Friday, 22 November 2013

बुरा जो देखन मैं चला

बुरा जो देखन मैं चला ..................
पता नहीं क्यों मुझे बुरा देखने का शौक चढ़ गया .......पर बुरा है कहा वो तो कीचड़ न हो तो कमल कैसे खिले .और तो और भगवान के बारे में तभी सब अच्छा लगता है जब राक्षस के बारे में भी बात हो .............और बुरा देखने की जरूरत क्या है ..........कल ही तो नेता जी का भाषण आया था उनकी तस्वीर भी देखी थी .....जी जी आप इतना नाराज न होइए मैं तो बुराई की बात कर रहा हूँ .............कुत्ता कहने पर मुँह बन जाता है पर कुत्ता ही तो स्वामिभक्त होता है ..........अब बताइये कैसे आपको बुराई दिखायी देगी .........अब अगर आम्रपाली जैसी नगर वधु ( वेश्या वृति  को हमेशा एक बुराई समझा गया है ) ना होती तो भला बुद्ध को ज्ञान कहा प्राप्त होता .............तो आप भी थोडा गंदगी फैलाइये ताकि कोई बुद्ध फिर पैदा हो सके .............क्या आप अपने को बुरा नहीं मानते ?????????????????? कोई बात नहीं आखिर चिराग तले अँधेरा ही होता है ..............वैसे आप तो किसी का भी कुछ कर सकते है .तो क्या यह बुराई नहीं !!!!!!!!!!!!!!!!!! ओह हो आप रावण के कदम पर चल रहे है इतने पाप कर डालना चाहते है कि राम को आना पड़े .सही भी है आप के कर्म के आगे दुनिया वाले तो बेचारे बेबस है वो क्या आपको सजा दे पाएंगे ???? वैसे क्या झूठ बोलना कभी आपको एक बुराई लगी ??????????? बिलकुल नहीं आपके कारण तो हरिश्चंद्र , युधिष्ठिर का नाम जिन्दा है वर्ण कौन जान पाता...........आप बिलकुल सही जा रहे है आप के रोम रोम में झूठ फरेब भरा है .पर लोग क्या समझे आप इतना त्याग किसको उठाने के लिए कर रहे है ??? क्या आपको अपनी काली करतूत कभी एक बुराई जैसी लगी ??????????? लो जी लो यह भी कोई बुराई है !!!!!!!!!!!!!!! इसी कारण तो ना जेन कितने पाठशाला स्कूल में पूरा पुर्र एक घंटा ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाता है ...और आपके इस घिनौने प्रयास से ही तो एक नैतिक शिक्षा का टीचर रखा जाता है .......अब बताइये आप ना होते तो बेचारा नौकरी कैसे पाता ....................आप तो कल्याणकारी भावना से सबके हित के लिए कार्य करते आये है ...................वैसे क्या बुरे कामो से नरक आपको मिलेगा इसका कभी डर लगा ??????????????? बुरे काम और वो भी आप ...............मरा मरा कहकर ही राम को पाया जाता है ..............ऋषि मुनियो के खून से ही सीता का जन्म होता है .और उसी से फिर रावण को स्वर्ग मिलता है ................तो बुरे काम से मुझे ही नरक क्यों ?????????????? आप पागल हो गए है जितने में अत्याचारी हुए है उनके लिए भगवान  आते है ..भला कितने शरीफो के लिए भगवान आये .................तो आप समझ गए होंगे कि नरक नहीं स्वर्ग का रास्ता बिलकुल साफ़ है ........मेरी बात सुन कर आप कहा चल दिए ?????? क्या क्या कुछ बुरा करने ????????????? हा हां क्यों नहीं भला भगवान कौन नहीं पाना चाहता ?????????????पर आप इसे व्यंग्य समझियेगा कही इसमें भी तो बुराई नहीं दिखायी दे गयी !!!!!!!!!!!!!!!! अब यह आप कह सकते है मैं किसी के लिए कैसे कह सकता हूँ .....................कंस आप है भगवान आपके लिए है मैं तो विभीषण हूँ जो भगवान का नाम लेने पर बस लात खा सकता हूँ !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Thursday, 21 November 2013

संगत से फल उपजे ....................

संगत से फल उपजे ............
कहते है कि खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदल देता है .ओह हो आपको यह उदहारण तो समझ  में ही नहीं आएगा ...चलिए चोर चोर मौसेरे भाई तो समझते है ना ..........अब आप यूँ समझ लीजिये कि जब रात दिन आप चोर उचक्को के साथ ही रहेंगे तो आपसे कैसे उम्मीद करूँ ????????????? और जिसे देखो वो पुलिस को कोसता रहता है ..........नीम पर जो भी लता चढ़ जाती है उसके  फल कड़वे हो जाते है अब आप यह क्यों सोचते है कि जब आप एक चोर आदमी के साथ रात दिन रहेंगे तो संगत का फल तो पड़ेगा ही और आप चोर मचाये शोर कि देखो आया माखन चोर गाना गाने लगेंगे ............और चोर कब अपने को चोर कहता है वो तो हमेशा शाह बन कर रहता है ऊपर से उसका असर .फिर क्या कहने बल्ले बल्ले सब चोर अब कौन बंधे बिल्ली के गले में घंटी क्योकि अब तो काजल की कोठरी में सभी के हाथ काले है .यानि स्टाक होम सिंड्रोम के शिकार !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! नहीं समझे ना चलिए आपको बताये देता हूँ कि स्टाक होम में एक बैंक में जो लोग चोरी करने गए थे उन्होंने वह कुछ लोगो को बंधक बना लिया .....कुछ दिनों तक बंधक और चोर साथ साथ रहे तो बंधको को चोरो से सहानभूति होने लगी और सारे बंधक उन चोरो के समर्थक  बन गए ..............अब ऐसा तो है नहीं कि यह सिंड्रोम यहाँ न फैले जब अफ्रीका का एड्स भारत के आ सकता है तो स्वीडन का सिंड्रोम क्यों नहीं !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! देखिये कही आप भी किसी चोर उचक्के , लुटेरे या झूठे आदमी के साथ बराबर तो नहीं रह रहे है ????????????????????? यानि गयी भैस पानी में और आप हो गए सिंड्रोम के सिकार जिस कहते संगत से फल उपजे संगत से फल जाये >.......................अब आप अपनी दाढ़ी में तिनका ढूंढने लगते है तो मैं क्या करूँ .आरे भैया व्यंग्य क व्यंग्य समझो अपनी सच्चाई उसमे क्यों ढूंढने लगते हो .................पर आप क्या दोष पाप सर चढ़ कर जो बोलता है ..चलिए आप भी पाप का इंजेक्शन लगवा लीजिये नहीं तो कही सच आपके अंदर रह गया ..........तो कोई आपके पास भी नहीं खड़ा होगा और आपको कुत्ते की मौत वाला मुहावरा याद आएगा ...तो देर किस बात की खर पतवार की तरह हर नुक्कड़ पर झूठ का पौधा मिल जायेगा ...........उसे लगा लीजिये फिर देखिये आपको कितना सम्मान मिलता है आखिर दिल्ली तक ????????????????? तो आपके हाथ तो दिल्ली का तख्ते ताऊस तो आना ही है ............ये तो शुक्र है कि अभी संगत से कुत्ते पैदा नहीं होते हा लम्बे समय तक रह कर कुत्ते जैसे !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! कृपया इसे व्यंग्य समझ कर मुझ पर रहम खाइये और मेरी लेखनी को चलने दीजिये

Monday, 18 November 2013

क्योकि मैं आदमी हूँ ?????????????????

पेट के आगे बौना है हर रिश्ता .............

सेमिनार में लगातार मेहनत के कारण मेरे स्वास्थ्य पर फिर बुरा असर पड़ा है और मजेदार बात यह है कि लोग कहते तो है कि यार बता दिया होता पर जब आप उनको बताते है कि मैं ज्यादा काम से परेशान हो सकता हूँ तो हसने लगते है कहते वो तो है ................खैर मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि आज भी दर्द के कारण मैं पैदल ही घूम रहा था कि निशातगंज कि गली नंबर ५ के पास एक आदमी को देखता हूँ जो जमीन से उठा उठा कर कुछ खा रहा था .मैं उसको ध्यान से देखने लगा तो मेरे आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी ....ये तो मुंडेर नाना ( मेरे जानने वाले जिनको मैं बचपन से नाना कहता था ) का लड़का है ..................२ -२ फीट लम्बे बाल .............करीब १ फीट लम्बी दाढ़ी .....कम से कम २-२ किलो मैल से लिपटे कपडे पहने वो कुछ खाने में व्यस्त था .उम्र करीब ५० साल .मुझे यह तो मालूम है कि उनका एक लड़का कुछ दिमागी समस्या से ग्रस्त  था पर नाना और नानी के मरने के बाद मैं वह गया नहीं .............४ लड़के ...एक बड़ा लड़का अधिशासी अभियंता , एक लड़का डॉक्टर , एक लड़का योजना भवन में अधिकारी ...............और एक यह .....................शायद इससे ज्यादा खुले रूप से आप को और क्या बता सकता हूँ कि अगर आपको लगता है कि एक उम्र के बाद भाई बहन आपके जीवन के लिए एक पल भी सोचेंगे तो आप गलतफहमी में है और आपका आने वाला समय ????????????????? टुन्नी ( नाम ) अभी भी जमीन में मुर्गी की तरह अपने जीवन की साँसे ढूंढ रहा था ...........शायद रिश्ता .................रिसता है जो इस दर्शन को समझ लेता है वो तो आदमी बन कर रह पता है और जो नहीं समझ पता वो आदमी बन कर पशु की तरह कूड़े में जीवन तलाशता है ................मुझे मालूम है कि आप मेरी बात कहा मानने वाले .......................बस एक बार किसी को यह एहसास करा दीजिये की आपके पास पैसा नहीं है फिर देखिये वो कितने दिन आपको अपने पास रखता है .........माँ भी अपना ढूध बस कुछ समय के लिए ही बच्चे को देती है फिर उसको दूसरे उपाए ढूंढने पड़ते है ...............ये लीजिये किसी ने अपनी दूकान से कुछ फेका और टुन्नी दौड़ पड़ा शायद भाई से ज्यादा दूकानदार कूड़ा फेक कर उसके जीवन का मतलब समझ रहे थे .......................रिश्ते पर नहीं अपने आप पर भरोसा करिये कोई रिश्ता आपके साथ अंतहीन नहीं हो सकता ...........

Sunday, 17 November 2013

अपराध की ट्रैनिंग यहाँ मिलती है ??????????????////

अंधेर नगरी चौपट राजा ........
आज मैं स्वास्थ्य समस्या के कारण ऑटो से घूम रहा था ....मेरा ड्राईवर था श्री प्रेम चन्द्र चौरसिया ...............मैंने कहा कि सरकार तो परमिट सिर्फ तीन लोगो का देती है फिर तुम लोग ५ क्यों बैठाते हो ..........वो बोला जब सवारी ही मरना चाहती है तो हमें क्या ????????????? क्या आपको पता है कि ऑटो में सिर्फ तीन लोग बैठ सकते है और अगर कोई दुर्घटना हो जाये तो सिर्फ तीन को ही हर्जाना मिलेगा ...................वैसे नियम यह है कि अगर ऑटो वाला तीन से ज्यादा बैठायेगा तो ३००० रूपया पर सवारी जुरमाना लगेगा .मैंने कहा कि पूरे दिन ऑटो वाले फिर  ५ को बैठाते कैसे है , .......उसने कहा कि टेम्पो वालो को हर चौराहे के हिसाब से १०० रूपया महीना देना रहता  है  फिर चाहे जो करिये .सवारी मरे तो मरे .....................ऑटो वाले ज्यादातर १०० से ५०० रुपये देकर गलत सवारी बैठाते है |.............आपको पता है कि रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले ऑटो को रोज ३० रुपये रेलवे को और २० रुपये लखनऊ विकास प्राधिकरण को देने पड़ते है यानि रोज ५० रुपये उसके बाद दिन भर में चाहे जितनी बार सवारी रेलवे स्टेशन से उठाइये ..........वैसे तो नियम है कि हर बार सवारी ले जाने पर १० रुपये की पर्ची पुलिस वाले काटते है पर ऑटो वाले रसीद न कटा कर ५ रुपये दे देते है .......ऑटो वाले को सवारी मिल गयी और पुलिस को हर ऑटो से ५ रुपये जिसका कोई लेखा जोखा नहीं रहता है .................क्या आपको अब अपराध का दर्शन समझ में आया कि नहीं ..........चलते चलते प्रेम चन्द्र ने कहा कि साहब परमिट तीन का देते है .और परिवार नियोजन में नारा देते है .............हम दो हमारे दो .............तो हुए न चार ....अब आप ही बताइये कि ऑटो वाला एक परिवार के लोगो को कैसे न बैठाये ............और नहीं तो देश वाले अगर ऑटो पर चलना चाहते है ...............और ऑटो वाला जुर्माने से बचना चाहता है .............तो नारा दीजिये हम दो हमारे एक ................पर ऐसा करके सरकार कैसे जनसँख्या रोकेगी ........क्या यह भी सफ़ेद पॉश अपराध का एक सुंदर उदहारण है ????????????? मैं घर पहुच चूका था पर प्रेम चन्द्र मुझे अपराध का एक नया अध्याय पढ़ा गया था ........................क्या आप के साथ हम दो हमारे दो वाली समस्या है यानि ऑटो नहीं अपनी कार से चलिए ....कार लेना है तो कर्ज लीजिये ........समझ गए ना देश कैसे कार बेचने का धंधा चला कर पूंजीपतियो का घर भर रहा है ...............क्या आप भी ???????????????????इस गोरख धंधे में आना चाहते है ??????????????????

Friday, 1 November 2013

बोलियेगा नहीं ?????????????????

आलोक चांटिया को क्यों दीपावली माननी चाहिए ????????????????
दीपावली का त्यौहार माँ लक्ष्मी ( महिला ) के लिए समर्पित होता है और इस देश में जब द्रौपदी नग्न की जाती है तो समाज के अच्छे लोग ????? खामोश रहते है .जब इस देश में अहिल्या पत्थर की बनती है तब भी अच्छे लोग खामोश ही रहते है और जब एक औरत सारी रात घर से बाहर रहने केकारण पति द्वारा मारी जाती है एक औरत को वनवास होता है तब भी ये अच्छे लोग चुप ही रहते है ..........और फिर २१ वीं शताब्दी में एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय में एक लड़की मारी जाती है तब भी वो अच्छे शिक्षक चुप रहते है जो समाज को दिशा देते है जो समाजको अँधेरे से दूर ले जाते है ............वही अच्छे लोग शिक्षक के रूप में कहते है कि बेटी समझ कर मारा तो क्या यही लोग जब इनकी बेटी कभी सड़क पर मारी जायेगी , तो समझ पाएंगे कि मारने वाला पिता था ??????????? क्या छेड़े जाने पर मान पाएंगे कि छेड़ने वाला भाई था .........और किसी भी लड़की का बलात्कार हो तो क्या यही अच्छे लोग कहेंगे कि ऐसा करने वाला पति समझ लिया जाये ..............क्या आज शिक्षक ऐसी सोच लेकर समाज के लड़के लड़कियो को देख रहा है .........जब लक्ष्मी रूपी लड़की का सम्मान नहीं तो दीपावली कैसी ??????????? लड़की से बयां बदलवा कर आप अगर यह सीना थोक रहे है कि कुछ हुआ नहीं तो क्या ये आपकी सोच को लड़की के प्रति नहीं प्रदर्शित करता ???????????? कहा है वो महिला जो महिला उत्पीड़न सेल की सदस्य तो बनना चाहती है पर लड़की के साथ हुई घटना को छिपा लेनी चाहती है ????????????? कहा है वो शिक्षक जो समाज में समाज सेवक का लबादा ओढ़ता है और लड़की का बयां बदलवा का समाज में लड़की के साथ हुए शोषण को छिपाने में मदद करता है | .......कहा है वो लोग जो लड़की के मारे का समर्थन करते है और लड़की की गरिमा और अस्मिता की रक्षा करने वाले के विरुद्ध बयान देकर अपनी लड़की के प्रति सोच को दिखाते है | क्या करूँ ऐसे भारत में सिर्फ इस लिए दीपावली मनाऊ क्योकि लड़की मेरे घर की नहीं है और देखता रहूँ  चाहे जो होता रहे  क्या इसी लिए भारतीय संविधान में निति निदेशक तत्वो का समाधान किया गया था कि हैम सब लड़की के सम्मान और गरिमा के लिएय कार्य करें .......................मैं जनता हूँ कि अच्छे लोग क्या करें वो जानते है लड़ना आसान नहीं है और आलोक का क्या उसके नीचे हमेशा अँधेरा रहता है .....पर आलोक तो आज आप भी अपने घर चाहते है तो फिर अँधेरे से क्यों डर रहे है .........क्यों दो तरह का जीवन जी रहे है ..आप चुप इस लिए है कि नौकरी बची रहे फिर हम मनुष्य किसी अर्थ में है ???????????/ जानवर भी अपनों के लिए लड़ता है ...क्या हम उससे भी ????????????/ और इसी सब से दुखी होकर मैंने इस बार दीपावली ना मानाने का निर्णय लिया है ...क्या करूँ उस देश में दीपावली मना कर जहा कथनी करनी में अंतर है और लक्ष्मी को हम चौराहे पर नीलाम करते है ..............माफ़ी चाहता हूँ अगर आप सभी सम्मानित भारतीयो को मेरी बात से कोई ठेस पहुची हो ......भगवान न करें आपकी बेटी बहन , पत्नी , माँ किसी को चौराहे पर किसी की मदद की जरूरत पड़े और आप के पास हाथ मलने के अलावा कुछ न बचे ................खैर आप दीपावली जरुर मनाये आखिर लक्ष्मी( महिला ) तो हाथ की मैल( गंदगी ) है उसके लिए सोचने की क्या जरूरत ????????????????? आलोक चांटिया ऐसे से शामिल नहीं जिसमे आप सब देख कर भी खामोश है .................देखिये कही दिए का अँधेरा आपके घर में ना छूट जाये ............जय भारत ..अखिल भारतीय अधिकार संगठन