आज जब मै फेस बुक को खोल देख रहा था तो मुझे यह देश कर आश्चर्य हुआ कि एक लड़की के सर नमस्कार करने पर २०४ लोगो ने उसके कहने को पसंद किया था .......४ लोगो ने शेयर किया था और ८२ लोगो ने कमेन्ट लिखा था ...पर मै जब पुरुषो के अकाउंट को देखा तो मुझे आश्चर्य हुआ कि मुश्किल से ४-५ लोगो ने कमेन्ट लिखा था जबकि सब ने काफी गंभीर बाते कि थी ........यह भी गौर करने वाली बात थी कि नमस्कार करने वाली संभ्रांत महिला को पसंद , कमेन्ट लिखने वाले ९० प्रतिशत लोग पुरुष थे ...........जब यह बत सच है तो चुनाव में ज्यादा टिकेट क्यों नही महिला को दिया जाता है ..और अगर महिला का इतना प्रभाव है तो क्यों नही महिला से ही प्रचार कराया जाता है ...............जब माहिला का ओज इतना है तो चलिए मत डालने के लिए प्रेरित करने के कर्म में मै आज आपको फिर एक कहानी सुनाता हूँ ...........रोम के एक गाँव में एक बूढी महिला रहती थी .उसके पुत्र और बहू की मृत्यु हो चुकी थी पर उसका पोता रोम में नौकरी करता था .....एक बार दादी बीमार पद गई और वो अपने पोते को देखना चाहती थी ...उन्होंने कई लोगो से कहलवाया पर पोता इतना व्यस्त था कि वो छह कर भी नही आ पा रहा था .दादी को लगा कि वह बिना पोते को देखे ही मर जाएँगी .और गाँव से १०० मील कि दूरी पर रोम था .इसी लिए बुढ़ापे में इतनी दूर का सफ़र दादी के लिए आसान नही था ...पर वह कहला कहला कर थक चुकी थी ...एक दिन उसने निश्चित किया कि वो खुद रोम जाकर मिलेगी .और बस दादी चल पड़ी रोम के लिए ...जब वो अपने पोते के पास पहुची तो पोते के तोते उड़ गए कि दादी इतनी दूर पैदल चल कर इतनी उम्र में आई है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! उसने आश्चर्य से पूछा दादी आखिर तुम इतनी दूर इतनी उम्र में चल कैसे पाई......दादी हसी .बोली सही कहते हो बेटा १०० मील ८० साल में चलना आसान ही नही था और मै तो मर ही जाती पर मैंने यह सोचा कि मै यह सोचू ही क्यू कि मुझे इतनी दूर जाना है ..बस मै एक कदम चलती और सोचती कि मै एक कदम चल कर आई हु और अभी बस एक कदम ही चलना है ..बस मेरे ध्यान में सरे रस्ते एक कदम का सवाल रहा और मै जान ही नही पाई कि कब तुम्हरे पास पहुच गई ......इस कहानी में महिला फिर जता गई कि वो बेहतर सोचती है ..इसी लिए महिला की इस कहानी को चुनाव में उतर कर देखिये और आप जान जायेंगे कि आपको हजारो लाखो नही सिर्फ एक मत देना है और एक मत लाना है बस खुद वो लाख हो जायेंगे .......तो फिर अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस प्रयास का एक हिस्सा बन कर आप भी गाँव तक , रोम तक झा चाहे पहुच जाये झा आपको पहुचना आज असंभव लगता हो ..क्या अखिल भारतीय अधिकार संगठन का महिला का उदहारण इस चुनाव में मत की संख्या बढ़ने के लिए प्रासंगिक नही है ?????????अगर है तो ८० साल की महिला से प्रेरणा लेकर अपने एक मत से देश को बदल डालिए .......आइये हम भी घर से एक कदम निकाले..........डॉ आलोक चान्टिया
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