मनुष्य को अपने शुक्राणु और अंडाणु का प्रबंधन करना होगा ..............मानव जाति ने अपने आनुवंशिक पदार्थो का प्रयोग प्राकृतिक संसाधनों के रूप में पाए जाने वाले पदर्थो में सब से ज्यादा अनियंत्रित रूप से किया है .......बंजर होती जमीन , कटते जंगल , दूषित होती नदिया , दूषित वायु के पीछे यही कारण प्रमुख है कि हमने अपने जन्म को धर्म से कुछ इस तरह बांध दिया कि जन्म ने पृथ्वी को स्वर्ग से ज्यादा नरक बना दिया और ये कुपोषित बच्चे उसी हमारे नरक में सजा पाने वाले मनुष्य होकर रह गए है ..............जन्म लेना नैसर्गिक है पर कुपोषण की हालत देखते हुए कृत्रिम होना चाहिए ...इसके प्रबंधन पर सबसे ज्यादा धयान दिया जाना चाहिए ........शुक्राणु प्रबंधन पर चर्चा होनी चाहिए ताकि लोग जन सके कि उनके एक कार्य से एक बच्चा दुनिया में आकर किस कदर भूखा मरता है ...और जिस दिन हम इस मुद्दे पर गंभीर हो गए पूरी दुनिया को कुपोषण मुक्त किया जा सकता है .............भारत जैसे देश में जन्म पर रोक चुनाव और मत के बीच फसी है ...तो मुस्लिम देशो में जन्म के पीछे सबसे बड़ा कारण युद्ध है ............विकशित देश ने इसको समझा और भौतिकता के अधर पर जन्म को महत्व दिया .अखिल भारतीय अधिकार संगठन इस मुद्दे पर चर्चा करके जन्म को बेवजह बढ़ने को राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र हानि के रूप में रख कर कुपोषण की समस्या ख़त्म करना चाहता है क्योकि अखिल भारतीय अधिकार संगठन को पता है कि कुपोषण के पीछे अनाज की कमी नही जन्म प्रबंधन में कमी है ....डॉ आलोक चान्टिया
jab karoge ulta hi karoge aur banoidwan.
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