Wednesday 11 March 2015

खग जाने खगही की भाषा

खग जाने खगही की भाषा ........
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश मार्कण्डेय काटजू जी ने महात्मा गांधी को अंग्रेजो का एजेंट कहा और उनके विरद्ध राज्य सभा में निंदा प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हो गया | अब आदमी कहता वही है जो वो खुद देखता है या सोचता है | कहा भी गया है कि जो जैसा सोचता है वो वैसा ही बन जाता है तो इतनी हाय तौबा क्या | वो जो कह रहे है उसने उनका क्या दोष ? न्याय व्यवस्था में आशय पर जोर दिया जाता है आप भी उनके आशय को समझिए और हम समझ रहे है कि काटजू जी कि आप एजेंट का मतलब समझ ते है आखिर खग जाने खगही की भाषा ............( इस व्यंग्य को ज्यादा खुल कर समझिए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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