बेमेल विवाह .........
अक्सर कोमल सी ,
लताये ही ,
उम्र दराज़ पेड़ों ,
से लिपट जाती है ,
न जाने क्यों उनमे ,
उचाई छूने की ,
ललक जग जाती है ,
पर उम्र की मार से ,
बूढ़ा पेड़ क्या गिरा ,
कोई नन्ही सी कोपल ,
नाजुक सी लता भी ,
खाक में मिल जाती है ............,
बेमेल विवाह रोकिये .लड़की सिर्फ दूसरो के सुख के लिए अपने को महसूस करके के लिए भी पैदा हुई है
अक्सर कोमल सी ,
लताये ही ,
उम्र दराज़ पेड़ों ,
से लिपट जाती है ,
न जाने क्यों उनमे ,
उचाई छूने की ,
ललक जग जाती है ,
पर उम्र की मार से ,
बूढ़ा पेड़ क्या गिरा ,
कोई नन्ही सी कोपल ,
नाजुक सी लता भी ,
खाक में मिल जाती है ............,
बेमेल विवाह रोकिये .लड़की सिर्फ दूसरो के सुख के लिए अपने को महसूस करके के लिए भी पैदा हुई है
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ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
aaapki khayalaat ko mera salaaam...shaandaar rachna
ReplyDeleteबहुत सही ...बढ़िया रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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