किसान ............................या किस ........आन
सारे किसान फसल बर्बाद होने के कारण आत्महत्या नहीं कर रहे है वो तो परिवार का आकर बड़ा होने के कारण आत्महत्या कर रहे है !!!!!!!! जी आप ठीक समझे ये मैं नही सरकारी विश्लेषण बता रहे है और देश इस बात पर क्यों दुखी हो या किसानो के लिए कोई बड़ी योजना क्यों चलाये ?? कम से कम किसान ही देश के लिए रोटी के लिए भी सोचते है और बढती जनसँख्या के लिए भी सोचते है ( सरकार के पास तो विदेश जाने से ही नहीं फुर्सत है खैर जिसने गरीबी देखी है वो देश में पैसा लाने के लिए दौड़ेगा ही ) और तो बेचारे किसान कुछ कर नही सकते , इस लिए आत्महत्या ही करके देश के लिए रोटी बचा रहे है ( जिन्दा रह कर तो खुद रोटी को तरस जाते है ) वैसे देश को ऐसे किसानो को राष्ट्रीय पुरूस्कार देना चाहिए जो कम से कम जान देकर देश में अन्न की कमी को कम करना चाहते है | देखिये मैं नहीं कह रहा हूँ ये तो देश का प्रधान सेवक कह रहा है कि किसान अन्नदाता है पर मैंने कब कहा वो गुलाम है !!! आरे वो देश की मज़बूरी है कि आज तक किसान देश की जेलों में बंद कैदियों के बराबर भी अपने घर में बल्ब की रौशनी नहीं पाता है |अब आप उसको गुलाम कहना चाहते है तो कहिये | अगर देश के जेलों में बंद कैदियों को डॉक्टर और सरकारी नल का पानी मिलता है तो वो अपराध भी तो करते है बेचारे किसान ने कौन सा अपराध किया जो सरकार उसको सरकारी नल का पानी और डॉक्टर उपलब्ध कराये | सड़क पर किसान चलेगा तो नखरे नहीं करने लगेगा गीले खेतों में बीज बोने से उसके पावों में कीचड़ लग जाने पर उसे भी तो शहर वालों की तरह घिन आने लगेगी | वो तो भगवन है उसको तो कोढ़ जैसे भिनभिनाते जीवन में भी अनुराग ढूँढना है | और इसी लिए तो किसान के पास अच्छी सड़क नहीं है | अब आप बताइए आप को नींद कब आएगी जब आपका पेट भरा हो और हमारे देश में तो कहा भी गया है कि भूखे पेट न भजन गोपाला............ अब शहर वालों , संसद विधान सभा में बैठे लोगो का पेट भरा नही होगा तो देश के विकास के लिए सोचेंगे कैसे | और भूखे पेट अगर इन महान लोगो को नींद नही आई तो देश को उच्चा उठाने के लिए काम कौन करेगा ??? इसी लिए तो किसान को भूखा पेट सोना पड़ता है ताकि उसको नींद ना आये और जब आप सुबह की उन्माद में किसी सपने में डूबे हो तो उस समय यही किसान आपके लिए खेतों में अन्न उगा रहा हो पर क्या मेरी मजाल तो आज प्रजातंत्र में किसान को आप गुलाम कह दे | ये तो सिर्फ देश की मज़बूरी है कि देश के किसान को पानी बिजली के बिना सड़क के बिना अच्छे स्वस्थ्य के बिना और भूखे रहते हुए पथरायी आँखों से संसंद में बैठने वाले जे ज्यादा आसमान में चल रही संसद से कहना पड़ता है कि इस बार तो पूरा खाना दे दो भगवन .............इस बार तो मैं भी अपने तन को पूरा ढक लूँ भगवन .........मेरी भी बेटी के हाथ पीले हो जाये .............हम तो गीता पढने वाले लोग है जो आया है वो जायेगा तो क्यों करे किसान के मरने पर शोक ( क्या किसी दिन आपने देश के किसान के ५ मिनट भी सोचा ) आप को तो लगेगा लिख डाला फिर ना जाने क्या क्या ......................पर गावं का रहने वाला वो आदमी किस .............आन से कहे किसान ....खुद को ...................... आपने किस आन( किसान ) को पाया उस गावं के आदमी में !!!!!!!!!!!!!!!! क्या आप आदमी है !!!!!!!!!!!!!!!! तो वो किसान !!!!!!!!!!!व्यंग्य समझ कर देश के दर्द को पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपको सिर्फ विचार दे सकता है आगे आप स्वयं देश के निर्माता है डॉ आलोक चान्टिया
सारे किसान फसल बर्बाद होने के कारण आत्महत्या नहीं कर रहे है वो तो परिवार का आकर बड़ा होने के कारण आत्महत्या कर रहे है !!!!!!!! जी आप ठीक समझे ये मैं नही सरकारी विश्लेषण बता रहे है और देश इस बात पर क्यों दुखी हो या किसानो के लिए कोई बड़ी योजना क्यों चलाये ?? कम से कम किसान ही देश के लिए रोटी के लिए भी सोचते है और बढती जनसँख्या के लिए भी सोचते है ( सरकार के पास तो विदेश जाने से ही नहीं फुर्सत है खैर जिसने गरीबी देखी है वो देश में पैसा लाने के लिए दौड़ेगा ही ) और तो बेचारे किसान कुछ कर नही सकते , इस लिए आत्महत्या ही करके देश के लिए रोटी बचा रहे है ( जिन्दा रह कर तो खुद रोटी को तरस जाते है ) वैसे देश को ऐसे किसानो को राष्ट्रीय पुरूस्कार देना चाहिए जो कम से कम जान देकर देश में अन्न की कमी को कम करना चाहते है | देखिये मैं नहीं कह रहा हूँ ये तो देश का प्रधान सेवक कह रहा है कि किसान अन्नदाता है पर मैंने कब कहा वो गुलाम है !!! आरे वो देश की मज़बूरी है कि आज तक किसान देश की जेलों में बंद कैदियों के बराबर भी अपने घर में बल्ब की रौशनी नहीं पाता है |अब आप उसको गुलाम कहना चाहते है तो कहिये | अगर देश के जेलों में बंद कैदियों को डॉक्टर और सरकारी नल का पानी मिलता है तो वो अपराध भी तो करते है बेचारे किसान ने कौन सा अपराध किया जो सरकार उसको सरकारी नल का पानी और डॉक्टर उपलब्ध कराये | सड़क पर किसान चलेगा तो नखरे नहीं करने लगेगा गीले खेतों में बीज बोने से उसके पावों में कीचड़ लग जाने पर उसे भी तो शहर वालों की तरह घिन आने लगेगी | वो तो भगवन है उसको तो कोढ़ जैसे भिनभिनाते जीवन में भी अनुराग ढूँढना है | और इसी लिए तो किसान के पास अच्छी सड़क नहीं है | अब आप बताइए आप को नींद कब आएगी जब आपका पेट भरा हो और हमारे देश में तो कहा भी गया है कि भूखे पेट न भजन गोपाला............ अब शहर वालों , संसद विधान सभा में बैठे लोगो का पेट भरा नही होगा तो देश के विकास के लिए सोचेंगे कैसे | और भूखे पेट अगर इन महान लोगो को नींद नही आई तो देश को उच्चा उठाने के लिए काम कौन करेगा ??? इसी लिए तो किसान को भूखा पेट सोना पड़ता है ताकि उसको नींद ना आये और जब आप सुबह की उन्माद में किसी सपने में डूबे हो तो उस समय यही किसान आपके लिए खेतों में अन्न उगा रहा हो पर क्या मेरी मजाल तो आज प्रजातंत्र में किसान को आप गुलाम कह दे | ये तो सिर्फ देश की मज़बूरी है कि देश के किसान को पानी बिजली के बिना सड़क के बिना अच्छे स्वस्थ्य के बिना और भूखे रहते हुए पथरायी आँखों से संसंद में बैठने वाले जे ज्यादा आसमान में चल रही संसद से कहना पड़ता है कि इस बार तो पूरा खाना दे दो भगवन .............इस बार तो मैं भी अपने तन को पूरा ढक लूँ भगवन .........मेरी भी बेटी के हाथ पीले हो जाये .............हम तो गीता पढने वाले लोग है जो आया है वो जायेगा तो क्यों करे किसान के मरने पर शोक ( क्या किसी दिन आपने देश के किसान के ५ मिनट भी सोचा ) आप को तो लगेगा लिख डाला फिर ना जाने क्या क्या ......................पर गावं का रहने वाला वो आदमी किस .............आन से कहे किसान ....खुद को ...................... आपने किस आन( किसान ) को पाया उस गावं के आदमी में !!!!!!!!!!!!!!!! क्या आप आदमी है !!!!!!!!!!!!!!!! तो वो किसान !!!!!!!!!!!व्यंग्य समझ कर देश के दर्द को पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपको सिर्फ विचार दे सकता है आगे आप स्वयं देश के निर्माता है डॉ आलोक चान्टिया
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