Friday 23 May 2014

नीर की पीर

आँखों के बादल से ,
निकल कुछ बून्द ,
दौड़ पड़ी कपोल ,
तन की धरती पर ,
किसी के मन में ,
हरियाली फैली तो ,
कोई दलदल में डूबा ,
अविरल धारा देख किसी ,
दिल का सब्र था उबा ,
खारा पानी आया कैसे ,
समुद्र कहाँ से टूटा,
नैनो की गहराई में ,
कौन रत्न है छूटा ,
छिपा बादलों में सूरज ,
आलोक नीर ने लूटा ,
....................जब भी दुनिया को पानी की जरूरत हुई है तो आलोक को बादलों में छिपाना पड़ा है या फिर धरती की अतल गहराई के अंधकार से उसे निकलना पड़ा है पर आज दुनिया अँधेरे में नही रहना चाहती इसी लिए उसके आँखों में पानी नहीं रह गया है जब भी कोई रॉय है तो आप मान लीजिये कि उसने मान लिया है कोई सच्चाई ( आलोक ) उसके भीतर छिपा है

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