यह शोधो से प्रमाणित हो चुका है कि एक व्यक्ति की दृष्टि सही तरह से एक समय में ज्यादा से ज्यादा चार लोगो का अवलोकन कर सकता है .यानि उसके बाद उसकी सीमा समाप्त हो जाती है ..यही कारण है कि हम आंखे बन कर मीडिया हमारे साथ है जो तकनिकी भगवन बन कर दुनिया के लोगो को एक साथ एक ही समय में सरे समाज की कहानी सुना डालता है ......अब यह सोचने वाली बात है कि जब तकनीकी बागवान के अलवा सच जानने का हमारे पास कोई और बेहतर विकल्प नही है तो जो मीडिया कह देगा वही ज्यादातर दुनिया सच मान लेती है .....और यही कारण है कि कार्य पालिका , न्याय पालिका और विधायिका जैसे तीन स्तंभों को भी दिशा देने और उन्हें उनके दायित्वों का बोध करने के लिए मीडिया चौथे स्तम्भ के रूप में कुछ इस तरह उभरा कि उसी स्तम्भ के सहारे देश के ज्यादा तर लोग दुनिया को देखने के लिए कमरों में कैद हो गए .....लेकिन मीडिया ने एक व्यवहारिक मीडिया की तरह ज्यादातर समय सर्कार को आइना दिखाने के लिए संजय की भूमिका को निभाने की कोशिश की जिसकी जरूरत अब ज्यादा है जब देश में चुनाव हो रहे है ................सरकार धर्तराष्ट्र की तरह जीने वाली है और उसको इस बात से ज्यादा प्रेम है की कौरव रूपी विशाल जनसँख्या कैसे उसकी होकर रह जाये .पर संजय के रूप मीडिया का योगदान इतना गंभीर हो जाता है कि वो चाहे तो दुनिया को असली युद्ध की कहानी दिखा सकता है ...........सिर्फ और सिर्फ मीडिया के ही कारण अन्ना का आन्दोलन जनता का आन्दोलन बन गया ...अरुशी हत्या का मामला दब नही सका , ...राष्ट्र मंडल खेलो में हुई धांधली ...........२ जी स्पेक्ट्रुम का काला चेहरा ............सब कुछ जनता इसी लिए जान सकी क्योकि मीडिया ने अपना चतुर्भुज रूप दिखाया ............पर आज सब से ज्यादा जरुरी यह हो गया है कि मीडिया का प्रत्येक अंग जनता को इस बात के लिए प्रेरित करे कि मत का मतलब क्या है ??????????जैसे धन का सम्बन्ध मंदी से है वैसे ही मत का सम्बन्ध देश के वास्तविक विकास से है ..और वो तभी हो सकता है जब एक भारतीय यह सोच कर घर से निकल पड़े कि मेरे मत से ही तो इस देश का निर्माण हो रहा है .....क्या हम मीडिया को इस रूप में नही ला सकते ???????????? अगर हा तो अन्ना के आन्दोलन की तरह ही इस मुहीम को भी ऐसा रंग चढ़ा दीजिये कि भारत का रहने वाले यह सोच कर ही घर से ही निकल पड़े कि जब वोट डाला ही नही तो भी मेरा इस देश में रहने और इस देश से कुछ उम्मीद करने का कोई हक़ ही नही है .............क्या अखिल भारितिये अधिकार संगठन का यह प्रयास आपको उचित लगता है !!!!!!!!!!!!!!! तो फिर अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ मिलकर इस बार मतक्रांति के नायक बनिए और देश की दिशा बदल दीजिये सिर्फ अपने एक वोट से जो पके अंदर या तो सड़ रहा है या फिर कुछ ऐसे लोग ठग ले जाते है जिन्हें आपके कस्तूरी रूपी मत की अहमियत पता है ...तो क्यों न आप इस बार आप उसे ऐसे लोगो को दे जो आपके मत से देश को सही विकास की दिशा दे सकते है .............आप करेंगे ना ......डॉ आलोक चान्टिया
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