Thursday 12 January 2012

VOTE AND VIVEKANAND'S BIRTH DAY

आज देश में युवा के प्रतीक स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन युवा दिवस के रूप में मनाया गया .............पर अगर युवा को उलट दिया जाये तो वो वायु बन जाता है .यानि वायु को संभालना कितना मुश्किल है  यह सभी जानते है और सभी यह भी जानते है कि बिना वायु के जीवन की कल्पना भी बेकार है ...तो मतलब यही हुआ ना कि बिना वायु और इसके उलटे अर्थ युवा के देश और समाज की कल्पना ही नही की जा सकती ...पर क्या भारत का युवा अपनी शक्ति को पहचान पा रहा है .उसे तो बस गुमराह किया जा रहा है .कही वो परिवार से दुखी है तो कही बाहर की दुनिया एक युवा की शक्ति को मार काट , आतंकवाद , आन्दोलन में बर्बाद करा रहा है ........युवा भी भूमंडली करण के दौर में  सारी सुख सुविधाओ का इतना लोभ हो गया है कि वो भी जल्दी से जल्दी खूब पैसा कमाने की होड़ में लग गया है ..जिसके करण वो विवेकानंद की तरह गरीबी में भी विद्द्या नही चाहता वो तो पास पैसा चाहता है .उसके पास यह कहानी सुनने की फुर्सत ही नही है ....जिस नरेन्द्र के जन्मदिन को वो युवा दिवस कहकर मना रहे है .उसे अपने घर की गरीबी को मिटने के लिए एक अदद नौकरी की जब सबसे ज्यादा जरूरत थी .और वो राम कृष्ण परमहंस से मिला तो नौकरी के बजाये ज्ञान माँगा .जबकि  परम हंस ने उन्हें तीन बार मौका दिया कि वो नौकरी मांग ले पर नरेंद्र ने ज्ञान ही माँगा और इसी लिए वह विवेकानंद बन गए ...अब अगर हमें विवेकानंद के रास्ते पर चलना ही नही तो  किसी के मरने पर मनाई गई तेरहवी की तरह हम उनका जन्मदिन क्यों मना रहे है ???????? क्या हम में ताकत है कि हम नौकरी के बजाये ज्ञान मांगे बल्कि हम कहते है कि ज्ञान का क्या फाएदा.यह घर में रोटी तो दे नही सकते ..विवेकानंद का जन्म दिन वो लोग मना कर युवा को गुमराह कर रहे है जो २४ घंटे में शायद ३० घंटे ?????? पैसा के लिए जीते है .मैंने आज यही देखा ........अगर आप पाने को युवा मानते है तो इस समय देश को ज्ञान की जरूरत है .और वो ज्ञान है मत देने का .आप देश को जगा सकते है आप आधुनिक भारत के विवेकानंद बन सकते है .....और खुद लोगो से कह सकते है कि उठो और बदल डालो इस भारत की तस्वीर अपने मतों से ......अपने को और अपने मत को सबसे महतवपूर्ण समझो .और राष्ट्र को विवेकानंद से भर डालो ..शिकागो वाले विवेकानंद बन कर हर गली मोहल्ले में खड़े होकर इन्हें इतना जाग्रत करो कि इन्हें मैथली शरण गुप्त की कविता याद आ जाये .नर हो ना निराश करो मनन को ...कुछ काम करो ...कुछ काम करो ...जग में रह कर ..कुछ नाम करो .....क्या आप अखिल भारितिये अधिकार संगठन के विवेकानंद बन कर इस राष्ट्र को दिशा दे पाएंगे ...क्या हम सिर्फ कमरे में ही विवेकानंद के जन्मदिन को  बेच कर अपने जीवन को चलते रहेंगे या फिर हर तरह के अभावो में जीने वाले विवेकानंद की तरह  आप भी पूरे विश्व को सन्देश देना चाहते है .....तो आइये अखिल भारतीय अधिकार संगठन की आवाज़ बन कर लोगो में विवेकानंद की आत्मा को जगाने का प्रयास कीजिये ताकि हम भारतीय अपने मतो का प्रयोग  जरुर करे और संसद , विधान सभा में विवेका नन्द  की छाया जन प्रतिनिधियों के रूप में दिखाई दे .पर यह होगा तभी जब आप जाति , पार्टी से ऊपर एक ईमानदार उम्मीदवार को भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अपने मत को देने के लिए अपने घर से निकालेंगे ...निकालेंगे ना ?????????????????? यही सच्चा अर्थ होगा विवेका नन्द के युवा दिवस का ..>>>>>>>>>>>>>>>>>> डॉ आलोक चान्टिया

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