Saturday, 20 July 2013

तिमिर से जीवन बनता है

भोर तिमिर की आशा से ही आता है ......
किलकारी गर्भ का तम हमे सुनाता है .....
पश्चिम में डूबा सूरज पूरब की खातिर ....
तारों को तब  जीवन जीना आता है
जीवन के अंदर धुन मौत की बजती है .....
आंसू में सूरत किसी की ही सजती है  ......
जब भी न रहे आलोक जीवन में तेरे  ......
मान लेना अंधेरो में जिन्दगी बनती है ......... जीवन में आअने वाले हर विपरीत परिश्थिति को अगर आप अपनी तरह नहो मोड़ पा रहे है तो आप को अभी मानव बनने में और समय चाहिए .................मुकाबला करना ही मानव की फितरत है .शुभ रात्रि


No comments:

Post a Comment