हर व्यक्ति, जिसकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो चुकी हो, तीन चीजों की महत्वाकांक्षा अवश्य रखता है--धन, पद और यश। इन तीनो को पाने के अच्छे व् बुरे दोनों मार्ग हैं एवं किस मार्ग से एवं किस परिमाण में यह तीनो पाये जांय जिससे कि व्यक्ति संतुष्टि एवं सुख का अनुभव करे , इसका मापन व्यक्ति स्वयं करता है। अगर सन्मार्ग से ये प्राप्त किये जाते हैं तो समाज में व्यक्ति ऊपर उठ जाता है, अगर इन्हे कुमार्ग से प्राप्त किया जाय तो व्यक्ति समाज में ऊपर नहीं उठ पाता।
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