Thursday, 22 May 2014

जिंदगी

ये धूप सी फैली जिंदगी ,
काश समेट लेता आँखों में ,
शायद अपनी बाँहों में ,
दुनिया को देखने की आरजू ,
हर आँखों में उम्र भर जैसे ,
क्या है इन सांसो की राहों में ,
सब ने एक टुकड़ा थाम लिया .
अपना समय काटने के लिए ,
मैं क्यों इतना बेचैन सा रहा ,
क्या यहाँ कुछ पाने के लिए,
निकल लो तुम भी कभी ,
मुझे एक दिन पागल कह कर
जिंदगी कही तुम उबी तो नहीं ,
मुझे ही आज मौत कह कर,
जिंदगी एक बार धूप सी आओ ,
मुझे नही सबको भिगो जाओ ,
आँखों के अँधेरे  में डूबे सपने ,
कभी तो आलोक में दिखाओ

..................जिंदगी को हर पल महसूस कीजिये क्योकि यही एक ऐसी धरोहर है जो आपके पास कब तक है आप बता नहीं सकते ये जिंदगी लक्ष्मी से भी ज्यादा चंचल है


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