अन्ना ने मानी आलोक चान्टिया की बात और कचुमारी देवी हुई प्रसन्न ....................लोग फर्जी चिल्ला रहे हैं कि अन्ना ने राजनितिक पार्टी बनाने की बात करके अच्छा किया या नही .................अरे भाई अन्ना को क्यों सलाह दे रहे हो ................सांगत से फल उपजे , संगत से फल जाये ......जब एकसाल से देश के बड़े बड़े नेताओ के साथ बात कर रहे है तो प्यार तो होना ही था .................हा हा चन्दन विष व्यापत रहे लपते रहत भुजंग ..............क्यों क्या अब अन्ना चन्दन नही रह गए ..................खैर चन्दन इतना महंगा है कि ज्यादातर लोग खरीद ही नही सकते .................और कोई खरीद न पाए तो गरीब ही हुआ ना .................अब आप सोचिये कि क्या अन्ना आपको गरीब समझ रहे है ..............न न यह पाप अन्ना कर ही नही सकते .......क्योकि सड़क के किनारे लगे पेड़ तो सरकारी होते है और उनको कोई क्षति पहुचाये वह तो सजा योग्य है और देश के गरीब तो सडको पर सोते हैं ....पेड़ो की तरह अँधेरे में रहते है ........तो हुए न सरकारी ......अब आप बताइए अन्ना की क्या मजाल जो इन सरकारी लोगो को नुकसान पहुचाये ................और इसी लिए सरकार इन लोगो को फटेहाल रखती है ...आखिर सरकार के सरकारी लोग नही होंगे तो काम कैसे चलेगा ...............और इन्ही सरकारी लोगो को सरकार सस्ते में सब देती है और सरकारी लोग मत देते है .........अब आप बताइए अपने शोध कार्य में जैसे अन्ना को यह समझ में आया कि इस देश में सरकारी लोग नेतागिरी के लिए जरुरी है बस उन्होंने तये कर लय कि भ्रष्टाचार मिटने से कुछ नही होगा बल्कि उसके साथ जीने से ही ख़त्म होगा .............और सही भी है ...नाली के गंदे पानी में साफ़ पानी मिलाने पर ही सफाई होती है ...और अन्ना तो नाली में मिलाये जाने वाले पानी कि तरह है ही साफ़ पारदर्शी ..............और आप भी तो कहते है कि जस जेके महतारी बाप तस तैके लड़का .................और हमार महतारी ....अरे यही अपनी भारत अम्मा ...भ्रष्टाचार की साड़ी में ऐसी लिपटी है कि उनकी संतनको तो ऐसा ही होना है ...अब आप बताइए अन्ना क्या नही चाहते कि कोई उनको भारत माँ की संतान ना समझे ........वो कोई इटली से आये है जो देश के अतिथि बन कर राज कर लेंगे ..................मई तो कहता हूँ कि देश की आबादी एक अरब ३० करोड़ है और कितना मजा आएगा जब इतनी पार्टिया बन जाये ...हुआ ना विश्व कीर्तिमान ... और मुफ्त में गिनीज बुक में नाम अलग से ......आप यही कह रहे है ना एक मेडल तक तो ला नही पाते ओलंपिक में देश के लिए ....तो मुझसे क्या कह रहे है सरकार से कहिये कि इन देश के गैर सरकारी लोगो पर जितना पैसा खर्च करते हो उतना पैसा लगा कर न जाने कितने गोल्ड मेडल बनवा कर ऐसे बाँट दो ...कम से कम उनके घर में कुछ तो दिखाने को रहेगा ..............खैर अन्ना जी आप ने पार्टी ???????????????? जी जी रोजा अफ्तार पार्टी नही ...........न न पार्टी मतलब खाना पीने वाली पार्टी ...खैर यह टीस देश में पार्टी का मतलब यही है ......चलिए वही सही मेरा कहने का मतलब है कि खाने पीने के लिए जो भी पार्टी बन रही है ........उसके लिए आप पूरे देश को दावत तो दे दीजिये ...............महंगाई के ज़माने में वैसे लोग तेरहवी का खाना खाने पूरे परिवार के साथ आ जाते है ...............आप न भी बुलाये तो सब आ जायेंगे ...आखिर हम सब एक ही देश के है और काले है तो क्या हुआ दिल वाले है ............देखिएगा यह देश जगतगुरु रहा है .....आपके साथ पूरे चुनाव में रहेंगे ..और आपको लगेगा कि बस अब प्रधान मंत्री आप ही ...................और जब मत का बक्सा खुलेगा .................तो चार मत मिलते है ...........यह के लोग कथनी करनी के बेहतरीन उदहारण है .............आप तो ऐसे मुझे देख रहे है जैसे मै कुछ गलत कह गया ........५००० अंग्रेजो से पूछ लीजिये .................इस देश के लोगो ने भारत में रह कर साथ उनका दिया .......आखिर हम अतिथि देवो भाव की बीमारी से ग्रसित है ................जी जी आप इस दवा की कुछ गोलिया खा कर ही सोइयेगा ...............वरना ...................अन्ना पार्टी जिन्दा बाद ..........एक तो करेला ऊपर नीम चढ़ा ...............गलती क्षमा ........चोर चोर मौसेरे भाई ?????????????? लागा चुनरी में दाग ..नही नही .......नाच न आवे आंगन टेढ़ा ..................चलिए आप ही अपने बारे में कुछ बता दीजिये .............क्या क्या .......बिना मरे स्वर्ग नही मिलता ................स्वर्ग ??????????????/ डॉ आलोक चान्टिया
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