Saturday 16 August 2014

क्या ये सच नहीं है

क्या सच ये नहीं ?????
भारत गावों का देश है और यहाँ ज्यादातर गांव वाले ही रहते है |
मैं आपसे या आपके लिए नहीं कह रहा हूँ मैं जनता हूँ कि आप शहर में रहते है |
शहर में कूड़े से जमीन को पाट कर मकान बनाये जाते है |
कहते है जैसी नीव होती है वैसे ही ईमारत बनती है | कूड़े के ऊपर बने मकान में मनुष्य रहता है |
कूड़े में सूअर लोटते है | आज कल सूअर का पालन करके लोगो अमीर बन रहे है |
कल एक अमीर ने अपनी बीवी को मार डाला |
कुछ ने अमीर बनने के लिए कुछ देवी को बेच डाला |
अब उन देवियों कि पूजा करने पूरे तन मन से रोज मनुष्य आते है | शायद देवता की स्थापना के लिए ऐसा होना जरुरी है |
क्या अब भी नहीं लगता की कि पृथ्वी पर मनुष्य से ज्यादा सुन्दरतम प्राणी कोई नहीं !!! आज फिर शहर में एक मैदान कूड़े से पाटा  जा रहा है ( इसे व्यंग्य न समझे व्यंग्य की तरह पढ़े )

3 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 18 . 8 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !

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  2. सच सच कहाँ होते हैं अब :)

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  3. आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर ( संकलक ) ब्लॉग - चिठ्ठा के "सार्वजनिक और सामूहिक चिट्ठे" कॉलम में शामिल किया गया है। कृपया हमारा मान बढ़ाने के लिए एक बार अवश्य पधारें। सादर …. अभिनन्दन।।

    कृपया ब्लॉग - चिठ्ठा के लोगो अपने ब्लॉग या चिट्ठे पर लगाएँ। सादर।।

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