Wednesday, 2 November 2011

आवश्यकता है जुझारू, कर्मठ, ईमानदार शिक्षकों की

उच्च शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार, विशेषकर छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के सन्दर्भ में, को जग जाहिर करने के लिए, सुषुप्त , स्वकेंद्रित समाज में जाग्रति उत्पन्न करने के लिए डॉ. विश्नोई के प्रयास सराहनीय हैं. जल में रहते हुए मगर से बैर करना बहुत ही साहस का कार्य है, जो डॉ. विश्नोई नें किया है. शिक्षक समाज का एक वर्ग, जो कि इन सारी भ्रष्ट परम्पराओं को किसी न किसी रूप में संरक्षण में सहयोग कर कर रहा है के समस्त शिक्षकों द्वारा सामूहिक विरोध की आवश्यकता है. अगर विश्नोई जैसे मात्र लगभग ५० शिक्षक संगठित होकर पूरे जोश के साथ इस बुराई से लड़ने के लिए कमर कस लें तो बहुत जल्द ही इसका अंत हो सकता है. ऐसा शीघ्र होगा ,ऐसा मेरा विश्वास है.

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