महिला जिन्दा तो हो ...........
गौरी यानि पार्वती यानि उमा ने शिव को पाने के लिए ३७ हज़ार साल तपस्या की ( मुझे नहीं मालूम इतनी आयु के बारे में राम चरित मानस में लिखा है ) तब जाकर उनको भगवान शंकर के रूप में इस देश में एक इच्छा के अनुरूप व्यक्ति जीवन साथ के रूप में मिला ......पर हम आप तो जगल और हिमालय पर रहने वाली गौरी से इतर शहर में रहने वाली गौरी का शरीर १९ साल में काट डाल रहे है तो आज की गौरियां कैसे तप करें कि उनको शिव सा व्यक्ति सामने दिखाई दे क्योकि अपनी छोटी सी तपस्या से जिसका भी वरन आज कि गौरी कर रही है वो तो कुटिया में ऋषि वेश बदल के आये रावण की तरह मिल रहा है | मैं जनता हूँ कि आप में से ना जाने कितने मेरी इस बात का विरोध करेंगे कि क्या लड़की सिर्फ शादी के निमित्त ही बनी है !!!!!!!!!!! न न न न मैं भी ये नही कह रहा है पर गौरी की तरह निर्विघ्न तपस्या भी तो आज की गौरी नहीं कर पा रही है | अगर गौरी घर से पढ़ने निकली तो मार दी जाती है | अगर लाँड्री जाती है तो मार दी जाती है |और अगर वो प्रेम जैसे शब्द को जीने लगे तो मार दी जाती है | अगर शादी हो जाये तो मार दी जाती है तो फिर आप भी मान लीजिये ना कि आज की गौरी की तपस्या शायद मौत पर ही खत्म हो रही है क्योकि आप कहेंगे कि औरत उपभोग की वस्तु तो है नहीं अब इतना कुछ करके भी आपको गौरी एक वस्तु से ज्यादा कुछ लगी | ओह हो आप तो रोज शाम को मोमबत्त्ती जला कर उसे ढूंढने निकलते है पर वो नही मिल रही है तो क्या हुआ आप तो संतोषम परम सुखम को जीते है मोमबत्ती की रौशनी में रोज कोई और गौरी मरी , बलात्कार की हुई मिल जाती है तो आपको तो रोज मुद्दा मिल रहा है ना वैसे जिस गौरी के लिए आप लड़ रहे है क्या उसको अमृत पिला का जिन्दा किया जा सकता है ?????? नहीं तो किसी जिन्दा गौरी के चारों और तब तक खड़े हो जाइये जब तक वो उस शिव के पास न पहुंच जाये जिसके लिए तस्य करने वो इस दुनिया में आई है | क्या आपको शिव मिले कभी ??? गौरी की नासमझी को क्या कहे ????( व्यंग्य के अंदर के भाव को समझिए सही ही सत्य है और सत्य ही सुन्दर है ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारीतय अधिकार संगठन
गौरी यानि पार्वती यानि उमा ने शिव को पाने के लिए ३७ हज़ार साल तपस्या की ( मुझे नहीं मालूम इतनी आयु के बारे में राम चरित मानस में लिखा है ) तब जाकर उनको भगवान शंकर के रूप में इस देश में एक इच्छा के अनुरूप व्यक्ति जीवन साथ के रूप में मिला ......पर हम आप तो जगल और हिमालय पर रहने वाली गौरी से इतर शहर में रहने वाली गौरी का शरीर १९ साल में काट डाल रहे है तो आज की गौरियां कैसे तप करें कि उनको शिव सा व्यक्ति सामने दिखाई दे क्योकि अपनी छोटी सी तपस्या से जिसका भी वरन आज कि गौरी कर रही है वो तो कुटिया में ऋषि वेश बदल के आये रावण की तरह मिल रहा है | मैं जनता हूँ कि आप में से ना जाने कितने मेरी इस बात का विरोध करेंगे कि क्या लड़की सिर्फ शादी के निमित्त ही बनी है !!!!!!!!!!! न न न न मैं भी ये नही कह रहा है पर गौरी की तरह निर्विघ्न तपस्या भी तो आज की गौरी नहीं कर पा रही है | अगर गौरी घर से पढ़ने निकली तो मार दी जाती है | अगर लाँड्री जाती है तो मार दी जाती है |और अगर वो प्रेम जैसे शब्द को जीने लगे तो मार दी जाती है | अगर शादी हो जाये तो मार दी जाती है तो फिर आप भी मान लीजिये ना कि आज की गौरी की तपस्या शायद मौत पर ही खत्म हो रही है क्योकि आप कहेंगे कि औरत उपभोग की वस्तु तो है नहीं अब इतना कुछ करके भी आपको गौरी एक वस्तु से ज्यादा कुछ लगी | ओह हो आप तो रोज शाम को मोमबत्त्ती जला कर उसे ढूंढने निकलते है पर वो नही मिल रही है तो क्या हुआ आप तो संतोषम परम सुखम को जीते है मोमबत्ती की रौशनी में रोज कोई और गौरी मरी , बलात्कार की हुई मिल जाती है तो आपको तो रोज मुद्दा मिल रहा है ना वैसे जिस गौरी के लिए आप लड़ रहे है क्या उसको अमृत पिला का जिन्दा किया जा सकता है ?????? नहीं तो किसी जिन्दा गौरी के चारों और तब तक खड़े हो जाइये जब तक वो उस शिव के पास न पहुंच जाये जिसके लिए तस्य करने वो इस दुनिया में आई है | क्या आपको शिव मिले कभी ??? गौरी की नासमझी को क्या कहे ????( व्यंग्य के अंदर के भाव को समझिए सही ही सत्य है और सत्य ही सुन्दर है ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारीतय अधिकार संगठन
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