Friday 26 December 2014

औरत मनुष्य नहीं है

औरत एक कानून अनेक ..........
वैसे तो हो सकता है कि आपको मेरी रोज रोज औरत के लिए बात करना अच्छा ना लगे पर आज एक शिक्षक होने के नाते कुछ ऐसा लगा जो आपको बताना जरुरी लगा तो लिखने बैठ गया | देश में शाम ६ बजे के बाद महिला ठाणे में नहीं रोकी जा सकती है और अगर रोकी जाएगी तो कोई महिला पुलिस जरूर होगी | यही नहीं महिला से पूछ ताछ करना हो या गिरफ्तार महिला के लिए महिला पुलिस का होना जरुरी है | महिला उत्पीड़न में भी तो विशाखा के दिशा निर्देश है उसमे जाँच में किसी महिला का होना जरुरी है |कोई कारन होगा कि देश क्या पूरे विश्व में कोई खेल महिला पुरुष का साथ साथ नहीं होता यहाँ तक  शतरंज जैसा खेल भी अलग होता है | चलिए थोड़ी और स्तरहीन बात कह देतेहै स्नान घर शौचालय  सब अलग होते है| क्या अब भी आपको समझाना पड़ेगा कि ऐसा क्यों होता है ??? चलिए आप इतना तो समझ गए क्योकि औरत का जीवन आवश्यकता सब अलग है बहुत सी ऐसी समस्याएं है और परेशानी जो एक महिला किसी समक्ष महिला से कह सकती है | महिला की सुरक्षा केलिए महिला के लिए अलग से बस चलायी जाने लगी पर देश में उच्च शिक्षा में ऐसा कुछ भी नहीं है क्योकि वहां की महिला शिक्षक को क्या जरूरत ???????कि उनकी समस्याओ को सुनने के लिए महिलाये ही हो पर आप कहा ये सब मैंने वाले क्योकि जब तक महिला विकास मंत्रालय या राष्ट्रीय महिला आयोग या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ये ना कहे कि महिला के लिए प्रबंध समिति में एक तिहाई महिलाये होनी चाहिए तो भला आप कहा आवाज उठाने वाले !!!!!!!!! राज्य महिला आयोग से कहने जाओ तो कहेगा किसी महिला ने तो आज तक कुछ कहा नहीं आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है | विश्वविधालय , महा विद्यालय से कहो तो कहेगा अनुशासनहीनता दिखा रहे है  ये उनके विरुद्ध कार्य है पर क्या प्रबनध तंत्र या एग्जीक्यूटिव कौंसिल में एक तिहाई महिला नहीं होनी चाहिए | एक मजे दार बात उत्तर प्रदेश ही नहीं हर राज्य के उच्चतर शिक्षा सेवा में महिला कालेज में पुरुष शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकती पर प्रबंध तंत्र के लोग पुरुष बन सकते है है ना अंधेर  नगरी चौपट राजा .......पर हम क्यों बोले क्या सरे जहाँ का दर्द हमी ने उठा रखा है जब सरकार को नहीं दिखाई दे रहा तो हम कौन होते अपना हाथ जलाने वाले लेकिन मुझे तो आ बैल मुझे मार इतना अच्छा लगता है कि आपसे बात करने बैठ गया अब देखिये ऐसे प्रबंध तंत्र क्या गुल खिलाते है  ???क्या महिला सशक्तिकरण के दौर में प्रबंध तंत्र में परिवतन नहीं होना चाहिए आरे भैया संसद में महिला आने लगी है कब तक महिला को अपनी जागीर समझोगे कभी तो उनको अपने लिए जीने दो !!!!!!क्या आप में ताकत है कि प्रबंध तंत्र में महिला को भी लाये३३% !!! मैंने तो चला किसी महिला को उकसाने आखिर संविधान के नीति निदेशक तत्व में लिखा जो है महिला की गरिमा के लिए काम करने के लिए !!!!!!आअप भी नही उकसाएंगे  आरे इस अच्छे काम के लिए उकसा डालिये ना वैसे तो ना जाने किसी किस काम के लिए महिला  को ??????????????? समझदार को इशारा काफी ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे इस बिंदु पर सहयोग चाहता है )

No comments:

Post a Comment