Sunday, 17 November 2013

अपराध की ट्रैनिंग यहाँ मिलती है ??????????????////

अंधेर नगरी चौपट राजा ........
आज मैं स्वास्थ्य समस्या के कारण ऑटो से घूम रहा था ....मेरा ड्राईवर था श्री प्रेम चन्द्र चौरसिया ...............मैंने कहा कि सरकार तो परमिट सिर्फ तीन लोगो का देती है फिर तुम लोग ५ क्यों बैठाते हो ..........वो बोला जब सवारी ही मरना चाहती है तो हमें क्या ????????????? क्या आपको पता है कि ऑटो में सिर्फ तीन लोग बैठ सकते है और अगर कोई दुर्घटना हो जाये तो सिर्फ तीन को ही हर्जाना मिलेगा ...................वैसे नियम यह है कि अगर ऑटो वाला तीन से ज्यादा बैठायेगा तो ३००० रूपया पर सवारी जुरमाना लगेगा .मैंने कहा कि पूरे दिन ऑटो वाले फिर  ५ को बैठाते कैसे है , .......उसने कहा कि टेम्पो वालो को हर चौराहे के हिसाब से १०० रूपया महीना देना रहता  है  फिर चाहे जो करिये .सवारी मरे तो मरे .....................ऑटो वाले ज्यादातर १०० से ५०० रुपये देकर गलत सवारी बैठाते है |.............आपको पता है कि रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले ऑटो को रोज ३० रुपये रेलवे को और २० रुपये लखनऊ विकास प्राधिकरण को देने पड़ते है यानि रोज ५० रुपये उसके बाद दिन भर में चाहे जितनी बार सवारी रेलवे स्टेशन से उठाइये ..........वैसे तो नियम है कि हर बार सवारी ले जाने पर १० रुपये की पर्ची पुलिस वाले काटते है पर ऑटो वाले रसीद न कटा कर ५ रुपये दे देते है .......ऑटो वाले को सवारी मिल गयी और पुलिस को हर ऑटो से ५ रुपये जिसका कोई लेखा जोखा नहीं रहता है .................क्या आपको अब अपराध का दर्शन समझ में आया कि नहीं ..........चलते चलते प्रेम चन्द्र ने कहा कि साहब परमिट तीन का देते है .और परिवार नियोजन में नारा देते है .............हम दो हमारे दो .............तो हुए न चार ....अब आप ही बताइये कि ऑटो वाला एक परिवार के लोगो को कैसे न बैठाये ............और नहीं तो देश वाले अगर ऑटो पर चलना चाहते है ...............और ऑटो वाला जुर्माने से बचना चाहता है .............तो नारा दीजिये हम दो हमारे एक ................पर ऐसा करके सरकार कैसे जनसँख्या रोकेगी ........क्या यह भी सफ़ेद पॉश अपराध का एक सुंदर उदहारण है ????????????? मैं घर पहुच चूका था पर प्रेम चन्द्र मुझे अपराध का एक नया अध्याय पढ़ा गया था ........................क्या आप के साथ हम दो हमारे दो वाली समस्या है यानि ऑटो नहीं अपनी कार से चलिए ....कार लेना है तो कर्ज लीजिये ........समझ गए ना देश कैसे कार बेचने का धंधा चला कर पूंजीपतियो का घर भर रहा है ...............क्या आप भी ???????????????????इस गोरख धंधे में आना चाहते है ??????????????????

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