औरत , विधवा ...सशक्तिकरण
हमारा देश भारत कभी इस देश में अगर कोई महिला विधवा हो जाती थी तो उसको या तो अपने पति के साथ चिता में जाँदा जलना पड़ता था या फिर उसको किसी मंदिर के बाहर भेख मांग कर या किसी आश्रम में जीवन बिताना पड़ता था | मैं कोई फर्जी बात नहीं कर रह आप चाहे तो आज भी वृन्दावन और काशी में इसके अवशेष देख सकते है और हो बी क्यों न हमारे देश में औरत को लक्ष्मी भी कहा जाता है और लक्ष्मी चंचल होती है तो भला ऐसी चंचल नारी का तब क्या काम जब जिस पुरुष की दासी माफ़ कीजियेगा अर्धांगिनी बन कर वो किसी घर में गयी थी | क्या आपने वाटर पिक्चर देखि है तब तो आप को कुछ भी बताने की जरूरत ही नहीं | कितना बढ़िया था जब मनुष्य ने जानवर से अपने को ऊपर उठाने के लिए औरत को बलि का बकरा ( बकरी नही चलेगा आखिर आप मनुष्य है बकरी को आप कैसे मार सकते है उसमे माँ का स्वरुप है वो तो आप ना जाने क्या देख कर औरत को मार डालते है )बना दिया पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी जीव जंतु में हर वर्ष प्रजनन के लिए नर मादा चुनाव करते है और अपने वंश को बढ़ाते है पर आप तो मनुष्य है भला ये भी कोई बात है कि हर साल सिर्फ प्रजनन के लिए पुरुष महिला एक दूसरे को खोजे ( अब मुझे नहीं पता फिर ये कोठे और वैश्यावृति किसके लिए बनी ??? शायद यहाँ जाने वाले मनुष्य नही थे ) और लीजिये हमने बना दिया संस्कृति का पिटारा और जब एक बार मिले तो बस ऊरी जिंदगी साथ निभाने का वादा वो बात और है कि पुरुष हमेशा से दानवीर रहा है तो वो एक से वादा ना करके अपनी पत्नी के साथ साथ कई और लोगो से वादा निभाने लगता है आखिर पुरुष का शरीर है किस लिए परोपकार के लिए ना और नीति में कहा भी गया परोपकाराय थर्मिदं शरीरं ( परोपकार के लिए शरीर है) पर क्या मजाल जो औरत एक बार किसी की होने के बाद और किसी का भी ध्यान कर ले आखिर उसके लिए ही तो सात जन्मो का रिश्ता होता है उसी के लिए तो स्वराज में रिश्ते बनते है ( इसी लिए कुछ ज्यादा जी विवाहित जिन्दा जल कर स्वर्ग भेजी जाने लगी !!!!!!!!!!!) वो तो भला हो सरकार के निकम्मे पन का कि उसने लड़कियों की भूर्ण हत्या पर रोक नहीं लगाया मतलब कानून बना दिया बाकि सब भगवान जाने !!!!!!!!! जो कम लड़कियों के होने कारण तलाक और लिविंग रिलेशन को बढ़वा देकर औरत को आजादी का एहसास कराया | कम से कम अब औरत सिर्फ एक ही के साथ तो नहीं बंधी रहती शादी किसी से , माँ बनना किसी से , | हा तो मैं क्या कह रहा था इस तरह के महिला सशक्तिकरण का ही ये परिणाम हुआ कि लड़की अपने पैरों पर खड़ी हो गयी ( वो बात अलग है हर औरत कमर दर्द , स्लिप डिस्क कि मरीज हो गयी पर आ तो गयी पुरुष के बराबर )| नौकरी करने लगी उसके हाथ में पैसा आने लगा !!!!!!!ये कोई कम बड़ी बात है कि लक्ष्मी खुद जान पायी कि पैसा क्या होता है और जो महिला एक एक पैसा के लिए अपने पति के आगे मोहताज होती थी वही महिला अपने पति के मरने पर पेंशन पाने लगी ( क्षमा करियेगा महिला को अपनों के मरने की बात पसंद नहीं है पर विधवा ज्यादा ही होती है ) अब आम के आम गुठलियों के दाम एक तो महिला खुद नौकरी करने लगी और ऊपर से पति की भी पेंशन ( मुझे नहीं मालूम की सरकार इसे तो सरकारी धन लेना क्यों नही मानती ) और जब महिला खुद सेवा निवृत्त हुई तो दो दो पेंशन अब तो आप समझ गए होंगे ना कि महिला सशक्ति करण के क्या क्या लाभ है पर अब ये ना पूछने लगिएगा कि विधवा होने के बाद औरतों की जिंदगी लम्बी क्यों हो जाती है ??????????? ( व्यंग्य की सच्चई समझ कर पढ़े ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन
हमारा देश भारत कभी इस देश में अगर कोई महिला विधवा हो जाती थी तो उसको या तो अपने पति के साथ चिता में जाँदा जलना पड़ता था या फिर उसको किसी मंदिर के बाहर भेख मांग कर या किसी आश्रम में जीवन बिताना पड़ता था | मैं कोई फर्जी बात नहीं कर रह आप चाहे तो आज भी वृन्दावन और काशी में इसके अवशेष देख सकते है और हो बी क्यों न हमारे देश में औरत को लक्ष्मी भी कहा जाता है और लक्ष्मी चंचल होती है तो भला ऐसी चंचल नारी का तब क्या काम जब जिस पुरुष की दासी माफ़ कीजियेगा अर्धांगिनी बन कर वो किसी घर में गयी थी | क्या आपने वाटर पिक्चर देखि है तब तो आप को कुछ भी बताने की जरूरत ही नहीं | कितना बढ़िया था जब मनुष्य ने जानवर से अपने को ऊपर उठाने के लिए औरत को बलि का बकरा ( बकरी नही चलेगा आखिर आप मनुष्य है बकरी को आप कैसे मार सकते है उसमे माँ का स्वरुप है वो तो आप ना जाने क्या देख कर औरत को मार डालते है )बना दिया पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी जीव जंतु में हर वर्ष प्रजनन के लिए नर मादा चुनाव करते है और अपने वंश को बढ़ाते है पर आप तो मनुष्य है भला ये भी कोई बात है कि हर साल सिर्फ प्रजनन के लिए पुरुष महिला एक दूसरे को खोजे ( अब मुझे नहीं पता फिर ये कोठे और वैश्यावृति किसके लिए बनी ??? शायद यहाँ जाने वाले मनुष्य नही थे ) और लीजिये हमने बना दिया संस्कृति का पिटारा और जब एक बार मिले तो बस ऊरी जिंदगी साथ निभाने का वादा वो बात और है कि पुरुष हमेशा से दानवीर रहा है तो वो एक से वादा ना करके अपनी पत्नी के साथ साथ कई और लोगो से वादा निभाने लगता है आखिर पुरुष का शरीर है किस लिए परोपकार के लिए ना और नीति में कहा भी गया परोपकाराय थर्मिदं शरीरं ( परोपकार के लिए शरीर है) पर क्या मजाल जो औरत एक बार किसी की होने के बाद और किसी का भी ध्यान कर ले आखिर उसके लिए ही तो सात जन्मो का रिश्ता होता है उसी के लिए तो स्वराज में रिश्ते बनते है ( इसी लिए कुछ ज्यादा जी विवाहित जिन्दा जल कर स्वर्ग भेजी जाने लगी !!!!!!!!!!!) वो तो भला हो सरकार के निकम्मे पन का कि उसने लड़कियों की भूर्ण हत्या पर रोक नहीं लगाया मतलब कानून बना दिया बाकि सब भगवान जाने !!!!!!!!! जो कम लड़कियों के होने कारण तलाक और लिविंग रिलेशन को बढ़वा देकर औरत को आजादी का एहसास कराया | कम से कम अब औरत सिर्फ एक ही के साथ तो नहीं बंधी रहती शादी किसी से , माँ बनना किसी से , | हा तो मैं क्या कह रहा था इस तरह के महिला सशक्तिकरण का ही ये परिणाम हुआ कि लड़की अपने पैरों पर खड़ी हो गयी ( वो बात अलग है हर औरत कमर दर्द , स्लिप डिस्क कि मरीज हो गयी पर आ तो गयी पुरुष के बराबर )| नौकरी करने लगी उसके हाथ में पैसा आने लगा !!!!!!!ये कोई कम बड़ी बात है कि लक्ष्मी खुद जान पायी कि पैसा क्या होता है और जो महिला एक एक पैसा के लिए अपने पति के आगे मोहताज होती थी वही महिला अपने पति के मरने पर पेंशन पाने लगी ( क्षमा करियेगा महिला को अपनों के मरने की बात पसंद नहीं है पर विधवा ज्यादा ही होती है ) अब आम के आम गुठलियों के दाम एक तो महिला खुद नौकरी करने लगी और ऊपर से पति की भी पेंशन ( मुझे नहीं मालूम की सरकार इसे तो सरकारी धन लेना क्यों नही मानती ) और जब महिला खुद सेवा निवृत्त हुई तो दो दो पेंशन अब तो आप समझ गए होंगे ना कि महिला सशक्ति करण के क्या क्या लाभ है पर अब ये ना पूछने लगिएगा कि विधवा होने के बाद औरतों की जिंदगी लम्बी क्यों हो जाती है ??????????? ( व्यंग्य की सच्चई समझ कर पढ़े ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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