Friday, 15 August 2014

झूम बराबर झूम शराबी

झूम बराबर झूम ,,,,स्वतंत्रता दिवस है भाई
क्या बात है जिसे देखिये वही देश की स्वतंत्रता की बधाई देने के लिए पागल हुआ जा रहा है पर आज भगत सिंह के घर कोई बधाई देने नहीं गया ? कोई भी सुभाष चन्द्र बोसे के घर वालो को इस दिन की बधाई देने गया और बधाई मिली तो किस को जिन्होंने कुछ किया ही नहीं पर जैसा मैंने पहले कहा कि भला इसमें इनकी क्या गलती ये तो आजादी के जश्न में झूम रहे है और हमारे देश में झूमते कौन है ?????????? शराबी !!! हा हा चलिए आपको वो गण तो याद रहा झूम बराबर झूम शराबी .काली घटा है मस्त हवा है झूम झूम .क्या अब जानने की जरूरत है है की कोई क्यों नहीं भगत सिंह के घर गया |
वैसे मुझको भी झूम से याद आया झूम की खेती ...जी जी भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ पर झूम की खेती होती है देश की करीब ७०० जनजातियों में से करीब ८० जनजातियां इस खेती को करती है | अब शराबी की तरह चिल्लाने के बजाये सुनिए क्या होता है इस खेती में !! इसमें बड़े बड़े जंगल के पेड़ों को जनजाति के लोग काट डालते है फिर उसमे आग लगा देते है , जलने के बाद जो रख बचती है उसमे वो लोग बीज बोते है और उसी उपज को कहते है क्या आपको पता है इसके पीछे उनका दर्शन क्या है ? वो मानते है की अगर धरती पर हल चलाया गया तो घरती को दर्द होगा और वे उसको दर्द नहीं देना चाहते है इस लिए झूम खेती होती है | और आप भी आज झूम रहे है तो क्या मैं मान लूँ  कि आप भी अपने कृत्यों से इस देश यानि अम्मा यानि धरती को कष्ट नहीं देना चाहते ? मतलब कल से चोरी , डकैती, बलात्कार , अपहरण , दहेज़ हत्या , यौन उत्पीड़न या भ्रष्टाचार बंद !!!!!!!!!!! अगर नहीं तो आज आपके झूमने का मतलब !!!!!!! काम से काम आइये थोड़ी झूम की खेती ही कर डालिये, शायद आपकी यही झूम से स्वंत्रता में कुछ सच्चा झूम आ जाये , माफ़ कीजियेगा अगर आपको कुछ गलत लगा हो क्योकि आपको सच सुनने की आदत नहीं और सच नीम सा कड़वा होता है पर आपको कड़वे पन से इतनी नफरत है कि दुनिया के सबसे ज्यादा मधुमेह के मरीज यही है तो चलिए आपके देश में रहना है तो हुआ हुआ कहना है .आप सब को स्वंत्रता दिवस की झूम .........( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

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