Monday, 23 March 2015

भगत सिंह .................भुगत सिंह

भगत सिंह .......................भुगत सिंह
छाती ५६ इंच की हो जाती है आपकी और हो भी क्यों ना आखिर आपके देश में ही तो भगत सिंह हुए थे ना !!!!!क्या नहीं जानते भगत सिंह को ??????????/अरे वही वाले भगत सिंह जिनके पिता ने उनसे पूछा कि भगत खेत में क्या बो रहे हो जमीन को खोद रहे भगत बोले पिता जी बंदूक बो रहा हूँ और एक दिन उनकी बंदूक जमीन से निकली भी और देखते देखते अंग्रेज की तबियत नरम हो गयी पर भैया भला हो गांधी जी का जिनको ये खून खराबा बिलकुल पसंद नहीं था और उनको पता था कि अंग्रेज अंहिसा प्रेमी है उनको भी गोला बारी प्रिये नहीं ( अब ये ना कहियेगा कि मैं इतिहास नहीं जानता भला कभी अंग्रेजो ने कोई गोली चलायी वो तो उन्होंने सिर्फ तफ़रीह में अनेको क्रांतिकारियों को मार डाला आखिर अंहिसा वाले को भी तो मारने का मजा मिलना चाहिए ) बस फिर क्या था गांधी जी भी हो गए भगत के विरोधी और जो व्यक्ति १९१० में पैदा हुआ उसका अंग्रेजो ने १९३१ में फांसी दे दी वो भी रात में क्योकि जैसे ही देश के लोगो ने सुना ( अरे भैया गांधी की नेहरू की बात नही कर रहा मैं तो देश वासियों की बात कर रहा हूँ ) वो सब जेल के दरवाजे पर इकठ्ठे हो गए और बवाल के डर अंग्रेजो ने भगत सिंह को रात में ही फांसी दे दी | वैसे गांधी जी चाहते तो भगत सिंह छूट सकते थे ( भैया मैं नहीं इतिहास कार लिख गए है ) पर भला गांधी जी ये कैसे बर्दाश्त कर लेते कि अतिथि देवो भाव वाले देश में कोई भारतीय अंग्रेजो को आँख उठा कर देख ले या मार दे | गांधी के लिए देश बड़ा व्यक्ति नहीं था और तब तो बिलकुल नहीं जब विदेशी का अपमान हो उसे मार जाये आखिर गांधी उसी अंग्रेज के देश में वकालत पढ़ कर आये थे तो क्या उनका इतना भी फर्ज नहीं बनता कि वो भगत सिंह की फांसी को सही ठहराए | गांधी के लिए अपने देश ( पता नहीं क्या फिर भी पाकिस्तान बनवा गए ) और देश में अतिथि ( अंग्रेज जैसे लुटेरों ) से ऊँचा कुछ नहीं था और यही बात देश के भगत सिंह नहीं समझ पाये और देखते देखते भुगत गए .....अब ना कहियेगा कि भगत सिंह को भुगत सिंह क्या कहना चाहिए ( व्यंग्य के अर्थ को समझे , अखिल भारतीय अधिकार संगठन ऐसे महान सपूत को नमन करता है ) डॉ आलोक चान्टिया

Sunday, 22 March 2015

स्वस्थ जीवन का अधिकार

अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपके स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील है ........
आपके शरीर में और कोई भी समस्या हो जाये उससे व्यक्ति तुरंत मर नही जाता पर आज कल साइलेंट हार्ट अटैक का जमाना आ गया है और आप जान ही नहीं पाते कि आपको हार्ट  की कोई समस्या हो गयी है ..व्यक्ति हर समय मेडिकल डॉक्टर के पास समय से पहुंच सके जरुरी नहीं तो एक सामान्य आदमी क्या कर सकता है ........
हफ्ते में एक बार अपने पल्स रेट को नापिये| बायें हाथ में कलाई के पास आपको आगे की तरफ पल्स का अनुभव होता है अब आप घडी लगा कर एक मिनट में पल्स नापिये अगर पल्स ६० से नीचे आये तो और अगर पल्स १२० से ज्यादा आये तो समझ लीजिये आपको दिल की समस्या हो सकती है और आप तुरंत सतर्क हो जाइये ......क्या आप अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए इतना करेंगे आज से ..............अखिल भारतीय आपके स्वस्थ जीवन की कामना करता है

Friday, 20 March 2015

how to save tax?????????????

Why you should collect that 1 rupee change from the supermarket.
Suppose 500 people visit bigbazaar daily. No one collects change.
500×1= rs500.
For 365 days, 500×365 = rs 1,82,500
This is from ONE bigbazaar MARKET.

There are 1500 bigbazaar markets in the country.
rs 1,82,500×1500 = rs 273,750,000
27crore per year.
& the worst part about this is, IT'S NOT EVEN TAXABLE because the bill doesn't count the one rupee, remember?
Now you know why they always put price tags like 49/- 99/- 999/- only?
Please forward this information

Saturday, 14 March 2015

सैनिको की गरिमा की बात न करना यहाँ!!!!!!!!!

भारतीय सैनिक पाक सैनिक के जूते जोड़ते है ???????????
कितना अजीब लगा होगा आपको और लगे भी क्यों ना आप तो सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं | आपके देश के सैनिको के सर काट कर भेजे जा सकते है लेकिन आपको पाक सैनिक के फटे जूते तक का इतना दर्द है कि आप भारतीय सैनिक होकर भी उसके जूते जोड़ने में जुट जाते है | खैर आप मुझे दिल भर कर गालियां दीजिये और पाइए तो गोली से उदा दीजिये कि मेरी हिम्म्मत कैसी हुई देश के सैनिको के लिए इतनी घाटियां बात कहने की क्योकि विश्व के सबसे ज्यादा सूरदास ( अगर अँधा कह दूंगा  तो देश की संस्कृति में दाग लग जायेगा) पर मेरे नयन तारों हमेशा टी वी से चिपके रहने वालों कभी तो पीडी लाइट  लोशन का विज्ञापन देख लो जिसमे बाघा बॉर्डर पर दरवाजा खुलने के दृश्य को दिखाया गया और परम्परागत तरीके से प्रतीकात्मक रूप से भारत और पाक के सैनिक अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते है और तभी भारतीय सैनिक को पाक सैनिक का फता जूता दिखाइए देता है ( आखिर हमारी बुआई देखने की आदत है कोई ऐसे तो जाएगी नही ) और भारतीय सैनिक का दर्द उमड़ पड़ता है और वो अपनी जेब से पिली लाइट लोशन निकल का पाक सैनिक के जूते का सोल जोड़ देता है ( आखिर भारतीय को यही पता की जेब में और कुछ हो ना हो पर जूता जाोड़ने का लोशन जरूर होना चाहिए इस से ज्यादा और भारतीय सैनिक को दिखाया भी क्या जा सकता था ) और वो पाक सैनिक खुश होकर वापस लौट जाता है और फिर पीडी लाइट का नारा उभरता है तोड़ो नही जोड़ो .......खैर आपको इस तरह के विज्ञापन में ना तो भारतीय सैनिको का अपमान दिखाई दिया होगा और ना ही ये कि भारतीय सैनिको को किस काम के लायक दिखाया गया है आखिर अपमान को पी कर ही हम महान बन सकते है | और वैसे भी हमारे देश केलोगों कितने उदार है ये भी तो दिखाना है ( आखिर क्या मजाल पीडी लाइट की जो वो पाक सैनिक को भारतीय सैनिक का जूता जोड़ते  हुए दिखा देती क्या उस कंपनी को चलना है कि नहीं ) वैसे भी इस देश कि सरकार के पास कहा वक्त कि वो देखे कि किसी तरह एक मामूली कंपनी देश के सैनिको की गरिमा को बेच का अपना उत्पाद बेच रही है | अगर आपको इस विज्ञापन में सब सही लगे तो कृपया इस पोस्ट को शेयर न करे और अगर लगे कि सैनिक से ही मुह से शब्द हमारे निकल पते है तो शेयर कर लीजियेगा इसे किसी व्यक्ति की पोस्ट समझने के बजाये राष्ट्र के सैनिको के सम्मन में किया गया कार्य समझ कर इतना कर दीजियेगा ! क्या आप क्यों करे .चलिए आप ही तो देश के आर्थिक विकास को सोचते है .आखिर सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा !!!!!!!!! है ना जोड़ते रहिये यूँ ही ( अगर मेरी ये पोस्ट देश के बड़े राज नेताओ और सेना के लोगो तक पहुंचे तो ऐसी कंपनी के विरुद्ध कार्यवाही जरूर की जाए जो देश के सैनिक की गरिमा को गिराने वाला विज्ञापन बनाते है और ऐसा विज्ञापन तुरंत बंद किया जाये ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 11 March 2015

भारतीय पुरुष जानवर है ??????????

विदेशी महिला सिर्फ एक मतलब  जानती है औरत होने का !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मैंने मान लिया कि हमने भारत को माँ ( महिला ) कह कर विदेशियों से खूब लुटने दिया लेकिन भैया किसी विदेशी महिला को कोई भारतीय तो लूटने नहीं गया ना ...हा हा अब आप क्यों मैंने लगी क्योकि आप तो इंडियन डॉटर बना कर दुनिया को दिखा रही है कि कितनी असुरक्षित है लड़की भारत में !! ऊपर से तुर्रा ये कि जिन विदेशी महिला ने ये डाक्यूमेंट्री बनायीं वो घर से निकलने के बाद अपने को भारत की सड़कों पर इतना असुरक्षित महसूस करती थी कि जब तक शाम को लौट कर अपने कमरे पर नही आ जाती थी तब तक उनको लगता था उनके साथ कुछ हो ना जाये !! नही हुआ ना तो आप खुद मानती है कि आप झूठ भी बोल लेती है और आप अपने देश ( जहा से आई ) वह सुबह से शाम बलात्कार के डर से जीती है ( मैं नहीं कह रहा ( अमेरिका , इंग्लॅण्ड ऑस्ट्रेलिया मव बलात्कार सबसे ज्यादा होते है ) यही नही सूप बोले सूप बोले चलनी भी बोलने लगी जर्मनी की एक महिला वैज्ञानिक ने किसी भारतीय पुरुष को अपना इंटर्नशिप बनाने से इंकार कर दिया .........ये दोनों बिलकुल सही कह रही है कि इनको भारतीय पुरुषों से डरना ही चाहिए क्योकि ये सच में क्या है वो पता चल जायेगा ...क्या आप मुझे कह रही हूँ कि मैं झूठ बोल रहा हूँ ......क्यों १८९३ में उस भारतीय पुरुष को भूल गयी जिसके शिकागो के कमरे में एक विदेशी लड़की आपत्ति जनक स्थिति में पहुंच कर वो करना चाहती है जिसे आप आज कल नारी की स्वतंत्रता कहने लगी है | अपने सामने एक प्राकृतिक अवस्था में विदेशी लड़की को देख का और उसके प्रस्ताव को सुन कर भी उस भारतीय पुरुष ने कहा कि बहन का स्वागत है और वो महिला लज्जित हो गयी और मार्गेट नोबल नाम की वो महिला बाद में भगिनी निवेदिता कहलायी ........क्या विवेका नन्द की कहानी आपको याद नही खैर क्यों याद रखेंगी विदेशी महिला क्योकि आपको भारतीय पुरुष बस एक ही प्रतिबिम्ब में दिखयी देते है और आपको ये बर्दाश्त नही कि भारतीय पुरुष आपको सिर्फ देह से नही बहन कह कर जोड़े | अब आपकी पोल न खुल जाये तो आप को भारत की सड़को पर डर तो लगेगा ही आखिर आप पाने देश का क्या चहरित्र दुनिया को बताएंगी कि हम विदेश महिला शरीर की भूख मिटने के लिए सामने आये भी तो भारतीय बहन कह कर स्वागत करते है | काश आप झूठ की पाठशाला से ना अति पर क्यों ना आये आखिर आपको निर्भया कांड पर दुनिया में वह वही जो लूटनी है ........लूटिये लूटिये आपको लूटने लुटाने के अलावा आता भी क्या है ?????इस व्यंग्य को ढंग से पढ़ कर शेयर करिये क्योकि ये हर भारतीय पुरुष पर तमाचा है जो एक विदेशी महिला ने निर्भया कांड में अपने बयां से हम पर मारा है ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

खग जाने खगही की भाषा

खग जाने खगही की भाषा ........
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश मार्कण्डेय काटजू जी ने महात्मा गांधी को अंग्रेजो का एजेंट कहा और उनके विरद्ध राज्य सभा में निंदा प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हो गया | अब आदमी कहता वही है जो वो खुद देखता है या सोचता है | कहा भी गया है कि जो जैसा सोचता है वो वैसा ही बन जाता है तो इतनी हाय तौबा क्या | वो जो कह रहे है उसने उनका क्या दोष ? न्याय व्यवस्था में आशय पर जोर दिया जाता है आप भी उनके आशय को समझिए और हम समझ रहे है कि काटजू जी कि आप एजेंट का मतलब समझ ते है आखिर खग जाने खगही की भाषा ............( इस व्यंग्य को ज्यादा खुल कर समझिए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन