Sunday 28 December 2014

कितनी औरत एक देश में

औरत होने का सच ................
आज मुझे अचानक दिल के पास दर्द होने लगा , डॉक्टर कई बार बता चुके है की ये दिल का मामला नहीं है ( वैसे लोग मानते है कि मेरा सारा मामला ही दिल का है ) पर डरपोक जो हूँ सोचता हूँ कही किसी दिन डॉक्टर गलत हो गया तो .......और बस मैं अकेले रहने के कारण सड़क पर निकल गया कुछ देर खुली हवा के लिए ..दर्द इतना ज्यादा है कि लग रहा था कि बायां हिस्सा ही टूट कर गिर जाये काश टूटता कुछ लोग इस ठंडक में हड्डी जला कर ही सुकून पा जाते पर इतने दर्द में सोचने लगा कि मेडिकल साइंस कहता है कि एक साथ शरीर कि १२ बड़ी हड्डियों के एक साथ टूटने पर जितना दर्द होता है उतना ही दर्द एक लड़की को माँ बनने कि प्रसव वेदना में होता है पर इतना दर्द सहने वाली माँ को एक राज्य क्या देता है जननी सुरक्षा योजना के १४०० रुपये वैसे एक किलो देशी घी ५५० रुपये और दूध एक किलो ४८ रुपये में है | अब ये आप सोचिये कि इतना दर्द सहने वाली औरत को १४०० में क्या मिल सकता पर आप तो संतोषम परम सुखम वाले देश के है नही से तो कुछ भला !!!!!!!!!!! मिल तो रहा है पर वो कौन सी औरत है जो नौकरी करती है और यही सरकार उनको ६ माह का मातृत्व लाभ अवकाश देता है वो ही पूरे वेतन के साथ !!!!!!!समझ रहे है ना अगर कोई महिला डिग्री कालेज में टीचर है तो कम से कम २ लाख पचास हज़ार रुपये मुफ्त में वो भी इस लिए क्योकि वो माँ बनी है !!!!!!!!!!!१११ तो बाकि औरत क्या सिर्फ १४०० रुपये भर की है या फिर राज्य और सरकार सिर्फ उन्ही के लिए है जो नौकरी में है | समानता की बात करके एक औरत को १४०० और एक को २.५० लाख ???????आरे अगर सामंता रखनी है तो नौकरी करने वालो को बिना वेतन की छह माह की छूटी दो और १४०० जननी सुरक्षा के नाम पर अगर ऐसा नहीं है तो देश की औरतों सतर्क हो जाओ तुम वैसी औरत नहीं जो नौकरी करती है | अगर छुट्टी और पैसा दोनों चाहिए तो जल्दी से पढ़ लिख कर नौकरी कर डालो ये घर की नौकरी बजाने को सरकार काम नहीं मानती है ये भी कोई काम है......... काम तो वो है जो ऑफिसमे किया जाये खेत में काम करके देश को अन्न देना , घर में खुद को कैद करके एक घर को सवारने के लिए खुद के अस्तित्व को खो देना भी कोई काम है और सरकार ऐसे काम को ना तो सम्मान देती है और ना पुरुस्कार !!!!आरे भाई मैं कोई देश के विरुद्ध थोड़ी ना हूँ मैं तो खुद समझना चाहता हूँ कि आखिर औरत वो वाली कौन है जिसकी पूजा करने पर देवता निवास करते है | अब जिस लक्ष्मी के साथ छुट्टी और वेतन दोनों होगा वो भी बच्चा पैदा करने कि ऐवज में तो देवता आये ना आये पर पति देवता तो जरूर घर में आराम करते मिल जायेंगे | क्या आप खुद नहीं मानती कि राज्य ऐसी औरत को ही सम्मान देना चाहता है जो बच्चा पैदा करने के साथ उनके लिए काम करें ना कि घर और खेत में | क्या आप अभी तक जननी  सुरक्षा में ही उलझी है कभी तो १४०० से ज्यादा अपनी कीमत समझिए भारतीय नारी जी ....बुरा लगे तो माफ़ कीजियेगा ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय  अधिकार संगठन

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