और सुनिए कल एक रेस्त्रां से दो लड़कियां खाना कहने के बाद निकली कुछ दूर चलने पर एक गाड़ी पीछे से आई और अपने को स्वस्थ दिखने के लिए लड़कियों पर कमेंट करके आगे जाने लगे पर आज कल मेरी कॉम का जमाना है और एक लड़की ने इसका प्रतिकार किया तो लड़को ने गाड़ी रोक कर जितनी बदतमीजी कर सकते थे करी शायद द्रौपदी को भी शर्म आ जाती पर वह खड़े बहुत से मनुष्य चुप चाप सब होता देखते रहे और देखे भी क्यों ना वो मनुष्य है कोई कुत्ते तो है नहीं जो उनके इलाके में कुछ किसी ने किया नहीं कि सब मिल कर दौड़ पड़े | मैं तो कहता हूँ बिलकुल सही किया इन मनुष्यों ने आखिर पता कैसे चलेगा कि हम सभ्य है और अब जानवर नहीं रह गए है | मेरे सभी से निवेदन हैकि अपनी लड़कियों और औरतों को घर से न निकलने दे क्योकि अब शहर में मनुस्य रहते है जानवर नहीं ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए एक सच )
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