Friday, 17 January 2014

ये हुई ना मर्दो वाली बात !!!!!!!!!!!!!

ये हुई ना मर्दो वाली बात ....

बधाई बधाई .आप सभी को बधाई .......अब ये ना पूछियेगा कि बधाई किस बात की आखिर आप सभी तो म्हणत कर रहे है कि देश की जनसंख्या कम हो जाये / और आप को अपने पर नियंत्रण तो है नहीं और अब इसका प्रमाण भी मत मांगिएगा ! क्योकि अगर नियंत्रण होता तो एक देश की बेटी को अपना नाम खो कर निर्भया का नाम क्यों रखना पड़ता और अब तो आपने अपने पर रोक लगाने के बजाये जो नया उपाय प्रयोग किया है , सच में आपको नोबेल प्राइज मिलना चाहिए और मिले भी क्यों ना आखिर अपनी नाक को झुकाये बिना आप ने लड़की से पीछा जो छुड़ा लिया ! ये भी कोई बात है और लड़की की हैसियत ही क्या है आपके आगे ? सदियो से वो आपके आगे झुक कर रही है और उसको आज भी आपके आगे झुक कर रहना पड़ेगा और आपने सिद्ध जो किया है कि आपके देश में सदैव महापुरुष हुए है जिन्होंने महिलाओ की इज्जत की है | आप को माँ का मतलब नहीं पता होगा तो किसको पता होगा वो तो आप ही चुक जाते है और लोग आमा का शरीर काट ले जाते है वर्ण आप तो माँ के लिए सर कटा सकते है सर झुका नहीं सकते है | अब इतना नाराज़ ना होइए लीजिये संयुक्त राष्ट्र संघ जनसँख्या कोष की रिपोट आ गयी ! वाह वाह क्या बात है एक नहीं दो नहीं पूरे पूरे छह लाख लड़किये आपके देश में माँ की कोख में ही मार दी जाती है ! खैर आपको ये संख्या आपको बड़ी क्यों लगने लगी ? आपके पास तो जनसँख्या सा समुन्दर है और अगर इतनी लड़किया खतम हो रही है तो हो जाये कौन आपको शादी के लिए लड़की की कमी पड़ने वाली है ! चलिए आपका मुह शराबी जैसा ना लगे इसी लिए थोडा और काट छांट देते है यानि हर महीने ५०००० हज़ार और हर दिन १६४४ लड़किया अपनी माँ के गर्भ में ही दम तोड़ देती है आखिर उन मासूमो की क्या मजाल जो खुद की मर्जी से माँ के पेट से बाहर आ जाये और औरत की पूजा करने के लिए ही तो हम पैदा हुए है ! ओह हो आप के पेट में दर्द हो रहा है की आप कौन से ढूध के धुले है ? बिलकुल सही कह रहे है मई ढूध से धूल ही नहीं पाया क्योकि माँ के दूध से पहले ही गर्भ में हत्या जो कर दी आपने ! अब बताइये क्या आप से बड़ा कोई महिला के सम्मान के लिए जिया और आप एक निर्भय के लिए सड़को पर उतर रहे है यहा तो हर दिन १६४४ निर्भय माँ के गर्भ से चिल्लाती है बचाओ बचाओ पर आप को क्या लेना देना आप तो ज्ञानी जो आया है वो जायेगा ही फिर चाहे आज जाये या कल .......वो देखिये नाली के किनारे एक लड़की पड़ी है शायद पैदा नही हो पायी कोई बात नहीं मांस खाने के काम तो आ सकती है क्योकि जिन्दा में तो उसको नोचने में कोई कसार नहीं छोड़ते तो मरने पर क्यों महात्मा ....खाइये खाइये जिन्दा रहती तो भी भूख मिटाती मर गयी तो भी तो भूख मिटा सकती है ! ओह हो आप तो इंसान है भला आप इंसान को कैसे खा सकते है ? तो जिन्दा रहने पर इंसान क्यों नहीं समझ पाये ? ओह खुद को जानवर समझ कर ये सब कर डालते है ! क्या बात है कहते औरत को कुलक्षणी , चरित्रहीन है और आप जाते खुद है कोठो पर बार में कम से कम औरत का काम खुला तो है | लीजिये हम आप से बात करने में २० मिनट से लगे है और इतनी देर में करीब ५५० लड़किया माँ के पेट में मर गयी अब ज्यादा नहीं क्योकि अभी प् के नाले से आवाज़ आयी है शायद इक्सी लड़की को दुनिया में सही जगह पहुच दिया गया .क्या आप भी लड़की के लिए घर ढूंढ रहे है ( इसे सिर्फ व्यंग्य समझ कर पढ़ा जाये )

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