Sunday, 12 August 2012

adhikar kab milega

मेरी मौत के बाद जब खाना मिलेगा ,
कोई भूखा हो उसका ओठ खिलेगा ,
जिन्दा में मैं खुद ठोकर खाता रहा ,
मरने पर कोई चार कंधे पर चलेगा ,
भगवान के नाम पर  नंगे को देखो ,
छाती की हड्डी देख दिल तक हिलेगा ,
भगवान की मर्जी का कैसा ये खेल ,
बंद दरवाजे का राज कब तक खुलेगा ,
किसी तरह जी ले पशु से इतर हम ,
ये अधिकार हमको कब तक मिलेगा |....................हम सब भगवान पर इतना भरोसा करते है कि मनुष्य होकर भी हम पशु की तरह मर जाते है .पर हम कहा यह समझ पाते हैं कि मानव के उन रूपों का भगवान क्यों साथ दे रहा है जो रावन है .क्या आपको अपने अधिकार के लिए नही लड़ना चाहिए ,डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संतान ,

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