Tuesday, 30 July 2013

कौन दिल में रहने लगा है ????

जो मेरे जख्म में रहने लगा है ..........
वही उसको नासूर कहने लगा है .......
मेरा खून पीकर भी मेरा ना हुआ ......
मेरे दिल तू ये क्या सहने लगा है ........शायद ही मैं किसी को यह समझा पाऊ कि उन बच्चो को क्या कहा जाये जो अपने माँ बाप के खून से तैयार होकर भी उनके लिए नहीं जीते .........पत्नी का सिंदूर भी पति को बांध नहीं पता और ये सब एक कीड़े कि तरह घाव में रहने लगते है .........और इस तरह के लोगो को सहते हुए जिन्दगी गुजर दी जाये ...इस के अलावा कुछ भी नहीं रह जाता है हाथ में ...शुभ रात्रि

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